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कूट और कालाक का मीलना

कूट खूद को हारा हुआ समझ रहा था यहा काली दुनिया के राजा कालाक को जिस समय का इंतजार था वह उसे कुट मे दिखा कालाक अपने मत्री संभ से कहता है संभ‌ यही है जो है हमे सान ग्रह का सुर्य लाकर दे सकता है संभ कहता है की महाराज यह केसे संभव है कालाक कहता है इसे मित्र बनाकर हम वह सूर्य मांग सकते हैं संभ‌ तुम कूट को मित्रता का संदेश पहुंचाओ मे जानता हूँ वह हमारे प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगा संभ संदेश एक वाज के हाथो सान ग्रह पर कूट के पास पहुंचाता है वह वाज कूट के काधे पर आकर वेठता है कूट देखता है की इसके हाथ मे एक पत्र हैऔर कूट उसके पंजो मे से वह पत्र निकालता है वह संदेश पड़ता है

और वह संदेश पड़कर हैरान हो जाता है वह सोचता है की खुद कालाक ने मुझे निमंत्रण दिया है और फिर वह उस निमंत्रण को स्वीकार करता है और पत्र पर लिख देता है मे आने के लिये तैयार हूँ माहाराज कालाक और पत्र वाज के पजो मे दवा देता और वाज वापस कालाक के पास आ जाता है कालाक जव देखता है कि कूट ने निमंत्रण स्वीकार कर लीया है तो वह जोर जोर से हसता है और अगले दिन कूट वहा आते वह लोग कूट का स्वागत वहुत अच्छी तरहा करते है‌ कूट उनका स्वागत देखकर वड़ा खुस होता है और फिर वह कालाक के पास पहुचता है ‌लेकीन जव वह कालाक को देखता है तो वह हेरान हो जाता है क्योंकि कालाक एक काले धुये की तरहा दिखता था कालाक कूट से कहता है की तुम इतने हैरान क्यो हो कूट कहता है आपका चेहरा मुझे दीखाई नही दे रहा कालाक कहता है की मेरा आदा शरीर नही है मेरे मित्र दोस्त अगर तुम मेरी मदत करो तो मे तुम्हे सान ग्रह का राजा वना दुगा इतना सुन कर कूट विना कालाक का प्रसताव सुने तुरन्त तैयार हो जाता है कालाक खुश होने लगता है।