Chapter - 26
शाम को व्याख्यान कक्ष में...
शिद्दत और बाकी सभी भी बैठे थे ताई सभी को कुछ बोल रहा था और सभी लिख रहे थे ताई ने युन क्यूँग को देखा जो उसे ही देख रही थी ताई ने कहा - युन अपने पाठ पर ध्यान दो l
सभी देख मुस्करा देते हैं युन ने नज़रें झुका ली और लिखने लगी पाठ खत्म हुआ आज के लिये बस इतना ही सभी जा सकते हैं l
सिमी - अरे थोड़ी देर हमारे साथ भी समय बिताया करो l
जियांग - हाँ तुम सही कह रहे हो l
ताई - बताओ तुम लोगों के लिए क्या कर सकता हूँ ?
युन - तुम ऐसे ही बैठे रहो बस इतना ही करो l
ताई - तुम क्या मुझसे छेड़खानी कर रही हो ये अच्छी बात नहीं है l
युन उसे प्यार से देखते हुए कहती है - तुमसे छेड़खानी करना तो मुझे बचपन से ही पसंद है l
शिद्दत मन में ही बड़बड़ाती है - क्या बकवास कर रहे हैं ये सब शर्म भी नहीं आती ये नहीं कि सामने कौन बैठा है l
सिमी - तुम दोनों का हो गया तो हमारी भी बात सुन लो या तुम दोनों प्रेम की बातें कर लो हम चलें l
ताई - कुछ भी मत बोलो l
शिद्दत - अब तो सब कुछ खत्म हो गया न तो मैं जा रही हूँ l
ताई - लेकिन तुम क्यों जा रही हो l
शिद्दत - क्योंकि मेरा कोई काम नहीं है यहाँ पर l
ओंग - अरे शिद्दत रुको मैं भी चलता हूँ l
ओंग खड़ा होने ही वाला था कि शिद्दत ने उसे हाथ से इशारा कर बैठने को कहा ओंग बैठा रहा l
जियांग - तुम क्यों जा रही हो शिद्दत बैठो न हम अच्छी - अच्छी बातें करेंगे और थोड़ा मनोरंजन होगा l
शिद्दत - लेकिन...
तभी युन आकर उसके पीछे खड़ी हो जाती है उसके कंधे पर हाथ रख कहती है - अरे जाने दो वैसे भी ये अनजान है हमसे क्या ही बात करेगी l
शिद्दत - ये सही कह रही है लेकिन मैं तुम सभी से अनजान नहीं हूँ भले तुम सब मुझे नहीं जानते मगर मैं यहाँ सभी को जान गयी हूँ l
सिमी - ये बात अच्छी है l
शिद्दत - अच्छा तुम सब कहते हो तो बैठ जाती हूँ बताओ क्या बात करनी है l
शिद्दत बैठ जाती है युन उसे घूरती है क्योंकि वो नहीं चाहती थी कि शिद्दत उनके पास बैठे शिद्दत को ये बात पता चल गयी थी जब युन ने उसे छुआ था l
सभी बातें करने लगे अपने किसी पिछली बातों पर शिद्दत बस उन्हें सुन रही थी युन कहती है - तुम लोगों को पता है अगर मुझे कोई चीज़ पसंद है और वो मुझे न मिले तो मैं उसे छीनने वाले को छोड़ती नहीं हूँ l
शिद्दत को उनकी बातें बिल्कुल पसंद नहीं आ रही थी उसने कहा - क्या बकवास बात कर रहे हो तुम सब ये सब बातें कौन करता है तुम सभी राजकुमार हो तो उनकी तरह बात करो उनकी तरह सोचो l
सिमी - हाँ तुम ठीक कहती हो हमें अपने राज्य को सम्भालने के बारे में कुछ सोचना चाहिए तुम्हें क्या लगता है कि एक राजकुमार को कैसा होना चाहिए l
जियांग - उसे तो युद्ध में कुशल होना चाहिए l
ओंग - एक राजकुमार को ताक़तवर होना चाहिए l
सिमी - मेरे हिसाब से तो एक राजकुमार को अपनी प्रजा की रक्षा करनी चाहिए और उन्हें अनुशासन में रखना चाहिए l
युन - और मेरे हिसाब से एक राजकुमार और राजकुमारी को अपने हिसाब से राज्य चलाना चाहिये l
शिद्दत बड़बड़ाई - फिर बकवास कर रहे हैं सब हूं.. अब तुम भी बता दो तुम्हारे हिसाब से कैसा होना चाहिए l
ताई शांत स्वभाव से कहता है - एक राजकुमार को अपनी प्रजा के हिसाब से रहना चाहिए उनके प्रति प्रेम दया भावना रखना चाहिए और उनकी राय हमेशा समय पर लेनी चाहिए ताकि उन्हें राजकुमार पर अटूट विश्वास बना रहे l
एक राजकुमार को अपनी मर्यादा नहीं भूलना चाहिए l
शिद्दत उसका ज़वाब सुन कर उसे देखती ही रह गयी l
सिमी - वाह गुरु जी आप तो एक अच्छे राजा बनेंगे और शिद्दत तुम्हें इनका जवाब सुनकर कैसा लगा एक राजकुमार कैसा होना चाहिए l
शिद्दत - बात तो सही है तुम्हारा ज़वाब बहुत ही अच्छा है तुम राज्य ही नहीं बल्कि एक ब्रम्हांड भी सम्भाल सकते हो और मेरे हिसाब से एक राजकुमार को तुम्हारी तरह होना चाहिए l
ताई मुस्कुराया युन बोली - लेकिन अगर प्रजा गलती करती है तो उन्हें समझाने के लिए मर्यादा तो तोड़नी ही पड़ेगी उन पर गुस्सा तो आएगा ही न और मुझे तो बहुत गुस्सा आता है
सिमी - हाँ गुस्सा तो हमें भी आता है लेकिन इतना नहीं जितना ताई को वैसे वो कभी गुस्सा नहीं करता लेकिन जब भी करता उस के आसपास भी कोई खड़ा नहीं होता l
ओंग ने कहा - मेरा तो पूछो ही मत मैं बहुत खतरनाक हूँ मेरा गुस्सा देख कर तो पृथ्वी भी कांपती है l
सिमी बड़बड़ाता है - क्या बकवास कर रहा है l
सिमी ने कहा - अब तुम दोनों क्या गुण है ?
युन क्यूँग ने इतराते हुए कहा - मेरे अन्दर बहुत सारी शक्तियां हैं मुझे युद्ध कला, तलवारबाजी, घुड़सवारी, निशानेबाजी, और एक रानी जो कुछ भी आता है वो सब मेरे अन्दर है l
जियांग - और तुम्हें क्या आता है राजकुमारी अनाया l
शिद्दत हिचकिचाते अपने बाल में फिराते हुए बोली - मुझे जो आता है वो तुम्हारे सामने ही है मैं झूठ नहीं बोलती हाँ कुछ चीजें आतीं हैं लेकिन उनका ज्यादा प्रदर्शन नहीं करती l
शिद्दत ने पर अपनी उंगली घुमाई और उसके सामने पानी से भरा एक ग्लास आ गया उसने उसे उठाया और पी गयी
सिमी ने हैरानी से कहा - मैं तो डर गया कहीं तुम मुझे मारने वाली तो नहीं हो l
शिद्दत - मुझे प्यास लगी थी और उसके लिए मैं बिल्कुल भी इंतजार नहीं कर सकती थी वरना मेरे लिये ये चिंता हो जाती l
युन - क्यूँ तुम क्या आग उगलती हो l
शिद्दत - कुछ भी l
ताई - अच्छा अब सभी लोग जाओ ज्यादा गुस्सा दिखाने की जरूरत नहीं है l
शिद्दत खड़ी हुई सभी बाहर जाने लगे शिद्दत अपने कमरे में आयी वो बार - बार पानी पी रही थी l
बाहर अंधेरा हो चुका था सभी बाहर आए चांद की रौशनी उन पर आ रही थी सभी बाहर खड़े थे और एक दूसरे से बातें कर रहे थे उन्होंने बाहर आग जलाई और सभी उसके आस-पास बैठ गए l
शिद्दत भी बाहर आयी उसे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था वो सोंग जोंग को अपनी नज़रें घुमाकर ढूँढ रही थी लेकिन वो उसे कहीं नहीं दिखा ये शैतान किधर गया वैसे तो मेरे आगे पीछे घूमता रहता है और आज दिखाई नहीं दे रहा है l
उसे करने को कुछ नहीं मिला तो उसने सोचा क्यों न ध्यान करूँ उससे कुछ लाभ भी हो जाएगा वो वहीं ध्यान की मुद्रा में बैठ गयी उसे देख जियांग ने कहा - ये क्या कर रही हो l
शिद्दत - कुछ अच्छा नहीं लग रहा है तो सोचा थोड़ा ध्यान करके कुछ ज्ञान ले लूँ l
युन ने कहा - वैसे भी तुम्हारे पास लगता भी नहीं की तुम्हारे पास ज्ञान भी है कर लो l
शिद्दत मन में सोचती है - इसे मुझसे क्या परेशानी है ये मुझसे ऐसे क्यों बात कर रही है l
उसने उसकी ओर देखा और कहा - सोचा खुद भी ले लू और दूसरों को भी दे दूँगी अगर ज्यादा हो गया तो l
शिद्दत अपनी आँखे बंद कर लेती है थोड़ी ही देर में वो गहराई में जाने लगती है तभी उसे कुछ आवाज़ें आने सुनाई देती है सब बहुत शोर कर रहे थे शिद्दत ने देखा सभी भाग रहे थे उसने ऊपर देखा तो कुछ काली शक्तियों ने उन पर हमला कर दिया था वो वही पंछी थे जो पहली बार आए थे l
उसने अपनी आँखे खोली और हैरान रह गयी l
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