Chapter - 24
सोंग जोंग ने कहा - तो क्या आप मुझे अपना बेटा मानतीं हैं
शिद्दत उसे देख बोली - तुम अपनी उम्र से ज्यादा चालक हो लेकिन मेरे सामने तुम्हारी चालाकी नहीं चलेगी समझे बच्चू
सोंग जोंग ने कहा - मतलब मानतीं हैं l
शिद्दत - क्या...
सोंग जोंग - मुझे अपना बेटा l
शिद्दत - नहीं, मना करते हुए बोली l
सोंग जोंग - आप मानतीं हैं l
शिद्दत - नहीं
सोंग जोंग - आप मानतीं हैं l
शिद्दत - ठीक है चलो मैं मान लेती हूँ तुम मेरे बेटे हो लेकिन पहले ये बताओ तुम्हारा पिता कौन है l
सोंग जोंग और ताई उसे देखने लगते हैं शिद्दत गुस्से में बड़बड़ाती है - कौन है वो दुष्ट जो तुम्हें छोड़कर मेरे पास अकेला ही चला गया उसे भी तो ये सजा मिलनी चाहिए तुम्हें सम्भाले कोई इतने छोटे बच्चे को अकेला छोड़कर जाता है बच्चे तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारे पिता को ढूँढ निकालूँगी बस एक बार वो मुझे मिल जाए फिर उसे तो मैं छोड़ने वाली नहीं l
सोंग जोंग ताई को देख मन ही मन हँस रहा था और ताई खुद के बारे में इतना बुरा सुनकर अपने दिल पर हाथ रख लेता है और थोड़ा डरे हुए खुद से मन में कहता है - अभी इसे पता नहीं है बाद में जब इसे पता चलेगा तो ये तो मुझे जिंदा नहीं छोड़ने वाली अभी निकलता हूँ यहाँ से l
ताई खड़ा होता है और कहता है - मैं चलता हूँ मुझे बहुत सारे काम हैं l ताई चला गया l
शिद्दत उसे जाते हुए अजीब तरह से देखती है और कहती है - अब इनको क्या हुआ ऐसे घबरा रहे हैं जैसे ये खुद ही इसके पिता हैं l
शिद्दत भी उठती है तो सोंग जोंग कहता है - आप कहाँ जा रही हो खाना तो खा लीजिये l
शिद्दत ने गाल को पकड़ प्यार से कहा - मेरे शैतान बच्चे तुम्हें पता नहीं होगा लेकिन मैं बिना नहाए और भगवान को याद किए बगैर खाना नहीं खाती l
सोंग जोंग कहता है - मुझे पता है आप जाइए नहाकर आइए l
शिद्दत स्नान कक्ष में जाती है तो देखती है सब कुछ पहले से ही तैयार था कुछ सेविका खड़ी थीं वो कहती है - तुम सभी यहाँ... l
एक सेविका बोली - जी हमें सोंग जोंग जी ने ये सब करने को कहा है आप आइए और पानी में उतरिए पानी आपके शरीर के प्रतिशत के हिसाब से ही है l
शिद्दत देखती है कि पानी में गुलाब की पंखुड़ियां डाली हुई थीं शिद्दत उसमें अपना पैर रखती है तो पानी न ही ठंडा था न ही गरम वो उसमें उतर जाती है l
फिर थोड़ी देर नहाने के बाद वो कपड़े पहनकर अपने कमरे में आती है वो सोंग जोंग के बारे में सोच रही थी वो आइने के सामने बैठकर अपने बालों को सुलझाने लगती है लेकिन बाल नहीं सुलझे वो चिढ़कर कंघे को रख देती है और कहती है - पहले वो बच्चा कम था अब ये बाल भी नहीं सुलझ रहा l
पहले अपने मन को भटकाना बंद करो, शिद्दत आइने में देखती है तो उसके पीछे ताई खड़ा था ताई ने कंघे को लिया और धीरे-धीरे उसके बालों पर फिराने लगा और कहा - पहले अपने मन शांत करो और उसे एकाग्र करो फिर उस बात को समझने का प्रयास करो जो तुम्हें परेशान कर रही है और उसके तह तक जाओ l
शिद्दत परेशान होकर बोली - लेकिन मैं कैसे पता लगाऊँ कौन है उसका पिता वो मुझे अपनी माता क्यों बुलाता है मैं ऐसे किसी के भी साथ अपना रिश्ता नहीं बना सकती क्योंकि मैं सिर्फ एक इंसान के लिए ही आई हूँ मेरी भले ही शादी नहीं हुई है लेकिन मैं एक पतिव्रता की तरह रहती हूँ l
मैंने आज तक कभी भी किसी भी पराये व्यक्ति को अपने करीब भी नहीं आने दिया कभी भी किसी के बारे में गलत नहीं सोचा मैंने हमेशा बस यही सोचा है कि जिससे मेरी शादी होगी मैं सिर्फ उसी का ध्यान किया है कभी भी दूसरे पराये पुरुष अनुसरण भी मेरे लिए मृत्यु के समान है l
और मुझसे एक गलती हुई भी है, शिद्दत ने चिंता में कहा ताई उसे देख बोला - कैसी गलती l
शिद्दत ने हिचकिचाते हुए कहा - मुझे माफ़ करियेगा लेकिन मैं आप.. आपके बारे में सोचती हूँ मतलब मैं आपकी तरफ आकर्षित होती हूँ l
ताई उसे देख रहा था उसे ऐसे देख शिद्दत खड़ी हुई और उसकी तरफ पलटकर परेशान होते हुए बोली - आप.. आप गलत मत समझिएगा मैं तो खुद को आपकी तरफ आकर्षित होने के लिए रोकती हूँ लेकिन जब भी मैं आपसे दूर जाने की कोशिश करती हूँ मुझे जैसे कोई चीज़ आपकी खींच लेता है और मैं फिर वहीँ आ जाती हूँ l
शिद्दत उसे कुछ न बोलता देख बोली - देखिए अगर मुझे पता होता कि मेरी शादी आपसे कभी नहीं होगी तो मैं आपकी तरफ आकर्षित नहीं होती लेकिन आप अपनी प्रेमिका का इंतजार करिए आप ये मत सोचिए कि मैं कैसे कब क्यों ये सब भूल जाइए क्योंकि मैं आपसे सिर्फ आकर्षित हुई हूँ प्यार तो मैं उसी से करती हूँ जिसकी सिर्फ मैं हूँ और जो मेरा है l
शिद्दत ये कहकर मुस्करा देती है उसे मुस्कराता देख ताई भी मुस्करा देता है और मन में कहता है - भले ही मैं तुम्हें याद नहीं हूँ भले ही तुम मुझे भूल गयी हो लेकिन जैसे तुम्हें आकर्षण हुआ वैसे ही एक दिन प्यार भी हो जाएगा l
ताई कहता है - कोई बात नहीं तुम मेरे साथ कुछ भी कर सकती हो l
शिद्दत उससे कहती है - मतलब, नासमझी से कहती है l
ताई - कुछ नहीं कुछ नहीं आगे से ध्यान रखना l
शिद्दत - जी... ( फिर वो बड़बड़ाई ) अब अगर शिक्षक इतना सुन्दर होगा तो कोई भी आकर्षित हो सकता है l
ताई ने कहा - क्या कहा तुमने ?
शिद्दत - कुछ नहीं कुछ नहीं, वो हड़ाबड़ा कर बोली ताई जाने लगा तभी तख्त में उसका पैर लग जाता है और दर्द में उसकी आह.. निकल जाती है शिद्दत उसे देख कहती है - क्या हुआ l
ताई अपना पैर पकड़कर बोला - कुछ नहीं बस मैं चोट लग गई l
शिद्दत बोली - आपको देख कर चलना चाहिए न चलिए बैठिए l शिद्दत ने उसे बिस्तर पर बिठाया और उसके पैर के पास बैठ गयी जैसे ही वो ताई का पैर छूने गयी उसने अपना पैर पीछे कर लिया l
ताई - ये क्या कर रही हो l
शिद्दत - आपका पैर देख रही हूँ आपको चोट लगी है न इसलिए l
ताई - नहीं नहीं तुम रहने दो l
शिद्दत उसकी तरफ देख बोली - लेकिन क्यों l
ताई - नहीं तुम मेरा पैर छू सकती l
शिद्दत नासमझी से कहती है - लेकिन क्यों मैं आपका पैर नहीं छू सकती l
ताई - क्योंकि क्योंकि तुम एक राजकुमारी हो l
उसने बहाने बनाये शिद्दत बोली - तो क्या हुआ क्या एक राजकुमारी एक राजकुमार के पैर नहीं छू सकती आपने भी तो मेरे पैर छुए थे आप उस समय राजकुमार नहीं थे l
ताई ने अपने मन में कहा - नहीं मैं उस समय एक प्रेमी था l
शिद्दत ने कहा - आप मुझे अपना कुछ मान लीजिए l
और उसका पैर अपने हाथ में लेकर देखने लगी ताई का पैर चोट लगने की वजह से लाल हो गया था शिद्दत उसके पैर को देखकर जैसे खुद उसके दर्द को महसूस कर रही थी l
ताई - क्या हुआ ?
शिद्दत अपने होश में आयी उसने न में सर हिलाया और दवा लाकर उसके पैर पर लगाने लगी और ताई बस प्यार से उसे निहारता रहा l
Continue....