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Heartless king

Tác giả: Dhaara_shree
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Tóm tắt

न्यूयोर्क शहर एक उँची ईमारत से, एक शख्स शीशे क़ी खिड़की के पास खड़ा  निचे आते -जाते हुए गाड़ीयों और लोगों को देख रहा होता हैँ..... उतनी ऊंचाई लोग और गड़िया उसे कीड़े माकोड़े क़ी तरह दिख रही होती हैं। वो निचे देखते हुए कुछ सोचे जा रहा था। तभी दो लोग अंदर आते हैँ, चलो हमें निकलना हैँ, काका हुजूर का बार बार फ़ोन आ रहा हैँ .... राजस्थान के लिए.... जैट तैयार हैँ......... वो शख्स, "हम्म्म " कहते हुए फिर से खिड़की क़ी तरफ देखते हुए और कहता हैं........... क्या उसके बारे कुछ मालूम हुआ, कहते हुए उसके आखों में एक दर्द उभर आया। दूसरा शख्स, "तुम आज तक नहीं भूले हो उसे..... सात साल हो गए.... कौन थी, कहाँ से आयी थी, केसी दिखती हैं,अब तक हमें मालूम नहीं हुआ,जैसे उसे जमीन खा गयी या आसमान निगल गया। जिन्दा भी हैं या मर गयी। तभी वो गुस्से में, उसका गला पकड़.... जस्ट शटअप दुबरा ये कहने की हिम्मत मत करना ये कहते हुए उसके आँखो में खून उतर आया। फिर झटके से उसे छोड़ दिया। वो खाँसते हुए अपने गले को सहलाता हैं। तभी वो मुड़ता हैँ और कहता हैँ..... उसकी पहली मुलकात के बाद यही कहूँगा क़ी उसके बगैर दिल कही लगता नहीं ज़ब तक जियूँगा उसे आखिरी सांस तक ढूढ़गा..... आगे महादेव क़ी मर्जी। तभी तीसरा शख्स छोड़ ना तू इसे जानता तो हैँ। तीनों निकल जाते हैं इंडिया के लिए.....

Chapter 1दक्ष प्रजापति

न्यूयोर्क शहर एक उँची ईमारत से, एक शख्स शीशे क़ी खिड़की के पास खड़ा  निचे आते -जाते हुए गाड़ीयों और लोगों को देख रहा होता हैँ..... उतनी ऊंचाई लोग और गड़िया उसे कीड़े माकोड़े क़ी तरह दिख रही होती हैं। वो निचे देखते हुए कुछ सोचे जा रहा था।तभी दो लोग अंदर आते हैँ, चलो हमें निकलना हैँ, काका हुजूर का बार बार फ़ोन आ रहा हैँ, " राजस्थान के लिए ! जैट तैयार हैँ.।

उस शख्स ने सिर्फ छोटा सा जबाब दिया , "हम्म्म "और फिर से खिड़की क़ी तरफ देखते हुए कहा," . क्या उसके बारे कुछ मालूम हुआ, कहते हुए उसके आखों में एक दर्द उभर आया।

दूसरा शख्स, "तुम आज तक नहीं भूले हो उसे सात साल हो गए.। कौन थी? कहाँ से आयी थी? केसी दिखती हैं? अब तक हमें मालूम नहीं हुआ,जैसे उसे जमीन खा गयी या आसमान निगल गया। जिन्दा भी हैं या मर गयी।

तभी उसने गुस्से में,उसका गला पकड़ लिया और अपनी लाल आखों से घूरते हुए कहा," जस्ट शटअप दुबरा ये कहने की हिम्मत मत करना ये कहते हुए उसके आँखो में खून उतर आया। फिर झटके से उसे छोड़ दिया।

वो खाँसते हुए अपने गले को सहलाता हैं।

फिर उस शख्स ने कहा, " उसकी पहली मुलकात के बाद यही कहूँगा क़ी उसके बगैर दिल कही लगता नहीं ज़ब तक जियूँगा उसे आखिरी सांस तक ढूढ़गा। आगे महादेव क़ी मर्जी।

तभी वहाँ मौजूद तीसरा शख्स ने कहा, " छोड़ ना तू इसे जानता तो हैँ।"

उसके बाद तीनों निकल जाते हैं इंडिया के लिए.....

दक्ष प्रजापति,

उम्र -30वर्ष,6"4" रंग हल्का सांवला....

दक्ष प्रजापति एक मशहूर बिज़नेस मैन..., जिसे सभी सिर्फ नाम से ही जानते उसे किसी ने नहीं देखा हैं क्योंकि ये खुद को लो प्रोफइल रखते हैं।..इन्हें पुरे यूरोप ओर एशिया का राजा ओर शैतान दोनों कहा जाता हैं। दक्ष  दिखने में बेहद दिलकश, हसीन, आकर्षक व्यक्तित्व वाला इंसान हैं,जिसे कोई एक बार देख ले तो  भूले नहीं। जितना देखने में,हैंडसम उतना ही खतरनाक, निर्दयी, जो किसी पर रहम नहीं आता.... एक भाषा में, हार्ड कोल्डहार्ट पर्सन हैं जिसे दिल में किसी के लिए रहम नहीं हैं। बहुत नपे -तुले शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, जुबान से ज्यादा इनकी आँखे बोलती हैं।

दक्ष ने अपने खुद के काबलियत पर, अपने दोस्त अतुल और अनीश के साथ मिलकर "दक्षलीस इम्पीरियर एम्पायर " खड़ा किया हैं। ये नाम इन तीनों ने अपने नाम से मिल कर रखा है।

( हालांकि इनका खानदानी कारोबार भी हैं लेकिन उससे इनका कोई लेना देना नहीं हैं, ऐसा क्यों हैं ये कहानी में आगे जाननेगें।इनके परिवार के बारे आगे पता चलेगा।)ये तीनों हमेशा साथ रहते हैं। तीनों की तिकड़ी हर काम को अंजाम तक पहुंचने में माहिर हैं।

अतुल सिंघानियाँ, उम्र -30 वर्ष,6"2" रंग गौरा। अपने परिवार में सबसे बड़े बेटे, सिंघानियाँ कंपनी के सीईओ लेकिन ये अपनी कम्पनी का काम, दक्ष के कंपनी के साथ देखते हैं ओर इनकी कंपनी को इनका छोटा भाई संभालता हैं।

ये दिखने में दक्ष से ज्यादा नहीं तो कम भी नहीं लगते, इनकी काबलियत का लोहा हर कोई मानता हैं, दक्ष जिस काम को सोचता हैं,उसे अंजाम तक पहुंचाने का हुनर ये  रखते हैं। बस गुस्सा इन्हें थोड़ा जल्दी आ जाता हैं ओर खुद पर काबू नहीं रख पाते। औरतों पर इन्हें रतिभर भरोसा नहीं हैं, इनके मुताबिक औरतों सिर्फ पैसे के पीछे भागने वाली होती हैं ओर वो पैसे के लिए किसी को भी धोखा दे सकती हैं (लगता हैं बहुत पुराना जख्म खाया हुआ हैं इन्होंने )

अनीश मल्होत्रा,उम्र -29 वर्ष,6"2" रंग गौरा।  बहुत मशहूर वकील जो बहुत कम उम्र में ही काफ़ी नाम ओर शोहरत कमाई हैं इन्होंने। ये अपने दोनों दोस्तों की तरह ऊंचे घराने से नहीं आते हैं, ये मिडिल क्लास परिवार से सम्बन्ध रखते हैं। ये एक भाई ओर एक बहन हैं। दुनिया इनको नाम से जानती हैं। ये भी अपने दोनों दोस्तों की तरह लो प्रोफाइल रहना पसंद करते हैं।

जहाँ दक्ष जिस काम को सोचता हैं,उसे अंजाम तक पहुंचाने का काम अतुल करता हैं, तो उसके अस्तित्व को ख़तम अनीश जी करते हैं।

अनीश भी अपनी हैंडसम व्यक्तित्व से किसी पर भी अपना प्रभाव डाल देते हैं। इनको अपनी दोनों दोस्तों की तरह कोई भी ऐसी आदत नहीं हैं। ये खूब हँसते हैं, खूब बोलते हैं, फ़्लर्ट भी करते हैं लेकिन अपनी लिमिट में क्योंकि ये अपनी दोस्तों के वजह से अभी तक विर्जिन हैं, ऐसा क्यों हैं..... आगे कहानी में जानेगे।

ये भी अपनी दोस्तों की तरह ज़ब अपने डेविल रूप में आते हैं तो हद से ज्यादा खतरनाक बन जाते हैं।

  **************

जैट राजस्थान एयरपोर्ट पर लैंड करती हैं अभी शाम के 6 बज़ रहे होंगे। तीनों एक साथ एयरपोर्ट के वी आई पी क्षेत्र में कदम रखते हैं तीनों ने बॉडीगार्ड से घिरे होते हैं। एयरपोर्ट पर इतनी हलचल देख कर सभी की नजर उस तरफ जाती हैं लेकिन किसी को कुछ नजर नहीं आता। सभी जानना चाहते हैं की कौन आया हैं की तभी..... बॉडीगार्ड के पैरों के बिच से एक बच्चा दक्ष के पैरों से उलझ जाता हैं। दक्ष के कदम रुक जाते हैं ओर वो निचे झुक कर देखता हैं।

एक करीब 6-7 साल का बच्चा आँखे हैज़ल ग्रीन, बाल  भूरा बहुत क्यूट सा उसे देखते हुए।

तभी गार्ड उसे पकड़ने आते हैं तो उसके पीछे छिप जाता हैं। दक्ष हाथ से सबको रोकते हुए, घुटने से उसके पास बैठ कर, "हे जूनियर आप यहाँ अचानक केसे आये ओर आपके मम्मी पापा कहाँ हैं?????

           

उस बच्चे ने बेहद प्यार से कहव," मै अपनी दोनों मासी के साथ आया हूँ, अपनी मॉम को लेने वो आज आने वाली हैं मुंबई से। ये बातें वो इतनी प्यार से ओर समझदारी से बोल रहा था की, दक्ष उसे देख कर मुस्कुरा रहा होता हैं की अचानक उसका दिल किया की उसे सीने से लगा ले।

उसने बच्चे को सीने से लगा लिया, उसके दिल को आज बरसों बाद सुकून मिला। फिर धीरे से पूछा आपका नाम क्या ओर आपकी ममा का क्या नाम हैं।

वो बोलने के लिए मुँह खोला ही था की दो लडकियाँ एक साथ आवाज देती है, " दक्षु, लिटिल डेविल! दक्षु. कहाँ हो तुम.? उन दोनों की नजर गार्ड के बिच में दक्षु को दक्ष के साथ देखती हैं।

दोनों एक साथ गार्ड को धका देते हुए अंदर आती हैं की हमारे दोनों मुंडे, अनीश और अतुल एक साथ हाथ को बांधे उनके सामने खड़े हो जाते हैं, " दोनों लडकियाँ उनकी इस हरकत से अचंभित होकर बड़ी बड़ी आँखो से उन्हें देखने लगती हैं। उनके इस तरह देखने से, अनीश धीरे से अतुल के कानों," यार ये दोनों चुहिया हमारे दक्ष की दक्षु, दक्षु.क्यों बुला रही हैं? कही हम दोनों को कुंवारा छोड़, खुद के  एक नहीं दो घर बसा तो नहीं लिए इस दक्ष ने ।अतुल ने उससे चिढ़ते हुए कहा, " मुझे केसे मालूम होगा इन्ही से पूछो.!!"

उन दोनों की ख़ुसूरभूसूर सुन कर वो दोनों में से एक लड़की अपनी ऊँगली दिखाते हुए, "ओय बाघर बिल्ले ऐसे क्यों यहाँ हमारा रास्ता रोके खड़े हो गए हो, हमें अपने दक्षु के पास जाना हैं।

दोनों लड़के उनकी बात सुनकर एक बार फिर चिढ गए। अनीश ने भी गुस्से मे कहा," ओ चुहिया वो भी पोलियो मारी हुई। ये क्या तुम दोनों, हमारा दक्षु! हमारा दक्षु! क्या बोले जा रही हो। . वो हमारा दक्ष हैं।तुम्हारा दक्षु नहीं। जाओ यहाँ से। "

उन चारों की बहस हो ही रही थी की दक्षांस जो अब भी दक्ष के सीने से लगा हुआ था। उन चारों की आवाज सुनकर कहा, "छोड़ो मुझे हैंडसम अंकल मेरी मासी बुला रही हैं।

तभी दक्ष उसे धीरे से अलग करके पूछता हैं, आपका नाम क्या हैं जूनियर,दक्षांश ये सुन कर बहुत ही गर्व से कहता हैं,"मेरा नाम" दक्षांश दीक्षा राय "हैं।

दक्ष उसके मुँह से "दीक्षा "नाम सुन कर खुद के अंदर इस नाम को दोहराता हैं,"दीक्षा राय "।

तब तक इधर अनीश और अतुल एक उन्दोनो से उलझें हुए थे। उनमे से एक लड़की जिसके घुंघराले बाल थे। अनीश की तरफ देख कर कहा, " प्लीज बात को मत बढ़ाये वो हमारा प्रिंस चार्मिंग हैं जो वहाँ हैं, दक्ष की तरह इशारा करते हुए। अनीश जो अभी तक उस दूसरी लड़की से उलझा हुआ था की उसका ध्यान अभी उस घुंघराले बाल वाली लड़की पर गया वो तो उसकी मासूमियत में ऐसा खोया की बस उसे देखते रहा। वो लड़की उसे ऐसे देख घबराते हुए अपनी दोस्त का हाथ पकड़ लेती हैं,उसे ऐसे परेशान देख, वो अतुल की तरफ अपनी ऊँगली पॉइंट करके कहती हैं "अपने इस मगरमच्छ की शक्ल वाले इंसान को बोल मेरी दोस्त को घूरना बंद करे।

अतुल कुछ कहता उससे पहले दक्षांश आवाज़ देते हुए,"तूलिका मासी, रितिका मासी, मैं यहाँ हूँ।फिर दक्ष की ऊँगली पकड़ कर वो उनके पास आ जाता हैं।दक्ष मुस्कुराते हुए उसके साथ आ रहा होता हैं। ये नजारा वहाँ बॉडीगार्ड से लेकर अतुल और अनीश सभी शॉक्ड होकर देख रहे थे, क्योंकि दक्ष का व्यक्तित्व बिल्कुल ऐसा नहीं था, बल्कि इसके विपरीत था।

तभी तूलिका उसके पास आकर,"क्यों लिटिल डेविल ये क्या तरीका हैं, वहाँ से भागने किसने कहाँ था, हम इन्जार कर रहे थे ना आपकी मम्मा का।

तभी रितिका, तूलिका को आँख दिखाते हुए,"चुप हो जाओ ऐसे बात करते हैं, फिर दक्षांश की तरफ झुक कर,"प्रिंस चार्मिंग आप बिना बताए इस तरफ आ गए तो हमें परेशानी हुई ना।दक्षांश ने अपनी प्यारी आवाज मे कहा, "सॉरी मासी, अपनी दोनों कान पकड़ते हुए, अब ऐसा नहीं करुँगा। दोनों ने उसके सर के बाल को बिखरते हुए,"कोई बात नहीं दक्षु ।

"अरे मासी आपने फिर मेरे बाल खराब कर दिए।"दोनों मुस्कराते हुए,"कोई बात नहीं हम ठीक कर देंगे, अब चले।

तब तक दक्ष उसका हाथ पकड़े हुए था, उसका मन नहीं हो रहा था की वो हाथ छोड़े।अतुल और अनीश भी उसके पास आते हैं और कुछ कहने को होते हैं तो दक्ष उन्हें रोक देता हैं।

फिर झुक कर दक्षांश के माथे को चुम कर कहता हैं,"आप से मिलकर अच्छा लगा और आप बहुत प्यारे हैं "। दक्षांश भी उसके गालों को चुम कर कहता हैं,"आप भी बहुत हैंडसम हो अंकल।

ज़ब दक्षांश तूलिका और रितिका के पास आ जाता हैं, तब तूलिका अनीश और अतुल के पास आकर आँखे दिखाते हुए, दक्ष की तरफ देख कर कहा," माफ कीजियेगा, हमारे बच्चे की वजह से आपको इस तरह से परेशानी हुई।दक्ष बहुत ठन्डे लब्जो मे कहा ,"कोई बात नहीं वैसे इसकी माँ कहाँ है? " तूलिका जबाब देती की तभी रितिका की फ़ोन बजता हैं., " उधर से हेलो रीती! कहाँ हो तुम सब। मैं एयरपोर्ट के बाहर खड़ी हूँ, तुम सब मुझे दिख नहीं रही जैसे ही रितिका ने बात सुनी उसने तेजी से कहा, ओके ओके जानू हम अभी आते है।"

तूलिका कुछ कहती की उसे पहले रितिका उसका हाथ पकड़ जाने लगी। चल बाहर दीक्षा आ गयी है। तूलिका अरे रुक पहले इनदोनो मगरमच्छ को तो सबक सीखा दूँ और वो पीछे मुड़ती हैं की तब तक..अतुल, अनीश, दक्ष के साथ निकल जाते हैँ।

अरे मेरी माँ बाद मे लड़ लेना अभी चल। वो दोनों भी दक्षांश को लेकर बाहर निकल जाती हैँ। दक्ष ज़ब अपनी गाड़ी मे बैठ रहा होता हैँ तो उसे दक्षांश की आवाज़ सुनाई देती हैँ,". मम्मा! मम्मा.! एक लड़की पीछे मुड़कर उसे बाहों मे लेती हैँ। काले और भूरे रंग की टॉप पहनी हुई हाथ मे एक वाच जिसकी ग्लास की चमक तेज धुप के कारण दक्ष के आखों पर बार बार आ रहे थे जिस वजह से वो उसे देख नहीं पा रहा था।

अतुल ज़ब दक्ष को दूसरी ओर देखते हुए, देखता है तो आवाज़ देता हैं हुए कहा, "दक्ष  क्या देख रहे हो चलो।" वो बिना कुछ जवाब दिए गाड़ी मे बैठ जाता हैँ।गाड़ी मे बैठने के साथ उसने कहा, " महल जाने से पहले प्रजापति ऑफिस चलो.। लेकिन अभी क्यों? अतुल के सवाल पर दक्ष ने कहा, " कुछ जरूरी काम है।

दीक्षा तुम तो कल का बोल गयी थी आने को फिर एक दिन बाद आयी। " हाँ,"यार वो काफ़ी समय बाद कंपनी के  सीईओ खुद आने वाले इसलिए मुम्बई ऑफिस से कुछ  जरूरी फ़ाइल को लाना था। अच्छा सुन तुम दोनों दक्षांश को लेकर घर पहुँचो मे, जरा ऑफिस होकर आती हूँ। शाम को मिलती हूँ।

रितिका  क्या यार तुझे भी चैन नहीं लेने देते तेरे ऑफिस वाले, दीक्षा ने हँसते हुए क्योंकि मैं तेरी तरह वकील नहीं हूँ। रितिका का मुँह बन जाता है। तो तूलिका कहती है, चल अच्छा है की मैं डॉक्टर हूँ नहीं तो,

दोनों एक साथ अच्छा है की हमदोनों डॉक्टर नहीं हैँ। नहीं तो ना रात को चैन ना दिन को आराम।

फिर तीनों हँस देती हैँ ओर अपने अपने रास्ते निकल जाती है।

दीक्षा कैब बुक करके सीधे प्रजापति ऑफिस निकल जाती है।इधर दक्ष अतुल और अनीश कों कहता है की तुम दोनों महल जाओ..। मै कुछ काम करके आ जाऊंगा।दोनों ने उसे देखते हुए कहा , "हम साथ चलेंगे।"सभी ऑफिस निकल जाते है। तीनों ऑफिस पहुंचते हैं और एक साथ, . लिफ्ट में आते है। अतुल लिफ्ट बंद करने लगता है की एक लड़की दौड़ते हुए," आवाज़ देती है., मेरे लिए रुको.और तेजी से लिफ्ट में आ जाती है, फ़ाइल से उसका चेहरा ढका हुआ था। ना वो किसी कों देख पा रही थी ना उसे कोई देख पा रहा था।

दक्ष और अतुल कों तो कोई दिलचस्पी नहीं थी,लेकिन अनीश कों ज़ब रहा नहीं गया तो उसने पूछ ही लिया, " . मैम ये वीआई पी लिफ्ट है। उस पर आप क्या कर रही है।वो लड़की जो कोई और नहीं दीक्षा थी। बहुत आराम से बिना अनीश कों  देखे कहा, "ये तो मैं भी आपसे कह सकती हूँ की आप इस वी आई पी लिफ्ट में क्या कर रहे।

उसकी आवाज़ सुन दक्ष एक बार उस लड़की तरफ मुड़ता है लेकिन फ़ाइल से चेहरा ढका होने के वजह से वो देख नहीं पाता। लेकन अपने मन में उसने सोचा," ये आवाज़ तो ! तभी अतुल 16 फ्लोर पर लिफ्ट रोक देता है और अनीश और अतुल निकल जाते है।दक्ष का ऑफिस 18 फ्लोर पर था इसलिए वो लिफ्ट में था।

अनीश फिर से,"मैम आप क्या टेरेस पर जाने का सोच रही है,16 फ्लोर आ गया तो आप नहीं निकलेगी।

दीक्षा फिर फ़ाइल के पीछे से,"आप जाये मुझे जाना होगा मैं चली जाउंगी।

दक्ष लिफ्ट बंद कर देता है। दीक्षा कों लगता है की अब वो लिफ्ट में अकेली है तो.जोर से सांस लेती है... और फ़ाइल कों निचे  कर के ठीक करने लगती और खुद में कहती है, " ना जाने कौन सा आदिमानव आ रहा जिसके लिए पुरे ऑफिस में सुनामी आ रखी हैँ। अच्छी भली ऑपरेशनल हेड थी, कहाँ मुझे उस टार्ज़न की पर्सनल सेक्टरी बना दिया हैं। दीक्षा निचे बैठी फ़ाइल ठीक करते हुए खुद में बोली जा रही थी। दक्ष उसके तरफ पीठ करके खड़ा था और उसकी इस तरह की बातें सुन कर उसे देखने लगता है।

लेकिन दीक्षा के बालों से उसका चेहरा छिपा होता है, जिससे दक्ष उसके चेहरे को देख नहीं पाता लेकिन उसकी आवाज़ सुन कर खुद कों कंट्रोल नहीं कर पाता। और वो अपने घुटने पर आकर दीक्षा के पास बैठ कर उसकी फ़ाइल ठीक करने में हेल्प करते हुए,कहा,"तो क्या आप ने उस आदिमानव टार्जन कों देखा हैं.। जिसने आपको इतना परेशान किया है।

दीक्षा आवाज़ सुन कर ऊपर देखती है., " भूरे बाल, हेजल दिलकश आँखे, गुलाबी होंठ., रंग गौरा किसी कों भी एक नजर में दीवाना बना दे।

दीक्षा उसे कुछ कहती., लेकिन . तब तक दक्ष लिफ्ट से निकल कर चला जाता है।

दीक्षा सोचते हुए, "ये कौन था.... ऐसा क्यों लगा जैसे मैंने इसे देखा है। मुझे कुछ याद नहीं आ रहा है। फिर तेजी से वो भी निकल जाती है।

अतुल ओर अनीश अपनी ब्लैक थ्री पीस सूट में,16वें फ्लोर ज़ब आते हैं। उनकी प्रेजेंस ओर ग्रेसफुल औरा सभी कों आकर्षित करता हैं।अनीश तो  मुस्कुराते हुए., सभी के गुडमॉर्निंग का जवाब देता है। लेकिन अतुल अपने ठन्डे लुक से सबको देखते हुए केबिन में, अनीश कों खींचते चला आता है।

"अरे क्या है यार ऐसे क्यों खींच कर ले आया, देखा नहीं सभी कितने मुस्कराते हुए "मुझे गुडमॉर्निंग विश कर रहे थे "। ओर उसे  घूरते हुए कहा, "जलकुकुरा कही का "बड़बड़ाते हुए कुर्सी पर बैठ जाता है।अतुल, अनीश की बाते सुन,अपनी सर ना में,हिला कर फ़ाइल देखने लगता है।

दक्ष का ऑफिस सबसे लास्ट फ्लोर पर था। जिसमे सिर्फ उसके आलवा, वही जा सकता है जिसे दक्ष इजाजत दे। वो भले ही प्रजापति कम्पनी में नहीं आता हो लेकिन उसका ये ऑफिस हमेशा से रहा है। इस फ्लोर पर कोई भी एम्प्लोयी कों आने की इजाजत नहीं थी, बिना किसी जरूरी काम के।

दक्ष लिफ्ट से निकल कर सीधे अपने ऑफिस की तरफ आता है। बॉडीगार्ड उसके लिए डोर खोल कर, " सर झुकाकर अभिवादन करते है। दक्ष बिना एक नजर देखे अंदर चला आता है। दक्ष को आज तक किसी ने नहीं देखा था। वो अपने ऑफिस में है,ये भी उसके किसी स्टाफ कों नहीं मालूम था। सभी कों सिर्फ इतनी खबर थी की , कम्पनी के मालिक आ रहे है।

दक्ष के ऑफिस की अंदरूनी सजावट और रंग वाइट ओर ग्रे मिलाकर  हुई थी, एक एक चीजे बहुत ही कीमती और बहुत सलीके से रखी हुई थी। . बहुत खूबसूरत ओर हर चीजों कों दक्ष के पसंद के हिसाब से रखा गया था। दक्ष अपनी कुर्सी पर बैठ कर लेपटॉप पर काम करने लगा।

दरवाजे पर, एक प्यारी सी आवाज़ आती हैं,"may i coming sir "। ये आवाज़ दीक्षा की थी।दक्ष आवाज़ सुनकर हल्का मुस्कुरा देता है ओर कुर्सी कों घुमा कर, अपनी गहरी आवाज़ में,"coming "

दक्ष की आवाज़ सुन एक पल दीक्षा सोच में फिर पर जाती है।दक्ष उसे अंदर आता हुआ ना महसूस कर, इस बार थोड़ी तेज आवाज़ में, "coming ". दीक्षा जैसे होश में आती हैं ओर हड़बड़ाते हुऐ, " Yes सर ! कह कर, जल्दी से अंदर आती है।दक्ष की पीठ दीक्षा की तरफ थी।

दीक्षा कहती है, "गुडमॉर्निंग सर, मैं दीक्षा राय आपकी थोड़े समय के लिए सेक्टरी रखी गयी हूँ। ये सभी फाइल्स है, हमारे कुछ प्रोजेक्ट की, इनमें से कुछ चल रही है, कुछ पर काम किया जा रहा ओर कुछ अभी शुरू होनी है ये कहते हुए वो फ़ाइल ठीक करते हुए रखने लगती है की दक्ष मुड़ जाता है।

दीक्षा की नजर जैसे ही दक्ष पर जाती है। उस के हाथ वही रुक जाते है ओर अपनी हरी गहरी आखों को बड़ी बड़ी करती हुई कहा, "अ...आप..!! दक्ष ने उसकी हालत देख, हल्का मुस्कुराते हुए.कहा," हाँ! शायद मैं ही हूँ।

" ओ..ओ. वो..माफ.कीजिये...वो.... दीक्षा अपनी बात पूरी नहीं कर पाती की दक्ष तब तक उसके पास चला आता है। अपनी गहरी आवाज़ में, उसे देखते हुए कहा, " रुक क्यों गयी, टार्जन, आदिमानव..! हम्म्म्म! मिस सेक्टरी! वो भी कम समय की, कह कर अपनी भोंए चढ़ा कर उसे घूरता है। दोनों अभी बेहद करीब थे।

दीक्षा उसकी तरफ घबराते हुए ,कुछ कहती। .लेकिन इस चक्कर में उसके हाथों से फ़ाइल के ढ़ेर निचे गिर जाता हैं। दीक्षा घबराहट में बोलती है, "सो. सो. सॉरी...सर! और फ़ाइल को उठाने निचे बैठ जाती हैं।

दक्ष उसे निचे फ़ाइल उठाता देख अपना सर ना मे हिलाकर, उसकी मदद करने के लिए वो भी , उसकी तरफ झुकने लगता है..की तब तक दीक्षा तेजी से फ़ाइल लेकर उठती है। आह्हः ! उसके इस तरह अचानक उठने से, उसके सर से दक्ष के नाक पर एक जोर की  चोट लगती है।दक्ष ने अपनी नाक को पकड़ कर दर्द मे कहा,."आऊं.! शिट! चोट इतनी तेज लगी होती है की उसकी नाक से खून आने लगता है।

दीक्षा उसे ऐसे देख, इतनी घबड़ा जाती है की,"ओह नो.! फिर अपने हाथों से फ़ाइल छोड़ते हुऐ। जल्दी से दक्ष के सर को पकड़ने की कोशिश करती है, ताकि उसे उल्टा कर सके और   नाक से खून आना रुक जाये।

(लेकिन हमारी दीक्षा तो दक्ष के कंधे तक भी नहीं आ रही थी,कहाँ हमारे दक्ष इतने लम्बे ओर कहाँ दीक्षा उसके आगें छोटी सी.....)वो उछल कर, दक्ष के सर को पकड़ना चाहती है लेकिन दक्ष भी जान -बुझ कर खुद को ऊपर कर उसे ऐसे देख मुस्कुरा रहा होता है। उसकी घबराहट से भरी आँखे, उसके बाल जो बार बार उसके चेहरे पर आ रहे है,उसे वो परेशान होते हटा रही होती है। ताकि दक्ष के सर को पकड़ सके ।

दीक्षा उसके चोट में खुद को इस तरह परेशान की हुई थी की उसे मालूम नहीं चला की दक्ष उसकी हरकत पर मुस्कुराते हुऐ परेशान कर रहा है।

ज़ब दक्ष का सर उसके पकड़ में नहीं आया तो अपने आस पास नजर घुमा कर देखी तो सोफे था साइड में., जब तक दक्ष को समझ आता की वो क्या करने की कोशिश कर रही है। तब तक उसने जल्दी से उसकी टाई को पकड़ खींच कर सोफे के पास ले आयी है। दक्ष भी उसके साथ खींचा चला आया। वो चाहता तो दीक्षा उसे हिला नहीं पाती लेकिन, उसने वही किया जो दीक्षा चाहती थी।

दीक्षा सोफे पर खड़ी हो गयी ओर दक्ष के चेहरे को पकड़ ऊपर की तरफ घुमा दिया।दक्ष तो बस खुद को उसमें खोये जा रहा था। बस रोबोर्ट की तरह जो वो कर रही थी उसे करने दें रहा था।कुछ देर तक ऊपर करने के बाद, धीरे से दक्ष के चेहरे को ऊपर उठा कर देखने लगी की खुन अब भी आ रहा है या रुक गया, खून रुक चूका था ओर थोड़ा सा उसके नाक के पास लगा हुआ था। जिसे दीक्षा बहुत आराम से पोछा ओर कहने लगी अब तो ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा ना! खुन तो नहीं बह रहा ! माफ कर दीजिये! मेरी गलती से ये आपके साथ। वो बोले जा रही थी ओर दक्ष लगातार उसके भूरे बाल जो उसके चेहरे पर आ रही थी। उसे देखे जा रहा था। धुप की आ रही रौशनी मे उसकी गोरी रंगत को लगातार देखे जा रहा था। ज़ब उसे लगा की  दीक्षा कुछ ज्यादा परेशान ही हो रही है तो तेजी उसकी कमर पर हाथ रख कर, उसने अपनी तरफ खींच लिया।दक्ष के इस तरह खींचने पर, दीक्षा के हाथ अचानक से, दक्ष के गर्दन पर चले आये।

"दक्ष उसे अपनी गहरी नजरों से देखता है। उसके इस तरह देखने से,दीक्षा घबराकर उससे छूटने की कोशिश करती हुई कहा," वो. वो. सॉरी.अचानक.ध्यान.....।

दक्ष ने उसके होठों पर अपनी ऊँगली रख कर,"शी..श्शश्श...।दोनों एक दूसरे को युहीं देखते रहते है, की अचानक अनीश ओर अतुल उसके केबिन में, " दक्ष..दक्ष आवाज़ देते  हुऐ, .अंदर आते है लेकिन अंदर का माहौल देख, उनकी आवाज़ अंदर ही रह जाती है।

दीक्षा घबरा कर उसे जोर का धका देती हैं, लेकिन सोफे पर खड़े होने के कारण, वो अपना बैलेंस संभाल नहीं पाती और दक्ष के साथ निचे गिर जाती है। अब अनीश और अतुल जो अभी तक पहले झटके से उभरे नहीं थे की इस बार जो देखा तो मुँह उनके खुले रहे गए। नजारा कुछ ऐसा था की,

" कालीन पर दक्ष निचे ओर दीक्षा उसके ऊपर थी और दीक्षा के होंठ दक्ष के गर्दन को चूम रही थी। घबराहट की वजह से उसकी गर्म सांसे, दक्ष के गर्दन पर महसूस हो रही थी। दोनों की धड़कन तेज थी।

दक्ष को तो उसकी करीबी पिघला रही थी।जिससे दक्ष को  खुद पर संयम नहीं कर पा रहा था। ऐसी हालत देख,  अतुल और अनीश दोनों एक दूसरे की आँख को बंद करते हुए,  जल्दी से कहा, " हमने कुछ नहीं देखा और तेजी से केबिन से दोनों भागते है।

दीक्षा अब भी दक्ष के ऊपर थी ओर उठने की कोशिश कर रही थी लेकिन दक्ष ने उसकी कमर को जोर से पकड़ा हुआ औऱ खुद को कंट्रोल कर रहा था।फिर अचनाक उसने दीक्षा को अपने निचे कर दिया। अब दक्ष ऊपर औऱ दीक्षा उसके निचे. दक्ष के हाथ पर दीक्षा का सर  था ओर दोनों एक दूसरे को देख रहे थे.... दीक्षा  के गुलाबी होंठ को काँपते देख, दक्ष  ने धीरे से अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए औऱ उसके होठों को  हल्के से चूमने लगता है, चूमते हुआ उसे अहसास हो रहा था की ये छुवन उसने पहले भी महसूस की है.... इसी ख़ुशी का अहसास होते ही दक्ष ओर पेशनेट होकर दीक्षा के होठों को चूमने लगता हैं... दीक्षा भी उसी अहसास को महसूस करती है ओर वो भी उसका साथ खोने लगती है।

दक्ष को ज़ब अहसास होता है की दीक्षा भी उसे किश कर रही है तो ओर गहराई में जा कर उसे किश करने लगता है। दोनों एकदूसरे को लगातार पंद्रह मिनट तक किश करते रहते है, ज़ब दीक्षा को सांसे लेने में परेशानी आती है तो दक्ष उसे छोड़ देता है ओर उसे अपनी बाहों में ले लेता है।प्यार से उसे पीठ को सहलाते हुए...कहता हैं... "तुम कहाँ चली गयी थी? मैंने कहाँ कहाँ नहीं ढूढ़ा तुम्हें !

दीक्षा उसकी बात सुन कर जैसे जम गयी थी," वो बस स्टैचू बनी हुई दक्ष के ऊपर किसी सदमे में चली गयी थी।"

दीक्षा हैरानी से दक्ष की तरफ देख रही थी औऱ समझने मे लगी हुई थी की ये क्या कह रहा है। दक्ष ने देखा की दीक्षा उसे फिर हैरानी से देख रही है तो फिर से अपना संयम खोने लगा औऱ फिर एक बार दक्ष के होठों ने दीक्षा के होठों को अपने मे दबा लिया औऱ बेतहाशा चूमने लगा। लेकिन इस दीक्षा उसके साथ ना देकर उसके सीने पड़ जोर जोर से मार रही थी।

लेकिन कहाँ दक्ष की मसकुलर शरीर पड़ दीक्षा की मार के असर होने वाला था, वो तो बस उसके अहसास मे जिए जा रहा था। दीक्षा के बार बार मारने पड़। दक्ष परेशान होकर, उसे किश करना छोड़ उसे घूरता है।दीक्षा भी उसको उसी तरीके से घूरती है औऱ कहती है," आप अपनी ये भारी भरकम शरीर को उठाएंगे, अगर कुछ देर औऱ मैं इसके निचे रही तो मर जाउंगी।

दक्ष उसकी बात सुन उसे ऐसे देख रहा है जैसे किसी पागल को देख रहा हो औऱ अपने मन मे कहता है की, " प्यार के समय ये मरने की बात कर रही है। "

फिर से दक्ष को धका देती है तो दक्ष झटके से उठ जाता है औऱ. उसे खींच कर उठा लेता है।इस चक्कर मे एक बार फिर से दीक्षा सीधे दक्ष के सीने से लग जाती है। दीक्षा उसकी बाहों मे ही अपने चेहरे को ऊपर कर कहती है, की, " क्या आप  बार बार मुझे अपनी बाहों मे लेना बंद करेंगे। छोड़े हमें दो लोगों ने हमें देख लिया है,ना जाने क्या सोच रहर होंगे। हे महादेव कहाँ फंसा दिया हमें  दादा जी ने।

दक्ष के हाथ उसकी कमर पड़ कश जाते है औऱ उसे अपनी गहरी आखों से देखता है औऱ अपनी गहरी आवाज़ मे कहता है, " शांत हो जाओ स्वीट्स कितना बोलती हो, देखो अगर तुम चुप नहीं हुई तो मैं फिर से तुम्हे किश कर लूँगा।

दीक्षा उसे अपनी आखों से ऐसे देख रही थी, " जैसे अभी किसी बेबकुफ़ की बात सुन रही हो।कुछ बोलने के लिए उसने मुँह खोला ही था की...

दक्ष एक बार फिर से उसके होठों को चूमने लगा इस बार उसकी किश पहले ज्यादा गहरी थी। लेकिन दीक्षा उसे किस नहीं कर रही थी। दक्ष हल्का सा बाईट करता है दीक्षा के होठों पर और के होंठ खुल जाते। इसके साथ दक्ष की जीभ दीक्षा के जीभ के साथ खेलना शुरू कर देती है।

दक्ष बीस मिनट टक दीक्षा को किश करता है औऱ फिर उसे छोड़ देता औऱ अपनी माथे से उसके माथे पर लगा कर दोनों अपनी बढ़ती सासों को थामने की कोशिश करते है।

दक्ष, " दीक्षा से कहता है, "स्वीट्स "... आज मैं बहुत खुश हूँ, तुम मुझे मिल गयी। तुम कहाँ थी इतने सालों तक मैंने तुम्हें कहाँ कहाँ नहीं ढूढ़ा।

दीक्षा, उसकी बात सुन कर अचनाक से घबरा जाती है... औऱ दक्ष को इस बार पूरी ताकत से धका दे कर ..... नहीं ही ही.... कहते हुए तेजी से केबिन के डोर खोल कर भागती है।

दक्ष हतप्रभ सा उसे जाते देखता औऱ फिर गुस्से से अपने हाथों को दीवाल पड़ मार देता है।

Continue.....

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