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you are my magical key

ये कहानी है परी की जो अपनी पिछली ज़िन्दगी में जानी मानी एक एक्ट्रेस थी। लेकिन किसी एक्ट्रेस के सपने की वजह से उसे अपनी ज़िन्दगी को खोना पड़ा था। लेकिन किस्मत ने परी को एक दूसरा मौका दिया अपने साथ हुए गलत का बदला लेने के लिए। लेकिन एक नये रूप में, जिसका नाम हैं आंशी। वो एक पावरफुल और सक्सेसफुल बिजनेसमैन, अधिराज आब्रोय की बीवी है। जिसकी कोई कदर नहीं करता, वो दर्द को चुपचाप सेहती है। यहां तक कि उसका पति भी उसकी और नहीं देखता। वहीं अधिराज ऑब्राय को नफरत है ऐसी लड़कियों से जो उसके पैसे से प्यार करती है। इसी लिए वो एक घमंडी, एरोगेंट और कोल्ड नेचर का है जिसका नाम सुनते ही लोग कांपने लगते है। आखिर कौन था वो जिसने परी को मौत के घाट उतार दिया था? आखिर क्यों हुई आंशी और अधिराज की शादी? आखिर कैसे लेगी परी अपना बदला आंशी बनकर ? क्या आंशी पिछले जन्म में हुए अपने साथ गलत का भी बदला ले पाएगी? आखिर कैसे होगी नई आंशी और अधिराज के बीच प्यार की नई शुरुवात? या इस बार भी रह जाएगा सब कुछ अधूरा परी की पिछली ज़िन्दगी की तरह ? जानने के लिए पड़ते रहिए you are my magical key

Simran_Mehta_4661 · 现代言情
分數不夠
4 Chs

अमर

वो जल्दी से खड़ी होती है और वो नीचे से फोन उठाती है .... और जल्दी से एक नंबर पर डायल करती है .... कुछ देर तक रिंग जाने के बाद भी फोन नहीं उठाया जाता ... 

परी गुस्से से .... I will kill you .. अमर ...

परी चार पांच बार फिर मिलाती है लेकिन इस बार भी फोन नहीं उठाया जाता .... . . . . . . . . . 

परी गुस्से से एक आखिरी बार कॉल मिलाती है ... तभी दूसरी तरफ से गुस्से भरी आवाज़ आती है ..... Who the hell are you .... तुम्हारी हिम्मत केसे हुई मुझे तंग करने की .... हो कोन तुम ....

परी गुस्से से ... अमर .. चुप हो जाओ .. मै परी बोल रही हूं .....

. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 

अमर ( गुस्से से ) तुम्हारी हिम्मत केसे हुई मेरी परी का नाम अपनी जुबान से लेने की ... कुछ तो शर्म करो ... वो मर चुकी है और तुम उसका नाम यूज कर रही हो ... इससे अच्छा तो तुम्हे सुसाइड  कर लेना चाहिए ....

आंशी ( परी ) गुस्से से .... अमर एक बार मेरे हाथ लगो ..  फिर तुम्हे सुसाइड के बारे में बताऊंगी ....

अभी के अभी मुझे सिटी हॉस्पिटल आकर मिलो .. मै तुम्हे सब बताती हू मै ज़िंदा केसे हूं .. रूम नो . 401 ... कम फास्ट .. ओर I will kill u ..

आंशी अमर की बात सुने बिना काट देती है ... तभी अमिता जी ;साधना जी और पायल अंदर आती है ....

अमिता जी ( आलस पन से ) अच्छा हुआ तुम्हे होश आ गया ...थोड़ी देर में अपना डिस्चार्ज करवाओ अपने पेसो से और ऑब्रोए  ... मैंशन के लिए निकल जाओ ... हम नहीं चाहते तुम्हारे यहां होने से हमारी लग्जरी लाइफ में कोई दुख आए ... वैसे भी हमने तुम्हे पैदा करके इतना बड़ा दुख पहले ही ले लिया है ... 

आंशी ( अपने मन में गुस्से से ) कैसी मा है ये ... अपनी बच्ची से पूछा भी नहीं की तुम कैसी हो .... सच में अगर ये असली आंशी सुनती बिचारी रो रो के पागल ही हो जाती है ... खेर .. छोड़ो ... भगवान उसकी आत्मा को शांति दे ... 

आंशी गुस्से से .. क्या कहा ... आपने मै  ऑब्रोए ... मैंशन बिल्कुल नहीं जाऊंगी ... और रही बात आपको मेरी चिंता करने की जरूरत नहीं है.. मै अपने दम पर अपना काम कर सकती हूं ... मुझे किसी कि जर्रूरत नहीं है .....

आंशी ( जोर से चिल्लाते हुए ) सो get out .... 

अमिता जी ( गुस्से से ) क्या कहा तुमने ... तुम्हारी इतनी हिम्मत ... तुम्हारे सर पर चोट लगी है क्या ... अब ये क्या नाटक लगा रखा है तुमने .....

तुम्हारे ऐक्सिडेंट से कहीं तुम्हारी memory तो नहीं लॉस हो गई .... 

अमिता जी गुस्से से चिल्लाते हुए : जो भी है तुम्हे वहा वापिस जाना होगा ..... समझ में अाई बात ... 

आंशी गुस्से से वार्ड के दरवाज़े से बाहर जाते हुए जोर से डोर बंद कर देती है .... जिससे पायल एक दम से चौंक जाती है .....

पायल ( अमिता जी से ) मासी मा ये दी को क्या हुआ ... वो ऐसे क्यों रिएक्ट  कर रही है ... उन्होंने ने आज तक ऐसे कभी बात नहीं की .. मासी मा कहीं उनके सिर पर चोट तो नहीं लग गई ... वो बहुत बदला बदला सा बर्ताव कर रही है .... ऐसा लग रहा था जैसे कोई और बात कर रहा था .. आंशी दी नहीं ..

वहीं दूसरी तरफ आंशी जैसे ही अपने वार्ड से बाहर जाती है तो उसके सामने अमर आ जाता है ....

अमर जैसे ही आगे जाने लगता है आंशी एक दम से अपना पैर अड़ा देती है जिससे अमर सीधा मुंह के बल नीचे गिरता है ....  

अमर ( गुस्से से ) तुम .....

आंशी अमर को उसके व्हाइट शर्ट के कॉलर से पकड़ कर उसे सीधा खड़ा करती है ... सुसाइड करना चाहिए ना मुझे ... तो मैने सोचा बदला तो ले लू ... फिर आगे देखते है ....

अमर की आंखो में आंसू आ जाते है ... और  ) अपना कॉलर छुड़वाते हुए . ... बोलो .. मान लिया तुम ही  मेरी परी हो ... क्या करना है मुझे .... तुम है पता मेरा कितना दिल टूटा था जब तुम मुझे छोड़ कर चली गई .... मै रो रहा था दो घंटों से .. और फिर तुम्हारा फोन आया ... तब जाकर थोड़ा शांत हुआ ... लेकिन गुस्सा भी आ रहा था कि अगर तुम मेरी परी ना हुई तो ...

तभी अमर इससे आगे कुछ बोलता उससे पहले ही आंशी उसे खींच कर उसके मुंह पर मुक्का मारती है .... इससे जायदा दर्द हुआ ... मेरे दोस्त को .. हा .. 

और आज के बाद परी नाम मत लेना परी मर गई है ... बस तुम एक काम करो आंशी और अधिराज ऑब्रोए के डाइवोर्स पेपर त्यार करवाओ ... 

अमर ( हैरानी से ) तुम्हरा इनसे क्या लेना देना है ....

आंशी ( गुस्से से चेयर पर बैठते हुए  ) क्यूंकि मेरी असली बॉडी की ओनर का नाम ही आंशी है ... और तुम जानते हो ना मै उस अधिराज ऑब्रोए से नफरत करती हूं ... और हा मेरे लिए एक घर लो ... मेरे पास कोई घर नहीं है ....

और इस हॉस्पिटल की फी भी पे करो .. जाओ 

अमर जैसे ही आंशी की बात सुनता है वो हैरान हो जाता है ... वो कुछ कहने ही वाला था कि आंशी बीच में बोलते हुए ... अमर मेरी तबियत मुझे ठीक नहीं लग रही ... मुझे यहां से जाना है ... प्लीज ...

 अमर ( उसकी हा में हा मिलाते हुए ) अच्छा ठीक है ... चलो ...

आखिर क्या करेगी अब आगे आंशि ... आखिर केसे होगी इन दोनों की कहानी ... या हो जाएगा डाइवोर्स ... जानने के लिए पड़ते रहिए