अगली सुबह वात्सल्य अपने कमरे में जाने की तैयारी कर रहा था। नैना उसके सामने ही बैठी हुई थी। वात्सल्य फाइल में सारी वीआइपीज को अरेंज कर रहा था। नैना उसके सामने बैठ कर आराम से एप्पल खा रही थी।
नैना ने एप्पल खाते हुए कहा, " तुम वापस कब तक आओगे ?"
वात्सल्य हंसते हुए कहता है, " बस रात तक वापस आ जाऊंगा। मेसाना ज्यादा दूर नहीं है। लेकिन आने-जाने में टाइम लगता है। केतन और रवि आज मुंबई घूमने जा रहे हैं। तुम भी उनके साथ जाओ ना ।"
नैना हल्की उदासी के साथ ना में सर हिलाते हुए कहती है, " नहीं मुझे कहीं नहीं जाना है। मेरा मन नहीं है कहीं जाने का। तुम नहीं हो तुम्हारे बिना मेरा मन नहीं लगता है कहीं पर। इसलिए तुम जाओ और जल्दी से अपना काम खत्म कर के आ जाओ।"
नैना की बात पर वात्सल्य मुस्कुराते हुए उसे देखने लगता है। फिर कुछ सोचते हुए नैना खड़ी हो जाती है और वात्सल्य के पास आ कर कहती है, " वात्सल्य कहीं ऐसा तो नहीं है ना, कि इस बिजनेस के चक्कर में तुम अपनी रेसिंग का सपना छोड़ दोगे । तुम्हें पता है ना, कि अगर तुमने रेसिंग छोड़ दी तो मैं तुम्हें छोड़ दूंगी।"
वात्सल्य की अचानक से हंसी छूट जाती है और वह हंसते हुए नैना का हाथ पकड़ कर उसे अपने सामने बिठाता हैं । वह नैना के हाथों को अपने हाथों में भरते हुए कहता है, " कैसी पागलों जैसी बातें कर रही हो तुम नैना? अरे पापा एक डील फाइनल करने की बात कर रहे हैं। और तुम कह रही हो कि मैं बिजनेस कर रहा हूं। मुझे बिजनेस में जरा भी इंटरेस्ट नहीं है । यह सब भैया ही देखते है और वैसे भी भैया इस समय कितना कुछ देख रहे हैं ।
ऊपर से पिंकी भी अभी छोटी है। फिर पापा का अचानक से हार्ट अटैक आ जाना, यह सब बहुत घुचुर पूचुर सा हो रहा था। इसलिए पापा चाहते हैं, कि बस यह डील में करके आ जाऊं। इसमें इतनी बड़ी कौन सी बात है ? मैं जाऊंगा उन्हें एक अच्छी सी अमाउंट ऑफर करूंगा और पेपर पर उनके साइन ले लूंगा। बस बात खत्म। बिजनेस तो मुझे कभी करना ही नहीं है। मेरे लिए मेरा पहला मेरी रेसिंग है और दूसरा तुम …"
" 🤨 मैं सेकंड नंबर पर हूं ?" नैना झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहती है। तो वात्सल्य ने कहा, " देखो नैना तुमसे झूठ नहीं कहूंगा। लेकिन मेरी जिंदगी में रेसिंग पहले आई है । इसीलिए मैं रेसिंग से पहले प्यार करता हूं।"
नैना के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई और उसने हा में सर हिलाते हुए वात्सल्य को देख कर कहा, " हां मुझे पता है वात्सल्य कि रेसिंग तुम्हारी जिंदगी में मुझसे पहले आई है। और तुम्हें रेस करता देख तो मुझे तुमसे प्यार हुआ था।"
वात्सल्य नैना की गालों पर हाथ रखता है और उसकी आंखों में देख कर कहता है, " तुम फिकर मत करो । मैं रात तक वापस आ जाऊंगा और उसके बाद कल हम दोनों मुंबई घूमने चलेंगे।"
उसके बाद वात्सल्य उस फाइल को एक बैग में रखता है और उसमें एक आईपैड और कुछ जरूरी सामान और रखते हुए कुछ सोच कर नैना को देख कर कहता है, " वैसे तुम भी चलो ना मेरे साथ !"
नैना जो बेड पर बैठी हुई कुछ और फाइल्स के पन्नों को इधर से उधर पलट ही रही थी, वह वात्सल्य की बात सुन कर हैरानी से उसे देखने लगती है और कहती है, " क्या मैं तुम्हारे साथ चलूं ? ऐसा कैसे हो सकता है ? तुम तो वहां बिजनेस करने जा रहे हो ना!"
वात्सल्य के चेहरे पर मुस्कान थी और उसने कहा, " अरे मुझे कौन सा वहां जा कर घर बसाना है ? या फिर मैं कौन सा कभी वापस ही नहीं आऊंगा ? मैं तो वहां पर एक डील करने के लिए जा रहा हूं। जो मुश्किल से एक या 2 घंटे में पूरी हो जाएगी। इतना लंबा सफर है, एक साथ रहेंगे तो यह सफर भी कट जाएगा। वैसे भी तुम रवि और केतन के साथ मुंबई देखना नहीं जा रही हो। सारा दिन घर में ही बैठे रहोगी। इससे अच्छा तुम मेरे साथ चलो। यहां तुम्हारा मेरे बिना मन नहीं लगेगा । वहां मेरा तुम्हारे बिना मन नहीं लगेगा। वैसे भी तुम इंडिया पहली बार ही आई हो, इसी बहाने तुम इंडिया की सड़क और जंगल देख लोगी।"
नैना मुस्कुराते हुए हा में सर हिलाती और कहती है, " ठीक है । फिर मैं जल्दी से तैयार हो जाती हूं ।" लेकिन फिर कुछ सोचते हुए नैना ने वात्सल्य से कहा, " लेकिन इसके लिए मुझे मम्मी जी से परमिशन लेनी होगी ना ?"
वात्सल्य नैना की बात सुन कर अपनी एक आईब्रो उठाते हुए कहता है, " अच्छा जी बहू बनी नहीं हो और सास की परमिशन अभी से चाहिए।"
नैना वात्सल्य के शोल्डर पर मारते हुए कहती है, " मैं उस तरीके से नहीं कह रही हूं। बिना बताए जाऊंगी तो उन्हे बुरा लगेगा।"
वातस्लय हस देता है और नैना से कहता है, " ऐसा कुछ भी नहीं होगा। तुम जाओ जा कर तैयार हो जाओ। मैं नीचे सबको बता कर आता हूं, कि तुम मेरे साथ जा रही हो । कोई कुछ नहीं कहेगा।"
थोड़ी देर बाद नैना और वात्सल्य अपनी गाड़ी में बैठ कर मेसाना के लिए निकल गए थे। वातस्लय ने जब घर में कहा, कि वह नैना को अपने साथ ले कर जा रहा है । तो किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई । सबको यह ठीक भी लगा। इतना लंबा रास्ता है । साथ रहेंगे तो सफर अच्छा गुजरेगा । केतन और रवि आज संध्या भाभी और पिंकी के साथ मुंबई घूमने के लिए निकले थे।
वात्सल्य की गाड़ी लगभग मुंबई क्रॉस कर चुकी थी और उनकी गाड़ी अब मेसाना के रास्ते में जा रही थी । लंबे-लंबे हाईवे के बाद उन्हें कच्ची सड़क मिलती है और वह उस पर अपनी गाड़ी चलाने लगते हैं । क्योंकि मेसाना एक पुराना कस्बा है। इसीलिए वहां की सुविधा इतनी ज्यादा नहीं है।
वात्सल्य की गाड़ी में सिर्फ हंसने की आवाज आ रही थी। क्योंकि वात्सल्य नैना को कल रात की बात बता रहा था, कि कैसे उसने केतन के साथ मिल कर टोपी को इतना परेशान किया था और उसके साथ क्या मस्ती की थी। नैना वात्सल्य की बात सुन कर सिर्फ हंसे जा रही थी। उसकी हंसी ही नहीं रुक रही थी। मयूरी हंसते हुए कहती है, " क्या चमगादड़ों से दोस्ती? सच में तुम्हारा यह पड़ोसी तो बहुत इंटरेस्टिंग है।"
वात्सल्य हंसते हुए और कहता है, " और नहीं तो क्या। पता नहीं उसे क्या मिलता है चमगादड़ों को पकड़ने में और मुझे कहता है, कि मैंने चमगादड़ों को परेशान किया है । देखना एक दिन चमगादड़ मुझे परेशान करेंगे।"
वात्सल्य की इस बात पर नैना और ज्यादा जोर से हंसने लगती है। वो लोग काफी देर से ड्राइव कर रहे थे। अब तो दोपहर होने को आई थी। नैना कहती है, " वात्सल्य मुझे भूख लग रही है और कितना टाइम लगेगा ?"
वात्सल्य ने गूगल मैप पर देखते हुए कहा, " मेसाना पहुंचने में तो अभी टाइम है । लेकिन पास में ही एक रेस्टोरेंट दिखा रहा है । चलो वहां चल कर कुछ खा लेते हैं।"
वात्सलय ड्राइव करते हुए उस जगह पहुंचता है, जहां पर रेस्टोरेंट का लोगो दिख रहा था। पर जब वह लोग वहां पहुंचे, तो वहां पर एक ढाबा नजर आता है। नैना हैरानी से कहती है, " यह कैसी जगह है ? तुमने तो रेस्टोरेंट कहा था ?"
वात्सल्य हंसते हुए अपने सीट बेल्ट को खोलता है और नैना से कहता है, " आओ तुम्हें इंडिया का प्रॉपर तरीके का रेस्टोरेंट दिखाता हूं। ऑस्ट्रेलिया में ऐसी चीज तुम्हें कहीं नजर नहीं आई होगी। यह सिर्फ इंडिया में ही होता है।"
वात्सल्य नैना को ले कर उस ढाबे के पास आता है। नैना हैरानी से देखते हैं। बाहर तंदूर लगा हुआ था। जहां पर एक लड़का अपने हाथों से रोटियां लगा लगाकर तंदूर में डाल रहा था। वहीं पर दूसरी तरफ सब्जी बन रही थी। पूरा खाने पीने का सामान एक तरफ काउंटर पर रखा हुआ था। और चारपाई पर बैठे हुए लोग बातें कर रहे थे । आसपास दो-तीन बड़े-बड़े ट्रक रखे हुए थे।
नैना हैरानी से उस जगह को देखते हुए कहती है, " यह क्या है ?"
वात्सल्य ने कहा, " इंडियन ब्यूटी ।"
वात्सल्य की बात पर नैना हंसने लग जाती है। वह और वात्सल्य ढाबे में अंदर आते हैं। वह देखते हैं, वहां पर बहुत सारे लोग पहले से ही बैठे हुए हैं। उनके बैठने के लिए तो कोई जगह ही नहीं है। तभी वहां पर एक आदमी गुजरता है। वात्सल्य उससे कहता है, " एक्सक्यूज मी, क्या हमें बैठने के लिए कहीं जगह मिलेगी?"
उस आदमी ने वात्सल्य और नैना को देखा। वह लोग अपने कपड़ों से ही शहरी मालूम हो रहे थे। उस आदमी ने हा में सर हिलाते हुए कहा, " हां बस 2 मिनट दीजिए।"
उसके बाद वह ढाबे के अंदर आवाज लगाते हुए कहता है, " छोटू एक चारपाई लगा साहब के लिए।"
नैना ने धीरे से वात्सलय के कानों में कहा, " वात्सल्य मुझे वॉशरूम जाना है।"
वात्सल्य ने उस आदमी से वॉशरूम का पता पूछा । तो उसे आदमी ने बताया, कि वॉशरूम धाबे के पीछे बना हुआ है। वात्सल्य नैना से कहता है, " आओ मैं तुम्हें वहा तक ले चलता हूं।"
लेकिन नैना ने ना में सर हिलाते हुए कहा, " नहीं । तुम यहीं रुको । मैं खुद ही देख लूंगी।"
जैसे ही नैना थोड़ी आगे बढ़ती है और वॉशरूम जाने के लिए ढाबे से दूसरी तरफ जाती है, वैसे ही उसके सामने अचानक से एक अजीब सा दिखने वाला आदमी आ जाता है । उस आदमी ने काले कपड़े पहने हुए थे और माथे पर काले रंग का टीका लगाया हुआ था। उसके गले में बहुत सारी मालाए पहनी हुई थी और हाथों में भी बहुत सारी माला थी ।
उसके दूसरे हाथ में मोर पंख का झाड़ू था। वह आदमी अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से नैना को देख रहा था । नैना एक पल के लिए डर गई और घूरते हुए वह उस आदमी को देख कर उसे क्रॉस कर के चली गई । नैना जब थोड़ी आगे जाती है तो कहती है, " कितना अजीब आदमी है ! ऐसा आदमी मैंने एक बार एक मूवी में देखा था। क्या कहते हैं उसको? हां तांत्रिक बाबा । जो इस तरीके का हुलिया बना कर रखते हैं । उन्हें तांत्रिक बाबा कहते हैं। कितना भयंकर दिखते हैं यह तांत्रिक बाबा !"
नैना वॉशरूम जाते हुए पीछे पलट कर देखती है, तो वह तांत्रिक बाबा अभी भी अपने जगह पर ही खड़े थे। और घूरती हुई नजरों से नैना को देख रहे थे । नैना जल्दी से वहां से निकल जाती है। उसे बहुत ही ऑकवर्ड सा लग रहा था।
वॉशरूम के पास जा कर नैना देखती हैं, तो यह एक छोटा सा कमरा जैसा बनाया हुआ था। लेकिन काफी छोटा था और बाहर सिर्फ वॉशरूम लिखा हुआ था। वहां से अजीब सी स्मेल भी आ रही थी। नैना को बहुत प्रॉब्लम हो रही थी उसे यूज करने में । लेकिन अगर वह यहां वॉशरूम यूज नहीं करेगी, तो पता नहीं आगे जा कर उसे वॉशरूम मिलेगा भी या नहीं। उसने अपने छोटे से पर्स में से हेंकी निकाली और अपनी नाक में बांध कर वॉशरूम की तरफ चली जाती है।
वही ढाबे पर वात्सल्य एक चारपाई पर बैठा हुआ था। उसने खाने का आर्डर दिया था। और अपने फोन में मेसाना जाने का आगे का लोकेशन देख रहा था । लेकिन यहां पर तो गूगल भी ठीक से काम नहीं कर रहा था। तभी वहां पर ढाबे का एक लड़का आता है और कहता है, " साहब खाना बनने में थोड़ा टाइम लगेगा। तब तक आपको कुछ और दे दूं ?"
वात्सल्य ने सोचते हुए कहा, " हां ठीक है। काम करो और दो गोल्ड रिंग और दो सैंडविच ले आओ। जब तक खाना नहीं आता है, तब तक हम यही खा लेंगे।" वह लड़का जाने के लिए होता है, कि तभी वात्सल्य उसे कहता, " अच्छा सुनो ।"
वात्सल्य के रोकने पर उस लड़के ने पलट कर वात्सल्य को देखा । तो वात्सल्य अपने गूगल पर मैप को ऊपर नीचे स्क्रॉल करते हुए कहता है, " यह मेसाना कैसे जाएंगे ?"
उस लड़के ने सामने सड़क की तरफ इशारा करते हुए कहा, " यह कच्ची सड़क ही मेसाना की तरफ जाती है। आपको कहां जाना है मेसाना में?"
तभी वात्सल्य याद करने की कोशिश करता है, कि उसे मेसाना में कहां जाना था। उसने आज सुबह उस डील की पूरी फाइल पढ़ी थी । तो उसे अचानक से आदमी का नाम याद आता है। जिससे मिलने के लिए वो जा रहा था। उसने जल्दी से ढाबे वाले लड़के की तरफ देखते हुए कहा, " लाल कोठी… किसी मालिक कनिष्क सिंघाल की हवेली है । वहां पर लाल कोठी के नाम से।"
जैसे ही ढाबे का लड़का और आसपास के लोग यह नाम सुनते हैं , सब लोग हैरानी से एक साथ वात्सल्य को देखने लगते हैं । उन सब की निगाहें अपने ऊपर देख कर वात्सल्य थोड़ा हैरान हो जाता है।