सैली भास्कर को बहुत अच्छी तरह जानती थी। वह उसकी पत्नी थी। भास्कर की आदतें बदल गई हैं, ऐसा उसे संदेह होने लगा। उसने भास्कर से कहा, "तुम बदल गए हो। क्या तुम सचमुच भास्कर हो?"
"नहीं, नहीं, मैं नहीं बदला हूँ। मैं भास्कर हूँ," सैली को उस पर शक हो गया है, ऐसा सोचकर उसने कहा। उसकी बातें मानो छोटे बच्चे की तरह थीं। जैसे कोई बच्चा चोरी पकड़े जाने पर डर जाता है, वैसे ही भास्कर डर गया था। उसकी हरकते देखकर सैली मुस्कुराने लगी और खिड़की के पास चली गई। वह बाहर देख रही थी। सड़क पर कोई नहीं था। भास्कर सैली को पीछे से देख रहा था। अब उसकी नजर फिर से उसकी पनीर जैसी कमर पर पड़ गई। वह कमर उसे पास बुला रही थी। भास्कर खुद को रोक नहीं पाया। वह उसके पीछे खड़ा हो गया और बाहर का नजारा देखने लगा। सड़क खाली थी। ये देखकर वह हैरान रह गया क्योंकि लॉकडाउन क्या होता है, कोरोना वायरस क्या है, यह उसे पता नहीं था। वह अतीत से आया था, तो वह सोचने लगा कि आज सड़क पर कोई इंसान क्यों नहीं दिख रहा है? उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
"भास्कर, सड़क पर कोई कार नहीं है। सभी दुकानें बंद हैं। लोग अपने घरों में हैं। इस कोरोना ने सबको घर बैठा दिया है। इसलिए परिवार के सभी सदस्य एक साथ आए हैं। वे अपने परिवार को समय दे रहे हैं। अब नदी भी साफ है। माहौल अच्छा है। हवा शुद्ध हो गई है। हम मनुष्य अपने परिवेश को प्रदूषित करते हैं, लेकिन इस बीमारी ने हमें बहुत कुछ सिखाया है।"
वह उसके पीछे खड़ा था, लेकिन उसकी बातों पर ध्यान नहीं दे रहा था। क्योंकि उसने कहा, लोग अपने घरों में हैं। लेकिन लोग अपने घरों में क्यों हैं? और यह कोरोना कौनसी नई बीमारी है? उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तब भास्कर का ध्यान उसकी कमर पर था। वह उसकी नाजुक कमर को देख रहा था। उसने अपना हाथ उसकी कमर पर रख दिया। सैली ने उसका हाथ अपनी ओर खींच लिया। मानो सैली ने आगे बढ़ने की इजाजत दी हो, ऐसा सोचकर उसने उसके बालों को दूसरी तरफ किया और उसकी गर्दन को चूमा। सैली मुड़ गई। उसकी ओर देखकर मुस्कुराने लगी, "तुम क्या कर रहे हो?"
"कुछ नहीं," उसने मुस्कुराते हुए कहा।
भास्कर उसके गाल, माथे, हाथ, जहां जगह मिल जाती, वहां पर चूमने लगा। उसने उसे जकड़ लिया। दोनों ने एक-दूसरे को चूमा। उसे गले लगा लिया। दोनों जिस्म से बहुत करीब आ गए थे। जैसे दो समुद्र मिलते हैं, वैसे ही वह मिल गए थे। भास्कर ने उसकी पीठ को छुआ। उसके माथे को चूमा।
उन्होंने एक-दूसरे को फिर से गले लगाया। इस बार उनके बीच की दूरियां मिट चुकी थीं। भास्कर के मन में अब कोई संकोच नहीं था। सैली ने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा, "भास्कर, हमें जो भी समय मिला है, उसे पूरी तरह जीएं।"
भास्कर ने उसकी बातों को दिल से लगा लिया। उसने सैली को अपने पास खींचते हुए कहा, "हाँ, सैली, हम हर लम्हा जियेंगे।"
उन्होंने एक-दूसरे को चूमते हुए एक नई शुरुआत की। भास्कर को ऐसा लगने लगा कि उसकी यादे धीरे-धीरे वापस आ रही हैं। सैली के साथ बिताए पल उसे उसकी पुरानी जिंदगी की झलक दिखा रहे थे। वह अब अपने आप को एक नई रोशनी में देख रहा था। सैली के साथ उसके नए सफर की शुरुआत हो चुकी थी।
वह उसके बहुत करीब जा रहा था। उसे कुछ भी याद ही नहीं था कि वह कौन है? उसने टाइम ट्रेवल क्यों किया है? उसे ऐसी बहुत सी बातें याद नहीं थीं। वह उसके बहुत करीब था। वह जो कर रहा था वह गलत था, लेकिन उसे कोई परवाह ही नहीं थी। जैसे ही वह उसके पास पहुंचा, उसका ध्यान सामने वाले ग्रांड हयात होटल होटल पर चला गया। उसने अपने सामने जो देखा, उसे देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं। उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था क्योंकि उसने सामने वाले होटल में एक व्यक्ति को देखा था, जिसने उसके जैसे कपड़े पहने हुए थे। और वह भास्कर जैसा दिख रहा था। वह उसे देखकर चौंक गया। हालांकि उसके कमरे और सामने वाले होटल के कमरे के बीच की दूरी थोड़ी ज्यादा थी, फिर भी उसने एक व्यक्ति को देखा था जो उसके जैसा दिखता था। यह सच था, जिसे वह खुली आंखों से देख रहा था। यह कोई भ्रम नहीं था। उसके हाथ में मोबाइल फोन था और वह वीडियो से इधर-उधर का दृश्य देख रहा था। उसे देखकर भास्कर को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसके जैसा कैसे दिखता है? और उसके भी कपड़े मेरे जैसे कैसे हैं? वह सामने वाले होटल में क्या कर रहा है? उसके पास ऐसे कई सवाल थे। इसके बाद उसने धीरे से सैली को पीछे धकेल दिया और दो कदम पीछे हट गया। सैली ने कहा, "क्या हुआ?"
भास्कर चुपचाप मूर्ति बनकर खड़ा था। सैली ने उसकी कॉलर को पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींच लिया। उसके गाल पर, गर्दन पर चूमने लगी। लेकिन भास्कर अब कामवासना से दूर हो गया था। अब वह किसी ऐसे व्यक्ति की ओर आकर्षित हुआ था, जो उसके जैसा दिखता था।
उसे देख कर उसकी आंखों के सामने कुछ बातें उभर आईं। उसकी यादाश अब वापस आ रही थी। वह यहां पर अपनी शादी की सालगिरह मनाने आया था। सैली को मीटिंग की वजह बताकर उसे यहां लेकर आया था क्योंकि वह उसे सरप्राइज देना चाहता था। उसके बाद वह सामने के ग्रांड हयात होटल में गया और अपने दोस्तों से मिला। वहां पर उसके दोस्त उसकी शादी की सालगिरह की तैयारी कर रहे थे। उसे वह सजावट, केक और सब कुछ याद आ गया था। जब उसने मोबाइल के कैमरे से देखा कि उसकी पत्नी किसी पराये मर्द के साथ शारीरिक संबंध बना रही है, तो वह बहुत गुस्सा हो गया। वह ट्राइडेंट होटल की ओर भागा। पत्नी से झगड़ने लगा। कई बार उसे जोर से थप्पड़ लगाया। वह गुस्से में होटल के बाहर चला गया। सैली भी उसके पीछे-पीछे आ रही थी। दोनों फुटपाथ पर लड़ रहे थे। वहां पर भी उसने सैली को कई बार जोर से थप्पड़ लगाया और वहां से जाने लगा। तब सैली पीछे की ओर बढ़ रही थी। उसी समय सड़क से शुभम की कार आयी और सैली को जोर से धक्का मार दिया। वह सैली के पास आ गया। वह बहुत बुरी तरह से घायल हो गई थी। उसकी बाहों में उसने आखिरी सांस ली, ये सारी बातें भास्कर को याद आ गई थीं।
भास्कर की आंखों के सामने अंधेरा छा गया। उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। सैली की वह आखिरी सांस, उसका दर्द, सब कुछ उसकी आंखों के सामने जीवंत हो गया था। वह कंपकंपाते हुए कदमों से पीछे हट गया। सैली ने उसकी ओर देखते हुए पूछा, "भास्कर, तुम ठीक हो ना?"
उसे याद आ गया था कि वह कौन है, वह यहां क्यों आया था और टाइम ट्रेवल का उसका उद्देश्य क्या था। लेकिन उसे एक बात समझ में नहीं आ रही थी कि एक ही समय में दो भास्कर कैसे हो सकते हैं? सामने वाले ग्रांड हयात होटल में भास्कर था और सैली के साथ दूसरा भास्कर था, जो सैली के साथ सेक्स कर रहा था। इसका मतलब यह है कि सैली सच कह रही थी। उसे सैली के आखिरी शब्द याद आ गए। उसने कहा था, "मैंने अपनी जिंदगी में तुम्हारे अलावा कभी किसी के बारे में नहीं सोचा। तुम सिर्फ मेरे हो। मैं तुझे धोखा देने के बारे में कभी सोच भी नहीं सकती।"
जब उसे यह सब याद आया तो वह पीछे हटने लगा। सैली ने उसकी शर्ट पकड़ ली और उसे अपनी ओर खींच लिया। उसने कहा, "भास्कर, I love you."
वह सैली की बातों पर ध्यान नहीं दे रहा था। वह सामने वाले होटल के उस कमरे को देख रहा था जहाँ दूसरा भास्कर खड़ा था। उसी वक्त सैली ने उसे चूम लिया। उसने सैली को हल्के से धकेला और सामने वाले होटल की ओर देखा। वहां से दूसरा भास्कर चला गया था। उसे देखकर उसने अपने आप से कहा, "उस होटल का भास्कर यहाँ आएगा। उसे सैली पर शक होगा। दोनों झगड़ा करेंगे। सैली तंग आकर आत्महत्या कर लेगी। नहीं, ऐसा नहीं होना चाहिए। मुझे उसे रोकना होगा।"
सैली ने उसे गले लगा लिया था। इसकी वजह से सैली ने उसे अपने आप बातें करते साफ सुन लिया था। उसने उसकी तरफ देखा और बोली, "किसे रोकना है?"
"यह…. मैं…. हूं.. मतलब यह," वह हकलाकर कहने लगा। फिर उसने गहरी सांस लेकर कहा, "यहाँ। मेरा एक दोस्त है। उसे रोकना होगा। मैं पाँच मिनट में आता हूँ।"
वह तेजी से कमरे से बाहर भाग गया। "तुम कहाँ जा रहे हो?" उसके बाहर निकलते ही सैली ने कहा।
उसने सैली के प्रश्नों का उत्तर दिये बिना कमरे से बाहर चला गया। वह लिफ्ट की ओर भागा और लिफ्ट का बटन दबा दिया। उस वक्त लिफ्ट ग्राउंड फ्लोर पर थी और वह सातवीं मंजिल पर था। इसलिए उसने लिफ्ट का इंतज़ार करने के बजाय सीढ़ियों से नीचे जाने का फैसला किया। वह तेजी से सीढ़ियों से नीचे उतरने लगा। दो सीढ़ियां उतरते ही उसका पैर फिसल गया। वह सीढ़ियों से नीचे गिर गया। वह बाकी सीढ़ियों पर चक्कर लगाता रहा और धड़ाम से नीचे गिर गया और एक कमरे के सामने गिरकर बेहोश हो गया। उसके सिर से खून बह रहा था। उसे चक्कर आ रहा था। भास्कर वहीं पर बेहोश हो गया।
जब वह सीढ़ियों से नीचे गिरा तो जोर की आवाज आई। आवाज़ के कारण बगल के कमरे से एक खूबसूरत युवती बाहर आ गई। उन्होंने भास्कर को बेहोश अवस्था में देखा और तुरंत अपने पति को बुलाया।
"एंथनी..एंथनी..जल्दी आओ।"
वह कमरे से बाहर आ गया। वे दोनों उसके पास आये। "एंथनी, शायद यह सीढ़ियों से गिर गया है।"
"मैं इसे अंदर ले जाता हूँ।"
उसने उसे उठाया और अपने कमरे में लेकर गया। उसकी पत्नी एक डॉक्टर थी। उसने भास्कर के सिर पर, जहाँ घाव था, वहाँ पट्टी बाँधी। उसे एक इंजेक्शन दिया। कुछ घंटों बाद उसकी आँख खुली। तब वह किसी के कमरे में था। एंथोनी उसके पास बैठा था, वह लैपटॉप पर काम कर रहा था। जब भास्कर को होश आया तो एंथोनी उसके पास आकर बैठ गया और कहा, "अब तुम कैसे हो?"
"मैं ठीक हूं। लेकिन तुम कौन हो?"
"मैं एंथोनी हूं। आप सीढ़ियों से गिर गए थे। उस समय आपके सिर पर चोट लगी थी। मेरी पत्नी एक डॉक्टर है। उसने आपकी मरहम-पट्टी की और पेनकिलर का इंजेक्शन भी दिया है। आपकी चोट गहरी नहीं है, इसलिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।"
भास्कर बिस्तर से उठ गया और मोबाइल देखा। उस समय रात के 8 बजकर 47 मिनट हो चुके थे। "मैं उसे रोक नहीं पाया, वह अब मर गई होगी," उसने खुद से कहा।
"कौन मर गया?" एंथोनी ने पूछा।
"मुझे यहाँ से निकलना होगा।"
भास्कर उसका कमरा छोड़ कर चला गया। एंथोनी ने उसे रोकने की कोशिश भी की, "आपको आराम की ज़रूरत है। आप यहाँ से मत जाओ।"
भास्कर उसकी बातें सुने बिना, और उसे धन्यवाद किए बिना चला गया। वह उस फुटपाथ की ओर भागा जहाँ सैली के साथ दुर्घटना हुई थी। उसका शव वहीं पड़ा हुआ था। उसे देखकर उसकी आँखों में आंसू आ गए। वह उसके सामने घुटनों के बल बैठ गया और बोला, "सॉरी, तुम सच कह रही थीं… वो मैं ही था, जो तुम्हारे साथ शारीरिक संबंध बना रहा था… मैं तुझे बचा नहीं पाया… सैली, मैं कभी भी तुम्हारे लायक नहीं था... लेकिन एक दिन मैं तुम्हारे जैसा बन जाऊंगा... मैं तुम्हें वापस लेकर आऊंगा... तुझे आखरी सांस तक प्यार करूंगा... मैं फिर कभी तुम पर शक नहीं करूंगा... मुझे एक और मौका दे दो। मैं सब ठीक कर दूंगा... तुम भरोसा करो, मैं तुम्हें दूर नहीं जाने दूँगा..."
उसके आंसू सैली के ठंडे चेहरे पर गिर रहे थे। वह वहां देर तक बैठा रहा, मानो समय थम सा गया हो। भास्कर का मन भारी था, उसकी आत्मा दुख से टूट चुकी थी।