सुबूह का समय था , एक मिडिल क्लास घर के अंदर से एक लड़का भागता हुआ बाहर आया और रोते हुए बोला " पापा मै नही जाऊंगा " तभी एक लगभग 50 साल का आदमी ,उसे बाहर आकर अंदर ले जाने ही वाला था ,कि उसी समय एक बड़ा सा ट्रक तेज़ी से गली मे आता दिखाई दिया ।
ये समय था सन 1901 का दिन मंगलवार , वो ट्रक उनके ही साथ वाले घर के ठीक सामने रुक गया ।
घर ज़्यादा अच्छे नही थे , सब एक जैसे ही बने हुए थे किसी raw house कि तरह , वो लड़का रोता हुआ , चुप हो गया और बड़े से ट्रक को देख कर बोला " पापा ये क्या है ,और ये यहाँ क्यों आया है " बच्चे का मासूम सवाल , किसी और ने भी सुन लिया था , " बुधू तुझे ये भी नहीं पता ,कि इसे truck कहते है और इसमे सामान भरकर् लाया जाता है बुधू "
एक और छोटे लड़के ने खिड़की से बाहर झाँकते हुए कहा , वो लड़का जो रो रहा था , वो उस लड़के को देखता ही रहा , पर कुछ बोल नहीं पाया ।
कुछ देर के बाद उस लड़के के पिता उसे वहां से स्कूल ले गये और बड़ी ही मुश्किल से उसे स्कूल तक छोड़ा ।
वर्तमान समय
एक 25 साल का नौजवान , एक गंदे से बार के कमरे में एक लड़के के साथ हम बिस्तर हो रहा था , मुँह में सिगार , बदन पर पसीना और आँखों में गुस्सा लिए वो अपने साथी के मना करने पर भी ज़बरदस्ती ,सब कुछ किये जा रहा था ।
उसके साथी के हाथ उसकी पीठ पर एक संगल से बंधे थे , और उसका एक सिरा और सिगार पीने वाले लड़के के हाथ में था , तभी वो बंधा हुआ लड़का चिल्लाया " जाने दो मुझे , तुम एल जल्लाद हो , जल्लाद , जानवर कहीं के " उसने जैसे - तैसे उसे धक्का दिया और एक तरफ गिराते हुए वहां से भाग गया ।
वो लड़का एक तरफ गिरकर् एक सोफे पर बैठ गया और फिर से सिगार के कश खींचते हुए बोला " तू भी नहीं झेल पाया , मेरे इस जूनून को " फिर उसने एक और सिगार जलाई और साथ ही शराब का घूंट लेकर , उस उड़ते धुएँ को देख कर सोचने लगा ।
आखिर कौन था ये लड़का और क्या नाता था उन दो छोटे बच्चो से इसका , जानने के लिए बस अगले chapter का wait करे ।