अर्ज़ कुछ यूँ किया है जरा गौर फरमाइयेगा
एक अजीब सी उलझन हर दम रहती है,
आप नहीं हो तो आपकी याद रहती है,
बेचैन होकर दिल मोबाइल को देखता है,
इन आँखों मे आपके व्हाट्सप्प आने की उम्मीद रहती है।