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प्यार का इजहार...

Chapter - 28

ताई ने युन क्यूँग का हाथ दूर किया और कहा - मैं ठीक हूँ मेरी चिंता मत करो l

सभी कबीले लौट आये शिद्दत एक जगह आकर दिल से रो पड़ी उसके आँसू छलक कर गालों पर आ गए वो खुद से बोली - इतना डर पहले कभी नहीं लगा जितना आज अगर उसे कुछ हो जाता तो मैं अपने आप को कभी भी माफ नहीं कर पाती अगर उसे कुछ हो जाता तो मेरी साँस नहीं चलती

मुझे नहीं पता कि ये कब कैसे हुआ मैं उसकी परवाह करती हूँ उसे अपने हृदय में रखती हूँ भले ही वो किसी का भी इंतजार कर रहा हो लेकिन मैं उससे प्यार करती हूँ और बहुत करती हूँ l

पीछे से एक आवाज हैरानी भरी आवाज आयी - क्या तुम उनसे प्यार करती हो l

शिद्दत मुड़ी तो देखा दीया है दीया ने उससे कहा - तुम कैसे किसी से प्यार कर सकती हो जब ये बात महाराज को पता चलेगी तो क्या होगा वो तुम्हें इसके लिए कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे l

शिद्दत उससे बोली - मुझे पता है लेकिन मुझे नहीं पता था कि मुझे उससे प्यार हो जाएगा इसमें मेरी कोई गलती नहीं है मेरा दिल आज सिर्फ एक सच्चे भावना के प्रति उस पर आकर्षित है मैं उसकी फिक्र करती हूँ क्योंकि मैं उस से प्यार करती हूँ मैं उसे अपना आराध्य मानकर उसकी उपासना करती हूँ आज जो भी जुनून मेरे अन्दर था सिर्फ उसके लिए l

दीया ने उसे समझाते हुए कहा - लेकिन अनाया तुझे पता है न कि वो किसी और से प्यार करते हैं वो किसी और का इंतजार कर रहे हैं तो तेरा प्यार कैसे स्वीकारेंगे l

शिद्दत - हाँ मैं जानती हूं लेकिन जरूरी नहीं कि सामने वाला भी हमसे प्यार करे तो ही हम उसे भी प्यार करें l

मेरी भावना सच्ची है मेरा प्रेम उसके लिए सच्चा है भले ही वो किसी और से प्यार करता है भले ही वो किसी और का इंतजार कर रहा है लेकिन मैं तब भी उससे सच्चे मन से प्यार करुँगी मैं उसे अपना आराध्य मान चुकी हूँ l

दीया - लेकिन अनाया तू कैसे रहेगी उसके बिना l

शिद्दत - तुम्हें पता है दीया मुझे लगता है कि मेरा न उससे बरसों पुराना सम्बंध है जो मुझे स्मृतियाँ दिखाईं देती हैं वो मेरे और उससे जुड़ी हुई हैं ऐसा लग रहा है कि वो ही नहीं बल्कि मैं भी उसका इंतजार सदियों से करती आ रही हूँ l

ताई अपने कमरे में था उसने अपने कपड़े बदले और आइने के सामने खड़ा हो कर शिद्दत के उन शब्दों को याद करने लगा - तुमनें उसे पीड़ा पहुँचाई है जो मेरे हृदय में वास करता है इसलिए यहाँ से कोई भी ज़िन्दा नहीं जाएगा भला कोई अपनी ही जान लेता है अगर तुम्हीं नहीं रहोगे तो मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं है मेरे रहते इसे कुछ नहीं होगा l

वो सोच ही रहा था कि तभी एक सेवक आकर कहता है - राजकुमार जी गुरु जी ने आपको बुलाया है आपके माता पिता आए हैं आपसे मिलने के लिए l

ताई ये सुनकर तुरंत गुरु जी के पास चला गया उसने देखा अपने माता पिता को जो उसका ही इंतजार कर रहे थे l

ताई उनके गले लग गया उसकी मां ने कहा - बेटा तुम ठीक हो न तुम्हें कोई चोट तो नहीं आयी न l

ताई - नहीं माँ मैं बिल्कुल ठीक हूँ l

उसके पिता - हम तो डर ही गए थे अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो हम जिवित ही नहीं रह पाते l

ताई - नहीं पिता जी ऐसा मत कहिये जब तक वो है मेरे साथ मुझे कुछ नहीं हो सकता है l

ताई की माँ - कौन है वो जिसने तुम्हारी जान बचाई l

तभी युन आ जाती है और कहती है - रानी माँ आप l

वो उनके गले लगती है l

ताई की माँ - कैसी हो युन क्यूँग l

युन - मैं ठीक हूँ आज तो हम सभी बच गए नहीं तो अनर्थ हो जाता l

गुरु जी - हाँ सब अनाया की वजह से हुआ है उसी ने हमारी और इस गाँव की रक्षा की है नहीं तो उस कालिका ने तो आज सबको मृत्यु दे ही दी होती l

युन - हूं सभी अब उसी का गुणगान करेंगे l

वो सभी बैठकर बातें करने लगे शिद्दत अपने कमरे में तैयार हो रही थी और अपने बाल को सुलझा रही थी और मुस्करा भी रही थी वो बाहर आती है तो देखती है सोंग जोंग बाहर ही है वो कहता है - अरे माता किस बात को सोचकर इतना मुस्करा रही हो आप l

शिद्दत - अरे तुम कल कहाँ थे तुम मैंने तुम्हें कितना ढूँढ़ा तुम्हारा इंतजार भी किया तुम आए ही नहीं कहाँ थे l

सोंग जोंग - अरे बस करिये एक ही बार में इतने सारे सवाल पूछ लेंगी तो मैं बताऊँगा कैसे आपको वैसे वो सब छोड़िए आपको गुरु जी बुला रहे थे l

शिद्दत उसके साथ चली गई वो दोनों भोजनालय में आए सभी कतार में बैठे थे शिद्दत ने उन्हें हाथ जोड़कर प्रणाम किया और कहा - गुरु जी आपने मुझे बुलाया l

गुरु जी - हाँ बैठो l

शिद्दत देखती है सामने गुरु जी बैठे उनके अगल-बगल में ताई के माँ पिता सिमी, जियांग दूसरे साइड में ताई ओंग बैठे हैं ताई की माँ उसे ताई की बगल में बैठने को कहा l

शिद्दत जैसे ही बैठने वाली थी युन आकर बैठ गयी और कहा - जगह तो नहीं है l

शिद्दत - कोई बात नहीं बस मुझे ये बताइए कि आपने मुझे क्यों बुलाया है l

ताई के माता पिता ने उससे कुछ बातें की और बाहर आ गयी सोंग जोंग ये देखकर गुस्सा हो रहा था - मेरे बाबा के बगल में ये कौन बैठी है l

थोड़ी देर बाद...

जब सभी बाहर आते हैं तो सोंग जोंग ताई के पास जाता है और उसे घूरने लगता है ताई उसे ऐसे देख कहता है - क्या हुआ तुम मुझे घूर क्यों रहे हो l

सोंग जोंग - वो लड़की कौन है जब भी मेरी माता आपके पास आने लगती हैं तो वो लड़की आपके पास आकर बैठ जाती है बताईये l

ताई हँसते हुए बोला - अरे वो, वो तो मेरे बचपन की दोस्त है वो हमेशा मेरे साथ ही रही है न तो...

सोंग जोंग - क्या तो.. मेरी माता की आपको बिल्कुल भी फिक्र नहीं है l

ताई - अरे बेटा गुस्सा नहीं करते हैं मैं उसकी बहुत फिक्र करता हूँ l

सोंग जोंग - तो आप उन्हें बताइए कि आप जिसका इंतजार कर रहे हैं वो वही हैं जाइए l

ताई - लेकिन...

सोंग जोंग - आप जाइए... l

ताई वहाँ से चला जाता है वो सिद्दत को ढूँढने लगा शिद्दत कहीं नहीं दिखी तो उसने साँस ली और कहा - अच्छा है नहीं मिली नहीं तो आज l

वो जैसे ही पीछे मुड़ा शिद्दत से टकरा गया शिद्दत ने उसे देख कहा - ऐसे छुपते छुपाते कहाँ जा रहे हो हम्म...

ताई उसे हड़बड़ाते हुए कहा - क.. क.. कहीं नहीं कहाँ जा रहा हूं मैं तो यहीं हूँ तुम बताओ तुम कहाँ जा रही हो l

शिद्दत बोली - मैं तो बाहर जा रही थी वो कुछ काम था l

ताई झूठी मुस्कान लिए बोला - अच्छा मैं भी वहीं जा रहा था चलो चलते हैं l

शिद्दत ने उसे ऐसे अजीब सी हरक़त करते देख थोड़ा उसे अजीब लग रहा था l

शिद्दत आसमान में देखती है कि बादल घिर आये हैं और आसमान काला हो रहा है - लगता है बारिश होने को है l

शिद्दत ने वहां के पड़े कुछ कपड़ों को एक एक कर उठाने लगी सोंग जोंग ने ताई को इशारा कर कहा - बोलिए l

ताई ने शिद्दत से कहा - अच्छा एक बात पूछूं l

शिद्दत - हाँ पूछो l

ताई - क्या तुम कभी भी शादी नहीं करोगी l

शिद्दत - हँ...

ताई - मेरा मतलब है कि क्या तुम अपने बाबा की मर्जी से ही शादी करोगी तुम्हें अगर कोई पसंद आ गया तो.... ?

शिद्दत मुस्कराई और कहा - वैसे तो मैंने उनसे वादा ही किया लेकिन अगर मैं किसी से प्यार करूँ और वो भी मुझसे प्यार करे तो हो सकता है कि मैं उन्हें मना लूँ l

ताई थोड़ा खुश हुआ और कहा - अच्छा वैसे क्या तुम्हें कोई पसंद है मतलब क्या तुम किसी से प्यार करती हो l

शिद्दत ने ताई को देखा और कहा - तुम मुझसे ये सवाल क्यों पूछ रहे हो जाओ जाकर उसका इंतजार करो जिसे अपने ख्वाबों में ढूंढते हो मुझे तंग मत करो l

शिद्दत ये बोलकर अपने काम करने लगी l

ताई - लेकिन वो तो आ गयी है और बहुत पहले ही आ गयी है l शिद्दत को ये सुन घबराहट सी महसूस होने लगी वो बोली - मुझे नहीं जानना मुझे बहुत काम है l

और शिद्दत जाने लगी ताई ने जोर से कहा - जिसका मैं इंतजार कर रहा हूं वो तुम हो l

शिद्दत के ये सुन कदम रुक गए वो ताई की तरफ मुड़ी ताई ने कहा - हाँ मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था आज से नहीं बल्कि कबसे ये बताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं मैं तुमसे प्यार करता हूँ l

शिद्दत हैरानी से उसे देखती रही सोंग जोंग तो खुश था अचानक से बारिश की बूंदे उन पर गिरने लगीं शिद्दत ने आसमान में देखा फिर ताई को जो उसके ज़वाब का इंतजार कर रहा था वो शिद्दत के पास आया और कहा - मैं अपने ख्वाबों और ख़्यालों में तुम्हें ही रखता हूं तुम मेरे यहाँ ( उसने सीने पर हाथ रख कर कहा ) यहाँ बस्ती हो l

ताई उससे कहता है - और मैं ये जानता हूं कि तुम भी मुझसे प्यार करती हो l

शिद्दत कुछ सोच समझ नहीं पा रही उसने हिचकिचाते हुए कहा - मैं मैं वो तुम तुमसे प्या.. प्या..

ताई - तुम समय ले सकती हो मैं तुम्हारे जवाब का इंतजार करूँगा तुम जो भी जवाब दोगी मैं उसे स्वीकार करूँगा l

ये कहकर ताई वहाँ से जाने लगा तो शिद्दत बोली - मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ l

शिद्दत की आवाज ताई के कान में गूँज गयी उसके कदम रुक गए वो शिद्दत की तरफ मुड़ा शिद्दत उसे प्यार से देखते हुए बोली - हाँ मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ मुझे नहीं पता कबसे लेकिन मैंने जब ये जाना अपनी जिंदगी तुम्हारे नाम कर दी हर साँस में तुम्हारा नाम लिया है l

जब वो ये बातें बोल रही उसकी पलकें भीगी हुईं थीं और बारिश की बूंदे उसके गालों पर आ रहीं थीं उसका दिल तेजी से धड़क रहा था और वो सांसे भर रही थी l

और होंठों पर मुस्कराहट थी ताई उसकी तरफ चलते हुए आया और उसे गले लगा लिया l

उनके मिलते ही हर जगह फूल खिल उठे आसमान रंग बिरंगा हो गया रंग - बिरंगी तितलियां उनके आसपास मंडरा रहीं थीं और आसमान से उन दोनों पर फूलों की बारिश हो रही थी और वो दोनों आंख बंद कर एक दूसरे में डूबे हुए थे l

ताई के भी आँखों में आँसू थे उसके दिल की आवाज़ गूँज रही थी - आज मेरी तमन्ना पूरी हुई मेरा इंतजार खत्म हुआ मेरी श्रीशि मेरे पास आ गयी हमारा छठा जन्म भी सफल हुआ अब मेरी कोई तमन्ना नहीं है बस मेरी श्रीशि मेरे पास रहे अब कभी भी मुझे छोड़कर न जाये l

उसके दिल की आवाज़ जैसे आसमान सुन रही थी और उनके मिलन पर आसमान भी जोरों से बरस रहा था सोंग जोंग भी खुश था पूरी कायनात खुश थी सोंग जोंग के भी आँखों में आँसू थे उसने खुद से कहा - मेरे माता पिता एक हो गए और अब मेरे जाने का वक़्त भी हो चुका है ये ऐसे ही हमेशा खुश रहे हैं मेरी आखिरी इच्छा यही है l

कहानी अभी खत्म नहीं हुई है और इंतजार वो तो सदियों का है तो ऐसे कैसे खत्म हो जाएगा कहानी अब शुरू होगी

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