अरे तृष्णा तुम वापस आ गई क्या क्या हुआ अरे महा, घबराते हुए बोली 😵😵। कुछ नही बस मेरा पर्स छूट गया यहीं हैं या मैंने कही और छोरा देखना पीछे डेस्क पर ही हैं क्या तृष्णा ने कहा ।। महा ने फुसफुसाते हुऐ कहाक्या कर रहे हो तुम लोग एक पर्स ठीक नहीं कर पा रहे तुम लोग। 😣 तब तृष्णा ने चिल्लाते हुए कहा अरे अतुल पीछे देखो मेरा पर्स जल रहा हैं ये किसने किया है देखो तो पूरा जल गया हैं । ओह । 😫 😫 करण =माया अपना हाथ दूर करो जल जाएगा । तृष्णा=क्या और किसे बुला रहे हो को कौन माया 🙄। महा,=अरे नही उसने तृष्णा कहा त्रिशु तू क्या क्या सुनती हैं। मार डालूँगी मैं तुम्हें अखंड ये आखिरी बार था समझे ना अगली बार अगर तुमसे गलती से भी कुछ हुआ न तो पता हैं तुम्हे क्या होगा। करण =अरे ओ डर की वजह से निकल गया ।,🥺 और तुम तीनों एक पर्स नही टिक कर पाए क्या शक्ति विहीन हो गए हो तुम सब और अरे पिसाच अब तो शांत हो जा और कितना आग उगलेगा पूरा पर्स जल चुका है 🌚🤯 पिसाच चुप चाप आ महा की गर्दन पर बाई तरफ आ बैठ गया 🤣 और अखंड चिड़ते हुए बोला अब ये v मैने किया है है ना किया धरा इन तीनो का और बरस तुम मुझपे जाति हो। तृष्णा ओ मूर्तियों तुम दोनो एक दूसरे से आंखो आंखो मे क्या बात कर रहे हो मुझे भी बताओ वैसे भी ये पर्स बुरी तरह जल चुका है क्या करूंगी मैं इसका फेक दो ओह नुकसान पर ये आग कैसे लगी ।🙄😑। बताओं कुछ यही थे न तुम लोग और वीणा कहा है बोलो ।मैं यह हू वीणा उसके पीछे से आ कर बोली। अच्छा तो इतनी देर से दिखाई क्यो नही दे रही थी । वीणा =वो मैआभी वापस आ रही थीं ना तृष्णा =कहा से ,वीणा=तुम्हारे पर्स से और कहा से ओह झूठ कैसे बोलूं कुछ करो महा मैं झूठ नहीं बोल शक्ति ,🥺🤫😐😩 तृष्णा =बोलो कहा से आ रही हों । महा ने बीच मे रोका तृष्णा ओ क्या तुम v चलो जाओ लेट हो रही हो । तृष्णा =क्या लेट हो रही हूं नुकसान हो गया मेरा तो और वो रोने लगी। महा ने उसे चुप कराते बोला अरे तू दूसरा ले आ ना। तृष्णा ने गुस्से से बोला अतुल के बच्चे तेरे बाप के जैसे मेरे "तुलसी राम" के पास इतने पैसे नहीं हैं जो जब मन किया कुछ भी खरीद लिया।l , करण=वो देखो तृष्णावो आग ना मेरे सिगरेट पीते लगी थी तो मै तुम्हें नया ला दूंगा।
तृष्णा ने गुस्से मे करण को जी भर पिटा और बोलने लगी वाह अब तो ये महाशय सिगरेट भी पियेंगे कुछ दिन बाद चरस भी फूकेंगे हा और पैसों का घमंड तो देखो पर्स जला दिए हैं और नया लायेंगे रुको तुम मैं न तुम्हारे चमरे से बनाती हूं पर्स हा समझे।,🤯😣😫😩
वीणा ,=अरे जाओ जल्दी घर जाओ तृष्णा छोड़ दो इसे हां।।।
हा हा माफ़ कर दो जाओ जाओ जल्दी घर जाओ अतुल ने कहा और करण भी बोला माफ़ कर दे तू घर जा मैं एक हफ्ते बाद la दूंगा हां। ,😖😵
तृष्णा ,=इस बार छोर रही हूं अगली बार उल्टा लटका पीटूंगी तुम्हे।
इतना बोल तृष्णा वहा से चली गईं और वीणा ने धीरे से उसके पीठ पर कूद गई अपने असली साइज मे और तब इन दोनों ने राहत की सास ली,🥴😔😑। तभी कोई आया और बोला तुम दोनो को जल्दी चलना चाहिए सब लोग इंतज़ार कर रहे हैं।,,😕😢