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Heartless king

न्यूयोर्क शहर एक उँची ईमारत से, एक शख्स शीशे क़ी खिड़की के पास खड़ा  निचे आते -जाते हुए गाड़ीयों और लोगों को देख रहा होता हैँ..... उतनी ऊंचाई लोग और गड़िया उसे कीड़े माकोड़े क़ी तरह दिख रही होती हैं। वो निचे देखते हुए कुछ सोचे जा रहा था। तभी दो लोग अंदर आते हैँ, चलो हमें निकलना हैँ, काका हुजूर का बार बार फ़ोन आ रहा हैँ .... राजस्थान के लिए.... जैट तैयार हैँ......... वो शख्स, "हम्म्म " कहते हुए फिर से खिड़की क़ी तरफ देखते हुए और कहता हैं........... क्या उसके बारे कुछ मालूम हुआ, कहते हुए उसके आखों में एक दर्द उभर आया। दूसरा शख्स, "तुम आज तक नहीं भूले हो उसे..... सात साल हो गए.... कौन थी, कहाँ से आयी थी, केसी दिखती हैं,अब तक हमें मालूम नहीं हुआ,जैसे उसे जमीन खा गयी या आसमान निगल गया। जिन्दा भी हैं या मर गयी। तभी वो गुस्से में, उसका गला पकड़.... जस्ट शटअप दुबरा ये कहने की हिम्मत मत करना ये कहते हुए उसके आँखो में खून उतर आया। फिर झटके से उसे छोड़ दिया। वो खाँसते हुए अपने गले को सहलाता हैं। तभी वो मुड़ता हैँ और कहता हैँ..... उसकी पहली मुलकात के बाद यही कहूँगा क़ी उसके बगैर दिल कही लगता नहीं ज़ब तक जियूँगा उसे आखिरी सांस तक ढूढ़गा..... आगे महादेव क़ी मर्जी। तभी तीसरा शख्स छोड़ ना तू इसे जानता तो हैँ। तीनों निकल जाते हैं इंडिया के लिए.....

Dhaara_shree · Urbano
Classificações insuficientes
32 Chs

ch-15

दक्ष -दीक्षा

दक्ष दीक्षा को लेकर जब अपने कमरे में आता है तो आते के साथ कहता है स्वीट्स यह तुम्हारे पति का कमरा है जिसमें उसका बचपन बीता था यह कहते हुए उसे नीचे उतार देता है।  नीचे उतरते ही दीक्षा पूरे कमरे को गौर से देखती है।कमरे में एक दीवाल पर दक्ष की बचपन की तस्वीरें होती है उनके साथ सभी उनके भाई बहनों की तस्वीरें लगी होती है दूसरे दीवाल पर  दक्ष के माता पिता और उनके चाचा चाची की तस्वीरें थी।

जिसे देखकर दीक्षा आगे आकर उन सभी को हाथ जोड़कर प्रणाम करती है और उनके आगे सर झुका कर कहती है कि आप सब मुझे यह आशीर्वाद दीजिए कि मैं इस घर के मान सम्मान का ख्याल रख सकूं जिसे सुनकर दक्ष  उसके कंधे पर हाथ रखते हुए उसके साथ खड़ा होते कहता है, "हमें और हमारे माता-पिता और पूरे घर को पूरा यकीन है कि आप हमारे घर की मान मर्यादा की पूरी तरह से सम्मान और रक्षा करेंगी ।

यह सुनकर दीक्षा मुस्कुरा देती है दोनों एक दूसरे को मुस्कुराते हुए देखते हैं। कमरे में चांद से चांदनी की रोशनी आ रही होती है। दक्ष उस रौशनी मे दीक्षा के चेहरे को उठाकर कहता है,"स्वीट्स इस चांद की रोशनी में वह नूर नहीं जो आपके चेहरे पर मुझे नूर नजर आता है। दक्ष की यह प्यार भरी बातें सुनकर दीक्षा की आंखें शर्म से झुक जाते हैं और वह दक्ष के बाहों में खुद को समां लेती है। दक्ष कहता है वैसे तो आज हमारी सुहागरात है। दीक्षा कहती है बिल्कुल नहीं आज हमारी सुहागरात है दक्ष क्योंकि हमारी सुहागरात बहुत पहले हो चुकी है?

जिसे सुनकर दक्ष दक्ष कहता है तो आप क्या चाहती हैं आज हमारी सुहागरात की जगह पर सुखी रात बीते। मैंने ऐसा कब कहा दक्ष मैं बस चाहती हूं कि आज की रात हम दोनों  एक दूसरे के साथ सुकून भरी रात गुजारे जहां सिर्फ आप मैं और हमारी खामोशी हो ? उस की बातें सुनकर कहता है,"जैसी आपकी इच्छा रानी साहिबा चलिए तो फिर से फ्रेश हो जाइये। वो ये सुनकर जाने लगती है तो दक्ष उसके हाथ क़ो पकड़ कर कहता है, वैसे हम एक बात कहे!!.दीक्षा रुक कर उसकी तरफ देखती है। वो उसकी तरफ पूरी तरह से घूम कर उसके चेहरे क़ो अपने हाथों मे भर कर उसकी तरफ झुकते हुए कहता है, आज आप बेहद ख़ूबसूरत लग रही है। दिल कर रहा आपको यु ही पूरी रात देखा करुं,कह कर उसके माथो क़ो प्यार से चुम लेता है।दीक्षा उसकी आखों मे अपने लिए इतनी मोहब्बत देख कर कहती है, ये नूर ये खूबसूरती सिर्फ आपके लिए है दक्ष।

जाईये स्वीट्स  पहले फ्रेश हो जाईये।

फिर हम सुकून भरी राते बिताते हैं। दीक्षा उसकी बातें सुनकर नासमझी में कहती है सुकून भरी रातें कैसे बितायेगे  दक्ष? जिसे सुनकर दक्ष कहता है आप पहले फ्रेश होकर  आइए फिर आपको खुद पता चल जाएगा कि सुकून भरी रात हम कैसे बिताएंगे?

कुछ देर बाद दीक्षा सारे कपड़े बदल के एक क्लीन सी नीली रंग की साड़ी पहन कर कमरे मे आ जाती है। उसे कमरे में दक्ष नहीं दिखता है फिर उसकी नजर बालकनी में जाता है जहां बहुत खूबसूरती से बिस्तर लगाया हुआ होता है। दीक्षा उसे इस तरह से बालकनी में बिस्तर लगाते देख पूछती है यह क्या कर रहे हैं दक्ष!!

दक्ष उसे मुड़कर जब देखता है तो  दीक्षा अभी चांद की रोशनी में नहायी हुई परी लग रही होती है,उसके खुले लहराते हुए लम्बे बाल, हाथों में लाल चूड़ियां,पूरी मांग भरा हुआ सिंदूर, आखों मे हल्का काजल, गले मे बड़ा मंगलसूत्र, माथे पर लाल बिंदी और सादी सी नीले रंग की साड़ी पहनी हुई बेहद खूबसूरत लग रही थी ?

दक्ष अपनी दीक्षा की खूबसूरती में खोया हुआ उसके हाथों को पकड़कर अपनी तरफ खींच कर बैठा लेता है और कहता है आपकी ही तो ख्वाहिश थी कि आज की पूरी रात हम दोनों खामोशी से बितायेगे। सिर्फ हमारी मोहब्बत का शोर होगा।आप ही की तो ख्वाहिश थी, " रानी सा की हम अपनी आज की रात सुकून से भरी प्यार भरी खामोशी में बीते बस उसी की तैयारी कर रहा था।  आपको पसंद आया!!

दीक्षा मुस्कुराकर अपने हाथों से उसके गालों पर रखते हुए कहती हैं बहुत पसंद आया। यह सुनकर दक्ष अपने हाथों को उसके  हाथों पर रखते हुए कहता है तो फिर इस इस बात पर तो मुझे इनाम मिलना चाहिए। दीक्षा उसकी मोहब्बत नजर क़ो समझ कर पूछती है, " क्या चाहिए आपको? "

दक्ष मुस्कुराते हुए अपनी एक उंगली उसके लबों को लबों पर रखकर कहता है इसके अलावा तुम मुझे कुछ भी नहीं चाहिए। दीक्षा शरमा कर अपनी नजरें झुका लेती। दक्ष उसकी झुकी नजरों छूता हुआ उसके लबों पर अपने होठों को रख देता है फिर उसे पैशनेटली चूमने लगता है।  उसे चूमते हुए उसी बिस्तर पर सुला देता है और पास में एक  डोरी खींच देता है। जिससे चारों तरफ पर्दे गिर जाते है।

दोनों चांदनी रात मे एक दूसरे क़ो मोहब्बत से चुम रहे थे। आज उनकी ये सुकून से भरी मोहब्बत की रात थी।

फिर वह दोनों प्यार की दुनिया में खो जाते हैं । दीक्षा कहती है, " दक्ष मैंने यह नहीं कहा था आज हम हमारी सुहागरात नहीं मनाएंगे।

दक्ष अपनी मदहोश भरी आवाज में कहता है, स्वीट !! आपने ही तो कहता है,आज की तरह हमारे बिच सिर्फ हमारी मोहब्बत की खामोशी होगी। वैसे भी आप इतनी खूबसूरत लग रही है कि मुझसे कंट्रोल नहीं होता।  कहते हुए दीक्षा के होठों क़ो फिर से अपने होठों से दबा देता है।

फिर धीरे धीरे उसके साथ मदहोश होती हुई दीक्षा  के बदन से उसके आंचल को हटा देता है। दीक्षा अपनी आंखें बंद कर लेती है दक्ष धीरे-धीरे उसके ब्लाउज के हर एक बटन को अपने दांतों से खोलने लगता है। खोलते हुए उसके हर हिस्से को चूमने और चूसने लगता है।

उसकी छुअन भरी एहसास से दीक्षा के हाथ दक्ष के कंधों पर कसने लगते हैं उसके नाखून दक्ष के कंधों को चुभने  लगती है।  कुछ देर बाद दक्ष दीक्षा के ब्लाउज को पूरी तरह से उतार देता है और  उस के ऊपरी हिस्से को देख कर अपनी आंखों में प्यार लिए अपने लबों को उसके  हिस्से पर रख देता है। धीरे-धीरे दोनों का प्यार चांदनी रात में परवान  चढ़ रहा होता है। दोनों एक दूसरे की मोहब्बत और आगोश में डूबने लगते। आज की रात दोनों की सुकून से भरी ख़ामोशी रात बीत रही होती है।

रौनक -कनक

रौनक जब कनक के सारे गहने उतार रहा होता है तो कनक शरम से अपनी नजरें झुकाए रहती। रौनक कहता है अगर इस तरह से नजरें झुकाए रखेंगी तो मुझे आपसे प्यार हो जाएगा  और फिर मैं  आपसे प्यार करने के लिए खुद क़ो रोक नही पाऊंगा।  उसकी यह बातें सुनकर कनक अपनी नजरें ऊपर उठाकर उसे देखने लगती है रौनक मुस्कुरा कर कहता है आपकी गहरी कजरारी आंखें मुझे पागल करने में एक पल नहीं लगा रही है।

अब आप बताएंगी कि आप क्या कहना चाहती हैं ? जिसे सुनकर कनक धीरे से कहती है। मैं चाहती हूं कुंवर सा कि हमारे बीच आज प्यार की शुरुआत हो जाए। मैं आपसे प्यार करती हूं या नहीं करती यह नहीं कह सकती। लेकिन आपके साथ में जीना चाहती हूं आपके साथ खुश रहना चाहती हूं आपके चेहरे को निहारना मुझे अच्छा लगता है आपकी बातें सुनना मुझे अच्छा लगता है आपके करीब रहना मुझे अच्छा लगता है। रौनक उसकी बात सुनकर कहता है। क्या हमारी शादी हो गई इस वजह से आप हमारे साथ रिश्ते की शुरुआत कर करना चाहती हैं? जिसे सुनकर कनक कहती है नहीं कुंवर सा मैंने इस वजह से आपको हां नहीं कहा मैं बस चाहती हूँ की आपके साथ जीना शुरू करुं।

कनक की बात सुनकर रौनक उसके साथ बेड पर बैठते हुए कहता है आप को यकीन है कि आप तैयार हैं इसके लिए। धीरे से उसके गालों को छूते हुए कहता है,अगर आप चाहती हैं कि हम अपनी मोहब्बत की शुरुआत आज ही करें तो हम आपको बता दें कि हमें मंजूर है।

हमने आपको तन मन से अपनी पत्नी माना है और  सच कहे तो सगाई वाले दिन जब आप हमे बगीचे में मिली थी और हम आपकी बाहों में आये थे तभी हमारा दिल आपको अपना चुका था । हम तभी से आपके लिए अपना सब कुछ महसूस करने लगे थे।

कनक उसकी बात सुनकर मुस्कुराती हुई कहती है कि ऐसा ही कुछ एहसास मुझे भी उस दिन हुआ था लेकिन समय और परिस्थिति की वजह से मैं यह बात मानने से खुद को इंकार करती रही।

रौनक कहता है,'लेकिन कनक हमें । अपनी बातें पूरी करता तब तक कनक के होंठ रौनक के होठों को छू लेते हैं। कनक अपनी हरकत पर खुद शरमा कर अलग हो जाती है। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी रौनक उसे अपनी तरफ खींच लेता है और उसके होठों पर अपने होठों को रख देता है,दोनों ही एक दूसरे के चुंबन में खोने लगते हैं।

किश करते हुए रौनक कनक को बिस्तर पर लेटा देता है। उसके हाथ धीरे-धीरे कनक के पीछे बंधी हुई ब्लाउज की डोरी पर चली जाती है। उसके ठंडे हाथों का स्पर्श पाते ही कनक के पुरे शरीर में सिहरन होनी शुरू होने लगती है। उसके हाथों का कसाव रौनक के शरीर पर बढ़ते जाता है। जिसे महसूस करके रौनक कहता है आप चाहती हैं तो हम यहीं रुक सकते ले। लेकिन कनक उससे लिपट कर अपनी सहमति ना में जताती है। जिसे देख रौनक कहता है तो अब तैयार हो जाइए। यह कहते हुए अब तक जो रौनक बहुत प्यार से उसे किश कर रहा था अब।

रौनक धीरे-धीरे उसके हर हिस्से को चूमना और काटना शुरु करता है और धीरे-धीरे उसके हर हिस्से के कपड़े को उतरने लगते है। रोनक के हाथ जैसे-जैसे कनक के बदन पर चलने लगते हैं कनक की धड़कन और सांसो की तेजी बढ़ने लगती है वह अपनी बढ़ती सांसो से कहती है कुंवर सा।

थोड़ी घबराहट हो रही है रौनक मुस्कुरा कर कहता है मुझ पर भरोसा रखिए मैं आपको परेशान नहीं करूंगा। यह कहते हुए उसके नाजुक अंग क़ो चूमने लगता है। धीरे-धीरे रौनक की किश पैशनेट होते होते, वाइल्ड होने लगती है और उसके हाथ कनक के हर हिस्से के जगह को  छूने लगता है। रोनक के होंठ कनक की गर्दन से होते हुए उसके हर हिस्से को काटने और झूमने लगते हैं।

जिससे कनक के शरीर में सीहरण होने लगती है वह खुद को बेचैन महसूस करने लगती है उसकी बेचैनी इस कदर उस पर बढ़ती है कि वह रौनक को कहती है, कुंवर सा!! बर्दाश्त नहीं हो रहा है। रौनक कहता है अभी तो प्यार की शुरुआत की है।  धीरे-धीरे इसे अंजाम पर पहुंच जाऊंगा। कहते हुए उसकी नीचे के लहंगे  को उतार देता है। अब उसके सामने कनक बिना कपड़ों  के सिमटी थी। जिसे देख रौनक कहता है, आप एक प्यारी गुड़िया है,फिर से उसके शरीर के हर हिस्से को चूमने लगता है । इस दौरान दोनों की नजर एक दूसरे से हटती नहीं है।रौनक के हर एक छुअन से कनक पिघलने लगती है और जब वह उसके अंदर खुद को समाने लगता है तो कनक से पूछता  तैयार हैं आप? कनक आंखें जप करते हुए हमें इशारा देती है। जिसे सुनकर रौनक मुस्कुराते हुए कहता है, " थोड़ा दर्द होगा संभाल लेंगी ना आप। कनक मुस्कुराते हुए हां कहती है और कहती है संभाल लूंगी। रौनक धीरे से उसके अंदर प्रवेश करने लगता है और तब कनक की सांसे  ऊपर चढ़ने लगती हैं। उसके मुंह से आवाज निकलती उससे पहले उसके लबों क़ो रौनक अपने लबों से बंद कर देता हैं और वह खुद को पूरी तरह से कनक के अंदर समा लेता है। कनक के आखों के कोरों से आंसू गिरने लगते है। जिसे रौनक अपने लबों से पीते हुए धीरे कहता है, छोड़ दूँ !! दर्द ज्यादा हो रहा है। कनक उसके चेहरे क़ो हाथों मे भर कर अपने होठों क़ो उसके होठों पर रख देती है।

अब पूरे कमरे में रौनक की मोहब्बत और कनक की सिसकारियां से वह कमरा गूंज रहा होता है।

दोनों ही का मिलन आज पूरा हो गया था दोनों ही एक दूसरे से मिलकर बहुत खुश थे आज वह दोनों वाकई में पति पत्नी के रिश्ते क़ो स्वीकार कर चुके थे।कब तक दोनों के  बीच मोहब्बत का यह सिलसिला चलता रहा।

रात अपनी रवानी पर उन्दोनो की मोहब्बत क़ो बयां करती रही।

पृथ्वी -शुभ

पृथ्वी के कहने पर शुभ जब कपड़े पहन के बाहर आती है तो वह एक लाल रंग की छोटी नाइटी पहनी हुई होती है जो उसके घुटनों से ऊपर की होती है जिसे देख शुभ उसे निचे खींचती हुई, " पृथ्वी को देख कर कहती है,' हुकुम सा!! यह कुछ ज्यादा ही छोटा नहीं है। लेकिन पृथ्वी की आवाज खुद बंद हो जाती है, "जब उसकी नजर  गोरे-गोरे टांगों पर पड़ती है और लाल रंग की एक छोटी सी नाइटी में वह बेहद हसीन लग रही होती। शुभ की बातों को नजरअंदाज करते हुए पृथ्वी तेजी से शुभ को अपनी तरफ खींचता है और बिना कुछ सीधे उसके होठों पर अपने होठों को रखकर उसे चूमने लगता है । आज उसकी किश रोज की अपेक्षा ज्यादा वाइल्ड थी। जिससे शुभ की सांसे ऊपर नीचे होने लगती है वह खुद को छुड़ाने की कोशिश करती है लेकिन पृथ्वी की बाहों से वह खुद को छोड़ा नहीं पाती फिर वो भी उस मोहब्बत भरी चुबन मे उसका साथ देने लगती है। पृथ्वी किश करते हुए, उसी तरह अपनी बाहों में उठा कर बिस्तर पर ले जाता है। वह तब तक उसे चुमता है जब तक शुभ की सांस रुकने नहीं लगती है। जब उसे एहसास होता है कि शुभ सांस ले नहीं पा रही है तो उसे किश करना छोड़ उसके अपने होठों को उसके गर्दन पर रख देता और धीरे-धीरे उसके बदन से वह छोटी सी नाइटी कब उतर जाती है। उसे पता नहीं चलता, शुभ उसके हर छुअन से खुद को उसके साथ डुबाते हुए जा रही थी।  उसकी डूबती उभरती सांसो की पकड़ पृथ्वी के गर्दन पर चली जा रहे थे। पृथ्वी उसकी तरफ देखते हुए कहता है कि हमारे बीच यह रिश्ता पहली बार तो बना नहीं है फिर आप इतनी क्यों बेशब्र हो रही हैं? उसकी बातें सुनकर शुभ अपनी उभरती सांसों से कहती है, "आपको पता है हुकुम सा कि आपके छूने से ही हम पिघलने लगते हैं हम खुद को संभाल नहीं पाते। यह सुन पृथ्वी फिर उसके बदन को चूमने लगता है …। दोनों अपनी मोहब्बत के सागर में डूबने लगते हैं कुछ देर बाद उस कमरे में शुभ सिसकारियां गूंजने लगती हैं।

अनीश -रितिका

रितिका की इस तरह की बातें सुन अनीश की आंखें बड़ी होने लगती है। रितिका अपनी बड़ी बड़ी आंखों से झपकाती  हुई कहती है क्या? आपको अभी से  डर लगने लगा वकील साहब मुझसे। यह कहते ही मुस्कुराने लगती है।

उसकी बात सुनकर,अनीश उसे जोर से अपनी तरफ खींचता है और अपने होठों को उसके खुले कंधों पर रखकर चूमने लगता है। चूमते हुए कहता है मुझे डर नहीं लगता वकील साहिबा!! बस मैं तो आपके इस मोहब्बत के अंदाज पर फ़िदा हो गया हूँ। मुझे तो हमेशा लगा था कि आप एक छुईमुई से कली है। मुझे नहीं पता था कि आप क़ो भी मोहब्बत मे दिल्लगी करने का शौख है।रितिका मुस्कुरा कर उसके गर्दन को हल्का सा काटती है । आअह्ह्ह वकील साहिबा!!  यह किस जंगली बिल्ली की आत्मा आपके अंदर आ गयी है। रितिका उसके गालों क़ो काट ती हुई अपनी दिलकश आवाज़ मे कहती है," वकील साहब !!! कोई आत्मा नहीं घुसी है जनाब!!  बस हम आपको बता रहे थे कि आप हमें छुईमुई समझने की भूल ना करें। अनीश मुस्कुराते हुए गोद में उठाता है कहता है, अच्छा तो देखें आज ये बिल्ली मुझे पंजा मारेगी या मेरी अंदर समां जाएगी। उसे बिस्तर पर ले जाकर सुला देता है फिर दोनों एक दूसरे की आंखों में देख तेरे मुस्कुरा रहे होते हैं। अनीश कहता है तो इजाजत है। रितिका मुस्कुराते हुए,जवाब देती है, " बिल्कुल इजाजत है। अनीश कहता है तो आज से आप मेरी हुई,'कहते हुए, " उसके हर एक हिस्से को चूमना शुरु करता है धीरे-धीरे उन दोनों के कपड़े बिखर कर नीचे गिरे होते हैं और रितिका की सिसकियों से भरी आवाज़, पूरे कमरे में उनकी मोहब्बत की नई कहानी लिख रही होती है।

अतुल -तूलिका

तूलिका के अचानक किश करने से। अतुल की आंखें नम हो जाती है वह भावनाओं में बह के उसे जोर से अपनी बाहों में भर लेता है और उसे किश करने लग करने देता है। जब तूलिका को एहसास होता है कि अतुल की आंखों के आंसू उसके लबों को नमकीन कर रहे हैं तो वह उसे चूमना छोड़ कर,उसके चेहरे को देखती हुई कहती है, "अतुल आपको मेरी कोई बात बुरी लगी क्या!!  आप इस तरह से क्यों रो रहे हैं? तूलिका की यह बातें सुनकर अतुल उसके  चेहरे को अपने हाथों में भरते हुए कहता है,"तूलिका जान मेरी!! मुझे यकीन नहीं था कि तुम्हारी मोहब्बत मुझे मिलेगी । आज जब तुमने खुद से अपनी मोहब्बत मुझे देने की हक दिया। इस चीज की वजह से मेरी आंखें नम हो गई।

तूलिका मुस्कुराती हुई अपने दोनों हाथ उसके कंधे पर रखती हुई कहती है कि,"मेरी जिंदगी इतनी खूबसूरत बनाने के लिए आपने जितनी मोहब्बत मुझे की है अतुल उतना कोई नहीं करता। जब आपकी मोहब्बत इतनी खास है कि मुझे अपने अतीत की एक भी चीज याद नहीं है। बस मैं आज की रात चाहती हूं कि आपकी पूरी तरह से हो जाओ और आप मेरे पूरी तरह से हो जाए। अतुल उसे कहता है कि मैं भी यही चाहता हूं। दोनों मुस्कुराते भी एक दूसरे की बाहों में सिमट जाते हैं अतुल धीरे-धीरे उसके हर हिस्से को प्यार से, अपने हाथों से सहला रहा होता है। जिससे वह खुद को सहज होकर,अतुल के साथ खुद क़ो महसूस करने लगती है। जब अतुल को एहसास होता है कि तूलिका उसके साथ सहज होती जा रही है फिर धीरे से उसके पीछे चोली की डोरी खींच देता है। जिससे तूलिका का ब्लाउज अचानक नीचे गिर जाता है। जैसे ही तूलिका का ध्यान खुद की तरफ पर जाता है, वह जल्दी से अतुल के सीने से लग जाती। अतुल उसके इस तरह से बाहों मे आने से मुस्कुराने लगता है और उसके हाथ तूलिका की खुली पीठ पर चले आते है। तूलिका उसके इस अहसास से अपनी आँखे बंद कर लेती है और उसके हाथ भी अतुल की पीठ पर कस जाती है।

अतुल उसकी पकड़ महसूस होता देख कहता है, " डर लग रहा है। तूलिका उसके उसके सीने पे ही अपने सर को ना में हिलाते हुई इंकार करती है। अतुल मुस्कुराके उसे गोद में उठा लेता है और उसे उठाकर बिस्तर पर ले जाता है । दोनों की आंखें एक दूसरे की मोहब्बत क़ो जीने के लिए बेताब हो रही थी । अतुल उस के हर हिस्से को अपने हाथों से छूकर महसूस करता है और उसे महसूस करवाता है। जिससे तूलिका की आंखें बंद होने लगती है वह एहसास को जीने लगती है। अतुल तूलिका के हर हिस्से के हर अंग को बहुत प्यार से चुम कर अपनी निशानी दे रहा होता है।

तूलिका उसके प्यार भरे चुंबन को अपने पूरे बदन पर महसूस करती है और उसकी सिसकियां और आहे अतुल को और उत्तेजित कर रहे होती है। इन पलो में ना जाने कब दोनों के बदन के सारे कपड़े नीचे आ चुके होते हैं और अब  दोनों की मिलन की घड़ी करीब आ रही होती है। जिसे महसूस करती हुई तूलिका कि आंखें घबराहट से बंद होने लगती है तो अतुल कहता है,अपनी आंखों से अपनी मोहब्बत को देखोगी नहीं। तूलिका उसकी बात सुनकर अपनी आंखें खोल देती है। अतुल धीरे से कहता है थोड़ा सा दर्द होगा। वह मुस्कुरा कर कहती है यह दर्द मेरी मोहब्बत के लिए मुझे कुबूल है। अतुल उस की आंखों में देखते हुए खुद को उसके अंदर समाने लगता है। तूलिका की आह्हहे निकलने लगती है जिससे वह अपने होंठों के बीच रखकर  उसे दबा देता है। उसके बाद तूलिका की सिसकियों से भरी आह्हहे.... अतुल का उस पर प्यार.... दोनों उस कमरे मे गूंज रही होती है।

पांचों की मोहब्बत की कहानी आज शुरू हो रही थी अपने अपने अफसानों के साथ।

उससे कहीं दूर है एक इंसान हवेली में जहां सिर्फ राजस्थान के रात की हवाओं का शोर था  गुस्से में, " कह रहा था मैं अब छोडूंगा नहीं इस दक्ष को इसने मेरे सारे किए कराए पर पानी फेर दिया। उसकी बात सुनकर पीछे से कोई हाथ रखता है तू जब वो इंसान पीछे मुड़कर देखता है तो उस शख्स को देख उस के चेहरे पर मुस्कान चली आती है।

रंजीत मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखता है। उस शख्स कहता है क्यों बहुत दिनों के बाद मिले हैं हम दोनों। वो शख्स कहता है,फिर भी आपदोनों के चेहरे पर उदासी क्यों देख रही? उसकी बातें सुनकर रंजीत कहता है क्या तुम्हें मालूम नहीं कि क्या हुआ है आज? वह शख्स कहता है क्यों परेशान हो रहे हो हर चीज के लिए!! मैं आ गया हूं  अब हर चीज का इलाज भी होगा और  हर बात का जवाब भी मिलेगा?

रंजीत कहता है भुजंग राठौर। इस बार बात आसान नहीं है इस बार हमारे सामने दक्ष प्रजापति है। भुजंग राठौर हंसते हुए कहता है अगर मैं सालों बाद भारत आया हूं। राजस्थान की धरती पर अगर मेरे कदम पड़े हैं तो चाहे दक्ष प्रजापति हो या कोई भी हो मैं भुजंग राठौर हूं यह भूलो मत। इस कहानी के शुरुआत का हीरो भी मैं ही था और विलेन भी मै ही हूँ। शुरुआत दक्ष के बाप से हुई थी खत्म उसके आखिरी अंश से होगा।

कामिनी उसकी बातें सुनकर कहती है कि बात दक्ष के माता-पिता की नहीं रह गई है। बात यहां पर दक्ष की है और वह बहुत कमीना और बहुत शातिर है। भुजंग राठौर कामनी की तरफ देखते हुए कहता है बहन। तुम्हारे भाई से ज्यादा कमीना तो कोई नहीं होगा यह तो तुम मानती हो ना। उसकी बातें सुनकर रंजीत बहुत गंभीरता से कहता है, "भुजंग बात यह है कि अगर दक्ष के सामने साल पहले हुई उसके माँ बाप की घटना सामने आ गयी और उसकी मां और चाची के साथ जो हुआ।  वह उसे मालूम हो जाएगा तो पुरे राजस्थान क़ो जला कर राख कर देगा। बहुत बड़ी बात हो जाएगी।

भुजंग कहता है इसकी आप फिकर मत कीजिए जीजा सा । भुजंग राठौर आ गया है तो वह सब संभाल लेगा। कामिनी जी गुस्से और जलन से भरी हुई कहती हैं। आज तो वह सब बहुत खुश होंगे। सबकी रात बहुत सुकून से  भरी होगी। सो रहे होंगे और हम दोनों की नींद उड़ा  रखी है और हम दोनों यहां आ बैठे हैं।

भुजंग कामिनी जी की बातें सुनकर हंसते हुए कहता है यह तुमसे किसने कहा कि वह सभी शांति से," आराम  और सुकून भरी नींद ले रहे होंगे। रंजीत उसकी बातों को ना समझी में पूछता है, " ऐसा तुम क्यों कह रहे हो भुजंग!!  ऐसी कौन सी बात आ गई है? भुजंग उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है, "जीजा सा!! यहां आने से पहले मैंने वहां के धमाके का इंतजाम कर रखा है।

कामिनी जी उसकी बातें सुनकर कहती है वहां तुम्हारे भी  भांजा भांजी सभी हैं। भुजंग बहुत कठोर भरी आंखों से उसे देखते हुए कहता है," बहन तुम तय कर लो कि तुम्हें क्या चाहिए क्योंकि तुम्हारे बेटे बहू से लेकर तुम्हारे पोते पोती तक सभी उसी के गुणगान करते हैं और सभी उसी के साथ रह रहे हैं तो अब तुम तय कर लो कि तुम्हें किस का साथ चाहिए? क्योंकि जिनकी तुम बातें कर रही हो वह ना तुम्हारे हैं ना थे ना कभी होंगे?

उसकी इतनी कठोर भरी बातें सुनकर कामिनी जी कहती है, "यह तुम कैसी बातें कर रहे हो भुजंग। वह हमारे बच्चे हैं। भुजंग हंसते हुए कहता है,"तुम कल भी बेवकूफ थी और आज भी बेवकूफ हो बहन। पृथ्वी कल भी तुम्हें बेवकूफ बना रहा था और आज भी आप सभी को बेवकूफ बना रहा है।  दूर रहकर भी यह मुझे यह मालूम है कि पृथ्वी अंदर अंदर आप सबके साथ रहते हुए भी वह हमेशा दक्ष के साथ रहा है और आप सब साथ रहने के बावजूद भी आप लोग को पता नहीं चला कि वह दक्ष के साथ है या आपके साथ।

रंजीत जी भुजंग की बातें सुनकर अपनी आंखें हैरानी से फैलाते हुए कहते हैं,"यह कैसे तुम कह सकते हो कि हमारा पोता पृथ्वी दक्ष से मिला हुआ है। भुजंग उसकी बातें सुनकर कहता है," जीजा सा !! भुजंग हवा मे बात नही करता है। आप ज़रा गौर कीजिए कि हर बात का जवाब और हर चीज सही वक्त पर दक्ष कैसे मालूम हो जाता है। आज तक दक्ष यहां ना रहने के बावजूद भी आपकी एक भी चाल कामयाब नहीं हो पाई उसका कारण क्या होगा? इस पर कभी आप सब का ध्यान गया।

मैं आपको बताता हूं इस सब में आपके दोनों पोते और आपके बेटे-बहु सभी शामिल हैं।  वह आपको नहीं दिखा रहे थे लेकिन पीठ पीछे सभी दक्ष की मदद कर रहे थे? रंजीत जी गुस्से में कामिनी जी से कहते हैं कि अब तुम उन सभी का मोह छोड़ दो कि तुम्हारे कोई बच्चे हैं। वो बच्चे हमारे जीत नही हार का कारण है। क्योंकि जो हमने किया है वह जब भी उन सबके सामने आएगा हम चाहे लाख दुहाई दे दे कि हम उनके माता-पिता दादा-दादी या चाचा चाची हैं, " फिर भी हमारी मौत निश्चित है और सब कुछ जानने के बाद वो हमसे हमेशा नफ़रत ही करेगे !! भुजंग रंजीत की बातें सुन कर कुटिल मुस्कान से उन्दोनो क़ो देखता है।

कामिनी जी कहती है, "आप ठीक कह रहे हैं लेकिन  अगर हम जीत गए तो !! अगर हमने दक्ष क़ो मार दिया तो। उसकी बात सुनकर भुजंग कहता है, बहन तो इस लड़ाई मे जो भी वंश तुम्हारे घर का बचेगा उसे हम सब कुछ सौंप देंगे।

उसकी बात सुनकर कामिनी नफ़रत से कहती है,"भुजंग चाहे जीत हो या हार!! बस एक काम हो की अगर मै निरवंश रही तो मैं उस रानी माँ तुलसी क़ो भी निरवंश करके जाउंगी।

जैसे मैं अकेली रहूंगी वैसे वह भी अकेली रहेगी मैं उनके खानदान के एक भी वंशज को जिंदा नहीं रहने दूंगी इसके लिए भुजंग तुझे जो करना है कर मैं सब कुछ के लिए तैयार हूं। भुजंग कामिनी जी की बातें सुनकर कहता है यह हुई ना बात तो अब यहां इंतजार करो देखो वहां क्या तमाशा होगा?

सुबह के करीब 3:00 बज रहे थे सभी जोड़े अपने-अपने मोहब्बत की बाहों में आराम से सो रहे थे। परिवार के सभी सदस्य एक खुशनुमा नींद के साथ अपनी अपनी दुनिया में सो रहे होते हैं।  तभी बाहर से पूरे महल के अंदर धीरे-धीरे कुछ नकाबपोश आदमी अंदर आने लगते हैं।

दक्ष और दीक्षा बालकनी में सो रहे थे। दीक्षा की नींद प्यास लगने की वजह से खुल जाती है इसकी वजह से उठती है पानी के लिए बगल में उसे पानी नहीं दिखता तो वह कमरे में जाकर पानी पीती है।  तभी उसे नीचे से किसी चीज की गिरने की आवाज आती है, "उसके दिमाग में बातें आती है कि इतनी सुबह सभी रात के  थके होंगे। कोई इतना जल्दी तो नही उठेंगे। फिर कौन हो सकता है?

ये सोचते हुए वह  बालकनी की तरफ जाती है की दक्ष क़ो उठा कर कमरे मे आ जायेगे। तभी उसकी नजर बगीचे की चाहरदिवारी जाती है, जहाँ बहुत सारे नकाबपोश लोगों  गार्डन से होते हुए महल की तरफ बढ़ रहे होते है । जिसे देख दीक्षा की आंखें बड़ी हो जाती है और वह धीरे से दक्ष को हिलाने लगती है लेकिन कुछ आवाज़ नही देती। दक्ष जब नहीं उठता तो वह दक्ष के कान में जाकर कहती है दक्ष। इस तरह उसके कान मे बोलने से दक्ष अचानक कुछ बोलने के लिए मुँह खोलता, उससे पहले दीक्षा उसके मुँह पर हाथ रख देती है और इशारे से, बालकनी के बाहर दिखाती है।

दक्ष की नजर कुछ लोग घुस आए हैं यह सुनते ही दक्ष की आंखें आंखें खोल देता है। दोनों इशारे मे धीरे से कमरे मे आकर दरवाजा और खिड़की बंद करते है। दक्ष कहता है,स्वीट्स आप जल्दी जाइए और सभी घर के बड़ो के कमरे क़ो बाहर से बंद कर दीजिये। दक्ष जल्दी से सभी क़ो इमरजेंसी वाली फोन करता है। एक साथ सबके नंबर पर फोन बजता है। पृथ्वी जल्दी से आँखे खोल कर शुभ क़ो कहता है। जल्दी कपड़े पहनिये। महल मे हमला हुआ है। अनीश के साथ साथ रौनक और अतुल सभी एक साथ दक्ष के कमरे के पास आ जाते है।

शुभम निचे से ऊपर आता है तो दक्ष कहता है, आप सभी हथियार लेकर यहाँ आईये। तब तक हम संभालते है। शुभम उसकी बात मान कर अंकित और आकाश के साथ निचे चला जाता है। दक्ष पीछे कनक और शुभ  और सभी क़ो देख कर कहता है,आप सब कमरे मे जाईये। हम सब यहाँ सब संभाल लेगे। ये सुनकर शुभ कहती है, नही हम सब आप सबके साथ संभाल लेगे। दीक्षा कहाँ है, देवर सा!!

दक्ष कहता वो निचे गयी है सभी बड़ो के कमरे क़ो बाहर से बंद करने के लिए।