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Shairy No 10

अर्ज़ कुछ यूँ किया है जरा गौर फरमाइयेगा

एक अजीब सी उलझन हर दम रहती है,

आप नहीं हो तो आपकी याद रहती है,

बेचैन होकर दिल मोबाइल को देखता है,

इन आँखों मे आपके व्हाट्सप्प आने की उम्मीद रहती है।