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लाइब्रेरी ऑफ़ हैवेनस पाथ

दूसरी दुनिया में लांघने पर, जहांग वान ने खुद को एक सम्मानित शिक्षक के रूप में पाया। उसके पारगमन के साथ, उसके दिमाग में एक रहस्यमय पुस्तकालय दिखाई दिया। जब वह किसी चीज को देख लेता, भले ही वह एक इंसान हो या कोई वस्तु, उसकी कमजोरी पर एक किताब अपने आप ही उस लाइब्रेरी में आ जाती। इस प्रकार वह बहुत प्रभावशाली हो गया। “सम्राट झुओयांग, आप अंडरवियर पहनने से परहेज क्यों करते हैं? एक सम्राट होते हुए, क्या आप अपनी छवि पर थोड़ा और ध्यान नहीं दे सकते?" “परी लिंगलोंग, अगर आपको रात को नींद ना आए तो आप मुझे बुला सकती हैं। मैं लोरियाँ गाने में कुशल हूँ!" "और आप, दानव राजा कियानकुं! क्या आप लहसुन लेना कम कर सकते हैं? क्या आप मुझे इस बदबू से मारने की कोशिश कर रहे हैं?” यह शिक्षक और छात्र के संबंधों के बारे में, दुनिया के महानतम विशेषज्ञों को तैयार करने और उनके मार्गदर्शन के बारे में, एक अविश्वसनीय कहानी है।

Heng Sao Tian Ya · 東方
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69 Chs

शाही वंशावली

翻訳者: Providentia Translations 編集者: Providentia Translations

एक घंटे पश्चात जहाँग वान रसद विभाग से बहार निकला और उसकी आँखें उत्साह से चमक रहीं थीं |

यदि वह वही पुराना जहाँग वान होता तो आज उसका फ़ायदा उठा कर उसे ख़त्म कर दिया जाता | लेकिन लाइब्रेरी ऑफ़ हेवन्स पाथ के कारण उसकी ज़िन्दगी ने अलग ही दिशा में मोड़ ले लिया था|

कदाचित, 'उस पार' जाना मेरे लिए वरदान साबित हुआ है ! मैं इसी प्रकार की उत्साही ज़िन्दगी चाहता था |

 जहाँग वान ने अपनी मुट्ठी बंद की और चैन की सांस छोड़ी |

अपने पिछले जन्म में, वह केवल एक लाइब्रेरियन था और उसकी सपाट और साधारण ज़िन्दगी सिर्फ पुस्तकालय और घर के इर्द गिर्द ही घूमती थी | यदि वह वैसे ही जीता तो भी उसकी ज़िन्दगी सिर्फ तनख्वाह और लक्ष्यहीन जीवन जीने में ही निकल जाती | हालांकि, यहाँ बात अलग थी| इस महान भेंट, लाइब्रेरी ऑफ़ हेवन्स पाथ के कारण शायद वह आगे जा सकेगा और ताकतवर बन सकेगा | वह एक बिलकुल ही नयी और उत्साहजनक ज़िन्दगी जी सकेगा !

इस क्षण जहाँग वान पूरी तरह इस दुनिया का हिस्सा बन चुका था ! अब वह अपनी मात्रभूमि और इस दुनिया के बीच की दुविधा से परे था |

" मुझे मत खींचो . मुझे मर जाने दो , मैं मरना चाहता हूँ ..."

जिस समय वह मन ही मन ख़ुशी मना रहा था, उसे पास ही एक करुण रूदन सुनाई पड़ा| यह रूदन एक क्रोधित और पीड़ित बैल की तरह था जो ह्रदय विदारक था |

मुड़कर देखते हुए उसने पाया कि एक मोटा चिल्ला रहा था कि वह अकादमी की मानवनिर्मित झील में कूद जायेगा और अपनी जान दे देगा |

उस मोटे को कोई भी रोकने की कोशिश नहीं कर रहा था| वह मोटा खुद भी आत्महत्या की दिशा में जोर जोर से चिल्लाने के अलावा कोई कदम आगे नहीं बढ़ा रहा था |अचानक, उसने पीछे मुड़कर, वहां खड़े एक छात्र का हाथ पकड़ अपने ऊपर ऐसे रख लिया मानो वह छात्र उसे आत्महत्या से रोक रहा हो |

" मुझे मत खींचो, मुझे मरने दो . मैं अब और जिंदा नहीं रहना चाहता ...."

"...."

सब निस्तब्ध थे |

" यह बहुत बेशरम है !" जहाँग वान ने अपना सिर हिलाया |

वह मोटा, मरना नहीं चाहता था, फिर भी ऐसा नाटक कर रहा था मानो कोई उसे आत्महत्या करने से रोक रहा है |वह सच में बेशरम था |

यह समझते ही कि यह व्यक्ति आत्महत्या नहीं कर सकता, जहाँग वान को उसमें कोई रुचि नहीं रही | इसके बजाय वह अपनी कक्षा की ओर बढ़ा. वह कुछ दूर जाता इसके पहले, ऐसा लगा की धरती हिली और वह रूदन उसके समीप आ गया . उसके बाद उसने पाया कि मोटे हाथों ने उसके पैरों को जकड लिया है |

" गुरूजी, मैं आपसे भीख मांगता हूँ, कृपया मुझे अपना शिष्य बना लीजिये | बाकी सब मुझसे मेरे मोटापे की वजह से घृणा करते हैं और मुझे नकार रहे हैं ...."

वह मोटा रोने लगा

" छोड़ो मुझे !"

जहाँग वान अवाक् था |

क्या यह आदमी ज्यादा ही सनकी नहीं है ? यह देखते ही कि मैं गुरु हूँ, मेरे पास दौड़ता हुआ आया और मेरा शिष्य बनने का आग्रह करने लगा | जहाँग वान ने अपने जीवन में ऐसा व्यक्ति नहीं देखा था |

" गुरूजी, मैं आपको तभी जाने दूंगा जब आप मुझे अपना शिष्य स्वीकार कर लेंगें !" आंसू और नाक अबाध रूप से मोटे के चहरे से बह रही थी| उसकी वाणी इतनी दुखद थी कि आस पास खड़े लोगों को भी उस पर दया आ रही थी | "आज मैं कम से कम दस गुरुओं के पास जा चुका हूँ, लेकिन उनमें से कोई भी मुझे स्वीकार करने को राजी नहीं है | गुरूजी देखिये, मेरी स्थिति कितनी दयनीय है, कृपया मुझे स्वीकार करिए !"

शिष्यों के मध्य स्पर्धा भी गुरु का मूल्यांकन करती है| ऐसे मोटे शिष्य को फुर्ती और लड़ाई में परेशानी होगी | इसलिए अधिकतर प्रसिद्द गुरु उसे अपना शिष्य स्वीकार करने को अनिच्छुक होंगे|

"यदि तुम चाहते तो कि मैं तुम्हें अपना शिष्य बनाऊं तो तुम्हें कम से कम अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन तो करना पड़ेगा| मेरे पैर पकड़ कर तुम क्या पाने की उम्मीद करते हो ?" जहाँग वान ने कहा|

जब उसके पास लाइब्रेरी ऑफ़ हेवन्स पाथ है तो उसे शिष्य बनाने में क्या परेशानी हो सकती है | यदि यह व्यक्ति औसत दर्जे का हुआ तो वह इसको अपना शिष्य नहीं बनाएगा |

"गुरूजी आपको मुझे अपना शिष्य स्वीकार करना ही होगा| मैं बहुत काबिल हूँ..." मोटे ने झिझकते हुए ऊपर देखा और अपनी पकड़ ढ़ीली करते हुए कहा|

"हमें पहले देखना पड़ेगा कि तुम काबिल हो या नहीं| इतना बोलने की कोई ज़रुरत नहीं है !" यह देखते हुए कि वह उसके पैर छोड़ने में हिचक रहा है, जहाँग वान ने उसको तिरस्कारपूर्वक लात मारी|

यह क्या था ? यदि कोई महिला छात्र उसके पैर पकड़ती तो बात और थी| यह तो एक पुरुष है,वो भी मोटा .... ऐसा सोच कर ही वह सिहर उठा|

"ठीक है ! मेरी काबिलियत देख लीजिये !" मोटे को तिरस्कार महसूस नहीं हुआ . वह उठ खड़ा हुआ और आस पास देखा | फिर उसने कुछ दूर से कुछ काँक्रीट के बड़े टुकड़े उठाये| इसके बाद उसने एक को हाथ में लिया और अपने सिर से उसको तोड़ दिया|

पेंग!

सीमेंट का बड़ा टुकड़ा चकना चूर हो गया|

इसके बाद उसने कुछ और सीमेंट के टुकड़े उठाये और अपनी कोहनी और टांग से उसको चूर चूर कर दिया |बिना किसी अपवाद के वो सब टूट गए|

[ यह मोटा ज़रूर है, लेकिन यह हेन्ग्लियन युद्ध कला में निपुण है |]

उसकी हेन्ग्लियन को न देख, जहाँग वान इस समय उस उस किताब को देख रहा था जो स्वतः ही उसके मस्तिष्क में संकलित हो चुकी थी|

हेन्ग्लियन का कौशल भी एक प्रकार का युद्ध कौशल माना जा सकता था | जैसे ही मोटे ने अपनी कला का प्रदर्शन किया, लाइब्रेरी ने उसकी जानकारी संकलित करना शुरू कर दिया |

"युआन ताओ, दिहुंग शहर का एक घुमक्कड़ कल्टीवेटर. फाइटर १- डान जुक्सी रियल्म मध्यम!"

.....

 खामियां: 18 प्रकार की |न.1, उसके अंदर की प्राचीन वंशावली अभी जाग्रत नहीं हुई है ! न.2,उसका आधार बहुत कमज़ोर है, जिस युद्ध कला में वह प्रशिक्षण ले रहा ....."

" शाही वंशावली ?"

उस किताब का अभिलेख पढ़ कर जहाँग वान को झटका लगा |

अपने शरीर के पिछले मालिक की यादों के कारण, उसको पता था कि इस दुनिया में किसी का भी वंश और सहज शरीर बहुत ज़रूरी बात है |

जब तक किसी के पास दोनों में से एक भी है और उसके प्रयोग का सही तरीका है, उसका कल्टीवेशन भविष्य में दिन दूना रात चौगुना बढ़ सकता है,और उनकी ताकत में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है |

कई प्रकार के सहज शरीर होते हैं,जैसे प्योर यिन शरीर, प्योर यांग शरीर, इमैक्युलेट शरीर, गोल्डन शरीर.....

वंशावली भी कई प्रकार की होती है जैसे प्राचीन वंशावली, नयी वंशावली , पैतृक और म्यूटेशन .....

एक बार पता चलने पर उन में से हर एक के लिए कई गुरु प्रतिस्पर्धा करते हैं |

यह शाही वंशावली जिसका यह मोटा है,वह ऐसी ही एक प्राचीन वंशावली है|

ऐसा माना जाता है कि जो इस वंशावली के होते हैं वे अपने कल्टीवेशन के चरम तक पहुँचते हैं, उनका शरीर अभेद्य हो जाता है, उनका कवच कोई भी वस्तु नहीं भेद सकती | यह कवच आधारित वंशावली में सबसे अधिक ताकतवर वंशावली है|

[ यह तुच्छ, मोटा और बेशरम व्यक्ति सच में प्राचीन वंशावली का है ?]

" इसकी प्राचीन वंशावली अभी जाग्रत नहीं हुई है | इसको देखने से प्रतीत होता है कि इसको भी अभी तक इस विषय में कोई जानकारी नहीं है |"

जहाँग वान की आँखों में एक चमक की लहर दौड़ गयी|

सभी प्रकार की वंशावलियों में प्राचीन वंशावली सबसे अधिक ताकतवर है| ऐसे व्यक्ति को एक दर्जन गुरुओं ने नकार दिया, इस का मतलब यह नहीं है कि कोई भी इसकी वंशावली को पहचानने में सफ़ल नहीं हुआ| चूँकि इसकी वंशावली अभी जाग्रत नहीं हुई है, इसलिए यह भी एक आम आदमी की तरह है|जैसे अन्य लोग इसको पहचान नहीं पाए, हो सकता है कि इसको भी अभी तक अपनी वंशावली की जानकारी नहीं है !

हालांकि, इसको भी इस बात की जानकारी नहीं है,लेकिन इस विषय में यह काबिल है |उसकी रक्षात्मक योग्यताएं अन्य लोगों से काफी अच्छी थीं और यही कारण है कि इस ने इस प्रकार की " पंच बैग"युद्धकला को सीखने के लिए चुना है |

" मुझे इसको अपना शिष्य बनाना ही चाहिए !"

उसकी आँखें चमक उठी|

पूरी अकादमी में कई सालों में एक भी प्राचीन वंशावली का व्यक्ति नहीं आया है |इतना अच्छा अवसर सामने आया है,वह कैसे उसे हाथ से जाने देगा ?

" बुरा नहीं है| मैं तुम्हे अपना शिष्य स्वीकारता हूँ | आकर अपनी शिष्यता स्वीकार करो !"

जहाँग वान ने अपने दिल की खुशी छुपाते हुए शांत भाव से उसकी ओर एक पहचान चिन्ह फेंका|

" गुरूजी क्या आप सच में मुझे अपना शिष्य स्वीकार करेंगें ? यह बहुत बड़ी बात है ...."

लगता है उस मोटे को दिन भर में कई मानसिक आघात लगे थे| यह सुनकर कि कोई गुरु उसको अपना शिष्य बनाने को तैयार है, वह बहुत उत्साहित हो गया तो उसने तुरंत ही बिना सोचे समझे अपनी ऊँगली काट कर पहचान चिन्ह पर खून की एक बूँद गिरा दी |

" ऐसा प्रतीत होता है कि गुरु का मानक ही उस शिष्य का मानक निर्धारित करता है जिसे वो स्वीकारता है | जब गुरु निकम्मा होगा तो उसका शिष्य भी निकम्मा ही होगा !"

उसी समय उसको एक तिरस्कारपूर्ण आवाज़ सुनाई दी |

मुड़कर जहाँग वान ने देखा कि एक उदासीन और घमंडी युवक उसकी ओर आ रहा है |

उस व्यक्ति के साथ एक सुन्दर स्त्री चल रही थी | उसके गहरे काले बाल उसके कन्धों से नीचे तक लहरा रहे थे, उसकी गोरी त्वचा मक्खन जैसी थी, और उसकी मनोरम नज़रें देखने वाले को मोहित कर रही थी |

" शांग बिन ? शेन बी रु ?"

उन दोनों को देख कर, उसके मन में तुरंत यह दोनों नाम उभरे |

पूरी अकादमी में शायद ही कोई था जिसको शेन बी रु के बारे में नहीं पता था !

उसकी कोई ख़ास पृष्ठभूमि नहीं थी, पर वह एक सुन्दर गुरु के रूप में जानी जाती थी | विद्यालय की प्रख्यात सुंदरी भी उसके मुक़ाबले कुछ नहीं थी|

यदि वह केवल सुंदर होती तो कोई बात नहीं थी, वह सिखाने में भी निपुण थी| इस अकादमी में एक साल से भी कम रहने के बावज़ूद वह अकादमी के सबसे प्रख्यात गुरुओं में एक बन गई थी|

कुलीन,सुरुचिपूर्ण,सुंदर और बुद्धिमान,बहुत से गुरु उसके दीवाने थे |

उनमें अपने पिछले जन्म का जहाँग वान भी एक था|

हालाँकि पिछला जहाँग वान पूरी तरह विफल था| न केवल कमज़ोर कल्टीवेशन,बल्कि हर प्रकार की परीक्षाओं में भी वह अंतिम स्थान पर था| उसके कम आत्मसम्मान के कारण,जबकि वह उसे चाहता था, उसकी अपने दिल की देवी से कभी बात करने की भी हिम्मत नहीं हुई, उसे अपने दिल की बात बताना तो दूर की बात है|

यह युवा व्यक्ति शांग बिन, अकादमी के वरिष्ठ गुरु शांग का पोता था| और वह भी उसका दीवाना था| उसने अपनी स्थिति का फायदा उठाकर उसके बाकी दीवानों को दबा दिया था| उसे कहीं से पता चला था कि जहाँग वान भी शेन बी रू में दिलचस्पी रखता है, इसलिए वह हमेशा मौका मिलते ही जहाँग वान की बेईज्ज़ती करता था| कभी कभी वह जहाँग वान की पिटाई भी कर देता था|

हालांकि शेन बी रु, उसमें दिलचस्पी लेती नहीं दिखती थी| वह सभी से कटी हुई रहती थी जैसे उसे किसी में भी कोई रूचि नहीं हो और इसीलिए शांग बिन दुखी और मज़बूर रहता था |

"तुम किसको निकम्मा बोल रहे हो ?" शांग बिन का व्यंग्य सुनकर भी विचलित हुए बिना जहाँग वान पीछे मुड़ा|

 ..

" निकम्मा तुम्हें बदनामी लगती है !" शंग बिन ने तिरस्कार पूर्वक कहा|

" ओह, तो निकम्मा मेरी बेईज्ज़ती है| कितनी बू आ रही है !" जहाँग वान ने अपनी नाक के सामने हाथ हिलाया और घृणा पूर्वक बोला|

" तुम ...." तभी शांग बिन कुछ बोल पाया| अकादमी के सबसे बुरे गुरु द्वारा मजाक उड़ाए जाने पर वह गुस्सा था और उसका चेहरा लाल पड़ गया था|

शाही वंशावली

प्राचीन चीन में, किसी के चेहरे को देख कर उसका भविष्य जानने की परंपरा थी| ज़ाहिर है, कोई न कोई चेहरा राजसी /कुलीनता का भी था | इसमें से एक प्रकार का चेहरा लोंग्क्सी चेहरा था, जिसे आम भाषा में बादशाह का चेहरा कहते थे |

यह व्यक्ति मोटा ज़रूर है लेकिन हेन्ग्लियन युद्ध शैली में निपुण है |

हेन्ग्लियन : एक प्रकार का प्रशिक्षण है जिसका शाब्दिक अर्थ है क्रूर शक्ति द्वारा प्रशिक्षण| युद्ध कला में प्रशिक्षण के तीन मुख्य प्रकार हैं, वेन्लियन, वुलियन और हेन्ग्लियन | बिदु के अनुसार, तीनो अलग प्रकार के प्रशिक्षण,सामरिक कलाकारों को अलग शिखर पर ले जाते हैं | हेन्ग्लियन उस तरीके को कहते हैं जिसमें अपने शरीर को किसी सख्त वस्तु पर ज़ोर से मार कर अपने शारीरिक भागों को मज़बूत किया जाता है | आज के ज़माने में भी हेन्ग्लियन तरीके का प्रयोग कुछ लोग प्रशिक्षण के लिए करते हैं |(जैसे आयरन हेड स्किल्स, वे कम उम्र से ही अपने सिर को ठोस वस्तुओं पर मारते हैं )