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एक नई शुरुआत!

शौर्य अपनी कुटिया पर पहुँचा तो उसने देखा कि दरवाजे के सामने एक मोटा आदमी खड़ा है। वह ऐरावत से निचे उतर गया और घोड़ा चला गया। "जग्गू?" शौर्य ने पूछा, मोटा आदमी मुड़ गया। "अरे मित्रा!" मोटे आदमी ने उसे कसकर गले लगाते हुए कहा। "इतने दिनो वाद मिले हो तुम हम मित्र शेरू!" जग्गू ने प्रसन्नता से कहा। "मेरा नाम शौर्य है शेरू नहीं, जग्गू? तुम्हें कितनी बार बताना होगा। बचपन से ऐसी ही हो तुम। बिलकुल भी नहीं बदले तुम बंधु!" शौर्य मुस्कुराया। जग्गू और शौर्य खुशी-खुशी गांव के बाजार से गुजरे...

"वाह! यह बूढ़ा आदमी याही बैठा कैसे है?" जग्गू ने वृद्ध ज्योतिषी की ओर देखते हुए कहा। "चलो उससे तुम्हारे भविष्य के बारे में पूछते हैं, शेरू?" जग्गू ने शौर्य को खींचते हुए पूछा। "नहीं - नहीं!" शौर्य ने जिद की, लेकिन वे उसकी दुकान पर आ चुके थे। "बोलो बच्चा! आप को क्या परशानी है? बोल बच्चा! बोलो!" वृद्ध ज्योतिषी ने उन पर मुस्कराते हुए कहा। "ज्योतिषी जी! आप मेरे मित्र शौर्य की भविष्य बताओ!" जग्गू ने शौर्य की कलाई आगे खींचते हुए कहा। शौर्य ने अपना बायां हाथ उसे दिखाया। "हम्म... तुम्हारा तो राज योग! और..."

"और?" शौर्य ने पूछा, जग्गू देखने के लिए झुक गया। "और तुम्हारे इस ब्रह्माण्ड के रक्षक बाओगे। जल्द ही तुम बाकी योद्धा से मिलेगे। और अलौकिक योद्धाओं से युद्ध लड़ोगे! बोहोत उत्तम अमर हो तुम ... पर तुम्हारी मृत्यु- एक इंसान की तरह संपूर्ण होगा पा! एक कूनकर युद्ध, एक खतरनाक दृश्य! एक दानव बादशाह की वजह से तुम्हारा जीवन संपूर्ण हो जाएगा!" शौर्य ने अपना हाट पिचे खीचा। "कुछ भी!" वो जग्गू को गुसे से देखने लगा। "अरे! ठीक है बाबा, ठीक है!"

"ठीक है चिंता मत करो! ओए! चाचा ये लोग 10 चांदी की मुद्रा! ठीक है!" जग्गू ने वृद्ध ज्योतिषी को चांदी के सिक्के सौंपते हुए कहा। "ठीक है! चल!" जग्गू ने शौर्य की कहानी सुनी। उन्हें वज्र तलवार कैसे मिली! कैसे हुई उनके आचार्य चंद्रवर्धन की हत्या! भैरव के गांव को कैसे हुआ भारी नुकसान! कैसे उन्होंने जोरावर का वध किया और फिर कैसे उन्होंने काल लोक के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्ध में भाग लिया! कैसे उसने अपने विरोधियों को परास्त किया और अंत में कालकेय को मार डाला और सिंहनगरी का नया शासक बन गया!

जग्गू ने शौर्य को अलविदा कहा और अपने चाचा की तलाश में चला गया। अचानक, शौर्य ने देखा कि एक नारंगी रंग का पोर्टल उसकी आँखों के सामने खुला है। उसने पीले वस्त्र और नारंगी रंग के जूते पहने एक किशोर को देखा। किशोर लड़का एक चमकदार जादुई पीले रंग की ढाल के साथ 3 सिर वाले राक्षस से लड़ रहा था। "अरे! अरे? हाँ, तुम! क्या तुम इंद्र योद्धा हो?" किशोर ने उससे पूछा। "हाँ! मैं इंद्र योद्धा हूँ। लेकिन, मेरा असली नाम शौर्य है! शौर्यवर्धन!" शौर्य ने कहा। "अंदर आओ! अंदर कूदो! मदद!" शौर्य को तुरंत पोर्टल में खींच लिया गया।