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The unknown universe A5

जब माया (तृष्णा) चली गईं तब अतुल (महा) और करण (अखंड) वहा पहुंचते है जहा उन्हें बुलाया गया था । उनके वहा जाते ही सारे लोग पहले खरे होते है और उसके बाद घुटने टेक कर और सिर झुका एक साथ बोले स्वागत है महा असत्य,अधर्म और पाताल र्रक्षासो की महारानी । क्या बात हैं? महा ये सब आज़ इतनी बड़ी संख्या में आएं हैं इनसे कोई वीजा पासपोर्ट कुछ नहीं मांगता ये दानव या इन राक्षशो को पालना शुरू कर दिया हैं या फिर इस धरती का अन्त बहोत जल्द होने वाला है । अखंड ने महा से पूछा । तभी दानव राज सामने आया और बोला ससुर जी नही ऐसा कुछ नही है आप जैसा सोच रहे हैं ना तो मैं इनका यहा रहना भुला हूं और नाही मैं इन्हें पाल रहा हूं । और ना तो इस धरती का अभी कोई अंत कर सकता है। स्वयं आपकी माया के गोविंद भी नहीं करेंगे । वो ऐसा हैं की अभी तो मेरी और माया की सादी भी नही हुई और बाकी तो आप भली भांति जानते है दानव हल्का सा मुस्कुराते हुऐ कहा ।,😂 😆😆😆😆😆😆

अखंड गुस्से मे बोला मेरा बस चलता तो तुम्हे कभी जागृत होने ही नहीं देता और उससे पहले ही तुम्हारी गर्दन काट देता। काम से कम माया तुम्हारे जैसे दानव से मुक्त होकर तो कार्य करती ।😑🤯😫

किस प्रकार के कार्य की बात कर रहे हो अखंड माया के जन्म का कारण ही मेरा मांगा वरदान है । वरना आवश्यकता क्या है ऐसी आत्मा को इस मृत्यु लोक का दुख भोगने की और परमात्मा से अलग होने की जिसकी हर स्वास मे गोविंद हो जिसकी आत्मा कि हरी भक्ति का खण्डन उसके हजार जन्म के शारीर के पाप भी न कर पाए और इस कलयुग का महा मायाबी भी न कर पाए ।

महा=रहने दो ये सब मुद्दे पर आओ इन राक्षसों को क्यों एकात्रित किया है तुमने और इनसे हमें क्या काम है ये बताओं। और तुम्हे तो हरि कीर्तन या पाठ से चीड़ थी टिक वैसे हि जैसे तुम्हारे स्वामी को । इन राक्षसों से तो तुम्हें प्रेम ही होना चाहिए था। तो फिर दिक्कत क्यो।

दानव = ये सही कहा तुमने महा की काम की बात करते है । चलो

और ऐसा कहते ही उसने वहा खरे सभी हजार से भी अधिक राक्षसों को एक बार एक ही प्रहार से मार डाले। उन सभी के सर एक बार धर से अलग कर दिया ।।😣😱😱😱😱😱😱

ये देखते ही महा और अखंड जोर से चीखें और दोनो ने एक साथ दानव पे प्रहार कर उछला और जमीन पर पटक दिया । जिस से दानव के मुंह से रक्त आ गया। ।तब दानव ने हंसते हुए कहा क्या बात हैं आज तुम दोनों राक्षसो की मृत्यु से इतना दुखी हो गए ।क्या वो सच में राक्षस ही थे ना। नही नही वो तो तुम सब के सेहपठीयो का समूह हैं most accurate information ये है कि ये सारे तुम्हारे गुप्तचर हैं जिन्हें तुमने राक्षस के रुप में मेरी जासूसी करने लगा रखा है। क्या हुआ भरोसा नहीं है अपने श्री हरि पे या या फिर तुम लोगों को लगता कि तुम अत्यधिक ताकतवर हो। जो माया का भाग्या परिवर्तित कर सकते हो। और इतना कह दानव ने महा और अखंड को दूर फेक दिया।

महा =देखो दानव हमारे भरोसे कि बात बाद तुम मत करो हमे पता है । जिद तो तुम्हारी है जिस की सामने तुमने पूरी दुनिया बर्बाद करने का सोच रखा है। मेरी मानो रुक जाओ मत करो ऐसा तुम चाहें कुछ भी कर लो माया का तुम्हारे लिए प्रेम और समर्पण असंभव है। और अगर हुआ भी तो या तो तुम्हारा या तो माया का अंत निश्चित है।

तभी दानव महा की गर्दन पकड़ बोलता है अच्छा पूरी योजना की साथ प्रहार किया जा रहा हैं मूझपे मतलब तुमने भविष्य देख ही लिया हैं उसका तो अब बता ही दो मुझे भी क्या है। बताना जरा । मैं जैसा चाहता हूं वैसा तो सब है ना । मैं तो हूं ना या फिर कुछ और चाल चली है तुम ने कोई और छल कर रहे हो।

महा ,,=नही कुछ नहीं है उसके भविष्य मे सिवाए रूदन के मैने उसे सिर्फ उसे पीरा और अंधकार मे देखा है । अत्यंत दुखी और बिलाप मे देखा है जो की तुम्हारे दुष्टता का परिणाम हैं। मेरी मानो तो जिद छोर दो और अपने मोह को भी ।