Chapter - 7
अगली सुबह...
सभी कक्षा में आते हैं शिद्दत भी जा ही रही थी कि तभी सामने आकर लुई और उसकी सभी सहेलियां खड़ी हो जाती हैं शिद्दत अचानक उसके सामने खड़े हो जाने से उन्हें देखने लगती है l
लुई और उसकी सहेलियाँ अपने दोनों हाथ बांधे खड़ी उसको घूर रही थीं शिद्दत कहती है - आप सब यहाँ... क्यों खड़ी हो l
लुई - तुम तो बड़ी जल्दी बदल गई l
शिद्दत - मतलब मैं कुछ समझी नहीं मैं बदल गयी l
लुई - हाँ तुमनें कहा था कि तुम ताई को कभी भी अपनी तरफ आकर्षित नहीं करोगी लेकिन तुमने अपनी इस खूबसूरत चेहरे से उसे आकर्षित कर ही लिया और उस वज़ह से वो सिर्फ तुम्हें ही देखता है और सिर्फ तुम्हारे बारे में पूछता रहता है और सिर्फ तुम्हारी ही चिंता करता है मेरी तो उसे फिक्र ही नहीं है l
तो मैं क्या करूं सामने से हटिये और मुझे जाने दीजिए, शिद्दत ने कहा और जाने लगी लुई उसे जाते हुए देखते हुए कहती है - तुम्हें तो मैं नहीं मैं उससे दूर करके ही रहूँगी क्योंकि वो तो इस जन्म के लिए तो मेरा तुम तो अब उससे अगले जन्म में ही मिलना समझी l
तभी लुई की एक सहेली ने कहा - लुई लगता है इसे भी ताई पसंद आने लगे हैं तुझे जल्दी ही कुछ करना होगा वरना तुझे ताई कभी भी नहीं मिल पाएंगे l
लुई - तुम सही कह रही इन दोनों के लक्षण और सोच दोनों मिलते हैं l
लुई की एक दोस्त - कहीं इन दोनों के दिल, जिस्म, रूह ये सब भी तो नहीं न मिलते हैं l
लुई थोड़ा गुस्से से - तुम कहीं पागल तो नहीं न हो गयी हो ऐसा कुछ नहीं होता समझी तुम और दुबारा ये शब्द मुँह पर मत लाना नहीं तो मेरी जैसी दोस्त तुम खो दोगी समझी l
हम्म.. उस लड़की ने कहा l
लुई के साथ - साथ सभी कक्षा में चली जाती हैं l
कक्षा शुरू हो गई थी ताई पिछला छूटा अध्याय के बारे में बता रहा था सभी वो चीजें बहुत अच्छे से सुन रहे थे लेकिन बार - बार उसका ध्यान शिद्दत की तरफ चला जा रहा था वो उसके पास आया और कहा - तुम उठो l
शिद्दत उठती है और उसे देखते हुए बोलती है - जी क्या हुआ मैंने कोई गलती की है l
ताई जोंग - नहीं लेकिन तुम अभी बाहर जाओ l
शिद्दत ने हैरानी से कहा - क्यों मैंने क्या किया है मैं तो चुप चाप बैठी हूँ l
ताई - मैंने कहा न तुम बाहर जाओ मैं तुमसे बाद में मिलता हूँ l उसके कहने पर शिद्दत बाहर आ जाती है और गुस्से से पैर दीवार में मार देती है l
ताई जो पढ़ा रहा था वो थोड़ा जोर चिल्लाया - आ... l
सभी उसकी ओर देखने लगे ताई अपना पैर जमीन पर धीरे-धीरे रगड़ रहा था l
सिमी - क्या हुआ गुरु जी आप ठीक तो है न l
उसने सामने देखते हुए कहा - हाँ मैं बिल्कुल ठीक हूँ तुम सब अपनी शिक्षा पर ध्यान दो l
सिमी - लेकिन शिक्षा तो है ही नहीं, उसने शरारत से कहा l
ताई - क्या कहा तुमने ?
सिमी - कुछ नहीं l
ताई उन्हें पढ़ाने लगा इधर बाहर शिद्दत गुस्से से कहती है - खुद को समझते क्या हैं मैंने तो कुछ किया भी नहीं फिर भी मुझे बाहर निकाल दिया l
शिद्दत ऐसे ही चलते जा रही थी उसके आजू - बाजू में बहुत सारे कमरे थे तभी उसे एक कमरा दिखता है जिसका दरवाजा खुला हुआ था उसमें से एक सुनहरी रौशनी आ रही थी शिद्दत उस ओर बढ़ जाती है l
और कमरे के अंदर जाती है कमरे के अंदर के अंदर एक लालटेन जल रही थी जो पूरे कमरे को रौशनी दे रहा था वहां बहुत सारी किताबें रखी थीं एक तरफ सफेद खिड़की के पास एक मेज रखा था जिसपे बहुत सारी किताबें रखीं थीं और उसके आजू - बाजू दो - दो कुर्सियां रखीं थीं l
दीवारों पर पुराने छात्रों के चित्र लगाये गये थे और एक तरफ लोहे की अलमारी रखी थी और उस पर बहुत सारी किताबें रखीं थीं वो उसके पास जाती है वो उन किताबों को देखने लगती है तभी उसकी नजर एक ऐसे किताब पर जाती है जो बहुत सारी किताबों के नीचे रखी थी l
वो उस किताब को उन किताबों के नीचे से निकालती है और उसे अपने हाथ में लेती है उस पर बहुत मिट्टी धूल ज़मी हुई थी उसने मिट्टी हटाई तो धूल उड़ने लगी तो उसे खांसी आ गयी l
शिद्दत उस किताब को देखते हुए कहती है - ऐसा लग रहा है ये सदियों पुराना किताब है इसीलिए बहुत धूल ज़मी है इस पर l
तभी उसे किताब के पहले ग्राफ पर कुछ दिखा उसमें बारिश की बूंदे नीचे गिर रही थी और उस पर लिखा था - जब बारिश होगी तब हमें प्यार होगा l
जैसे ही उसने ये शब्द पढ़े उसके दिमाग में कुछ आवाजें गूंजने लगीं कोई और भी बोल रहा था - जब बारिश होगी तब हमें प्यार होगा... जब बारिश होगी तब हमें प्यार होगा... जब बारिश होगी तब हमें प्यार होगा... l
शिद्दत अपना सर पकड़ लेती है और कहती है - बस l
उसके बाद वो आवाजें आनी बंद हो जाती हैं शिद्दत उस किताब को देखती है और उसे उठाती है फिर जैसे ही पहला page खोलने को होती है सामने से एक आवाज आती है l
तुम यहाँ क्या कर रही हो,
शिद्दत उस तरफ देखती है तो दरवाजे पर ताई खड़ा था उसने उससे हकलाते हुए कहा - जी... जी... वो... मैं... मैं... I
ताई उसके पास आकर खड़ा हो जाता है और कहता है - आगे भी कुछ बोलोगी या मैं मैं करती रहोगी और ये क्या है ये किताब गुरु जी ने रखी है तुमने इसे हाथ क्यों लगाया उन्हें पता चला तो वो तुम्हें दंड देंगे रखो इसे l
ताई ने उस किताब को उससे लेकर उसके वापस से अपनी जगह पर रख दिया और शिद्दत से कहा - चलो बाहर जाओ और उस मेज से लगे कुर्सी पर बैठ जाता है और कुछ किताबें देखने लगता है l
शिद्दत ने अभी जो कुछ उस किताब में देखा था वो सब भूल गयी और ताई के सामने आकर खड़ी हो गई और उससे उखड़े स्वर में कहा - पहले ये बताइए आपने मुझे बाहर क्यों निकाला मैंने तो कोई गलती भी नहीं की थी l
ताई जो page पलट रहा था वो रुक जाता है वो सर ऊपर कर शिद्दत को देखने लगता है और नजरें चुराते हुए कहता है - वो... वो... मैं तुम्हें अकेले में शिक्षा में दूँगा l
शिद्दत उसे हैरानी से शक की नजरों से देखने लगती है उसे ऐसे देखता कहता है - तुम गलत मत समझो मेरे कुछ दोस्त भी होंगे l
शिद्दत ने कहा - अच्छा ठीक है मैं चलती हूँ l
वो जाने लगती है तो ताई उससे कहता है - शाम को यहीं आना मेरे सारे दोस्त भी आयेंगे उसी समय l
शिद्दत उसे एक नजर देखती है और कहती है - हम्म...
और जाने लगती है तभी फिर रुक जाती है ताई उसे देख खुद से कहता है - अब इसे क्या हुआ ? वैसे ही मेरा दिल इसको देख - देख कर धड़क रहा है अब क्या निकाल कर ही मानेगी l
दरअसल उसका दिल उसे ही देख - देखकर धड़क रहा था
वो अपने दिल पर हाथ रखे हुए परेशान सा उसे देख रहा था
शिद्दत उसकी ओर मुड़ी तो उसने देखा ताई ने अपने हाथ अपने सीने पर रखा हुआ था उसने हिचकिचाते हुए कहा - आपने ये अपना हाथ सीने पर क्यों रखा है l
ताई ने परेशान होकर कहा - वो सब छोड़ो जिसके लिए रुकी हो वो बताओ l
शिद्दत - अच्छा ये सब छोड़िए मुझे एक बात पूछना था पूछूं
ताई ने परेशान होते हुए कहा - हाँ जल्दी पूछो l
शिद्दत - वो पूछना था कि जब बारिश होगी तब हमें प्यार होगा इसका क्या मतलब है ?
ये सुन ताई चुप हो जाता है और सोचने लगता है l