Chapter - 21
ताई ने कहा - जाओ l
शिद्दत ने उसे इतना सख्त पहले कभी नहीं देखा था लेकिन फिर भी उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया उसने मासूम सा चेहरा बनाया और सोचने लगी - अगर नहीं गयी तो बाबा का अपमान होगा अगर गयी तो मेरा होगा इनकी ही तरह l
उसने अपने दोस्तों को घायल देख कर कहा सभी शिद्दत को देख रहे थे और शिद्दत उस घोड़े को जो इधर से उधर भाग रहा था l ओंग ने कहा - जाओ l
शिद्दत उसकी तरफ देखी और चिढ़ते हुए बोली - जा रही हूँ न पहले मैं तो उसके काबु में हो जाऊँ l
उसकी बात सबको समझ नहीं आती शिद्दत घोड़े को लक्ष्य बनाती है और धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ाने लगती है लेकिन तभी घोड़े की बंधी रस्सी खुल गई और वो उस घेरे से बाहर निकल गया सभी भागने लगे वहाँ भगदड़ मच गई तभी शिद्दत एक आदमी की पीठ पर पैर रखकर छलांग मारती है और घोड़े पर बैठ जाती है l
वो घोड़ा और पागल होकर भागने लगा शिद्दत को लगा वो गिर जाएगी तो उसने उसकी लगाम पकड़ी और और उसके सर पर हाथ रखा उसके हाथ से जो ऊर्जा निकली उससे घोड़ा शांत हो गया सभी अपनी जगह पर रुक गए सभी उसे हैरानी से देख रहे थे l
शिद्दत को अब उस पर बैठकर बहुत अच्छा लग रहा था उसने उस घोड़े की रस्सी निकाली वो घोड़ा अब मौज में आराम से दौड़ रहा था ताई मुस्कुराया शिद्दत ने कहा - देखा इसे कहते हैं आजाद करना न कि वश में करना l
गुरु जी ये सब देख रहे थे उन्होंने कहा - जिसने इसे काबु किया समझो वही है तुम्हारा अगला योद्धा l
सिमी - अरे हमसे तो काबु हुआ ही नहीं इसने तो हमें खूब भगाया लेकिन तुमसे कैसे हुआ l
शिद्दत ने कहा - जैसे इंसानो को प्यार की ज़रूरत होती है वैसे ही जानवरों को भी होती है मैंने इसे प्यार से जीता है l
शिद्दत नीचे उतरी और ताई के पास आयी और कहा - ये घोड़ा बहुत प्यारा है क्या मैं इसे रख सकती हूँ l
ताई - हाँ जरूर l
उस घोड़े ने उनके सामने सर झुकाया जिसे देख शिद्दत उसे सहलाने लगी और उस घोड़े से कहा - मुझे ऐसा लगता है कि मैं तुम्हें जानती हूँ हमारा कोई पिछले जन्म का रिश्ता हो
जियांग ने हैरानी से कहा - ओ तेरी इसने तुम दोनों के सामने सर झुकाया मुझे विश्वास नहीं हो रहा है ये पागल घोड़ा तुम दोंनो के सामने सर झुका रहा है अबे हमारी बारी तेरा ये स्नेह किधर था हमें इतना दौड़ाया l
उसकी बात सुन घोड़ा सर से मारने जा रहा था जियांग पीछे हट गया शिद्दत ने कहा - देखो ये दोबारा पागल हुआ न तो मैं इसको काबु में नहीं करने वाली समझे तुम सभी फिर तुम जानना तुम्हारे गुरु जी जानें मैं चली l
शिद्दत वहाँ से जाने लगी सिमी ने कहा - अरे इसकी लगाम तो लगा दो l ताई ने कहा - उसकी कोई आवश्यकता नहीं है ताई ने उस घोड़े को सहलाया और उससे कहा - तुम जाओ वो घोड़ा जैसे उसकी बात सुन रहा हो वो चला गया युन, ओंग, जियांग और सिमी उसे ही देखते रहे l
अगली सुबह शिद्दत आइने के सामने खड़ी थी और अपना हाथ उस पर रखे हुए थी जैसे किसी से मिला रही हो उसकी सहेलियाँ अंदर आयीं उसे ऐसे देख एक ने कहा - क्या कर रही हो l
शिद्दत उनकी तरफ मुड़ी और कहा - कुछ नहीं ऐसे मैं देख रही थी कि कोई आइने में आ सकता है क्या l
एक ने कहा - क्या पागलों जैसी बातें कर रही हो l
शिद्दत ने कहा - अच्छा क्या किसी का पुनर्जन्म होता है l
उसमें से एक ने कहा - हाँ होता तो है क्या तेरा भी हुआ है l
शिद्दत - कुछ भी l
शिद्दत - अच्छा तो कैसे पता लगाया जा सकता है कि हाँ हमारा पुनर्जन्म हुआ है ?
उस लड़की ने कहा - मेरे पिता जी के जो गुरु जी हैं वो कहते हैं ध्यान, साधना से हम पता लगा सकते हैं कि हमारा पुनर्जन्म हुआ है l
शिद्दत ने Confused होते हुए कहती है - मतलब l
उस लड़की ने कहा - मतलब जब हम ध्यान करते हैं और ध्यान करते - करते जब हमारे सारे चक्र जागृत होंगे तो हमें उनसे शक्तियां प्रदान होंगी जिनसे हम कुछ भी कर सकते हैं कुछ भी जान सकते हैं l
शिद्दत सोचने लगती है वो सभी बाहर आते हैं वो व्याख्यान में आते हैं सभी ध्यान में सम्मिलित होने आए थे सभी अपनी - अपनी जगह बैठ जाते हैं सामने ताई उनसे कहता है - अब मुद्रा में बैठें l
सभी मुद्रा में बैठ जाते हैं ताई आगे कहता है - ध्यान करते समय हमें अपना ध्यान अपनी भौहों के बीच होना चाहिए मन में किसी भी तरह की कोई बातें नहीं होनी चाहिए हमें अपनी साँसों पर ध्यान लगाना चाहिए l
सभी ने अपनी आंखें बंद की और धीरे - धीरे साँस लेते फिर कुछ देर के बाद छोड़ देते शिद्दत और उसके सारे दोस्त भी यही कर रहे थे जब वो ध्यान के अंदर प्रवेश करने लगी एक अच्छे विचार के साथ तो उसे एक भारी सी किसी आदमी की आवाज सुनाई दी - तुम ये ध्यान मत करो l
इससे तुम्हें बहुत दुख होगा और तुम्हारे दुख का कारण ये सभी होंगे ये सब तुम्हारे दोस्त नहीं बल्कि शत्रु हैं ये तुम्हारा पिछला जन्म दिखाने के बहाने तुम्हें अपने जाल में फंसा रहे हैं और तुम्हें कमजोर बना रहे हैं l
तुम्हें अच्छी शक्तियों की नहीं बल्कि तुम्हारे अंदर क्रोध, जलन, और खुद पर आत्मसम्मान होना चाहिए कि तुम एक राजकुमारी हो ये तुम्हारी अच्छाइयों का फायदा उठा रहे हैं अब इन्हें इनकी गालियों की सजा दो ये सिर्फ दंड के लायक हैं अपने अंदर की बुराई को जगाओ, अपने अंदर की बुराई को जगाओ, अपने अंदर की बुराई को जगाओ l
ये सब ताई को महसूस हो रहा था कि शिद्दत के साथ क्या हो रहा है वो अपनी आँखे बंद कर सब देख रहा था l
जब उस शैतान ने उससे ये बातें कहीं तो शिद्दत ने अपनी आंखें खोली उसकी आँखे लाल हो चुकी थी चेहरा गुस्से से भरा हुआ था उसके बाल लहरा रहे थे उसने अपने दोनों हाथों की मुट्ठीयाँ बना ली और गुस्से से देखती रही l
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