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मेरी गर्लफ्रैंड है

 तुम यहां क्या कर रही हो . . .? "

 वही उसके सामने खड़ी लड़की ने अपनी आंखों पर गॉगल्स चढ़ाए हुए थे । उसने अपने चश्मे निकाल कर अपने पर्स में रख दिये फिर अपने सामने खड़े अनंत की तरफ देखते हुए बोली - " तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि मैं तुमसे मिलने आई हूं । "

 

 ये सुनकर अनंत की भौहे सिकुड़ सी गई और उसने अपनी घड़ी की तरफ एक नजर डालते हुए कहा - " अह मुझे अब थोड़ी देर बाद ही जाना होगा , एक बिल्ली ने रास्ता काटा होता तो मैं चला भही जाता लेकिन तुम तो बिल्ली से भी खतरनाक हो । "

 

 अनंत के सामने खड़ी लड़की का नाम दिशा था और ये अनंत की एक्स गर्लफ्रेंड थी । जिसे अनंत बिल्कुल भी पसंद नही करता था । 

दिशा अनंत की बात सुनकर गुस्सा हो गई और उसने गुस्सा जाहिर करते हुए कहा - " अनंत तुम अभी भी सुधर ने का नाम नही ले रहे , अभी भी वक्त है संभाल जाओ तुम वरना सब कुछ तुम्हारे हाथ से चला जायेगा । "

 

 अनंत दिशा से कोई बात नही करना चाहता था , इसीलिए उसने गुस्से से कहा - " मेरा तुमसे कोई रिश्ता नही है , तुम्हारे लिए यहीं बेहतर रहेगा कि तुम यहां से चली जाओ । "

 

वही दिशा ने भड़क ते हुए कहा - " मैंने सोचा था कि अब तुम्हारी अक्ल ठिकाने आ गई होगी , और हम दोनों के बीच सब पहले जैसा । "

" पहले भी हमारे बीच कुछ नही था और न अब है । अनंत ने तुरंत ही जवाब दिया । जिसे सुनकर दिशा ने कहा - " मैं तुम्हारी mom के कहने पर हम दोनों के बीच सब ठिक करने आई थी पर तुम ही ठीक नही करना चाहते , लेकिन याद रखना तुम्हारी शादी तो मुझसे ही होगी । "

 वही सोफे पर लेटी देवांशी आ रही जोर - जोर से आ रही आवाज सुनकर उसकी नींद टूट गई जीसे वो सोफे पर उठकर बैठ गई फिर अंगड़ाई लेकर बोली - " हिडन ! क्यों लड़कियो की आवाज में सुबह - सुबह गाना गा रहे हो । "

 

दिशा जो अनंत से बात कर रही थी वो एक लड़की की आवाज सुनकर अनंत को साइड करके घर मे आई और देवांशी को देखकर अनंत से कहने लगी - " कौन है ये लड़की . . . ? "

वही देवांशी दिशा को ऊपर से लेकर नीचे तक देखने लगी । फिर उसने मुंह बनाते हुए बड़बड़ा ते हुए कहा - " वो खुद नही जानता तो तुम्हें कैसे बताएगा । "

 देवांशी ने देखा कि दिशा काफी खूबसूरत है , जिसे देवांशी अपने आप को देखने लगी । 

 देवांशी ने अनारकली सूट पहना था , जिसमे वो एक गांव की ही नजर आ रही थी यहीं सोचकर देवांशी मन ही मन कहने लगी - " अह ये लड़की कितनी खूबसूरत है और एक मैं हूं । "

वही अनंत दिशा की ये बात सुनकर दिशा को बाहर का रास्ता दिखाते हुए बोला - " जिस रास्ते से अंदर आई हो उसी रास्ते से बाहर चली जाओ । "

 ये सुनकर दिशा ने देवांशी पर उंगली पॉइंट करते हुए कहा - " सच बताओ तुम कौन हो और इतनी सुबह अनंत के अपार्टमेंट में क्या कर रही हो . . ? "

 दिशा की बात सुनकर देवांशी सोफे पर से उठकर एक नजर ऊपर से लेकर नीचे तक दिशा को देखने लगी , फिर उसने जवाब दिया - " मैं कल रात से यहां हूं , अब क्या तुम्हें कोई प्रोब्लम है . . . ?"

 कल रात का सुनकर तो दिशा को खड़े रहना भी मुश्किल हो रहा था , वो यकीन नही कर पा रही थी कि उसके सामने खड़ी लड़की ने ये कहा जिसे वो देवांशी पर उंगली पॉइंट करते हुए बोली - " क्या रिश्ता है तुम्हारा अनंत के साथ . . .?"

 देवांशी ने अपने होंठ हिलाए थे कि अनंत ने जवाब दिया - " girlfriend है मेरी । "

 ये सुनकर दिशा अनंत की तरफ देखने लगी । वही अनंत देवांशी के पास आकर खड़ा हो गया । और आगे कहना जारी रखते हुए बोला - " तुम्हें जवाब मिल गया, अब चली जाओ यहां से । "

 दिशा ने पहले तो कुछ रियेक्ट नही किया , फिर वो जोर - जोर से हंसने लगी । 

उसकी इस हरकत पर अनंत की भौहे ऊपर हो गई , वो दिशा की तरफ देखने लगा । 

वही दिशा ने हंसते हुए कहा - "मैं तुम्हारा पीछा छोड़ दू इसी लिए तुम इस फेक girlfriend को मेरे सामने लेकर आये हो । "

 अनंत ने ये सुनकर जो देवांशी सुन खड़ी थी उसका हाथ एक झटके से पकड़ लिया और अपने करीब कर लिया । 

 

 फिर दिशा से बोला - " तुम्हारा मानने से न मानने से ये सच नही बदल सकता , ये मेरी girlfriend है । "

" मैं नही मानती क्या सबूत है तुम्हारे पास की ये तुम्हारी girlfriend है . . . .? " दिशा ने कहा जीसे सुनकर अनंत ने देवांशी की तरफ देखा जो कुछ भी रियेक्ट नही कर रही थी ।

 अनंत ने ज्यादा ना सोचते हुए देवांशी को अपने करिब कर देवांशी के चेहरे के करीब अपना चेहरा ले आया और बिना वक्त गवाये उसने अपने होंठ देवांशी के होंठो पर रख दिये । 

 देवांशी का हाल इस वक्त ऐसा था जैसे गर्म पानी को बर्फ की तरह जमा दिया हो । 

 देवांशी की आंखे बड़ी - बड़ी हो गई और ये जो एहसास था वह पहली बार था , जिसे देवांशी कुछ रियेक्ट नही कर पा रही थी । 

वही दिशा को ये देखकर बहुत गुस्सा आया , जिसे वो गुस्से से कहने लगी - " तुम इतने बेशर्म कैसे हो सकते हो, अब ये तुम्हारे डैड को बताउंगी याद रखना । "

इतना कहकर दिशा अपने पैर पटक ते हुए चली गई । वही दिशा के चिल्लाने पर देवांशी अपने होश में आई और एक झटके से उसने अनंत को खुद से दूर किया फिर अनंत के गाल पर काफी तेजी से थप्पड़ मार कर रोनी सी शक्ल बनाते हुए कहने लगी - "1 नंबर के घटिया किस्म के इंसान तुम्हें शर्म नही आई मेरे साथ अश्लील हरकत करते हुए । "

इस बात पर अनंत ने कुछ नही कहा , अब उसकी गलती थी इसी लिए अनंत खामोश ही रहा । 

वही देवांशी ने अनंत पर उंगली पॉइंट करते हुए कहा - " जितनी शक्ल अच्छी है , उससे कही ज्यादा तुम्हारी हरकतें बुरी है । "

 अनंत के पास इस बात का एक ही जवाब था , और वह था - " sorry । "

 अनंत ने देवांशी को sorry कहा फिर दरवाजे की तरफ बढ़ गया । 

 

वही देवांशी सिर्फ sorry शब्द सुनकर भड़क गई थी, पर अनंत से आगे कुछ नही कह सकी वो अपने पैर फर्श पर पटक ते हुए बोली - " बुरा इंसान । " 

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 दूसरी तरफ.....

 अनंत अपनी कार में आकर बैठ गया । इस वक्त अनंत ने जो देवांशी के साथ किया उस बारे में चल रहा था । 

 अनंत को बहुत अजीब लग रहा था । पर दिशा से पीछा छुड़ाने के लिए उसने देवांशी का सहारा लिया । 

 

देवांशी के बारे में सोचते हुए अनंत ने अपनी स्टेरिंगव्हिल पर अपने हाथ कस लिए और कहने लगा - " पता नही अब मेरी जिंदगी में ओर क्या होना बाकी है । "

 अनंत ने खुद से इतनी बात कही इतने में अनंत के फोन की रिंग बजने लगी ।

 अनंत ने अपने फोन की स्क्रीन पर शो हो रहे नाम को देखा । कॉल आशुतोष खुराना का था । यानी अनंत के पापा का ।

 अनंत अपने पापा का कॉल देखकर गहरी सांस लेता है और कॉल रिसीव करके अपने कान पर उसने फोन लगाया । तो दूसरी तरफ से भड़कती हुई आवाज आई - " जल्दी घर आओ वरना मुझे मजबूरन वहां आना होगा । "

 

 इतना कहकर आशुतोष जी ने कॉल कट कर दिया । वही अनंत को पता चल गया था कि उसके पापा के पास दिशा पहुंच गई होगी और उसने सारी सच्चाई कह दी होगी । 

 

 वही अनंत ने अपनी कार स्टार्ट कर आपमे घर की तरफ मोड़ ली । 

 

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थोड़ी देर बाद...

 दिल्ली के सबसे आलीशान इलाके में एक वाइट बंगलो था । वाइट बंगलो दिखने में जितना बड़ा उतना ही सुंदर और ये खुराना हाउस था । 

 

 इस बंगलो में आशुतोष जी अपने हाथ पीछे बांद कर इधर से उधर टहल रहे थे , वही उनकी दूसरी पत्नी सुरेखा वही अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट लिए खड़ी थी । 

 

 अनंत अपने घर के अंदर आया और आशुतोष जी अनंत को देखकर गुस्से से बोला - " तुमने दिशा को क्यों नाराज किया . . .? "

 अनंत ने अपनी आंखें छोटी करते हुए कहा - " मुझे वह पसंद नही है , और मैं उससे कोई रिलेशन नही रखना चाहता । "

 ये सुनकर आशुतोष जी ने कहा - " तो मेरी बात ध्यान से सुन लो तुम्हें दिशा से ही शादी करनी होगी । और इस बार तुमने दिशा को नाराज किया है दोबारा से मत करना समझे । "

 

 असल मे बात ये थी कि दिशा एक बिजनेसमैन की बेटी थी जो काफी अमीर घराने से बिलोंग करती थी वही आशुतोष जी की कंपनी में आधे शेयर दिशा के पापा के थे इसी लिए आशुतोष जी ये नही चाहते थे कि अनंत उन्हें नाराज करे ।

 

वही अनंत को अपने पापा की यहीं बात गुस्सा दिला रही थी । और अनंत के पापा चाहते है कि। अनंत बिजनेस में उनका साथ दे । पर अनंत ने कुछ ओर ही ख्वाब थे इसी ख्वाब के कारण अनंत ने अपना घर तक छोड़ दिया । 

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 दूसरी तरफ...

 देवांशी नहा कर वॉशिंग बेसिन के सामने खड़ी बार बार अपने होठों को साफ कर रही थी ।

 इस वक्त। देवांशी ने बाथरोब पहना था , पर उसने बाथरोब उल्टा पहना था । उसे बाथरोब पहनना नही आता था ।

 देवांशी अपने होंठो को बार - बार धो कर अनंत को भला बुरा कहने लगी - उस आदमी की हड्डियां टूट जाये और जाकर नाली में गिर जाए , आखिर खुद को समझता क्या है ,मेरे होंठो का मेरी मर्जी के बगैर चुम्मा ले लिया होंठो का लालची आदमी । "

 देवांशी के मुंह मे जो आ रहा था वो बोले जा रही थी , देवांशी को इस वक्त अनंत पर गुस्सा भी आ रहा था ,इसी लिए देवांशी ने आईने में खुद को देखकर मुंह बनाते हुए कहा - " पहले ही दिन इस आदमी ने मेरे होंठो को चूम लिया फिर आगे क्या करेगा ये मेरे साथ । "

 

इतना कहकर देवांशी ने अपने मुंह पर हाथ रख दिया और अपने दोनों हाथों से तौबा करते हुए बोली - " नही मुझे इस आदमी से बचकर रहना होगा । 

 

देवांशी खुद अकेली अकेली बड़बड़ा रही थी इतने में उसे बाहर से आवाज आने लगी जिसे देवांशी तुरंत ही वॉशरूम से बाहर आई और कमरे से बाहर निकल कर देखने लगी । 

 असल मे घर अनंत आया था और वो इधर उधर अपनी नजर रख कुछ ढूंढ रहा था । 

 

देवांशी अनंत को घुरने लगी । फिर उसने मुंह बनाते हुए अपने आप से कहा - " ये क्यों आया है अब । "

 वही अनंत ने देवांशी के पैर देखे तो उसने अपनी नजर ऊपर की फिर वो देवांशी की तरफ देखने लगा । 

देवांशी के बाल गीले थे यहां तक कि उसने बाथरोप उल्टा पहना था और दिखने में इस वक्त बहुत ही सुंदर नजर आ रही थी ।। 

 अनंत अपनी नजर देवांशी से मानो हटा नही पा रहा था , वो एक टक देवांशी की ओर देखे जा रहा था ।

वही देवांशी अनंत को अपनी तरफ देखता देखकर तुरंत ही अपने दोनों हाथ अपने सीने पर रखते हुए कहा - "अब मेरी इज्जत लूटने के बारे में मत सोचना । "

 

अनंत अपने होश में आया और देवांशी से उसने नजर हटाकर दूसरी तरफ करते हुए कहा - " ये क्या पहन कर आई हो । "

 " ये मेरे आज के कपड़े है , क्यों इन कपड़ो में अच्छी लग रही हूं . ?" देवांशी ने खुश होते हुए कहा । वही अनंत को हंसी आ रही थी , फर भी उसने अपनी हंसी कंट्रोल की और बोला - " तुमने बाथरोप उल्टा पहना है , और जाकर अपने कपड़े चेंज करो इस तरह से तुम घर मे नही घूम सकती । "

 

"मेरे पास एक ही जोड़ी कपड़े है वो अभी मैंने धो कर सुखाने डाले है । " देवांशी ने तुरंत ही कहा जीसे सुनकर अनंत देवांशी की तरफ देखता रहा ।

देवांशी ने अपने होंठ लाल कर दिए थे , जिसे अनंत की नजर एक बार फिर देवांशी के होंठो पर ही चली गई । 

 और देवांशी एक बार फिर अनंत को अपनी तरफ देखते हुए देखकर पलट कर खड़ी हो गई और कहने लगी - " दोबारा से मेरे करीब आने की कोशिश की तो जान लैलूंगी तुम्हारी । 

 ये सुनकर अनंत जानबूझकर देवांशी के पास जाने लगा । 

 

 क्रमशः

क्या होगा आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए ।