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My Unwanted psycho Husband

Fantasy
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Synopsis

Chapter 1Chapter 1

राजस्थान प्रतापगढ़-

एक छोटे से घर के छोटे मगर बेहद ही खूबसूरत कमरे में एक लड़की बिस्तर पर बड़ी ही बुरी तरह सो रही थी वो पूरे बेड पर फ़ीली हुई थी उसके हाथ पैर पूरे बिस्तर पर फैले हुए थे वो लड़की बड़े ही सुकून से सो रही थी तभी कमरे के बाथरूम का दरवाज़ा खुला और एक लड़की येल्लो कलर का पटियाला सूट पहने कमरे में आई उस लड़की को देख कर ये साफ पता चल रहा था कि वो लडक़ी नहा कर आई है उस लड़की के बालों से पानी टपक रहा था वो लड़की ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी होकर टॉवेल से अपने बालों को सुखाते हुए उस बिस्तर पर सो रही लड़की से बोली, " सांचु बच्चा उठ न देख सात बज गए है उठ जा और कॉलेज के लिए रेडी हो जा वरना तुझे कॉलेज के लिए late हो जाएगा।"

उसकी बात सुन कर बिस्तर पर सो रहा लड़की अंगड़ाइयाँ लेते हुए अपनी आलस भरी आवाज़ में उससे बोली, "दिदु बस थोड़ी देर और सोने दीजिये ना और वेसे भी कॉलेज में late हो भी गई तो क्या होगा? मेरी क्लास का फर्स्ट लेक्चर तो आप ही लेती हो तो आप थोड़ी न अपनी सांचु को क्लास से बाहर निकालोगी।"

सांची की बात सुन कर श्री ने उसे अपनी छोटी आखों से देखते हुए उसके ऊपर से ब्लैंकेट जटके से खीच लिया जिसकी वजह से सांची धड़ाम से जमीन पर गिर गई। और जमीन पर गिरते ही सांची की नींद खुल गई। और फिर वो अपनी कमर पर अपना हाथ रख कर दर्द से कर्राहते हुए बोली, "आह दिदु लग गयी मुझे आप रोज यही करती है देख लेना पाप पड़ेगा एक सोते हुए इंसान को जगाने के लिए।"

श्री ने जब सांची को कर्राहते हुए देखातो उसके पास बैठ कर उसकी कमर पर अपना हाथ रख कर उसकी टेंशन लेते हुए उससे बोली, " सांचु लग गई क्या? सॉरी बच्चा मुझे नही पता था कि तुझे इतनी जोर से लग जायेगी।"

सांची उसकी बात सुन कर जोर-जोर से हँसते लगी सांची को हँसता हुआ देख श्री ग़ुस्से से खड़ी हो गई और उससे बोली, " तू नाटक कर रही थी तू कभी नही सुधर सकती है ना। इतनी बड़ी हो गयी है पर तेरा बचपना अभी तक नहीं गया एक दिन तेरा यही बचपना तुझे किसी बड़ी मुसीबत में फंसा देगा इसलिए कहती हूं अभी भी वक्त है सुधर जा।"

 श्री की बात सुन कर सांची अपना मुंह बनाते हुए बोली, "ओहो दीदु इतनी सी छोटी बात के लिए आपने मुझे कितना लंबा लेक्चर दे दिया आप मेरे कॉलेज में प्रोफेसर है आप कॉलेज में तो लेक्चर देती ही थी अब वही काम आप ने घर में भी शुरू कर दिया। डोंट वरी इस दुनिया में ऐसा कोई पैदा नहीं हुआ जो सांची मिश्रा से पंगा ले सके और अगर बाई चांस कोई ऐसा इंसान मिल गया तो आप तो है ही मुझे बचाने के लिए।"

 सांची की बात सुन कर श्री उसके सर पर टपली मारते हुए बोली, "बस बस छोटी है लेकिन कितना बोलती है चल अब जल्दी से तैयार हो जा कॉलेज के लिए लेट हो रहा है और हमे मंदिर भी जाना है।"

श्री की बात सुन कर सांची एक्साइटेड होते हुए उससे बोली, "अरे हां मैं तो भूल ही गई थी कि हमें मंदिर जाना है वैसे भी मुझे सुबह का सबसे अच्छा काम यही लगता है क्योंकि मुझे प्रसाद मिलता है और साथ में वह अच्छी वाली आंटी भी मिलती है आप बाहर मेरा वेट कीजिये मैं 2 मिनट में फटाफट रेडी हो कर आती हूँ।" ये कह कर सांची बाथरूम की तरफ भाग गई। 

उसे ऐसे भागता देख श्री मुस्कुराने लगी और अपना सर हिला कर कमरे से बाहर चली गई। और श्री जब कमरे से बाहर आई तो उसने देखा कि सामने हॉल में उसकी मां (नीलम मिश्रा) बैठ कर सब्जी काट रही थी। श्री अपनी मां के पास गई और उनके पास खड़ी होकर उनसे बोली, "मां मैं आज सांचु मंदिर जा रहे हैं उसके बाद हम लोग सीधे कॉलेज चले जाएंगे।"

श्री की बात सुन कर उसकी मां उसकी तरफ देखने लगी और मुस्कुरा कर उससे बोली ,"ठीक है बेटा ध्यान से जाना और सांची का ख्याल रखना तू तो जानती है ना कि वह बचपन में कुछ भी उल्टा सीधा कर देती है।"

अपनी मां की बात सुन कर श्री अपना सर हाँ में हिलाते हुए बोली, "आप फिक्र मत कीजिएगा मैं सांचु का ध्यान रखूंगी और इस बात का ध्यान रखूंगी कि वह अपने बचपने में किसी के साथ कुछ ना करें।"

श्री अपनी मां से बात कर ही रही थी कि तभी सांची अपने कान का इयररिंग पहनते हुए उसके पास आती है और उसे जल्दी से बोली, " दीदु चलो जल्दी चलो हम लेट हो जाएंगे चलो चलो।" ये कह कर सांची जल्दी से घर से बाहर निकल गई। उसे ऐसे हड़बड़ाहट में घर से बाहर जाता देख कर श्री और उसकी मां एक दूसरे को देखते हुए मुस्कराने लगे। 

 श्री सांची को देख कर अपनी मां से मुस्कुरा कर बोली, "ये देखिए खुद देर तक सोती है और लेट होने पर ऐसे बात करती है जैसे हमने इसे लेट किया है।"

 श्री की मां उसकी बात सुन कर मुस्कुराते हुए बोली, " मैं क्या देखूं तेरी लाडली है तू देख तूने ही इसे बिगाड़ रखा है।"

 श्री अपनी मां की बात सुन कर श्री मुंह बना कर बोली, " क्या मां आप भी ना अच्छा ठीक है मैं चलती हूं।" ये कह कर वो भी घर से बाहर निकल गई। 

 श्री और सांची के निकलते ही नीलम जी के चेहरे की मुस्कुराहट थोड़ी फीकी पड़ गई और वह कुछ सोचने लगी । वो कुछ सोच ही रही थी कि तभी श्री और सांची का बड़ा भाई अंश अपनी मां के पास आ गई। और उसके पास बैठ कर उनसे बोला, " क्या हुआ माँ अभी तो आप ठीक थी अब किस सोच में डूब गई?"

अंश की बात सुन कर नीलम जी उसकी तरफ देखते हुए बोली, "श्री के बारे में सोच रही हूं बेटा पता नहीं क्या लिखा है इसकी किस्मत में मुझे फिक्र होती है उसकी वह किसी की अमानत है मेरे पास। डर लगता है कि कहीं उसकी जिंदगी कोई और हुआ तो मैं क्या जवाब दूँगी अपनी दोस्त को कि मैं उसकी अमानत का उसके वेड का ध्यान नही रख पाई।"

 नीलम जी की बात सुन कर अंश थोड़ा गुस्से मे उससे बोला, "माँ आप को अभी भी लगता है कि वो आएगी।"

 मां आपकी दोस्त एक बड़े घर की बहू है वह हम जैसे छोटे घराने की बेटी को कभी भी अपने घर की बहू नहीं बनाएंगी पिछले 1 साल से उन्होंने अपनी शक्ल तक नहीं दिखाइए है। पिछले साल जब आपने श्री और उनके बेटे की शादी की बात की थी तब देखा ना आपने कैसे उन्होंने बात को टाल दिया था तब से लेकर अब तक उन्होंने एक बार भी फ़ोन तक नही किया है मैं तो कहता हूं आप श्री के लिए रिश्ता ढूंढना शुरू कर दीजिए मुझे नहीं लगता कि वह रिश्ता अब हो पायेगा।"

 अंश की बात सुन कर नीलम जी उसके हाथ पर हाथ रखकर उसे शांत कराते हुए उससे बोली, " ऐसी बात नहीं है बेटा मेरी दोस्त तब से मेरी दोस्त है जब वह एक बड़े घर की बेटी थी तब उसने मेरे साथ दोस्ती निभाई तो मैं यह कभी नहीं मान सकती हूँ वो अब एक बड़े घर की बहू बनकर बदल गई है।हां मैं मानती हूं कि पिछले साल जब मैंने श्री की शादी की बात की थी तो उसने वह बात टाल दी थी लेकिन मुझे पक्का यकीन है कि उसके पीछे जरूर कोई ना कोई बड़ी वजह होगी और मुझे इस बात का भी यकीन है कि वह मुझसे किया वादा कभी नहीं तोड़ेगी वह एक दिन जरूर आएगी ।"

नीलम जी की बात सुन कर अंश चिढ़ते हुए वहां से चला गया। अपने बेटे को ऐसे गुस्से में जाता देख नीलम जी अपना सर हिलाते हुए खुद से बोली, "तू चाहे कुछ भी कहे अंश मैं नहीं मानती कि मेरी दोस्त एक बड़े घर की बहू बनकर बदल गई है जरूर कोई ना कोई बड़ी बात है जो वह अब तक नहीं आई। लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि वो एक दिन जरूर आएगी और मुझसे किया अपना वादा जरूर पूरा करेगी।"ये कह कर वो फिर से सब्जी काटने लगी। 

"क्या सच मे निभाएगी नीलम जी दोस्त उनसे किये वादे को? जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी का अगला चैप्टर....."

Dear रीडर्स । तो मैंने अपना किया वादा पूरा किया और आप लोगों के लिए लेकर आ गई आपकी स्पेशल डिमांड पर यह कहानी उम्मीद करती हूं कि आपको यह कहानी भी बहुत पसंद आएगी लेकिन guys प्लीज जैसे आप उस शुरू - शुरू में इंटरेस्ट दिखाते हो पर धीरे - धीरे इंटरेस्ट कम होता जाता है उससे मुझे बहुत लॉस होता है और सच बताऊं तो मुझे स्ट्रेस भी बहुत होता है आप लोग जानते है की मेरे अपने बड़ी मुश्किल से वक्त निकाल कर इस कहानी के लिए टाइम निकाला है इसे लिखने के लिए सो प्लीज प्लीज गाइड आप के कहने पर ही मैं ये कहानी लिख रही हूं अगर आगे चल कर आप ही ईसे नहीं पड़ेंगे तो मेरी मेहनत और मेरा टाइम दोनों ही वेस्ट हो जाएगा प्लीज इसे इसे जरूर पढ़ें और उसे ढेर सारे कमेंट और लाइक देकर अपना प्यार दे और एक और बात अगर इस कहानी के व्यूज लाइक या कमेंट कम हुए तो मैं इस कहानी को तभी बंद कर दूंगी तो इस कहानी को अपना ढेर सारा प्यार जरूर दें और बताएं क्या आप को आज का चैप्टर कैसा लगा ये मुझे कमेंट कर कर जरू बताये । ।

 तब तक के लिए Take Care । ।

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