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Chapter 1 - Introduction

यह कहानी है एक जादूगर परिवार की । जिसमें 5 सदस्य हैं । सबसे बड़े गिरधारीलाल जो एक जादूगर हुआ करते थे और अब उनका बेटा चमनलाल उनकी पद्वी संभाल रहा था । अपने आस- पास छोटे मोटे जादूगर के show कर अपने परिवार का गुजारा चलाता था, पर गिरधारीलाल का पोता यानी चमन का बेटा  रमन इन सब चीजों में विश्वास नहीं रखता था । उसका मानना था कि जादू जैैैसी कोई चीज़ नहीं होती बल्कि ये सब science का कमाल है । 

ऐसे ही एक दिन चमनलाल अपना जादू दिखाने के लिए उस जादू की practice कर रहा था । उसने वह जादू रमन और अपनी बेटी Bhawana को भी दिखाया जिसमे  चमनलाल  ने एक गिलास से दूसरे गिलास में पानी डाला और पानी डालते - डालते उसने पानी डलने वाले गिलास से अपना हाथ गिलास से हटा लिया पर गिलास नीचे नहीं गिरा हवा में ही लटकता रहा ।

Bhawana यह देखकर एकदम suprise होते हुए बोली😯😲 - " वाह! पापा । क्या कमाल का जादू है, ये magic आप show में दिखाना कोई भी बिना ताली बजाए नही रह पाएँगे ☺️ I"

पर ये देखकर रमन इतना suprise नहीं हुआ और बोला -"इसमें कमाल कि क्या बात है, ये तो साफ पता लग राहा है कि दोनों गिलास के बीच एक तार है जो गिलास को नीचे नहीं गिरने दे रही । 1 मिनट रुको पापा मैं अभी आपको असली जादू दिखाता हूं ।"

यह कहकर रमन रसोई में गया और हल्दी ले आया । उसने हल्दी को एक कोरे कागज पर मल दिया । और फिर सरफिला पानी लाया और उसने अपना हाथ भिगोकर उस हल्दी वाले कागज पर छाप दिया जैसे ही उसने अपना हाथ हल्दी वाले कागज पर रखा वहीं से वह पीला कागज लाल हो गया । यह देखकर रमन का पापा बहुत खुश हो गया और बोला -"अरे वाह ! रमन। तुम तो बहुत अच्छा जादू करते हो कहां से सीखा ये I"

इसके जवाब में रमन ने हंसते हुए बोला - "पापा, यह जादू नहीं science है science I और अगर अभी आप इस पर नींबू निचोड़ दोगे तो ये फिर से पीला हो जाएगा ।"

चमनलाल यह देखकर बहुत खुश हुआ और अपनी बेटे को शाबाशी देते हुए बोला -"शाबाश बेटा । तुम ही हमारे खानदान के होने वाले महान जादूगर हो ।"

यह सुनकर रमन अपने पापा से चिड़ते हुए बोला, "पापा आपको पता है कि मेरा इन चीजों में interest नहीं है, ये सब Science का कमाल है ना की कोई जादू ।" 

चमनलाल अपने बेटे की हां में हां मिलाता हुआ बोला - "हां बेटा हां, तु जो भी कह । पर हमारे लिए तो ये सब हमारी रोटी का सहारा है । तू भविष्य मे जो भी कर मुझे तो तुझपर सदा गर्व रहेगा ।"

उसी वक्त रमन की मां रमन और भावना के लिए उनका Lunch Box लाकर बोली,-"अच्छा बच्चों को जल्दी से Bus stop पर पहुंच जाओ वरना Bus निकल जाएगी तुम्हारे पापा का जादू तो कभी खत्म होने वाला नहीं है😆 तुम जल्दी जाओ ।"

यह सुनकर रमन और भावना हंसते हुए स्कूल के लिए चल दिए । 

बच्चों के जाने के बाद चमनलाल की पत्नी कांता चमनलाल को कहती है,  "आप भी क्या यहां खड़े हैं । पहले तो मुझे कहा कि मंदिर के लिए थाली तैयार कर दो तो फिर यहां आकर बच्चों को जादू दिखाने लगे । जब आपको पता है कि बच्चे इन सब में विश्वास नहीं करते खासकर रमन तो बिल्कुल भी नहीं तो क्यों उनके पीछे पड़े रहते हो । और अब मंदिर चले जाओ पूजा की थाली तैयार है ।"

चमनलाल😊 - "Ok my home Minister 😅"

उसके बाद चमनलाल पूजा की थाली लेकरमंदिर की ओर रवाना हो लिया । और कांता भी अपने ससुर गिरधारी लाल को चाय देकर आती है ।

कांता - "यह लो बापू जी आपकी चाय☕ ।"

गिरधारी लाल अपने कमरे मे सोफे पर बैठा अखबार पढ़ रहा था और जैसे ही कांता चाय लेकर आई उसको आशीर्वाद देते हुए बोला -"जीती रह बहु,  जीती रह । और बच्चे चले गए स्कूल ।"

कांता -"जी बापू जी अभी अभी गए हैं ।"

गिरधारी लाल - "और चमन कहां पर है ?"

कांता - "बापूजी, वो मंदिर गए हैं ।"

गिरधारी लाल - "चलो अच्छा है ।"

बस फिर कांता खाना बनाने के लिए रसोई में चली गई । थोड़ी देर बाद चमनलाल भी मंदिर से पूजा करके आ गया । फिर कांता ने गिरधारी लाल और चमन लाल के लिए खाना परोस दिया ।

जब दोनों खाने पर बैठे थे तो गिरधारी लाल ने चमन से पूछा - "बेटा, अब show कहां पर कर रहे हो ?"

चमनलाल - "वो बापूजी कल बड़ी मार्केट के पास  show है ।"

गिरधारी लाल - "और कुछ special जादू भी कर रहा है ।"

चमनलाल - "बस बापूजी, यह कह लो बस गुजारा चल रहा है । आजकल किसके पास इतना टाइम है कि ऐसे Magic show  देखने आए , वैसे भी आजकल तो कोई इनको नहीं मानता । अब आप रमन को ही ले लो, वो तो जादू को कुछ समझता ही नहीं । एक जादूगर के परिवार में ऐसा है तो औरो की तो बात करना ही बेकार है।"

गिरधारी लाल -  "यह बात तो है बेटा । जादू तो हमारे दादाजी किया करते थे । ऐसे ऐसे जादू जो आजकल के विज्ञान को भी फेल करते हैं । वे यह सब जादू मुझे सिखाना चाहते थे यहां तक कि उन्होंने तेरे दादाजी को भी यह जादू नहीं सिखाए थे, पर शायद किस्मत को यह मंजूर नहीं था ।"

चमनलाल - "अब क्या कर सकते हैं बापुजी, होनी को कौन टाल सकता है । और वह दादाजी को भी कैसे सिखाते । उनको तो अपना Business प्यारा था ।"

गिरधारी लाल - "सही बात है बेटा, ऊपर वाले को जब जो देना है वह देगा ।"

चमनलाल - "सही कह रहे हो बाबू जी आप । ऊपर वाले की मर्जी के खिलाफ कहां कोई चल सकता है । हमारी तो बस अब यही इच्छा है कि रमन पढ़ लिख ले और अच्छी सी नौकरी पा ले ।"

गिरधारी लाल - "सही बात है, बेटा । मैं तो खुद ही यही चाहता हूं । अब इस जादू वादू में कोई फायदा नहीं है ।"

उसके बाद गिरधारी लाल खाना खाकर अपने कमरे में चला गया ।और पास पड़ी अपने पिता के फोटो को उठाकर उसपर हाथ फेरने लगा । इस वक्त गिरधारी लाल की आंखें नम थी । 

आखिर क्यों ?

यह जानेगें अगले चैप्टर में |