। (दूसरा दृश्य) ।
ईशानी- कैसे घूर घूर के देख रहा था वह तुम्हें?
अनुष्का और इशानी अपनी कमरे में बैठी हैं। ईशानी अपने और अनुष्का के कपड़े अलमारी में रख रही है। और अनुष्का हवेली के अलग-अलग हिस्सों को रंगने के लिए रंगो की प्रणाली बना रही है।
अनुष्का- देख ईशानी मैं तुम्हें पांचवी बार बता रही हूं तुम उस दीपक के बारे में बात करना बंद करो।
ईशानी-दीपक नहीं हर्ष....
अनुष्का- हां.... वह जो कोई भी है!
ईशानी सभी कपड़े अलमारी में रख देने के बाद नीचे रसोई से पानी की बोतल लाने चली जाती है। ईशानी के जाने के बाद अनुष्का उसकी बातों पर गौर फरमाते हुए पैन को अपने दांत से काटने लगती है....
अनुष्का- (अपने मन ही मन में) "मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे मैं हर्ष से पहले मिल चुकी हूं? खैर छोड़ो जयपुर इतना बड़ा शहर है देखा होगा कहीं...."
इतने में ही ईशानी पानी की बोतल लेकर आ गई। वह बोली...
ईशानी- यार मैं ना बड़ी गजब की चीज देख कर आई हूं। पर वह चीज थोड़ी अजीब थी इसीलिए मैं तो भाग आई।
अनुष्का-(थोड़ी कन्फ्यूज होते हुए) कौन अजीब थी....? क्या देख कर आई हो....? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा तुम किस बारे में बात कर रही हो ईशानी।
ईशानी- मैं जब रसोई से पानी की बोतल लेकर आ रही थी तब मैं रास्ता भटक गई थी। इतनी बड़ी हवेली है अच्छा भला आदमी भटक जाए, मैं क्या चीज हूं! मैं पता नहीं कौन सी जगह पर पहुंच गई थी। वह जगह थोड़ी अजीब थी। पता नहीं कौन सी जगह थी? वहां दीवार पर एक बड़ी सी फोटो लगी हुई थी। उस फोटो में एक महिला थी। और पहनावे से कोई महारानी लग रही थी। और फोटो के नीचे लिखा था 'सुष्मिता देवी'...
अनुष्का- नाम से तो बंगाली लगती है शायद.... लेकिन बंगाली महारानी जयपुर में क्या कर रही है?
ईशानी- अरे ओ सोचने वाली महारानी... आगे सुन।
अनुष्का- हां....
ईशानी- वहां कुत्तों की, झिंगुरों की डरावनी आवाजें आ रही थी। बिल्कुल किसी हॉरर मूवी के सीन की तरह। तभी तो मैंने तुझसे कहा था, कि वहां कुछ अजीब था। और इसीलिए मैं डर के भाग आई।
To be continued....