जादूगर सोते-सोते अचानक उठ बैठा. उसका जी घबरा रहा था.
"आज क्या बात है?"
उसने मन में सोचा. वह पलंग से उठकर एक संदूक के सामने आया. उस संदूक को खोलकर उसमें से एक दर्पण निकाला और उसमें देखने लगा. उसे तोते का पिंजरा नहीं दिखाई दिया. वह पलंग के नीचे सुरंग का दरवाजा खोलकर, उसमें दौड़ने लगा. राजकुमार भी इधर ही आ रहा था. उसने किसी के आने की आहट सुनी तो लाल मणि की सहायता से अदृश्य होकर खूटी पर बैठ गया. खूटी पर पतली परंतु मजबूत रस्सी बंधी थी. उसने रस्सी को खोलकर फंदा बनाया और आने वाले को देखने लगा. जादूगर पास आ गया. वह राजकुमार को दिखाई दे गया. राजकुमार को शरारत सूझी. जैसे ही जादूगर उसके सामने से निकला, उसने फंदा उस पर फेंक दिया. फंदा जादूगर की गर्दन में फंस गया. जादूगर इस से गिर पड़ा. राजकुमार ने उतरकर जादूगर के हाथ पीछे बांध दिए. जादूगर कैद हो गया. राजकुमार उसे घसीटते हुआ उसके शयन कक्ष की ओर ले जाने लगा. जादूगर दर्द से बिलबिला उठा पर राजकुमार उसे घसीटते गया और शयनकक्ष में बंद कर दिया.