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Chapter 2- राहुल की अनोखी सोच

राहुल बड़ा होता गया और वो रमेश के सोच से बोहोत अलग होता गया राहुल रमेश के साथ कभी मंदिर नहीं जाता था रमेश जब उसे इसका कारण पूछता तो वो बोलता था की भगवान को मंदिरो में पुज्के कोई लाभ नहीं है क्योंकी भगवान का अस्तित्व ही नहीं है उसके इलावा रमेश को कठौर परिश्रम करना चहिए तभी उनकी लाभ होगा। रमेश इस बात से राहुल से बोहोत नाराज रहता था वो राहुल को समझाते थे की उनका समाज के नियमों को मानना धर्म है उनका समाज भगवानको बोहोत पूजते थे इसीलिए उन्हें भी भगवानको पूजना चाहिए पर राहुल रमेश के किसी बात से सहमत नही था। राहुल पढ़ाई में बोहोत तेज था वो अपने स्कूल का सबसे

ज्यादा ज्ञानी लड़का था पढ़ाई में भी और सोच में भी इसीलिए वो सब शिक्षक का मन पसन्द था सब उससे प्यारा करते थे उसका दोस्त बोहोत था पर उसके श्रेणी का एक लड़का रूबुल अहमद उसका कोई दोस्त या मित्र नहीं था क्योंकी वो मुसलमान था और ये जगह हिंदू का था राहुल ने उससे दस्ती की क्योंकी राहुल को ये भेद भाव एक दम पसन्द नही था उसके बोहोत दोस्त उसे बोलते थे की रूबूल के साथ दोस्ती तोर दे पर राहुल बोलता था की उनके साथ दोस्ती तोड़ देगा पर रुबुल के साथ नही तोड़ेगा समाज को जो कहे कहने दो । एक दीन राहुल ने रूबुल के घर जानेका इच्छा प्रकट की पर रूबुल ने उसे बोला की समाज उसे बुरा भला बोलेंगे तब राहुल ने बोला की वो घर में नही बताएंगे चुप छुपाकर जायेंगे किसीको पता नही चलेगा तो रुबूल ने भी हा बोल दिया । राहुल एक दीन चुप छुपाकर रूबुल के घर गया रूबुल के परिवार पहले तो राहुल को देख थोड़ा हिसकिचाए पर बादमे मान गए रूबुल ने राहुल को अपनी बहन से मिलवाया उसका नाम था रेहमा अहमद राहुल को जैसे रहमा को देख पहली नजर में ही प्यार ही गया राहुल पूरे समय उसीकोही जैसे देखता रहा । शाम होनेको हुई राहुल का जाने का समय हो गया था पर राहुल को जैसे जाने का ही मन नहीं था उसको जैसे यही स्थाई रूप में रहने को मन लग गया था। राहुल जब निकला तभी उसके एक चाचा ने उसको रूबुल के घर से निकलते हुए देख लिया और सभी लोगो को बुलाकर रूबुल के पिताजी को पीटने लगे ये समझके की वो लोग राहुल को धर्मविरोधी करने की कोशिश कर रहे है राहुल चिल्लाता रहा की वो खुद ही आया था उन्होंने नही बुलाया पर तब भी गांव वालो ने उसकी एक नही सुनी उन्होंने रूबुल के पिताजी को पीट पीट के बुरा हाल कर दिया था रुबल और उसके परिवार फुट फुट के रो रहे थे पर राहुल भी अशहाय था राहुल घर गया अपने पिताजी को बोला की पहले तो उसका इस समाज के लिए थोड़ी इज्जत थी पर अब थोड़ी सी भी नही बची उसने एक भगवान का मूर्ति लेकर तोड़ दिया और बोला इस मूर्ति के लिए उसके मन में अब थोड़ी सी भी इज्जत नहीं बची।