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लाइब्रेरी ऑफ़ हैवेनस पाथ

दूसरी दुनिया में लांघने पर, जहांग वान ने खुद को एक सम्मानित शिक्षक के रूप में पाया। उसके पारगमन के साथ, उसके दिमाग में एक रहस्यमय पुस्तकालय दिखाई दिया। जब वह किसी चीज को देख लेता, भले ही वह एक इंसान हो या कोई वस्तु, उसकी कमजोरी पर एक किताब अपने आप ही उस लाइब्रेरी में आ जाती। इस प्रकार वह बहुत प्रभावशाली हो गया। “सम्राट झुओयांग, आप अंडरवियर पहनने से परहेज क्यों करते हैं? एक सम्राट होते हुए, क्या आप अपनी छवि पर थोड़ा और ध्यान नहीं दे सकते?" “परी लिंगलोंग, अगर आपको रात को नींद ना आए तो आप मुझे बुला सकती हैं। मैं लोरियाँ गाने में कुशल हूँ!" "और आप, दानव राजा कियानकुं! क्या आप लहसुन लेना कम कर सकते हैं? क्या आप मुझे इस बदबू से मारने की कोशिश कर रहे हैं?” यह शिक्षक और छात्र के संबंधों के बारे में, दुनिया के महानतम विशेषज्ञों को तैयार करने और उनके मार्गदर्शन के बारे में, एक अविश्वसनीय कहानी है।

Heng Sao Tian Ya · Eastern
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बेशर्म विद्यार्थी

Translator: Providentia Translations Editor: Providentia Translations

यह बातें सुन कर निर्लिप्त शेन बी रु थोडा सा मुस्कुराई|

यूँ घुमा फिरा कर किसी की बेईज्ज़ती करने का धरती पर कोई ख़ास महत्त्व नहीं था लेकिन यहाँ यह एक अतुलनीय धारणा थी|

अपनी देवी के चेहरे के भाव देखकर, शांग बिन को लगा कि उसका मजाक उड़ाया जा रहा है| एक क्षण में उसके चेहरे का रंग कभी फीका कभी लाल हो गया| हालांकि,अपनी देवी के सामने वह अपनी इज्ज़त बचाए रखना चाहता था, इसलिए उसने जहाँग वान पर फिर सीधा हमला करने की हिम्मत नहीं की|

" क्यों? क्या मैंने कुछ गलत कहा ?"अपना गुस्सा दबाते हुए शांग बिन ने उपहास किया|"पूरी अकादमी में ऐसा एक भी व्यक्ति नहीं है जो तुम्हारे स्तर को न जानता हो ! यह मोटा पहले मेरी कक्षा में आया था| सूअर की तरह मोटा, इसको सिर्फ बचाव करना आता है और कुछ नहीं ! इसकी मुट्ठी में केवल 15 किलो की ताकत है ! यह प्रवेश परीक्षा में पक्का नीचे से पहला या दूसरा होगा, तो यदि यह निकम्मा नहीं है तो क्या है ?"

भले ही वह जहाँग वान को मार नहीं सकता था, लेकिन वह उस पर अपने शब्दों से हमला करने को दृढ़ था|

" प्रवेश परीक्षा में नीचे से पहला ?" जहाँग वान ने केवल शाही वंशावली पर ध्यान दिया था और इस बारे में अनभिज्ञ था| वह मोटे की तरफ़ मुड़ा |

" कौन कहता है कि मैं नीचे से पहला हूँ ?" मोटा गुस्से से बोला| फिर शर्मिंदगी से सर खुजाते हुए बोला , " मैं केवल ..... 9997 वें स्थान पर हूँ !"

"9997 वां स्थान ? सिर्फ ? " जहाँग वान को हल्की सी झुनझुनाहट हुई और ऐसा लगा कि वह खून की उलटी कर देगा|

होंग्तियन अकादमी हर साल केवल १०००० विद्यार्थी भर्ती करती थी |हालांकि वह इतने विद्यार्थी भर्ती करती थी, लेकिन कई विद्यार्थी कई कारणों से नहीं आ पाते थे| ९९९७ स्थान, यह आखिरी स्थान जैसा ही था, ठीक है !

[ और तो और, इतना कम रैंक आने के बाद भी यह इतना आत्मविश्वासी कैसे हो सकता है ....]

जहाँग वान को लगा जैसे वह अभी भी नींद में हो|

" ये ऐसा नहीं है कि तुम किसी को भी अपना शिष्य बना लो ?" शांग बिन ने फिर एक बार उसको तिरस्कार से देखा| फिर,अपनी बाजू मोड़ते हुए, उसके चेहरे पर एक अभिमानी भाव आया और वह बोला, " शिष्य चुनने का मेरा नियत स्तर है, मैं ऐसे किसी को भी नहीं चुनता जिसका रैंक ५०० से कम हो ! गुरु भी नीचे से पहला और शिष्य भी नीचे से पहला .... क्या जोड़ी है ! हा हा हा !"

"क्या तुम बोल चुके ?"

उसके व्यंग्य पर जहाँग वान ने केवल अपना सिर हिलाया , " अब जब तुम्हारी बात पूरी हो गयी है, तो तुम जा सकते हो !"

पहले उसने युआन ताओ का लाइब्रेरी ऑफ़ हेवन्स पाथ में ठीक से अध्ययन किया था| वह मोटा एक घुमंतू कल्टीवेटर था, तो उसके लिए साधारण बात थी कि उसको कोई कल्टीवेशन टेक्निक और युद्ध कला न आती हो| जब वह किसी तरीके से अपनी शाही वंशावली को जाग्रत कर लेगा, उसका कल्टीवेशन दिन दूना रात चौगुना बढ़ता ही जायेगा|

" तुम ..."

यदि कोई और होता जिसका इतना मज़ाक उड़ाया जा रहा हो, तो निश्चय ही वह गुस्से के मारे कांप रहा होता | लेकिन इस व्यक्ति ने पलक भी नहीं झपकाई | जब शांग बिन के व्यंग्य का कोई असर नहीं हुआ तो उसका चेहरा और भी भद्दा हो गया|

" ऐसा लगता है कि सड़ी हुई लकड़ी पर नक्काशी नहीं हो सकती !" एक ठंडी आह के बाद शांग बिन ने शेन बी रु की तरफ देखा और कहा, " बी रु लाओशी, चलो चलें | यदि हम इन निकम्मों के साथ और देर रहे तो हम भी इनकी तरह संक्रमित हो जायेंगे !"

शांग बिन का सीधा कटाक्ष सुनकर, शेन बी रु ने आँखें तरेरी और वह उसके साथ नहीं गयी | बजाए इसके, वह मुड़ी , " जहाँग वान लाओशी !"

उसकी आवाज आकाशवाणी की तरह थी, साफ़ और मनमोहक, जिसको सुनने वालों के मन में मिश्रित भावनाएं उत्पन्न हो रही थी |

"हम्म ?" जहाँग वान ने नहीं सोचा था कि अकादमी की सबसे सुंदर गुरु खुद उससे बात करेगी, इसलिए वह चौंक गया |

" हालाँकि पिछली बार तुमने गुरु योग्यता परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त नहीं किये थे, लेकिन तुम हिम्मत मत हारो| कठिन मेहनत करो और अंत में तुम सफल हो जाओगे !"

शेन बी रु ने अपना सिर हिलाया|

उसके विचार में जहाँग वान ने सबसे बुरे शिष्य को चुना तो इसका मतलब था कि उसने उम्मीद छोड़ दी है और खुद पर से भरोसा उठ गया है|

चाहे उसके मन में अपने पुराने दीवाने के प्रति प्रेम न हो लेकिन वह उसे इस प्रकार हार कर दुखी होते नहीं देखना चाहती थी|

" तुम्हारे सुझाव के लिए धन्यवाद !" उसे पता था कि सामने वाला उसकी सच में चिंता कर रहा है| जहाँग वान ने अपना सिर हिलाया और बोला, "यह शिष्य जो अभी कुछ नहीं है, वह एक जेड बन सकता है|जब मैं इसका ठीक से मार्गदर्शन करूँगा , इसके लिए चमकना मुश्किल नहीं है!"

" हूँ .. !"

 शेन बी रु ने आगे कुछ नहीं बोला और वह वहां से जाने लगी|

उसे लगा कि जहाँग वान का स्पष्टीकरण केवल एक बहाना है| युआन ताओ का आकार और इस उम्र में भी मूलभूत जानकारी का अभाव देखकर उसकी भविष्य की उपलब्धियां भी सीमित हो सकती हैं |

"भाड़ में जाए"

 अपने दिल की देवी को अकादमी के सबसे निकम्मे गुरु से बात करते देख कर और उसका हौसला बढाते हुए देख कर, शांग बिन का चेहरा विकृत हो गया | उसके दिल में धधक रही आग और तेज़ हो गयी और उसने गुस्से से जहाँग वान को देखा, फिर शेंन बी रु के पीछे चल दिया|

" बी रु, तुम्हारे लिए अच्छा होगा कि तुम इस तरह के लोगों से दूर रहो ,

यह तुम्हारे त्रुटिरहित व्यक्तित्व को दूषित कर देगा ..."

" शांग लाओशी, आज मैं थोडा थकी हुई हूँ और आराम करना चाहती हूँ| मुझे उम्मीद है कि तुम मेरे पीछे नहीं आओगे ..."

इसके पहले कि शांग बिन कुछ कहता, शेन बी रु मुड़ी और चल दी|

" लानत है, लानत है ! जहाँग वान, तुम बस इंतज़ार करो | मैं ज़रूर इस बात का बदला लूँगा !"

वह अपनी देवी को तब तक दूर जाते हुए देखता रहा जब तक वह आँखों से ओझल न हो गयी |इस वक्त तक उसका सारा गुस्सा जहाँग वान पर केन्द्रित हो चुका था|

उसके विचार में यदि यह मनहूस नहीं होता तो आज उसकी देवी ज़रूर उसके साथ रात्रि भोजन करती| वह कैसे उसको छोड़कर जा सकती है ?

.........…...

" चूँकि तुमने मुझे अपना गुरु माना है, तुम्हें पता होना चाहिए कि मेरी कक्षा कहाँ है !"

जब वे दोनों चले गए तो जहाँग वान ने मोटे को बुलाया|

"बहुत बढ़िया !" मोटा तुरंत खड़ा हो गया और मुस्कुराया| " गुरूजी, अब मैं आपका शिष्य बन गया हूँ, क्या अब आप मुझे बता सकते हैं कि आप कौन हैं ?"

उसकी बात सुनकर जहाँग वान ने अपना सिर पकड़ लिया|

इस व्यक्ति ने जिस भी गुरु पर आँख पड़ी, उसको अपना गुरु मान लिया, पहले जहाँग वान की पहचान भी नहीं की ?"

" मैं जहाँग वान हूँ !" जहाँग वान ने कहा|

" जहाँग वान लाओशी? जहाँग लाओशी जिसने ..... गुरु योग्यता परीक्षा में नीचे से प्रथम आने वाले, शून्य अंक प्राप्त किये ...." इस क्षण मोटे को एहसास हुआ कि उसने किसे अपना गुरु मान लिया है | उसके शरीर का मांस कांपने लगा और उसके होंठ फडफडाने लगे| अब सिर्फ आंसुओं की ही कमी थी|

"मैं वही हूँ !"

जहाँग वान ने अपना सिर हिलाया|

" आह ... वह, जहाँग लाओशी !" मोटे ने अपना सिर खुजाया | " जैसा कि आप देख रहे हो , कि मैं कितना कमज़ोर और मंदबुद्धि हूँ, आप मेरा गुरु बनने से मना क्यों नहीं कर देते !"

जहाँग वान : " ...."

" गुरूजी मैं गंभीर हूँ | अभी अभी दो गुरुओं नें भी कहा है | यदि आप मुझे अपनी शिष्यता से नहीं निकालेंगें तो आपकी छवि भी ख़राब होगी| मुझे डर है कि मैं अपने साथ आपको भी ले डूबूँगा ..." मोटा बोलता रहा |

मुझे डूबने का डर नहीं है| और जब तुमने पहचान चिन्ह द्वारा मुझे अपना गुरु मान ही लिया है तो मैं तुम्हें एक ही बात बोलूँगा| तुम मेरे ही शिष्य बनकर जियोगे और मेरे ही शिष्य बनकर मरोगे | इसलिए यहाँ फालतू बातें बंद करो !" जहाँग वान ने हाथ हिलाते हुए कहा|

"मैं ...."

 मोटे का चेहरा विकृत हो गया और वह रोने ही वाला था|

अपनी कमजोरी के कारण वह एक अच्छा गुरु चाहता था, ताकि उसका भविष्य सुधर सके| उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि सबसे कमज़ोर शिष्य को सबसे निकम्मा गुरु मिलेगा |

[ मेरा जीवन इतना कठिन क्यों है ...]

" ठीक है, यह मेरी कक्षा है |अब, अपना बिस्तर लो और कल याद से समय पर पाठ के लिए आ जाना |!"

जहाँग वान ने बेसब्री से कहा |

" यह कक्षा ...."

कक्षा का माप देखकर मोटे की आँखों में फिर से आंसू आने लगे |

पहले जहां भी उसने प्रवेश परीक्षा दी थी, वे भी इस कमरे से बड़े थे| इस माप की कक्षा में अधिक शिष्य नहीं आ सकते !

" गुरूजी, यदि ... मैं कल नहीं आया, तो क्या आप मुझे निकल देंगें ?"

मोटा अभी भी अपने मन में भ्रम पाल रहा था|

"निकाल दूंगा ? वह मैं नहीं करूँगा | लेकिन मैं तुम्हें उस झील में कछुओं के लिए फेंक दूंगा जिसमें तुम कूदना चाहते थे !" जहाँग वान ने अपना सिर गंभीरता से हिलाया| " क्या मैंने नहीं कहा था ? कि तुम मेरे शिष्य बनकर जियोगे और मेरे शिष्य ही मरोगे | चिंता मत करो, मैं अपना गुरु होने का कर्त्तव्य ठीक से निभाऊंगा और तुम्हें सही तरह से दफनाऊँगा...."

" गुरूजी !" इसके पहले कि जहाँग वान अपनी बात पूरी करता, मोटे ने टोका | गंभीर चेहरा और आंखों में दृढ निश्चय भर कर उसने कहा, कल आप किस समय अपनी कक्षा आरम्भ करेंगें ? मैं पहले ही आकर कक्षा को साफ़ कर दूंगा ! यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसा महान गुरु मिला| भविष्य में, चाहे जो भी मुझे अपना शिष्य बनाना चाहे, मैं उन्हें साफ़ मना कर दूंगा और उनको फटकार दूंगा ..."

जहाँग वान : " ..."

शुरुआत में जहाँग वान ने सोचा था कि वह बेशर्म है | हालाँकि उसने यह उम्मीद नहीं की थी कि उसका शिष्य उससे भी ज्यादा बेशर्म होगा!