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मेरा सफर यहीं तक था l

Chapter - 24

वैध जी - शायद किसी को अपनी जान इन्हें सौंपनी होगी क्योंकि इनके दिल से इनकी जान निकाल ली गई है l

ये सुन कर सबके होश उड़ मानो उनके पैर के नीचे से किसी जमीन खिंच ली हो और सबसे ज्यादा बुरा हाल तो उसका था जिसकी रूह यहाँ तक की आत्मा भी उसी से जुड़ी हुई थी उसने बिना किसी की ओर देखे कहा - मैं अपना प्राण दूँगा इसे आप मेरी जान सौंप दीजिए l

गुरु जी ने कहा - नहीं तुम यहाँ के होने वाले भावी सम्राट हो तुम अपने प्राण इसे नहीं दे सकते हो तुम सिर्फ कुछ ही दिन में तुम्हारे प्राण तुम्हारा साथ छोड़ देगा l

ताई - लेकिन ये भी तो राजकुमारी है ये भी अपने राज्य की होने वाली महारानी है आप मुझे मत रोकिए क्योंकि इस बार मैं किसी की कोई बात नहीं सुनने वाला l

वो नहीं मानता सभी उसे समझाने का लाखों प्रयास कर चुके लेकिन सभी उसके जिद्द के आगे हर गए सभी बाहर चले गए वैध जी ने अपनी प्रक्रिया शुरू की ताई बेहोश हो गया l

कुछ देर बाद...

ताई को होश आया उसने वैध जी से कहा - वैध जी क्या आपने मेरे प्राण शिद्दत में डाल दिए न l

वैध जी उसे देखते हैं और फिर उसे कुछ ऐसा बताते हैं जिसे सुन वो हैरान रह जाता है उसने कहा - ऐसा नहीं हो वो ऐसे कैसे कर सकता है l

वैध जी - मैं अब कुछ नहीं कर सकता मुझे माफ़ कर दीजिए राजकुमार उन्होंने बोला किसी की जान जानी ही है अभी आप को इनके ( शिद्दत ) के साथ अपना प्रेम पूरा करना है तो इसलिए उन्होंने अपनी जान सौंप दी l

इतना कहकर वैध जी वहाँ से चले गए ताई शिद्दत के पास बैठ जाता है और उसका हाथ पकड़ उससे रोते हुए बताने लगा - जिसे तुम अपना नहीं मानती आज उसी ने तुम्हें अपनी जान सौंप दी कितने भाग्यशाली हैं हम जो वो हमारी जिंदगी में है l

ताई चला गया सभी अंदर आए देखा वहाँ ताई नहीं है वो उसके लिए परेशान थे वो शिद्दत को देखते हैं जियांग कहता है - इसे कब आएगा गुरु जी l

गुरु जी - दो तीन दिन बाद अभी ये बहुत कमजोर है और ताई कहाँ गया वो भी तो ठीक नहीं होगा l

तभी दरवाजे से ताई अंदर आता है और कहता है - मैं यहाँ हूँ आप लोग मेरी चिंता मत करिए मैं बिल्कुल ठीक हूँ मुझे कुछ नहीं हुआ है l

उसके साथ सोंग जोंग भी था वो दौड़कर शिद्दत के पास आया और उसे देख कहा - माता आप जल्दी ही ठीक हो जाएंगी मेरे रहते आपको कुछ नहीं होगा l

जियांग ने कहा - हे बच्चे इसकी जान ताई ने बचाई न कि तुमनें क्यों उसे झूठी सांत्वना दे रहे हो l

सोंग जोंग ने हड़बडा़ते हुए कहा - जी मतलब मैं यही कह रहा था माफ़ करियेगा l

जियांग ने कहा - हाँ हाँ ठीक है अब उसे आराम करने दो l

सोंग जोंग ने कहा - क्या मैं यहाँ रुक सकता हूँ कृपा करके मुझे रहने दे इनके पास l

कोई मना कर पाता इससे पहले ही ताई ने कहा - तुम रह सकते हो यहाँ l

सिमी ने कहा - लेकिन...

ताई - नहीं उसे रहने दो अपनी माता के पास l

गुरु जी कहते हैं - ताई जाकर तुम भी आराम करो तुम्हें भी आराम की जरूरत है l

ताई - नहीं गुरु जी मैं वो शख्स हूँ ही नहीं जिसने अपने प्राण गवाएं हैं l

युन - क्या...

सभी हैरानी से उसे देख रहे थे ताई उनके पास आया l

युन - तो फिर किसने दी अपनी जान l

ताई ने उन्हें भी वही बात बताई जो वैध जी ने बताया था और उनसे कहा - ये बात शिद्दत को कभी पता नहीं चलनी चाहिए l

जियांग - हम कभी भी ये बात उसे नहीं बतायेंगे l

सिमी - हाँ... और आकर उसके गले लग गए l

अगले दिन...

ताई और सोंग जोंग शिद्दत का खूब ख्याल रखते दिन बीतने लगा फिर चौथा दिन...

शिद्दत सोंग जोंग को बुला रही थी - अरे रुक जाओ शैतान बच्चे कितनी शैतानी करोगे मुझे सताते हो तुम दोनों एक ओर तुम्हारे बाबा एक ओर तुम रुक जाओ l

तभी सोंग जोंग आसमान में जाने लगा वो एक सफेद दरवाजे के पास खड़ा था शिद्दत चिल्लाई रुक जाओ शैतान कहाँ जा रहे हो l

सोंग जोंग बोला - माता हमारा सफर यहीं तक था अब मुझे जाना होगा अलविदा मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ l

और वो दरवाजे के अंदर चला गया वो दरवाजा गायब हो गया l

शिद्दत अपनी आँखे खोलती है और घबराकर बैठ जाती है वो जोर - जोर से साँस ले रही थी और उसके आंख से आंसू गिर रहे थे सामने एक तख्त पर ताई सोये हुए था वो उठकर उसके पास आया ताई ने उसे देखकर उसे गले लगा लिया और उससे कहा - तुम ठीक हो न तुम्हें पता है मैं कितना डर गया था क्या जरूरत थी तुम्हें मेरी जान बचाने की मेरी तो जान ही निकल गयी थी तुम्हें ऐसे बेजान देखकर l

शिद्दत थोड़ा हिचकिचाते हुए बोली - वो.. वो..

ताई उससे दूर हुआ और कहा - माफ़ करना क्या तुम ठीक हो l

शिद्दत ने कहा - हाँ मैं ठीक हूँ लेकिन मैं यहाँ कितने दिनों से हूँ l

ताई ने कहा - तीन दिन हो गए और आज चार दिन तुम्हें अपनी सेहत का ख्याल रखना है इसलिये तुम आराम करो अगर तुम्हें कुछ भी चाहिए तो मुझे बताओ l

शिद्दत - आप.. आप यहाँ क्या कर रहे हो दीया कहाँ है ?

ताई ने कहा - वो बाहर है आती ही होगी l

शिद्दत बोली - लेकिन आप मेरी देखभाल क्यों कर रहे हैं दीया है न वो मेरा ख्याल रख सकती है आप जाइए आराम कीजिए l

तभी दरवाजे पर सोंग जोंग ने अपने हाथ में खाने की थाली लाते हुए कहा - अरे माता श्री आप बा.. मतलब आप उन्हें क्यों भगा रही हैं l

शिद्दत को उसे देख अभी उसके सपने में जो कुछ भी घटित हुआ था वो सब उसे याद आ जाता है सोंग जोंग थाली बिस्तर पर रख उसके पास आता है l

और उससे कहता है - माता श्री आप भी न कमाल करती हैं आप मुझे ऐसे क्यों देख रहीं हैं जैसे मैं ये पृथ्वी छोडकर जाने वाला हूँ l

शिद्दत घबरा गई और कहा - नहीं ऐसा मत बोलो तुम कहीं नहीं जा रहे और ये जाने की बातें मेरे सामने मत करो l

सोंग जोंग मुस्कराते हुए शिद्दत को देख बोला - तो क्या आप मुझे अपना बेटा मानती हैं l

उसके इस सवाल से शिद्दत उसे देखने लगी l

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