प्रेम बड़ा ही विचित्र शब्द है ना.... प्रत्येक व्यक्ति के ह्रदय में वास है इसका। यह प्रेम जीवन में उमंग की धारा को प्रवेश कराने में बड़ा सहायक सिद्ध होता है। इस शब्द पर अनेक ऐतिहासिक और तथ्यात्मक कहानियां लिखी गई हैं।उसी प्रकार यह कहानी भी अपने आप में नई ताजगी,कई रंग और आशाएं रखती है।
तो आइए देखते हैं कहानी हर्ष और अनुष्का कि..। ये कहानी अपने आप में एक नया रंग रखती है। लंबे वक्त के बाद जीवन में आने वाले रोमांचक मोड़ का खुशनुमा अंदाज रखती है। और अपने चरमोत्कर्ष से पहले शंका और शंका समाप्त होने के बाद की खुशी रखती है।
तो आइए जानते हैं हर्ष और अनुष्का की रोमांचक कहानी के बारे में...
(प्रथम दृश्य)
इशानी और अनुष्का दोनों टैक्सी में बैठ कर कहीं जा रहीं
हैं। अनुष्का लगातार बड़बड़ाती जा रही है और इशानी उसे लगातार समझाए जा रही है.....
इशानी- अनु तु क्यों hyper हो रही है। साफ-साफ कुछ बोलती नहीं...कब से बड़बड़ाये जा रही है। ऐसा भी कोई पहाड़ नहीं टूट पड़ा सब कुछ normal है मेरी मां।
अनुष्का-देख आज मैं ना अपने वर्क पैलेस पर पहली बार जा रही हूं। तुझे पता है इशु.. मैंने बचपन से एक painting artist बनने का सपना देखा है। और वह सपना जब आज पूरा होने जा रहा है तो मैं कैसे परेशान ना होंऊ....!
इशानी- अरे यार तो इसमें परेशान होने वाली क्या बात है ?तुझे तो खुश होना चाहिए कि मेरा सपना पूरा होने जा रहा है... पर ना.. तू पागल है।
और इस तरह पूरे रास्ते अनुष्का और इशानी आपस में बातें करते हुए आए और पहुंच गए उस जगह पर जहां अनुष्का को उसका कैरियर शुरू करने का मौका मिला था। ईशानी अनुष्का के लिए एक मदद करने वाली साथी के रूप में उसके साथ आई थी। दूसरे शब्दों में कहें तो इशानी अनुष्का की assistant थी। इस प्रोजेक्ट में ईशानी अनुष्का के अधीन काम करेगी.. यही तय हुआ था। हालांकि वे दोनों एक दूसरे को बहुत पहले से जानती थी। और उन में गहरी दोस्ती थी क्योंकि उन्होंने कॉलेज साथ किया था।
अब वे दोनों एक महल जैसी दिखने वाली बड़ी सी हवेली के सामने खड़ी थी। ईशानी ने देखा की इस हवेली को देखकर अनुष्का खो गई है। उसने अनुष्का को झटके से उसके सपने से बाहर निकाला.....
इशानी- अब चलो भी अंदर.....!