मनुस्मृति का परिचय
इस ग्रंथ में ऋषि मनु और भृगु के बीच हुआ धर्मसंवाद दिया है। यह एक प्राचीन भारतीय धर्मशास्त्र विषयक ग्रंथ है । इसमें १२ अध्याय दिये गये हैं, जो मनुष्य के कर्तव्य, आचार, गुण, नियम, अधिकार इत्यादि के बारेमें बताते हैं।
धर्म - धर्म का शाब्दिक अर्थ होता है, 'धारण करने योग्य', अर्थात् जिसे सबको धारण करना चाहिये। मनुस्मृति के अनुसार धर्म के दस लक्षण हैं -
धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो, दशकं धर्मलक्षणम्॥
अर्थ -
१. धृति: (धैर्य),
२. क्षमा (दूसरों के द्वारा किये गये अपराध को माफ कर देना, क्षमाशील होना),
३. दम: (अपनी वासनाओं पर नियन्त्रण करना),
४. अस्तेयम् (चोरी न करना),
५. शौचम् (अन्तरंग और बाह्य शुचिता),
६. इन्द्रिय निग्रहः (इन्द्रियों को वश मे रखना),
७. धी: (बुद्धिमत्ता का प्रयोग),
८. विद्या (अधिक से अधिक ज्ञान की पिपासा),
९. सत्यम् (मन वचन कर्म से सत्य का पालन),
१०. अक्रोध: (क्रोध न करना)
ये दस धर्म के लक्षण हैं।