सांची और श्री पूजा कर कर मंदिर से बाहर आ रही थी तभी श्री मंदिर से बाहर आकर इधर - उधर देखने लगी और उसे इधर - उधर देखते हुए सांची ने उससे कंफ्यूज होकर पूछा, " क्या हुआ दीदु ? आप क्या देख रही हैं किसी को ढूंढ रही है?"
सांची की बात सुन कर श्री ईधर - उधर देखते हुए उससे बोली, "हां सांचु वो आंटी नहीं दिख रही जो रोज आती हैं।"
श्री की बात सुन कर सांची उस से नार्मल वे में बोली, "अरे दीदु हो सकता है आंटी आना भूल गई हो ।"
सांची की बात सुन कर श्री उससे बोली, "नहीं साचु आंटी रोज मंदिर आती है रोज हमसे मिलती है, उन्होंने क्या कहा था कि वो रोज स्पेशल इसलिए आती है ताकि वो हमसे मिल सके।"
सांची ने श्री की बात सुन कर उससे पूछा, " दीदु आप को आंटी कुछ ज्यादा अच्छी नहीं लग रही है, मेरा मतलब है इतने सालों से देख रही हूं आप रोज मंदिर आती है कभी - कभी तो मुझे लगता है की आप मंदिर का पूजा करने नहीं बल्कि उनसे मिलने आती हैं।"
सांची की बात सुन कर श्री उससे मुसकुराते हुए बोली, " यही समझ ले कि मैं उनसे मिलने आती हूं। पता नहीं क्यों उनसे मिलना अच्छा लगता है। ऐसा लगता है जैसेे वो मुझे कुछ बताना चाहती है जो मैं समझ नहीं पाती हूं। ऐसा लगता है जैसे उनसे मेरा रिश्ता तब से जब शायद मैँ पैदा भी नहीं हुई थी।"
श्री की बात सुन कर सांची उस के आगे अपने हाथ जोड़ कर उससे फनी वे में बोली, " अरे दिदु मैंने आपसे छोटा सा सवाल पूछा था आपने उसके ऊपर भी लिफ्ट दे दिया सच में एक प्रोफेसर से कुछ भी पूछना मतलब लेक्चर सुनना। मैं तो सोचती हूं जब आपकी शादी हो जाएगी तब आप अपने पति को कितना लेक्चर देंगी।"
सांची की बात सुन कर श्री उसका कान पकड़ कर उसे डांट लगाते हुए बोली, "ज्यादा बोलने लगी है तू छोटी है पर जबान देखो कितनी लंबी चलती है तेरी तू मेरा छोड़ मैं तो अपने पति को कैसे भी संभाल लूंगी। लेकिन मुझे ये समझ नहीं आता कि जब तेरी शादी होगी कौन सा वह गधा होगा जो तुझ से शादी करेगा।"
श्री की बात सुन कर सांची उस से अपना कान छुड़वाकर मुंह बनाते हुए बोली, "गधा हो या बुरा हो जैसा भी हो ऐसा लड़का पैदा नहीं हुआ जो साक्षी मिश्रा से शादी करने के लायक हो और ये शादी - वादी ना रहने दो बस मुझे किसी शादी नहीं करनी है और अगर कभी हो भी गई ना तो बहुत खुशनसीब होगा जो मुझसे शादी करेगा।"
सांची की बात सुन कर श्री हँसने लगी श्री को हंसता देख सांची अपना मुंह बनाते हुए बोली, " इसमें हँसने वाली क्या बात है? मैंने कोई जोक नहीं सुना है आपको।"
श्री ने सांची की बात सुन कर श्री हंसना बंद कर दिया और अपनी हंसी को कॉन्ट्रोल करते हुए उससे बोली, " खुशनसीब होगा या बदनसीब यह तो पता नहीं पर इतना जरूर पता है पर मुझे पता नहीं क्यों ऐसी फीलिंग आ रही है कि तेरी शादी जिस से भी होगी ना हो तेरी बोलती बंद कर देगा तुम लोगों से पंगा लेती रहती है न वो सब बंद करवा देगा उसके सामने ही तो तू बिल्कुल भीगी बिल्ली बन जाएगी।"
श्री की बात सुन कर सांची चिढ़ गई और वहां से जाते हुए उससे बोली, " अरे जाओ आप अपना देखो बड़ी आई हूं मुझसे बोलने वाली शादी होगी ना तो तभी पता चलेगा मुझसे शादी करने वाला भी मुझे भीगी बिल्ली बनाएगा या इस शेरनी से शादी करके बिगा बिल्ला बन कर घूमेगा।"
सांची को जाता देख श्री उसे हंसते हुए आवाज देकर बोली, " अरे रुक कहा जा रही है ? मैं तो मजाक कर रही थी तू तो सीरियस हो गए सांचु रुक ना।"ये कहते वो हुए उसके पीछे जाने लगी लेकिन जैसे ही उसने अपने कदम आगे बढ़ाए तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे रोक लिया।
श्री ने जब अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस किया तो उसने पीछे पलट कर देखा तो उसके पीछे एक औरत खड़ी थी और उस औरत को देख कर श्री खुश हो गई और उसे गले लगते हुए बोली, "आंटी आप आ गयी मुझे पता था आप जरूर आएंगे लेकिन आप आज लेट हो गई कैसे ? मुझे तो लगा आप आएंगी नहीं।"
श्री की बात सुन कर सामने खड़ी औरत जिस ने एक साधारण सी साड़ी पहन रखी थी और अपने हाथों में पूजा की थाली पकड़ी हुई थी वो औरत श्री की बात सुन कर प्यार से उसके गालों पर हाथ रखकर बोली, " अरे ऐसे कैसे नहीं आते हम पूजा करने भी आते हैं और साथ में आप से मिलने भी आते हैं लेकिन आप अकेले कैसे आपकी धमाल चौकड़ी बहन कहाँ है?
उस औरत की बात सुन कर श्री मुस्कुराती है और सांची की तरफ इशारा करते हुए उससे बोली, "वो देखिए वो मुझसे नाराज हो कर चली गई है।"
श्री की बात सुन कर उस औरत ने सांची की तरफ देखा और उससे सवालिया नजर से देखते हुए उस से पूछा,"नाराज होकर क्यों ? क्या हुआ दोनों के बीच?"
उनकी बात सुन कर श्री को हंसी आ गई और बात को टालते हुए उससे बोली, "कुछ नहीं आप फिकर मत करिए ये उसका रोज का काम है बड़ी हो गई है लेकिन अभी बचपना है उसके अंदर छोटी - छोटी बात पर नाराज हो जाती है और फिर खुद - ब - खुद मान भी जाती है आप वो सब छोड़िये आप ये बताइए की आप कैसी हैं?"
श्री की बात सुन कर वो औरत मुसकुराते हुए उससे बड़े प्यार से उससे बोली, "हम बिल्कुल ठीक हैं आप बताइए आप कैसी हैं ? और आपकी बहन कैसी है?"
श्री उनकी बात सुन कर मुस्कुराती है और बोली, "मैं भी ठीक हूं और सांचु भी ठीक है ।"
वो दोनों बात कर ही रही थी कि तभी सांची वापस आती है सांची जब वापस आई और उस औरत को देख कर खुश हो गई सांची जल्दी से उनके पास जाकर उन के गले लग कर उनसे बोली, "आंटी आप आ गई देखा दिदु मैंने कहा था कि आंटी जरुर आएंगी लेकिन आप है कि मानती ही नहीं।"
सांची की बात सुन कर श्री अपनी कमर पर हाथ रखकर उसे अपनी आंखों को बड़ा करके देखते हुए बोली, "अच्छा जी मतलब मेरे सामने कुछ और और इनके सामने कुछ और ये तूने कहा था या मैंने कहा था।"
श्री की बात सुन कर सांची अपना सर खुजा कर उससे बोली, "हां एक ही बात है।"
फिर सांची उस औरत की तरफ अपना हाथ बढ़ा कर उससे बोली, "अब जल्दी से मेरी चॉकलेट मुझे दे दीजिए आप भूली तो नहीं लाना ।"
सांची की बात सुन कर वह औरत मुस्कुराती है और अपने पास से चॉकलेट सांची के हाथ में रख कर उससे बोली, "ये लीजिए आपकी चॉकलेट ऐसा हो सकता है क्या कि हम आपकी चॉकलेट न लाये हमें याद था हम रोज चॉकलेट लेते हैं ताकि आपको दे सके।"
सांची उस औरत से चॉकलेट ले कर जल्दी से उसे खोल कर खाने लगी सांची बिल्कुल बच्चों की तरह चॉकलेट खा रही थी जिससे चॉकलेट्र उसके होठो और मुंह पर फैल गई थी वो औरत सांची को ऐसे बच्चों की तरह चॉकलेट खाते हुए देख मुस्कुराने लगी और अपने साड़ी के पल्लू से उसका मुंह साफ करते हुए उसकी तरफ देख बोली, "आपकी बहन बिल्कुल सच बोली, आपके बारे में की आप सच में बच्ची हो लेकिन सच में बहुत प्यारी बच्ची हैं आप।"
फिर वह औरत और सांची और श्री कुछ देर बातें करने लगे और फिर सांची और श्री अपने कॉलेज के लिए निकल गए सांची और श्री को जाता देख वो औरत मुस्कुराते हुए खुद से बोली, "सालों से आप दोनों से मिलने आते है लेकिन कभी भी आपको अपनी असलियत नहीं बताई हमने कभी - कभी तो लगता है जैसे आप को सब कुछ सच बता दे लेकिन डरते हैं कि जिस दिन आप को सच पता चलेगा आप उस दिन पता नहीं कैसे रियेक्ट करेंगी और कही आप हमें गलत न समझ ले और हम सच बताएं तो आप दोनों की इतनी आदत पड़ गई है कि अब हम आपसे एक भी दिन मिले बिना नहीं रह सकते है।"
वो औरत खुद से बात कर ही रही थी कि तभी एक आदमी जिसने काले रंग के कपड़े पहने हुए थे वह आदमी उस औरत के पास आता है और उससे अपना सर झुका कर बोला, " बड़ी मालकिन चले हुकुम सा का फोन आया था वो कुछ देर में घर पहुंच रहे हैं।"
औरत ने उस आदमी की बात सुनकर हाँ में अपना सर हिलाया और उसके साथ जाने लगी।
प्रताप मेंशन में-
एक बड़ी सी कार एक बड़े से महल के सामने आकर रूकती है कार के रुकते ही एक औरत पूरे रोब में उस मेंशन के अंदर एंट्री करने लगी और जैसे ही वो औरत घर के अंदर जा रही थी वैसे - वैसे उस घर के चौकीदार और नौकर अपना सर झुकाते जा रहे थे वो औरत सीधे अपने बड़े से कमरे में चली गई और अपने कमरे की कबड के पास गई और उसे खोलकर उसमे से उसने एक एल्बम निकाल कर उसे लेकर बिस्तर पर बैठ गई। वो औरत एल्बम को खोल कर देखने लगी। वो औरत जैसे - जैसे उस एल्बम को देख रही थे वैसे - वैसे उसकी आँखें नम होती जा रही थी वो औरत एल्बम के पन्नों को पलट ती जा रही थी तभी उस औरत की नजर एक लड़की की फोटो पर रुक गई और फिर उसने उस लड़की की फोटो को उस एल्बम से बाहर निकाला और उस पर अपना हाथ फेर कर उसे प्यार से देखने लगी । वो उस फोटो को देख ही रही थी कि तभी उस कमरे में एक 19 - 20 साल की लड़की आई और उस लड़की ने काफी महंगा सूट पहन रखा था और वो लड़की दिखने में भी काफी सुंदर थी। जब उस लड़की ने उस औरत की आंखों में आंसू देखे तो उसकी फिक्र करते हुए बोली, "मासा क्या हुआ ? आप रो क्यों रही है?"
उसके बाद वो लड़की उस औरत के पास बैठ कर उसके कंधे पर हाथ रख कर उससे कुछ कहने वाली थी कि तभी उसकी नजर उस औरत के हाथ में पकड़ी हुई फोटो पर गई वो लड़की उस फोटो को देखते हुए उस औरत से बोली, "मासा बताइए ना क्या हुआ ? और यह लड़की कौन है?"
उस औरत उस लड़की की बात सुन कर अपने आंसू पौन्छे और उस फोटो को देखते हुए उससे बोली, "ये हमारे बचपन की दोस्त की बेटी और आपकी होने वाली भाभी सा है।"
उस औरत की बात सुन कर वह लड़की शौक हो गई और उससे बोली, " भाभी सा मासा आप ये क्या कह रही है? मैं कुछ समझी नही।"
वह औरत उस लड़की की बात सुन कर उसकी तरफ देखने लगी और मुस्कुराते हुए उससे बोली, "हां संध्या ये आपकी होने वाली भाभी सा है और हमारी दोस्त की बेटी है। वह दोस्त जिसे हमने कभी अपनी बहन से कम नहीं माना था। आपको पता है जब हम छोटे थे तो हम लोग हमेशा कहते थे कि हमारे बच्चे होंगे ना तो हम उसकी शादी आपस मे जरूर कराएंगे और ये बात अब कभी नहीं भूले इसीलिए जब अभय पैदा हुए थे और उसके घर बिटिया पैदा हुई तो हम दोनों ने तय किया था तब हमने उन दोनों की शादी तय कर दी लेकिन लगता है कि हमारी वो सबसे बड़ी गलती थी क्योंकि हमें नहीं पता था कि बचपन में जो अभय इतना प्यारा और इतना प्यार करने वाला था वह बड़े होकर इतना खतरनाक बन जाएगा उसकी जिंदगी में उसके पास्ट में जो कुछ भी हुआ उसकी वजह से उसके दिल में लड़कियों के लिए इतनी नफरत है उसकी उसी नफरत को देख कर हमें डर लगता है कि हम इस मासूम की शादी कैसे उससे कर इसकी जिंदगी में दर्द और तकलीफ लिख दे। इसी डर से हम 1 साल से अपनी दोस्त से मिलने नहीं गए हैं पिछले साल उन्होंने हमसे हमारे बच्चो की शादी की बात की थी हमने उस वक्त बात टाल दी लेकिन हमें पता है कि उसके दिल में आज भी उम्मीद है कि 1 दिन हम उसकी बेटी को अपने घर की बहू बनाएंगे लेकिन अभय के दिल में लड़कियों के लिए नफरत और गुस्सा देख कर हमारी हिम्मत नहीं होती की इस मासूम की शादी हम अभी से कराए इसलिए हमने सोचा था कि हम अपनी दोस्त और उसकी बच्चियों से दूर रहेंगे लेकिन वह बच्चे हमारे दिल में इस कदर बस गई है कि हम उससे मिले बिना रह भी नहीं पाते हैं।" वो औरत अपनी आंखों में आंसू लिए ये सब बोल ही रही थी कि तभी संध्या उसे रोकते हुए बीच में बोल पड़ी, "तभी आप छुप छुप कर एक साधारण औरत बनकर उनसे मिलने जाती हैं ना ।"
संध्या की बात सुन कर वो औरत शोकड हो गई और उसकी तरह सवालिया नजरों से देखने लगी और अपनी मां की सवालियानजरों को समझते हुए संध्या मुस्कुराने लगी और उसके कंधे पर हाथ रख कर उनसे बोली, "हाँ मासा आपको क्या लगता है कि मुझे नहीं पता आप रोज इस तरह कहाँ जाती है एक दिन पीछा किया था मैंने आपका लेकिन ये बात समझ में नहीं आई थी की आप उन दोनों लड़कियों से क्यों मिल रही है लेकिन आज आपने जो कहा उससे पता चल गया कि आप उन लड़कियों से चुप चुप कर क्यों मिलती है लेकिन मासा मुझे लगता है कि आपको अभय भाई सा से शादी की बात करनी चाहिए।"
संध्या की बात सुन कर उसकी मां चौक गई और बोली, " ये तुम क्या कह रही हो संध्या? अपने भाई सा को अच्छी तरह जानने के बाद भी तुम कह रही हो कि मैं इस मासूम की शादी तुम्हारे भाई सा करवा दूं।"
अपनी मां की बात सुन कर संध्या उनके कंधे पर हाथ रख कर उन्हे समझाते हुए बोली, "हाँ मासा मैँ अपने भाई सा को अच्छे से जानने के बाद भी ये कह रही हूं कि आप इनकी शादी भाई सा से करा दीजिए भाई सा के साथ पास्ट में जो कुछ भी हुआ है उसकी वजह से उनके दिल में लड़कियों के लिए नफरत पैदा हो गई है मैं मानती हूं लेकिन हो सकता है शायद इनसे शादी करने के बाद उनके दिल में जो लड़कियों के लिए नफरत और गुस्सा है वह शायद काम हो जाए इसलिए कम से कम एक बार तो आप उनसे शादी की बात कर ले मुझे पूरा यकीन है कि वह आपकी बात कभी नहीं टालेंगे।"
संध्या अपनी मां से बात कर ही रही थी कि तभी उसकी नजर घड़ी पर गई और वह थोड़ी शौक हो कर खड़ी हो गई। संध्या की मां ने उसे ऐसे अचानक खड़े होने से उसे सवारी नजर से देखते हुए उससे पूछा, "क्या हुआ संध्या?"
संध्या अपनी मां का सवाल सुन कर थोड़ी हड़बड़ा गई और उन से बोली, "कुछ नहीं मासा मुझे अपनी एक दोस्त से मिलने जाना था तो क्या मैं जा सकती हूं?"
संध्या की बात सुन कर उसकी मां ने उस फोटो को एल बम में रखा और उसे अपनी कबड़ की तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए उससे बोली, "हां जाओ लेकिन समय से वापस आ जाना तुम जानती हो ना कि तुम्हारे दोनों ही भाई कितने गुस्से वाले हैं और वह तुमसे कितना प्यार करते हैं तो लेट मत होना और अपने भाइयों का गुस्सा मत बढ़ाना।"
संध्या अपनी मां की बात सुन कर मुस्कुराती हुए बोली, "हां मां हम लेट नहीं होंगे हम टाइम से आ जाएंगे फिलहाल में चलती हूँ वरना मैं लेट हो गई तो मेरी दोस्त मुझे डांटे गी।"
ये कह कर संध्या उस कमरे में जाने लगती है संध्या कमरे से जा ही रही थी कि तभी वो दरवाज़े पर जाकर रुक गई और कुछ सोच कर अपनी माँ से बोली, "और हाँ मासा भाई सा से शादी की बात जरूर कर लीजिएगा क्योंकि अब सच जानने के बाद मैं अपनी भाभी सा का और इंतज़ार नही कर सकती हूं मुझे मेरी भाभी सा जल्द से जल्द इस घर मे चाहिए इसलिए आप उनसे जल्दी बात करे और उन्हें शादी के लिए मनाइए।"
संध्या ये कह कर वहाँ से चली गई संध्या की माँ संध्या की बात सुन कर मुस्कुराने लगी और वह उस एल्बम पर एक बार अपना हाथ फेरकर उसे दोबारा से अपने कबड़ में रख कर वॉशरूम में अपने कपड़े चेंज करने चली गई। तो ये है अभय और आरव की मासा पूनम प्रताप सिंह।
Dear रीडर्स । तो आप को क्या लगता है ? , , , पूनम जी किस लड़की के बारे में बात कर रही थी ? और क्या हुआ था अभय के साथ जिसकी वजह से वो लड़कियों से करने लगा था नफरत? क्या मना पाएगी पूनम जी अपने बेटे को इस शादी के लिए?" जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी का अगला chapter..."
अपना जवाब मुझे कमेंट करके जरूर बताएं और थैंक यू सो मच की आपने मेरे पहले चैप्टर कोई इतने सारे कमेंट दिए हैं आप ऐसे ही अपने कमेंट और लाइक मुझे देते रहे और स्टोरी की न्यूज़ बढ़ाते रहें और मैं भी पूरी कोशिश करूंगी की आप को निराश ना करूं और टाइम से अपनी तीनों कहानियों के चैटपर अपलोड करती रहूं और जो लोग अभय और आरव की एंट्री के लिए बेकरार है और इंतजार में हैं उनका इंतजार कल खत्म हो जाएगा क्योंकि कल के चैप्टर में आप को अभय और आरव के गुस्से और के नेचर के बारे में पता चलेगा तो आप लोह प्लीज कमेंट करें और लाइक करे और सॉरी guys की मैं रोज चैप्टर नही अपलोड करती हूं वो बात ये है कि मेरे कॉलेज में फ्रेशर्स आये है जिनके लिए हम फ्रेशजस पार्टी की प्रिपरेशन कर रहे है जिसमे मैं डांस कर रही हु तो मुझे उसकी रेशल करनी पड़ती है जिसकी वजय से मुखे कॉलेज के बाद 2 घण्टे एक्स्ट्रा रुकना पड़ता है और प्रैक्टिस की वजय से मैं बहोत थक जाती हु और घर आते ही मुझे थकान की वजय से मुझे नीद आ जाती है और आज का चैप्टर आप को कै
सा लगा ? मुझे यह कमेंट करके जरूर बताए । ।
तब तक के लिए Take Care । ।