फू जीऊ अच्छी तरह से जानता था कि श्रीमती फू के साथ उसका संबंध पहले से ही खिंचाव से भरा था।
आखिरकार, उसके पास अभी भी मूल मेजबान की स्मृति थी।
उस समय, उससे बेहतर कोई नहीं जान सकता था कि एक लड़के की तरह कपड़े पहना उसे कितना परेशान करता था।
और इन सब के लिए उसने अपनी माँ ज़िम्मेदार ठहराती थी और उसका मानना था कि पैसे का लालच इसकी वजह था।
साथ ही, उसके पिता उसे उसकी माँ जो भी चाहती थी, उसे दे देते थे, उसकी माँ के विपरीत जो उसे हर तरह से नियंत्रित करती थी साथ ही फू जुएयर से सावधान भी रहने को कहा था।
उसने बात नहीं मानी और यह भी कहा कि उसकी माँ दुनिया की सबसे शातिर व्यक्ति थी। उसने सबको बस बुरा ही समझा!
माँ-बेटी का रिश्ता तब से ही अटपटा था, जब वह छोटी थी, और यह तब तक जारी रही जब तक वह बड़ी नहीं हो गई।
कोई फर्क नहीं पड़ता कि श्रीमती फू ने उससे क्या कहती, वह केवल अस्वीकृति के साथ जवाब देती थी।
और श्रीमती फू ग्रामीण इलाके से थी, इसलिए वह वास्तव में कुछ चीजों को बदल नहीं सकती थी।
फू जीऊ के स्कूल जाने के बाद, उसने अपनी माँ की ओर ज्यादा नीची नज़र से देखा क्योंकि वह बिना किसी कारण के अपना आपा खो देती थी , उन्हें कोई टेबल मैनर्स भी नहीं थे और वास्तव में उनकी आवाज़ बहुत कर्कश थी।
इन वजहों से फू जीऊ ने अपने सहपाठियों के सामने खुद को बहुत हल्का महसूस किया।
उसने यह भी सोचा कि अगर उसकी माँ भी फू जुएयर की माँ की तरह कैसे कपड़े पहनना आता और अगर वह इस तरह से मोटी नहीं होती तो उसके पापा ने उसे नहीं छोड़ा होता।
ऐसी बहुत सी बातें उसके दिमाग में आती गईं और फू जीऊ ने अपने माथे को पकड़ लिया। वो सच में कितनी बुद्धू हुआ करती थी ।
जब वह कमरे में दाखिल हुई, तो एक अधेड़ उम्र की महिला ने अपने मोटे हाथों में फोन पकड़ा हुआ था। "हाय, मिस्टर झांग! मै हांगहुआ, फू जीऊ की माँ। क्या आप मेरे बेटे की घटना के बारे में कुछ बता सकते हैं? हां, हां, आप ठीक कह रहे हैं। यह सब मेरी ही गलती है। मैंने उसे अच्छी तरह से शिक्षित नहीं किया।"
फू जीऊ फोन पर डायरेक्टर की आवाज सुन सकता था। वह उसकी माँ को ऐसे डांट रहा था जैसे उसकी माँ कोई कोई बुद्धू बच्ची हो ।
उसने कहा, "आप ग्रामीण इलाकों के लोग अपने बच्चों को शिक्षित करना नहीं जानते हैं। आप मुझसे क्या उम्मीद करती हैं कि मैं इतनी बड़ी बात पर क्या कार्यवाही करूँ?"
सच में, सभी की अपनी गरिमा थी।
ही हांगहुआ उसकी माँ, को ग्रामीण कहलाए जाना सब से ज़्यादा बुरा लगता था ।
फू जीऊ को याद आया कि एक बार एक विक्रेता था, जिसने उनसे इस तरह की बात की थी।
ही होंग्हुआ सीधे उस व्यक्ति के खिलाफ चली गयी थी - "ग्रामीण इलाकों के लोगों में क्या खराबी है? किसान पैसे कमाते हैं और अपने हाथों से अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। क्या मैंने तुमको कम पैसे दिये हैं या कुछ ऐसा किया है? क्या मैंने तुम्हारे साथ बुरा व्यवहार किया है? क्या तुम किसानों को नीच भावना से देखते हो? पहले तीन पीढ़ियों पीछे जाओ; आपके परिवार में किसान नहीं थे क्या ?
उस समय, ही हाँगुआ कुछ ऐतिहासिक उपन्यास की हीरोइन की तरह आश्वस्त थी ।
लेकिन अब, वो उसकी भविष्य की शिक्षा को बचाने के लिए, हाँगुआ फोन पर , उसने सब बात पर हामी भरी,पूरे समय जी हज़ूरी करती रही और माफी भी मांगती रही।
और यह सब बस उसके लिए…
फू जीऊ अपनी भावनाओं को समझ नहीं सकी । उसने अपनी जेब में हाथ डाला और चली गयी , दूसरे हाथ का उपयोग करके उसने अपनी माँ के हाथ से फोन छीन लिया।
ही होंगहुआ ने पलट कर उसे हैरान हो कर देखा।
फोन की दूसरे तरफ , निर्देशक अभी भी चिढ़ा हुआ बोल रहा था, "ठीक है, ऐसा नहीं है कि आपके बेटे के स्कूल में वापसी पूरी तरह से नामुमकिन है। बात सिर्फ इतनी है कि यह सेमेस्टर आधा हो चुका है और आपको सभी स्तर के बहुत से लोगों से बात करनी पड़ेगी। आप किसान शायद इस तरह के नियमों को नहीं समझते हैं, लेकिन स्कूल इसी तरह होते हैं। इसके बारे में सोचें, यदि आप वास्तव में उसे वापस चाहटी हैं, तो कुछ चीजें भेंट दें और अपनी ईमानदारी दिखाएं, आखिर हर कोई तो अच्छे स्कूल में नहीं रह सकता ना? "
उन शब्दों को सुनकर फू जीऊ की आँखें ठंडी हो गईं। एक तेज़ी जो उसके चेहरे पर पहले कभी नहीं दिखाई दी , उसके सुंदर चेहरे पर आज दिखाई दी । अपने सुन्दर सफ़ेद चांदी जैसे बालों के साथ, वह रात में एक शाही वेंपाइर की तरह लग रही थी। "आप सही कह रहे हैं। हम किसानों को आपके घटिया नियमों के बारे में पता नहीं है। लेकिन खुले तौर पर माता-पिता से रिश्वत मांगना? निर्देशक झांग, आप अपनी नौकरी चाहते हैं या नहीं?"