जिंदगी में अच्छे लोग ओर अच्छा वक़्त हम कभी नहीं भूलते,
चाहे हम जिंदगी में कितने ही आगें क्यू ना बड़ गये हो ।वो पल जब भी याद आते हें हम अक्सर,मुस्कुरा देते हें ।
लीसा ओर 'अभी' के स्कूल में सर्दी की छुट्टियाँ शुरु होने वाली थी,
तो क्लास के सब लोग एक ट्रिप का प्लान करते हें ।
उन सब का लास्ट साल था यह ,
12 के बाद कोन सा सब रोज की तरह मिलेंगे।
ओर सभी को यह पल भी हमेशा याद रहेगा ,
सब अलग-अलग टूरिस्ट प्लेस के नाम बताते हें ।
पर पका नहीं हो पा रहा था की किस जगह जाया जाये,
तभी लीसा कहतीं हें मसूरी केसा रहेगा।
सब कहतें हें बड़ीया जगह हें,
वहा की तारीफें भी काफी सुनी हें ।
लीसा 'अभी' से पूछती हें 'अभी' केसा रहेगा मसूरी का ट्रिप,
'अभी' हा में जवाब देता हें , अच्छा रहेगा ।
तो सब जने मसूरी के ट्रिप के लिये,
हामी भर देते हें ओर मसूरी का ट्रिप फ़ाइनल हो जाता हें ।
स्कूल की छुट्टी होती हें 'अभी' लीसा से पूछता हें,
तुम्हे मसूरी ही जाने के लिये ही क्यू कहा ।लीसा कहतीं हें तुमने कहा था ना एक बार,की मसूरी की बात ही अलग हें। तब से में वहा जाना चाहती थी, ओर देखो इस ट्रिप के ज़रिये तुम्हारे ही साथ जा रही हूँ ।
सबी लोग अपने इस ट्रिप के लिये बहुत खुश थे।
"कहतें हें जिंदगी का सफ़र दोस्तों के साथ बेहेत्रीन हो जाता हें,
ओर सारी तकलीफें भुल जातें हें हम उस वक़्त"
लीसा जब अपना लगेज पैक कर रही होती हें,
उसके पापा उसके पास आते हें ओर कहतें हें ।
यह लो बेटा तुम्हारे लिये में कैमरा लाया हूँ,
इस से उन सब पलों की तस्वीरें लेना जिन्हें तुम केद करना चाहती हो जिंदगी मे।
क्युकी ये पल कभी वापिस नहीं आयेंगे,
लीसा उन्हें थैंक्स कहतीं हें ।
पर आप एसा क्यू कह रहें हो,
वो कहतें हें तुम खुद आगें समझ जाओगी।
ओर अगले दिन सभी मसूरी के लिये निकल जातें हें,
बस में लीसा 'अभी' के साथ बेठी हुई थी । वो दोनो बातें करते-करते ओर बहार का नज़ारा देखतें हुए जा रहें थे। दिल्ली से मसूरी का सफ़र काफी दूर का सफ़र था,लीसा को नीन्द सी आने लगतीं हें ।
वो अभी के कंधे में सीर रख के सो जाती हे।
'अभी' के लिये वो पल एक खवाब से कम नही था,
वो यह पल हमेशा जीना चाहता था।
'अभी ' को उस पल में एक खयाल आता हें ओर वो अपने फोन के नोटस में उसे लिख देता हे।
वो शायरी लिखता हें,उसने आज से पहलें कभी किसी शक्स के लिये नही लिखा था।
ओर वो भी अपनी आखें बन्द करके थोड़ी देर के लिये सो जाता हें,
ओर जब वो उठ ता हें तो देखता हें वो थोड़ी देर में मसूरी पहुचने वाले हें।
वो लीसा को उठाता हें ओर कहता हें लीसा बहार देखो ।
लीसा उठती हें ओर खिड़की से बहार देखतीं हें,
वो कहतीं हें- यह नज़ारा -कितना-खुबसूरत-हें ।
मेने आज से पहलें कभी पहाड़ नहीं देखें हें सामने से।
यह मोमेंट को चप्चर करना चाहिए,
वो अपना कैमरा निकालती हें ।
ओर बहार की वीडियो बनाती हें,
ओर सब दोस्तो की वीडियो बनाती हें जो बस में हें ।
वो सब मसूरी पहुच जातें हें, वो सब बस से उतरते हें,
काफी ठंडी हवा चल रही थी , पर मौसम एसा की जन्नत ।
लीसा कहतीं हें काश में यहा ही जिन्दगी भर रह पाती ।
फिर वो सब होटल जाके अपना लगेज रखते हें ,
थोडा आराम करते हें ओर फ़िर घुमने निकल जाते हें ।
करीबन 4 बजे ।
वो सब पुरा मसूरी मॉल रोड़ घूमते हें,खातें पीते हे,
'अभी' एक दुकान में लीसा को ले जाता हें ओर लीसा को कान के झुम्के दिलाता हें ।
लीसा उन्हें पहन के 'अभी' को दिखाती हें ओर कहती हे केसे लग रहे हें, 'अभी' कहता बहुत सुंदर लग रहें हें तुम्पर ।
घूमते-घूमते शाम के 7 बज जातें हें ''अभी' लीसा को कहता हें,
तुम्हें एक नज़ारा दिखता हूँ, वो मॉल रोड से लीसा को देहरादून दिखाता हें ।
लीसा कहतीं हें यह यहा से कितना प्यारा लग रहा हें, लग रहा हे एसा की सारे तारें ज़मीन पर आ गये हो।
अभी कहता हें तुम सही कह रही हो ।
ओर थोडा घुम्के
सब लोग होटल वापिस जातें हें ओर डिनर करतें हे,
ओर सब अग्ली सुबाह उठके मसूरी में नयी जगह जाने का प्लान करते हें ।
वो कहतें हें अब जोर्ज एव्र्स्ट , वो जेसे ही होटल से बहार निकलते हें ।
तो देखतें हें स्नो फॉल हो रही हें, 'अभी' के अलवा किसी ने आज से पहलें कभी 'स्नो फॉल ' नहीं देखी थी।
वो जोर्ज एव्र्स्ट के लिये निकल पड़ते हे,
रास्ते में वो जगह भी आती हें जहा 'अभी' पहलें रहा करता था ।
'अभी' लीसा को बताता हें, लीसा कहतीं हें में अगर यहा रहतीं तो में कभी ओर कही नही जाती ।
वो हस्ते हुए कहता हें तुमसे मिलना क़िस्मत में था तो आना पड़ा ।
लीसा हस्ते हुए कहतीं हें तुम पागल हो ।
ओर वो थोडी देर में वो जोर्ज एव्र्स्ट पहुच जातें हें,
वो सब वहा घूमते हें ।
लीसा अभी से कहती अभी यह जगह कितनी सुन्दर हे,
तुम देख रहे हो बादल हमें छू-छू के जा रहें हें ।
'अभी 'कहता हें कहता था ना मेने ।
'लीसा' के लिये वो सब एक खवाब सा था,
जिसे कभी वो तोड़ना नहीं चाहती थी।
लीसा अभी से कहतीं हें तुम मुझें यहा की जो बातें बताया करतें थे ना यह जगह उन बातों से कयी ज्यादा खुबसूरत हें ।
वो सब कुछ देर वहा ओर रुकते हें ओर फिर
अपने होटल के लिये चल पड़ते हें ।
अगली सुबाह वो बुधा-टेम्पल जाने का प्लान करते हें,
वो पहुचते हें ।
लीसा 'अभी' से कहतीं हें में काफी थक गयी हूँ
चल चल के ,क्यू ना हम थोडी देर बेठ जाये।
ओर दोनो एक बैंच में बेठ जातें हें ,
लीसा कहतीं हें,तुम्हे केसा लगा यहा दोबारा आके ।
अभी कहता हें अच्छा लगा,
ओर तुम्हारे साथ आके ज्यादा अच्छा लगा ।
लीसा कहतीं हें एसा क्या?
'अभी' कहता हें मेने एक शायरी लिखी हें तुम सुन ना चाहोगी,
लीसा कहतीं हें तुम कब से लिखने लग गये ।
'अभी' कहता हें में लिखने नहीं लगा,
बस एक लिखी हें ।
लीसा कहतीं हें अच्छा अच्छा तुम सुनाओ,
'अभी' कहता हे,
काश यह पल,
में जिंदगी भर रोक पाऊ ।
काश में सब कुछ,
तूझे बता पाऊ,
में तूझे खोने के लिये ,
पाना नहीं चाहता ।
काश में यह महोब्बत ,
तुझे समझा पाऊ।
लीसा थोड़ी देर चुप रहतीं हें ओर कहतीं हें,
यह तुमने लिखा?
मुझें भरोसा सा नहीं हो रहा,
यह 'अभी' सच में बहुत अच्छा लिखा हे।
'अभी' खुश होता हें बहुत ।
ओर लीसा को कहता हें, पता हें इस टेम्पल में तुम जो विश मांगो
वो विश तुम्हारी पूरी हो जाती हे,
दोनो ही टेम्पल के अनदर जातें हें ओर मन में विश माँगते हें,
वो दोनो एक दूसरे को देखतें हें ओर मुस्कुराते हे ।
सब एक दिन ओर मसूरी ठहरते हें ओर अगले दिन वहा से घर के लिये निकल पड़ते हें ।
सभी लोग अपने साथ यादें ले के जा रहे थे,
एसी यादें जो शायद वो कभी नहीं भुल पाएंगे ।
वो घर पहुचते हें ओर कुछ दिन बाद उन्के प्री-बोर्ड पेपर शुरु हो जाते हें, लीसा ओर 'अभी' दोनो ही अच्छे मार्क्स लातें हें ।
ओर फिर कुछ हफ्तों बाद उनकी फ़ेयर-वैल पार्टी थी,
अभी ने इस पल का काफी वक़्त से इन्तजार किया था ओर फ़ेयर-वैल के दिन 'अभी' लीसा को सब दिल की बात कहने वाला था ।
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