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शैतान का अंत l

Chapter - 22

शिद्दत की आँखे लाल हो चुकी थी उसने जैसे ही अपना हाथ बढ़ाकर अपनी काली शक्तियों का इस्तेमाल करना चाहा तो ताई जोर से चिल्लाया - सभी एकाग्र होकर ध्यान करो l

उसके चिल्लाने से शिद्दत अपने होश में आती है और अपना हाथ पीछे कर लेती है वो खुद से कहती है - मैं तो ध्यान कर रही थी तो मैं क्या कर रही हूँ l

वो भ्रम में थी ताई ने आंख खोली और कहा - आज के लिए इतना काफी है सभी जा सकते हैं l

सब उठकर जाने लगे शिद्दत भी confusion के साथ उठती है और जाने लगती है वो खुद से बड़बड़ा रही थी - ये मुझे बार - बार क्या हो जाता है l

उसे कुछ याद नहीं था वो सर नीचे किये थी तभी वो किसी से टकरा जाती है सर ऊपर करके देखती है तो ताई था उसने कहा - तुम्हारा ध्यान कहाँ है ?

शिद्दत - यहीं है नहीं भी है, उसने confused होते हुए कहा ताई ने कहा - हें... l

शिद्दत - अरे आप नहीं समझोगे l

ताई ने प्रेम से कहा - अगर तुम समझाओ तो शायद समझ जाऊँ l

शिद्दत दूसरी ओर मुड़ गयी और कहा - पता नहीं क्यूँ लेकिन मुझे लगता है कि मेरे अन्दर दो - दो आत्माओं का वास है एक मेरा खुद का एक न जाने किसका और वो जैसे मुझे लगता है कि मैं किसी के वश में हो जाती हूँ l

वो ताई की तरफ मुड़ी और कहा - और आपको पता है जब मैं उससे बाहर आती हूँ मेरा शरीर कमजोर हो जाता है ऐसा लगता है मेरी शक्तियां उसने छीन ली हों और फिर मुझे बहुत दर्द होता है l

ताई उसकी बात को ध्यान से सुन रहा था वो कहता है - तुमनें ये बात पहले क्यों नहीं बताई किसी को l

शिद्दत ने कहा - कोई विस्वास ही नहीं करता मैंने पहले भी कुछ बातें बताई थी कि मुझे एक सपना आता है और वो बहुत ही डरा देने वाला सपना है l

ताई ने हैरानी से पूछा - कैसा सपना है ?

शिद्दत जैसे ही बोलने को हुई तभी सिमी जियांग, युन क्यूँग, ओंग आ गए सिमी ने कहा - अरे गुरु जी आप यहां हैं हमनें आपको ढूँढ रहे थे लेकिन आप तो किसी और के साथ हैं l

सिमी ने उसे छेड़ते हुए कहा तो युन ने उसे घूरा सिमी ने उसे देख कर कहा - अरे तुम मुझे क्यों घूर रही हो l

ओंग ने शिद्दत को कहा - अगर तुम खाली हो तो क्या हम टहलने चल सकते हैं l

उसने अपना हाथ शिद्दत की तरफ बढ़ाकर कहा l

ताई ने कहा - नहीं ये खाली नहीं है ये कुछ बात कर रही थी शिद्दत ने ओंग को smile दी और उसके हाथ में अपना हाथ रखने जा रही थी ओंग ने ताई को आँख मारी और एक जीत भरी मुस्कान दी वो चला गया ताई उसे जाते हुए देख रहा था उसके सीने में एक हल्का सा दर्द हुआ और वो शिद्दत को महसूस हुआ उसे एक बेचैनी थी शिद्दत ने अपना हाथ अपने सीने पर रख लिया l

ओंग ने उसे देखा और कहा - क्या हाथ रखो l

शिद्दत उसे देखते हुए बोली - हाँ l

उसने सीने से हाथ हटा लिया और फिर ओंग के हाथ पर रखने वाली थी उसे फिर से दर्द हुआ उसने चिंता से ओंग को देखा ओंग ने कहा - क्या हुआ ?

शिद्दत ने उसे देखा और कहा - नहीं l

सभी उसे हैरानी से देखने लगते हैं शिद्दत साँस लेते हुए कहती है - नहीं नहीं नहीं नहीं... l

क्यों, ओंग ने हैरानी से पूछा l

शिद्दत ने बेचैन होते हुए कहा - क्योंकि जब भी मैं तुम पर अपना हाथ रखने वाली होती हूँ मेरे सीने में एक दर्द होता है

ओंग ने कहा - क्या बकवास कर रही हो, उसने उसकी तरफ हाथ बढ़ा दिया शिद्दत दूर होते हुए कहा - दूर मुझसे दूर रहो l उसने साँस लेते हुए कहा l

युन ने कहा - तुम पागल हो क्या पागलों जैसा व्यवहार क्यों कर रही हो l

शिद्दत ने कहा - मुझे गलत मत समझना लेकिन मुझे लगता है कि मेरे दर्द में होने से उसे दर्द होता है जो मैं बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकती मैं दर्द में रह सकती हूँ लेकिन उसे नहीं देख सकती l

ताई उसे देख रहा था जो उसके बारे में ही बात कर रही थी युन ने कहा - कौन है वो जो कि उसके दर्द से तुम्हें दर्द होता है l

शिद्दत ने बिना किसी होश में ही कहा - पता नहीं मैंने आज तक उसे नहीं देखा लेकिन वो मुझमें ही रहता है मेरी रूह में और मैं उसकी l

युन उससे रूखे से बोली - कभी देखा नहीं लेकिन फिर भी उसका दर्द महसूस कर लिया क्या जन्मों का जन्म का प्यार है तुम्हारा l

शिद्दत बिना कुछ बोले वहाँ से भागी और भागते हुए ताई के दायें तरफ से भागते हुए उसका सीना ताई के सीने touch हो जाता है शिद्दत बिना देखे जाने लगी l

लेकिन तभी एक जादू होता है जो साया शिद्दत के ऊपर था वो उससे बाहर आ गया और छटपटाने लगा वो चिल्लाने लगा और उसकी आवाज़ पूरे कबीले में गूँज उठी l

उसकी आवाज़ सुन शिद्दत रुकी और उसकी तरफ मुड़ी और उसे हैरानी से देखने लगी वो साया बहुत ही भयानक दिख रहा था जिसे देख वो थोड़ा डर जाती है उस साये के चारो तरफ एक सुनहरी रौशनी चमक रही थी और वो चिल्लाते हुए बोला - मुझे छोड़ दो वरना मैं किसी को नहीं छोड़ूंगा यहाँ तबाही मचा दूँगा l

ताई ने पूछा - कौन हो तुम और यहाँ कैसे आए ?

मैं बुराई के देवता कलिका का एक मात्र सेवक हूँ और मैं यहाँ इस लड़की की वजह से आया इसके जलन के कारण मैं इसके अन्दर प्रवेश कर गया ये एक पवित्र आत्मा है इसलिए मेरे महाराज को एक ऐसी ही आत्मा की ज़रूरत है

तो इसे अपना बंदी बनाकर ले जाना चाहता था लेकिन जैसे ही ही तुम्हारा सीना इस लड़की के हृदय से स्पर्श हुआ मेरी शक्तियां कमजोर हो गयीं और मैं इससे दूर हो गया l

सभी उसकी बात हैरानी से सुन रहे थे जियांग ने कहा - दूर हो गए मतलब तुम तो उसके शरीर के अंदर थे न तो...

उस साये ने कहा - मैं मैं इसे छू भी नहीं सकता इसकी रक्षा तो कोई ऐसी शक्ति करती है कि बुरी शक्तियां इसके आस - पास भी नहीं भटक सकती लेकिन इसके सिर्फ एक जलन की वजह से मैंने इसके बालों में अपना प्रवेश पा लिया लेकिन वो भी इन दोनों ने निकाल दिया मुझे छोड़ो l

ताई शिद्दत को देखता है जो उस साये को देख रही थी युन ने कहा - अब तुम आ गए हो न तो अब तुम बचकर नहीं जा सकते यहाँ l

मुझे तुम में से कोई नहीं मार सकता चाहे कितनी भी कोशिश कर लो मैं कोई साधारण नहीं हूँ लेकिन मुझे यहाँ से निकालो मुझे दर्द हो रहा है हे लड़की निकालो मुझे यहाँ से वरना मैं इस जगह को तबाह कर दूँगा l

इतना बोलकर वो अपनी शक्ति का इस्तेमाल करने लगा खुद को छुड़ाने के लिए ये देख सिमी, जियांग, युन और ओंग ने उसे काबु करने के लिए अपनी शक्ति से उस पर प्रहार किया लेकिन वो उसे सम्भाल नहीं पाने की वजह से जियांग ने कहा - ताई हम ये अकेले नहीं कर सकते हैं तुम अपनी शक्ति का प्रयोग करो l

ताई सोचने लगा और जैसे ही वो उस पर वार करने को हुआ शैतान ने सभी को झटक दिया सभी गिर गए और खुद को छुड़ा लिया वो गुस्से में आकर किसी को भी चोट पहुंचाने लगा शिद्दत भी जमीन पर गिर गयी थी तभी उस शैतान ने ताई को देखा और उस पर वार कर दिया लेकिन उसके आगे शिद्दत आ गयी और उसने उसका वार खुद पर ले लिया और उस शैतान का वार उसके सीने में जा लगा l

शिद्दत को एक चुभन महसूस हुई तो उसके मुँह से आह निकल गया और वो नीचे गिरती उससे पहले ही ताई ने सम्भाल लिया उसने उसके गाल को छूकर उसे बुलाया - शिद्दत.. शिद्दत.. शिद्दत...

और उसकी आँखे बंद होने लगी ताई उसे उठाता रहा उसकी आँखों में आँसू आ गए वो शैतान बोला - तुम दोनों में से किसी एक को समाप्त तो करना ही था तो तुम ( ताई ) हो या... ये ( शिद्दत ) हा... हा... हा...

वो हँसने लगा ताई को उस शैतान पर गुस्सा आ गया और वो खड़ा हुआ l

उसने गुस्से से कहा - तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई शिद्दत को चोट पहुंचाने की तुमने मुझे या किसी और को चोट पहुंचाई होती तो मैं तुम्हें माफ कर देता जाने देता लेकिन तुमने उसे चोट पहुंचाई जिसकी कोई माफी नहीं है और इसका भुगतान करो l

ताई ने अपनी आंखें बंद करी और दोनों एक हाथ के ऊपर दूसरा हाथ रख दिया तभी आसमान सुनहरा हो गया और उसमें से एक ऊर्जा ताई के पास आती है ताई अपना उस शैतान की तरफ कर देता है और वो शैतान जलने लगता है वो चिल्ला रहा था - आ... आ... महाराज मुझे बचाईये l

और कुछ ही देर में जलकर भस्म हो जाता है ऐसा रूप ताई का किसी ने कभी नहीं देखा था उसने कहा - अगर किसी कभी भी दोबारा इसे चोट पहुंचाने की भी कोशिश भी की तो मैं उसे नहीं छोड़ने वाला l

उसका रौद्र रूप देखकर सभी डर जाते हैं ताई शिद्दत को उठाता है और उसे कमरे में ले जाता है और उसे बिस्तर पर लिटा देता है सभी लोग अंदर आते हैं गुरु जी भी आते हैं और साथ में वैध जी भी थे ताई को इस वक़्त कोई होश नहीं वो शिद्दत का हाथ पकड़े उसे जगाने की कोशिश कर रहा था l

ताई - शिद्दत मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा तुम जल्दी ही ठीक हो जाएगी तुम चिंता मत करना l

वैध जी उसे देखते हैं और कहते हैं - मुझे समझ नहीं आ रहा है इनके शरीर पर एक भी घाव नहीं है शायद इन्हें अंदर से चोट लगी है l

ताई ने कहा - इसके हृदय में लगा है l

वैध जी ने कहा - तब तो ये बहुत खतरनाक है इनके साथ कुछ भी हो सकता है l

ताई ने कहा - क्या मतलब है आपका l

वैध जी ने कहा - शायद किसी को अपनी जान इन्हें सौंपनी होगी क्योंकि इनके दिल से इनकी जान निकाल ली गयी है l

Continue...