Chapter - 6
अगली सुबह...
एक प्यारी सी समंदर जैसी गहरी भूरी आंखे दायें आंख के के नीचे एक छोटा सा तिल गोरा रंग काले बाल जिनको आधा ऊपर उठाकर बांधा था ललाट पर bandan बंधा था अच्छी सी फिट body लाल रंग के कपड़े नीचे से ऊपर धीरे - धीरे नजरें जाने सुराही सी गर्दन गुलाबी होंठ l
जैसे ही चेहरा दिखता उससे पहले ही शिद्दत की आँखे खुल गई और वो घबराती हुई बैठ गयी वो पसीने से भीग चुकी थी और उसके आँखों से आंसू अपने आप ही गिरे जा रहे थे वो रोने लगती है तभी उसके कमरे में दीया आती है और उसे रोता देख उसके पास बैठ जाती है और कहती है - अनाया तू रो क्यों रही है क्या हुआ कोई बुरा सपना देखा ?
शिद्दत रोते हुए कहती है - वो... एक... वो कोई... कोई था l
दीया इधर उधर नजरें घुमाकर देखती है तो वहाँ कोई नहीं था - यहां पर तो कोई नहीं है क्या हुआ बताओ l
शिद्दत अपना सर न में हिला देती है दीया उससे कहती है - अच्छा तुम जल्दी से तैयार हो जाओ आज सभी लोगों कि अध्यात्म शक्ति शिक्षा का पहला अध्याय शुरू होने वाला है तो जल्दी से बाहर आ जाओ l
ये कहकर दीया वहाँ से चली जाती है शिद्दत नहाकर आती है और वहाँ के जैसे सफेद कपड़े पहनती है और अपने आँखों में काजल लगा लेती है उसके होंठ गुलाबी थे वह आईने के सामने खड़ी खुद को देख रही थी l
और सोच रही थी कि कौन है वो लड़का जो उसके सपने में आया था तभी आईने में उसी लड़के का चित्र दिखाई देने लगा उसके चेहरे से एक तेज सफेद रौशनी निकल रही थी जिससे उसका चेहरा साफ़ दिखाई नहीं दे रहा था वो लड़का उसकी ओर धीरे - धीरे अपना हाथ बढ़ा रहा था शिद्दत ने भी उसकी ओर अपना हाथ बढ़ा दिया l
बिना कुछ सोचे समझे जैसे ही उसने उसका हाथ पकड़ना चाहा उसे छुते ही वो गायब हो गया और शिद्दत अपने होश में आयी तो इधर उधर देखने लगी और खुद से कहा - कौन था वो और हमें क्या हो रहा है हम बार - बार कहाँ खो जा रहे हैं कौन है वो जो हमें अपनी तरफ खींच रहा है l
ये सोचते हुए वो बाहर आयी देखा सभी एक जुट खड़े होकर बाहर की तरफ देख रहे हैं वो भी उन सभी के बीच से निकलते हुए आगे आ गई कुछ लोग तो वापस जा रहे थे ये बातें कर - ये तो रोज ही यही करता है पता नहीं वो मिलेगा भी नहीं जो ये चाहता है l
शिद्दत ने देखा ताई ध्यान मुद्रा में बैठा है तेज की बारिश हो रही है लेकिन वो अपने ध्यान में इतना खोया हुआ है कि उसके किसी के आने - जाने से या किसी के कुछ कहने से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है l
शिद्दत ने उसे देखते हुए कहा - ये किस चीज का ध्यान कर रहे हैं l
सिमी जो उसके बग़ल में खड़ा था ने ताई को देखते हुए कहा - ये बचपन से ही न जाने किसका इंतजार कर रहा है और उसी का ध्यान करता है कि एक न एक दिन उसे वो मिल जाएगी मैं तो ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूँ कि जल्दी ही इसे इसकी प्रेमिका मिल जाये l
शिद्दत ने कहा - अगर आप अपने मन में कोई दृढ़ संकल्प करके बैठ जाओ की हमें ये जरूर मिलेगा तो वो जरूर मिलेगा और हमें विश्वास है कि इन्हें इनका प्यार जरूर मिलेगा एक दिन ऐसा आएगा जब इनका इंतजार खत्म होगा और वो इनके पास होंगी l
सिमी - हम्म... हम भी यही चाहते हैं l
ये कहकर सभी वहाँ से एक - एक कर चले जाते हैं शिद्दत ने अपने कदम उसकी ओर बढ़ा दिया वो उसके सामने आकर खड़ी हो गई और उसे देखने लगी ताई एक पत्थर पर आंखे बंद कर बैठा था न जाने उसमें ऐसी कौन सी तेज थी जो शिद्दत को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी l
वो खड़े होकर उसे देखने लगी वो सब - कुछ जैसे भूल गई हो वो इतना भी भूल गई कि वो बारिश के नीचे खड़ी है ताई के ऊपर से पानी की बूंदे उसके बाल पर आकर गिर रही थी और बालों से होकर उसके चेहरे पर चेहरे से होठों पर होठों से नीचे झरने की तरह नीचे जा रही थी l
उसका चेहरा पानी में चमक रहा था उसका गोरा रंग खिलकर उस बारिश में आ रहा था उसके आगे के बाल भी उसके चेहरे पर आ रहा था l
शिद्दत खड़ी उसे बस देखती जा रही थी ताई के दिल की धड़कने बढ़ने लगी उसे महसूस हुआ कि जिसका वो इंतजार कर रहा है वो उसके सामने खड़ी है l
वो आँखे बंद किए ही मुस्कराने लगा शिद्दत ने जो अपनी बाहों पर दुपट्टा ओढ़े थी उसे उतारकर ताई को उढ़ा देती है ताई अपनी आँखे खोलता है तो सामने देख कहता है - तुम
सामने देखकर वो हैरान था क्योंकि सामने लुई खड़ी थी l
लुई - हाँ मैं चलो अंदर इतनी तेज बारिश में कोई ध्यान करता है बीमार हो जाओगे l
लुई उसका हाथ पकड़ उसे अंदर ले जाने लगती है वो दौड़ते हुए कबीले के अंदर जाने लगते हैं ताई सोच रहा था कि - क्या वो लुई ही है l
वो यकीन नहीं कर पा रहा था तभी वो अपने कंधे पर वो सफेद दुपट्टा देखता है जो थोड़ी देर पहले शिद्दत ने उढ़ाया था उसने लुई से पूछा - क्या ये तुमनें मुझ पर उढ़ाया है l
लुई उस दुपट्टे को देखती है और कहती है - ये तो बहुत सादा है ऐसे दुपट्टे मैं नहीं ओढ़ती ये मैंने नहीं उढ़ाया है l
ताई को ये सुनकर शांति मिलती है फिर वो अपने आप से कहता है - तो फिर किसका है ये किसको मेरी फिक्र हुई आज से पहले तो कभी किसी ने मेरे बारे में इतना भी नहीं सोचा बस बारिश में भीगते हुए देखकर ज्ञान देते रहे l
वो सोचता रहा तब तक सभी अपने शिक्षा के लिए कमरे में जुट गए थे ताई को भी जाना था तो वो अपने कपड़े बदलकर आता है और उसी कमरे में चला जाता है l
सभी बैठे थे ताई वहाँ का गुरु था तो उसने उन्हें कुछ शक्तियों के बारे में बताया - अगर हमें अपनी शक्तियों का प्रयोग करना है तो उससे पहले हमें ये ज्ञात होना जरूरी है कि हमें उस पर विश्वास करना होगा कि हम ये कर सकते हैं हमें पूरे आत्मविश्वास से कोशिश करना होगा l
वो बता ही रहा था कि तभी उसकी नजर शिद्दत पर जाती है जो कि उसके बग़ल में उसके सारे दोस्त भी बैठे थे उसने कहा - आगे का हम कल करेंगे l
वो अपने दोस्तों के पास आया और उनसे कहा - क्या तुम लोगों को कुछ समझ में आया जो मैंने अभी समझाया l
हमें समझने की क्या जरूरत है हमें आता है वो सब और अगर कभी फिर हमला हुआ तो वो अप्सरा आएगी न हमें बचाने, सिमी ने कहा l
तभी शिद्दत ने कहा - अब वो नहीं आएगी l
सभी उसको देखने लगे सिमी ने कहा - क्यों नहीं आएगी l
क्योंकि तुम लोग भी कुछ करें आपको भी तो यहां की रक्षा करनी चाहिए, शिद्दत ने कहा l
ताई - तुमनें सीखा जो मैंने सिखाया l
शिद्दत ने कहा - जी गुरु जी मैंने सीख लिया और आप सिखाये या न सिखाएँ मुझमे तो सारी चीजें पहले से ही है और मैं सीखूँ या न सीखूँ मेरे अन्दर सारी चीजें अपने आप ही आ जाती है l
सिमी - लगता है तुम्हें भी किसी का इंतज़ार है मेरे दोस्त की तरह l
शिद्दत - नहीं पता पर जो भी है मुझे बहुत अच्छा लगता है l
वो सोचकर मुस्कराने लगती है वो सब उसे देख रहे थे l
रात के समय...
आधी रात को शिद्दत अपने कमरे में सोयी थी तभी उसके कानों में एक आवाज सुनाई देती है वो आवाज बाँसुरी की थी वो उस आवाज को सुन उठ जाती है l
Continue...