webnovel

Aarav Singhaniya

जहां एक तरफ स्मिता की डेस्टिनी क्या है उसे पता तक नहीं था वहीं दूसरी तरफ मुंबई के एक आइसलैंड पर एक आदमी एक औरत पर चिल्ला रहा था उस आदमी का नाम था प्रणव शेखावत और जिस औरत पर वह चिल्ला रहा था उसका नाम था रचिता सिंघानिया ।

लगभग बीस साल पहले रचिता सिंघानिया को अपने पति मिस्टर प्रणव शेखावत के अफेयर के बारे में पता चला तो वह लगभग टूट चुकी थी और वह इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकी इसी बीस साल पहले अपने पति को तलाक दे दिया और आरव को अपने साथ में ले आई थी प्रणव शेखावत ने दूसरी शादी कर ली थी ।

प्रणव शेखावत - " रचिता ! वह मेरा भी खून है वह शेखावत है सिंघानिया नहीं आरव मेरा बेटा है।"

रचिता सिंघानिया - " तुमने आज तक कभी नहीं कहा अचानक ऐसा क्या हो गया जो अपने बेटे पर हक जताने चले आए हो मिस्टर प्रणव शेखावत? "

" मैं बस अपने बेटे से मिलने आया हूं ?" प्रणव शेखावत ने कहा।

" वही तो मैं जानना चाह रही हूं कि क्यों? " रचिता सिंघानिया हैरान थी।

प्रणव शेखावत गुस्से में कहता है " मैंने कहा ना हो मेरा भी बेटा है ? है तो वो मेरा ही खून ! "

तभी दरवाजा धमाके के साथ खुलता है और एक जाने पहचानी मगर सख्त आवाज आती है " मैं आपका बेटा नहीं मिस्टर प्रणव शेखावत मेरी मां सिंघानिया है और मैं उनका बेटा हूं; सिर्फ और सिर्फ उनका बेटा हूं ।" यह आवाज आरव की थी ।

मिस्टर प्रणव शेखावत ने बोलने की कोशिश के " लेकिन आरव !"

" मेरी मॉम को परेशान करना बंद कीजिए प्लीज और हां अगर बात करनी ही है तो चलिए हम अकेले चलाकर बात करते हैं मिस्टर शेखावत मॉम को क्यों परेशान करना है ! " आरव ने कहा।

मिस्टर शेखावत अब को बोलना चाहते थे कि वह उसे डैड कहे लेकिन उनकी इतनी हिम्मत नहीं थी कि वे आरव से कुछ भी बोल पाते इसलिए चुपचाप आरव के पीछे चले गए।

स्टडी रूम के अंदर ….

आरव जो मिस्टर शेखावत स्टडी रूम में ले आया था कहा " तो क्या मिस्टर शेखावत आप क्या बोल रहे थे? बोलिए!"

मिस्टर प्रणव शेखावत ने थोड़ा सोचा और फिर बोलना शुरू किया " चाहता हूं जो राजस्थान के जयपुर में फाइव स्टार होटल सबसे बड़ा होटल का प्रोजेक्ट है वह तुम अपने छोटे भाई आकाश को दिलवाने में मदद कर दो!"

अपने डैड की बात सुनकर आरव एक बार के लिए हैरान रह गया लेकिन वह जानता था कि मिस्टर शेखावत उसके फायदे के लिए नहीं बल्कि अपने बेटे के फायदे के लिए आए होंगे आरव अपना बेटा कहना तो बस एक उनका एक नाटक था ताकि आरव उनकी बात आसानी से मान जाए।

आरव कुछ देर के लिए चुप रहा और फिर बोला " मैं जानता था पहले से आप मुझे अपना खून अपना बेटा तो ऐसे ही बोल रहे थे आप आए अपने बेटे के लिए ही हैं लेकिन आपको क्यों लगता है मिस्टर शेखावत कि मैं आपकी बात मान जाऊंगा जहां तक बात रही मेरे छोटे भाई की तो मेरा छोटा भाई आकाश शेखावत नहीं है! और साफ कह देता हूं मेरा शेखावत फैमिली से कोई लेना देना नहीं है!"

मिस्टर प्रणव शेखावत ने आरव को मानने की कोशिश करते हुए कहा " लेकिन आरव !"

इससे पहले की मिस्टर शेखावत अपनी बात को पूरी कर पाते आरव ने उन्हें बीच में ही रोक दिया और कहा मैंने कहा " मैंने कहा ना मिस्टर प्रणव शेखावत मुझे रोकने का कोई फायदा नहीं है मैं आपकी बात नहीं सुनने वाला और जहां तक कॉन्ट्रैक्ट की बात है तो वह होटल का कॉन्ट्रैक्ट उसी को मिलेगा जिसका प्रोजेक्ट सबसे अच्छा होगा और मैं किसी के लिए भी यह प्रोजेक्ट नहीं छोड़ने वाला ! मेरी मॉम ने बहुत मेहनत करके मुझे यहां तक पहुंचाया है समझे आप ! "

मिस्टर शेखावत : - " लेकिन आरव मेरी बात तो सुनो ! "

आरव : - " आप खुद जाएंगे या छोड़ने आऊं मिस्टर शेखावत ! "

इसके बाद मिस्टर सिंघानिया गुस्से से आगबबूला हो गए और बोले " तुम चाहे कुछ भी कर लो इस बार यह डिलीट तो आकाश को ही मिलेगी अब अगर तुमने खुद को शेखावत परिवार का हिस्सा मानने से इनकार कर दिया है तो आज से मैं भी तुम्हें अपना बेटा नहीं मानूंगा!"

" मैं आपकी खोखली धमकियों से डरने वाला नहीं हूं। मेरा नाम आरव सिंघानिया है और जहां तक बात इस डील की है तो यह दिल मुझे ही मिलेगी चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े! अब आप इज्जत के साथ जायेंगे या छोड़ना पड़ेगा आपको बाहर तक। " आरव चेहरे पर स्माइल के साथ के साथ कहा।

इसके बाद मिस्टर शेखावत गुस्सा होकर स्टडी रूम से बाहर चले जाते हैं और दूसरी तरफ आरव स्टडी रूम में ही अपनी चेयर पर बैठ जाता है। बाहर से मजबूत और गुस्सैल दिखने वाला नहीं जानता कि क्यों लेकिन फिर भी दर्द में था वह बस 5 साल का था जब वह अपने से अलग हो गया तब तक आरव को दुनियादारी की बिल्कुल भी समझ नहीं थी और वह यह भी नहीं जानता था कि क्यों उसकी मॉम उसके डैड अलग हुई लेकिन अब वह बड़ा हो चुका था और उसकी मॉम ने उसे एक जिम्मेदार सफल बिजनेसमैन बनाया था लेकिन और उसकी डेट का बिजनेस एक ही टाइप का था रियल इसस्टेट का और जिस दिल की बात अभी मिस शेखावत करके गई थी जयपुर में होने वाली इंडिया की सबसे बड़ी होटल डील थी।

जब आरव अपनी सोच में गुम था तभी अक्षत की आवाज आई " भाई आप ठीक है ना! "

आरव ने खुद को संभालते हुए कहा " हां मैं ठीक हूं बस कुछ फाइल्स को स्टडी करना है और बिजनेस से रिलेटेड कुछ काम देखना है मैं बाद में बाहर आता हूं ।"

अक्षत अच्छे से जानता था आरव भले ही बाहरी दुनिया के सामने सख्त बनता हो लेकिन उतना ही अंदर से टूटा हुआ इंसान था लेकिन अक्षत और कुछ नही कहता है क्योंकि वह जानता था कि आरव को अपनी कमजोरी को दिखाना पसंद नहीं करता इसीलिए अक्षत बिना कुछ कहे चला जाता है।

अब क्या होगा क्या मोड़ लेगी अब आरव की जिंदगी जहां वह अपने ही डैड की साजिशों का शिकार होगा और वहीं दूसरी तरफ क्या स्मिता कभी जान पाएगी कि उसकी अंकल उसके साथ क्यों रहते हैं ?