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अंतिम अध्याय: प्रेम की विजय।

रात को 1:30 पर हर्ष और इशानी सुसाइड प्वाइंट पर पहुंचे। वह दोनों समय से पहुंच गए थे क्योंकि अनुष्का पहाड़ी से कूदकर अपनी जान देने ही वाली थी। हर्ष ने अनुष्का को खींच लिया। और एक थप्पड़ अनुष्का के गाल पर मारा।

हर्ष- ये क्या करने जा रही थी तुम..? अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो मेरा क्या होता...? कभी सोचा है तुमने..???

अनुष्का- (रोते हुए) तुम यहां क्यों आए हो..? क्यों मेरी जान बचाई तुमने? जाओ यहां से...! और जाकर उस मीरा के साथ अपनी life enjoy करो। तुम्हें मेरी क्या जरूरत है। आखिर तुम्हारा प्यार भी तो मीरा ही है।

माना मैंने कि पांच साल पहले मैंने तुम्हारी बेज्जती की थी। लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि मेरे दिल में प्यार नहीं है। तुम खुद सोच कर देखो हर्ष। उस वक्त मैं सिर्फ 10th क्लास में थी। उस वक्त मेरी think सिर्फ study तक ही सीमित थी। तब तुम्हें प्यार की समझ थी। इसलिए तुम्हें प्यार हुआ। आज जब मैं तुम्हारी stage पर पहुंची हु.... जब मुझ में प्यार की समझ आई है। तब आज मुझे प्यार हुआ है। इसमें मेरी क्या गलती है। प्यार है। ऐसा तो है नहीं कि तुम्हें होगा तभी मुझे होगा। प्यार तो अपने वक्त पर ही होगा हर्ष। तुम्हारे या मेरे बोलने से नहीं होगा। इसमें मेरी कोई गलती नहीं थी इसमें गलती उम्र की थी। उस उम्र में तुम्हें प्यार हुआ था। आज मैं उस उम्र पर पहुंची हूं तो मुझे प्यार हुआ है।

हर्ष- calm down अनु। मैं आज भी तुम्हीं से प्यार करता हूं। रही बात मीरा की... तो वो ना ही मेरा प्यार है। और ना ही मेरी मंगेतर। वो सिर्फ मेरी दोस्त है। एक अच्छी दोस्त।

मैंने तुमसे प्यार किया था। ऐसे ही थोड़ी छोड़ देता। तुम्हें क्या लगा... तुम्हारा मेरी जिंदगी में वापस आना कोई coincident है?

नहीं...! कभी सोचा है इस project के लिए तुम्हें ही क्यों चुना गया..? यह सब पहले से ही तय था। मुझे पता था कि प्यार तो तुम मुझसे ही करती हो। लेकिन तब तुम्हें प्यार की समझ नहीं थी। इसीलिए तुम मेरे प्यार को accept नहीं कर पा रही थी। एक और shock की बात बताऊं.... इस plan में मैं और मीरा ही नहीं बल्कि इशानी भी शुरुआत से शामिल थी। और देखो हमारा plan successful रहा।

अनुष्का की आंखों में खुशी के आंसू थे। तभी मीरा भी वहां आ गई। उसके हाथों में एक अंगूठी का बॉक्स था।मीरा ने अंगूठी का बॉक्स अनुष्का को पकड़ते हुए sorry कहा। अनुष्का ने भी 'it's ok'कहा और अंगूठी हर्ष को पहना दी। हर्ष ने भी अनुष्का को अंगूठी पहना दी। और दोनों ने एक-दूसरे को बाहों में भर लिया। वहां तालियों की आवाजें भी थी। जो ईशानी

और मीरा बजा रही थीं। इस शानदार engagement की तालियों की आवाज आती ही जा रही थी। आती जा रही थी। आती जा रही थी...

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कहानियों का अंत नहीं होता। कहानियों की तो

Happy ending होती है। जो दिल में एक सुकून और आंखों में खुशी के आंसू दे जाती है। हर्ष और अनुष्का की कहानी भी कुछ ऐसी ही थी। जिसमें खुशियां थी, नए रंग थे, आशाएं थीं। अंत में रहस्यों के खुलासे थे। और खुशियों से बजती तालियां थी। जो बजती जा रही थी.. clap,clap,clap......

इस कहानी ने मुझे एक अलग ही experience दिया।आपको बता दूं कि यह मेरी life की पहली novel थी। लिखना मेरे लिए काम नहीं, शौक नहीं, बल्कि मेरी आदत है। और इस आदत को मैं शायद ही कभी छोड़ पाऊं। कहानी पढ़ने के लिए शुक्रिया....