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घोड़े को काबु करना l

Chapter - 20

शिद्दत कहती है - तुम्हारा नाम क्या है बच्चे ?

उस लड़के ने कहा - मेरा नाम सोंग जोंग है l

शिद्दत - अच्छा ठीक है l

तभी एक सेवक आकर कहता है - आप सभी को गुरु जी ने बुलाया है l सिमी - हे सोंग जोंग तुम यहीं रहना मैं अभी आता हूँ l

और वो सभी वहां से चले गए शिद्दत उससे कहती है - बच्चे देखो तुम यहीं रुको और हाँ मुझे अपनी माता मत बुलाना l

शिद्दत ये कहकर वहाँ से चली जाती है सोंग जोंग ताई के पास जाता है और उसे गले लगा लेता है l

ताई भी उसे गले लगा लेता है वो घुटने के बल बैठ जाता है सोंग जोंग ताई से कहता है - माता क्यों नहीं समझ रहीं कि मैं उनका और आपका बेटा हूँ l

ताई उसके गाल पर हाथ रखता है और उससे कहता है - समझेंगी अभी उन्हें इस बात का एहसास नहीं है जब उन्हें एहसास होगा तब वो तुम्हें दिल से अपनाएगी l

सोंग जोंग उसे गले लगा लेता है ताई भी उसे खूब उसे प्यार करता है सभी लोग खाना खाने के लिए बैठे थे शिद्दत अपने पिता के बगल में बैठी थी और सामने उसके दोस्त बैठे थे l

ताई भी आता है और बैठ जाता है सभी खाना खाने लगते हैं ताई का ध्यान कहीं और था l

सूर्य शेन कहते हैं - आज इतने दिनों के बाद हम अपनी बेटी से मिले हैं तो हम उसे अपने हाथों से खिलाएँगे l

शिद्दत भी खुश उसके पिता उसे खिलाने के लिए अपना हाथ बढ़ाते हैं तो शिद्दत रोक देती है l

सूर्य शेन - क्या बेटा खाओ l

शिद्दत कहती है - बाबा मैं अभी आती हूँ l

उसने अपने खाने की थाली उठाई और बाहर चली गई उसे ऐसे जाता देख उसके पिता को बहुत गुस्सा आया शिद्दत बाहर आयी तो देखा वो लड़का बाहर चबूतरे पर बैठा था l

शिद्दत उसके पास गयी और उससे कहा - ये लो खालो तुम्हें भूख लगी होगी न l

सोंग जोंग उसकी तरफ देखता है और कहता है - जब तक आप नहीं खिलायेंगी मैं कैसे खा सकता हूं l

शिद्दत - तुम कितने जिद्दी हो लो खा लेना मैं यहीं पर रख कर जा रही हूँ l

शिद्दत ने खाना वही रख दिया और चली गई फिर भी उसे अंदर से चिंता थी कि वो खाएगा या नहीं वो अंदर आयी और बैठ गयी सूर्य शेन ने पूछा - तुम अपना खाना लेकर कहाँ गयी थी l

शिद्दत - वो बाबा उस बच्चे को देने उसने कुछ खाया होगा या नहीं यही सोचकर मैं अपना खाना दे आयी l

सूर्य शेन ने कहा - तो तुम क्या खाओगी l

शिद्दत कुछ बोलती उससे पहले ही ताई ने अपना खाना उसे देते हुए कहा - ये लो तुम खा लो वैसे भी मुझे भूख नहीं है l शिद्दत उसकी तरफ देखने लगी ताई ने अपने खाने की ओर इशारा किया l

शिद्दत - लेकिन आप क्या खाएंगे l

ताई ने मुस्कुराते हुए कहा - तुम खा लोगी मेरा पेट वैसे ही भर जाएगा तुम खा लो l

सिमी, जियांग उसे बहुत अच्छे से देख रहे थे l

ताई ने शिद्दत के सामने थाली रखी और वहाँ से बाहर चला गया l

शिद्दत उसे जाते हुए देख रही थी जब तक वो उसकी आंख से ओझल नहीं हो जाता है l

शिद्दत खाना खाती है और बाहर आती है वो देखती है कि ताई सोंग जोंग को अपने हाथ से खाना खिला रहा है उसे अंदर से एक खुशी हो रही थी l

वो उन्हें देखकर मुस्कराइ वो उन्हें देखती रही तभी युन क्यूँग आती है और ताई के पास खड़ी हो जाती है और उससे कहती है - अरे ताई तुम यहाँ हो चलो न घूमने चलते हैं मैंने ये शहर नहीं देखा है l

शिद्दत उसको देखते ही उसके चेहरे के भाव बदल गए अब उसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था बल्कि उसके अंदर एक अग्नि जल रही थी तभी उसके पास आकर जियांग, सिमी और ओंग खड़े हो जाते हैं शिद्दत ने अपनी नज़रें नीचे की थी सिमी ने कहा - अरे राजकुमारी जी आप यहां क्या कर रही हैं ताई के पास जाइए l

शिद्दत कुछ नहीं बोली तभी जियांग ने कहा - अरे वो देखो महागुरु लोग आ गए l

कुछ गुरु ने नारंगी वस्त्र धारण किया था कुछ ने सफेद वस्त्र वो अंदर आने लगे उन्होंने जैसे ही अपना पहला कदम चबूतरे पर रखा उन्हें पता चल गया कि वहाँ कौन सा साया है वो सभी शिद्दत को देखने लगे लेकिन शिद्दत ने उनकी तरफ एक बार भी नहीं देखा एक गुरु ने पूछा - ये कौन है ?

सिमी ने कहा - जी राजकुमारी अनाया हैं l

उसने आगे कुछ बोलना चाहा तो उन्होंने हाथ दिखाकर रोक दिया उन सभी शिद्दत के अंदर से दो ऊर्जाएं दिख रही थी एक सुनहरी ऊर्जा जो हृदय की तरफ और दूसरी काली ऊर्जा जो हृदय के बगल में थी l

और वो अंदर चले गए ओंग ने धीरे से उन लोगों के कान में कहा - लगता है इन्हें भी पता चल गया है कि इसी के अंदर उसका वास है l

वो सभी अंदर आए सभी साथ में बैठे थे गुरु जी ने बात बतानी चाही तो उन्होंने रोक दिया और कहा - हमें सब पता चल चुका है वो कोई साधारण नहीं है शैतानों का राजा कलिका है और वो जो लड़की है वो भी कोई साधारण नहीं बल्कि प्रेम की मुरत है l

जिसके अंदर प्रेम, भावना, तपस्या, त्याग, शासकता, योद्धा, निर्मल मन और हृदय होता है ये शैतान उसी को खत्म करना चाहता है ताकि जब इस पृथ्वी पर अंतिम समय हो उसका तो हर तरफ बुराई ही बुराई हो जिससे उसे शक्ति मिलती है और देवताओं की शक्तियां कम हो जाये l

सूर्य शेन ने चिंता भरे स्वर में कहा - मेरी बेटी कैसे बचेगी उस शैतान के मायाजाल से l

महागुरु ने एक नजर ताई पर डाली और फिर उनसे बोले - आपकी बेटी को कुछ नहीं होगा क्योंकि उसकी रक्षा करने के लिए कोई है पहले से ही बस ख्याल इतना रखना है कि उससे कुछ बुरा न हो वरना वो शैतान उस पर हावी हो जाएगा उसके बाद क्या होगा वो सब ईश्वर ही जाने l

सभी उनकी बात को सुनकर घबरा जाते हैं तभी एक सेवक आता है और कहता है - महाराज महल में आपकी जरूरत है आपको रानी माँ ने संदेश भिजवाया है l

सूर्य शेन और परेशान हो गए उन्हें परेशान देखकर गुरु ने कहा - आप निश्चिंत होकर अपने महल लौट जाइए यहां हम देख लेंगे l

ताई खड़ा बस उन सबकी बातें सुन रहा था l

शाम होता है सभी अपनी पुस्तक लेकर बैठे थे शिद्दत आती है और कमरे के अंदर खड़ी होकर कहती है - क्या मैं अंदर आऊँ l

ताई और बाकी सभी उसे देखते हैं ताई कहता है - अंदर तो आ गयी अब कितना अंदर आओगी आओ l

शिद्दत खुशी खुशी अंदर आती है l

ताई कहता है - आज हम एक नयी चीज़ सीखेंगे सभी बाहर चलो l

सभी उसकी बात सुन सोच में पड़ जाते हैं और बाहर आते हैं वो घोड़ों के तबेले में जाते हैं ताई कहता है सभी के पास दो विकल्प हैं या तो इनमे से कोई घोड़ा अपने लिए निकालो या फिर उस पागल घोड़े को अपना साथी बनाओ

ताई ने एक तरफ इशारा किया तो एक घोड़ा पागलों की तरह दौड़ रहा था सभी ने उसे देखा और उसकी तरफ चले आए सभी को चुनौतियाँ बहुत पसंद थीं तो इसलिए सभी ने उसे ही चुना शिद्दत तो चुपचाप बस खड़ी उनको देख रही थी पहले सिमी गया लेकिन उस घोड़े को काबू नहीं कर पाया फिर बड़े जोश में ओंग गया l

उसको तो बेचारे को घोड़े पेट में एक लात मारी वह अपना पेट पकड़कर वापस चला आया फिर जियांग गया लेकिन उसे भी मुँह की खानी पड़ी उन्हें देखकर सभी जमा होने लगे वो गुरु लोग और राजा भी ये दृश्य देखने लगे l

जियांग तो उस पर बैठ गया लेकिन उसने अपने ऊपर से नीचे गिरा दिया वो भी वापस चला आया जियांग ने कहा - इसको काबु करना मतलब अपनी जान गंवाना l

ताई ने कहा - अब तुम दोनों में से कौन जाएगा l

शिद्दत ने अपने कदम ही पीछे कर लिया युन बोली - मैं मैं इस घोड़े को जरूर काबु करूंगी l

युन गयी और मौका देखकर उस पर बैठ गयी वो घोड़ा दौड़े जा रहा था लेकिन जब युन ने उसे सहलाया तो वो शांत हो गया सभी ये हैरानी से देखने सिमी - इसने कैसे इसको काबु कर लिया l

जियांग - कमाल है ये l

युन खुश हुई लेकिन उसकी खुशी ज्यादा देर तक नहीं टिकी वो घोड़ा अपने उसी रूप में वापस आ गया और पागलों की तरह दौड़ने लगा फिर युन को उठाकर फेंक दिया उसे सिमी ने पकड़ लिया इसलिए वो बच गयी l

जियांग ने कहा - ये तो बड़ा खतरनाक है छोड़ो जाने दो l

ताई - नहीं मुझे मेरे सारे शिष्य में वो सभी ज्ञान होने चाहिए जो एक प्रशासक में होते हैं शिद्दत अब तुम जाओ l

उसने कड़क में बोला शिद्दत थोड़ा हिचकिचाते हुए बोली - जी.. जी..

वो घोड़े को देखती है जो हिनहिनाते हुए पागलों की तरह इधर से उधर भाग रहा था राजा सूर्य शेन ने कहा - ये घोड़ा तो पागलों की तरह दौड़ रहा है भला इस घोड़े को कौन काबु कर सकता है ?

गुरु जी ने कहा - कर सकता है पहला है महाराज जोंग दूसरा उनका बेटा ताई जोंग और तीसरा वो है जिसके माथे के भौहों के बीच में ओम का चिन्ह बना हो l

तो कौन है वो जिसके माथे पर ओम बना है, उनके एक शिष्य ने पूछा l

गुरु जी - समय आने पर पता चल जाएगा l

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