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आसमान से गिरा.....

अचानक एक आदमी बिल्डिंग से नीचे कार पे जा गिरा। फोर्स इतना ज्यादा था की इंपैक्ट से कार का रूफ अंदर धस गया और सभी विंडोज के परखच्चे उड़ गए और उस आदमी की तड़प तड़प के वही पे मौत हो गई…. वहाँ बिल्डिंग के पीछे की तरफ कोई नई था सुबह का वक्त था… मगर वहाँ पर हल्का अंधेरा था थोड़ी देर बाद बिल्डिंग का पिछला दरवाजा खुला और एक आदमी बाहर आया। उसने वहाँ गिरे हुए आदमी को देखा और उसे मरा हुआ देख वोह आदमी मुड़ कर वहाँ से चला गया ….

जहां वोह आदमी गिरा था उस जगह पे बिल्कुल सन्नाटा था। बस कार के सायरन की आवाज आ रही थी पर सुनने वाला कोई नई था…. लगातार कार की लाइट्स ओन ऑफ हुए जा रही थी…

तीन महीने बाद….

ट्रेन के अंदर ...

कोई लड़की मोबाइल पर मैसेज किए जा रही थी।

" हाई ..... कैसे हो आप गुड मॉर्निंग "

सामने से रिप्लाइ आया " अब क्या हुआ तुम्हे "

" गुस्सा क्यों हो ? 🥺"

" अरे नही हु गुस्सा बस पूछ रहा हु " उस लड़के ने मैसेज भेजा ।

" अच्छा आपने मुझे वो इक्वेशन का आंसर नही बताया , मुझे जानना है "

लड़की ने रिप्लाई किया ।

" खुद जान लो , अगर हर बार में मदद करता रहूंगा तो फिर तुम खुद से कुछ नही कर पाओगी " उस लड़के ने जवाब भेजा ।

" हर बार आप मेरे साथ यही करते हो जवाब देने से पहने कितना परिशान करते हो " लड़की ने मैसेज किया।

" मुझे नहीं पता " मैसेज आया ।

" जूठे " लड़की ने गुस्से वाला इमोजी भेजा ।

" अरे सच बोल रहा हु और वैसे भी कभी तो खुद ट्राई किया करो " लड़के ने कहा ।

" किया पर नही हुआ " लड़की ने रिप्लाई किया।

" फाइन " लड़के ने मैसेज किया।

" थैंक यू ..... आपने इतनी हेल्प की , मगर आज तक एक भी बार ना वीडियो कॉल से बात की ना फोन पर और ना ही मिलने का हुआ , जानती हू आपके यहां मुझे आने नही देने वाले , पर फिर भी एक बार आपको देखना चाहती हू , पिछले एक साल से हम ऐसे ही बात कर रहे है 🥺 " लड़की ने मैसेज किया।

" अरे नही मिल सकता सॉरी " लड़के ने कहा।

की ट्रेन स्टेशन पर रुकी ।

" सॉरी जाना होगा .... बाद में जवाब भेज दूंगा " लड़के ने मैसेज किया ।

" ओके पर भूलना मत .... टेक केयर " लड़की ने आखरी मैसेज किया।

ट्रेन से सब मुसाफिर बारी बारी से बाहर आए… सब दार्जिलिग शहर में गुम ने आए थे।

वहाँ स्टेशन पे सब बूढ़े और जवान दोनों तरह के लोग मौजूद थे .. कुछ कालेज स्टूडेंट भी थे जो समर वेकेशन में गुम ने आए थे। जब सब ट्रेन से बाहर आ रहे थे तब दो लोगों में तकरार हुई दोनो स्टूडेंट थे और दोनो पहले बाहर जाने की कोशिश कर रहें थे।

दोनो अपने अपने ग्रुप के लीडर थे और आपस में बहस कर रहे थे….

लड़का बोला ।

" में पहले बाहर जाऊंगा "

लड़की बोली।

" नही में पहले बाहर जाऊंगी "

दोनो के हाथ में समान था पर दोनो में से कोई भी जुकने को तैयार नई था…..

उन दोनो को लड़ता देख सभी का ध्यान उन पे गया…. पीछे से आवाज आई ।

" अरे बाहर जाके लड़ो यहां रास्ता रोक कर क्यों लड़ रहे हो "

एक आदमी पीछे से बोला ।

" …. हाँ सही है "

" बाहर जाके लड़ो वरना पुलिस को बुलाऊंगी फोकट में टाइम वेस्ट कर रहे हो सभी का…"

एक औरत पीछे से चिल्लाते हुए गुस्से से बोली।

अपने दोनो लीडर को लड़ता देख अब लड़कों और लड़कियों में भी बहस छिड गई और सब लोगों की भीड़ वहाँ जमा होके तमाशा देख ने लगी… बात इतनी बढ़ गई की थोड़ी देर में सब स्टेशन के पॉलिस्टेशन में थे।

पुलिस स्टेशन का माहोल थोड़ा शांत था।

फिर इंस्पेक्टर विक्रांत ने पूछा।

" बात क्या है इतना शोर क्यों मचा रहे थे सभी पैसेंजर तुम सभी की शिकायत कर रहे थे "

अचानक एक लड़की ने बोला।

" सर ये सब इन लड़कों की गलती हे ये सब जगड़ा करने का बहाना ढूंढ रहे थे "

उस लड़की का नाम किआ युवराज था।

वोह लड़की दिखने में बेहद खूबसूरत थी जेसे स्वर्ग की कोई अपसरा हो इतनी खूबसूरत की देखने वालो के दिल की धड़कन भी एक पल केलिए रुक जाए वोह आयुष कॉलेज की दिवा थी पर आज तक कोई भी उसका अटेंशन पाने में कामियाब नई हुआ था.. उसका मिजाज थोड़ा घमंडी जेसा था पर सही और गलत की लाइन उसने कभी क्रॉस नई की थी ना किसी का बुरा सोचा था पर जगड़ालू बहोत थी।

उसकी ये बाते सुन सब लड़के गुस्से में आ गए…

फिर वहा दूसरे लड़के ने बोला….

" सर ऐसा नई हे इन लड़कियों को देखना आता नई और गुमने आ जाते है हम लोग बाहर निकल ने की कोशिश कर रहे थे पर ये हमे बाहर ही नहीं जाने दे रही थी "

आपने सही सोचा यह लड़का हमारी कहानी का हीरो और किआ युवराज का ? खैर ये तो मुजे बताने की जरूरत नई हे तो आगे बढ़ते हे. . .

हमारा हीरो और कोई नई कॉलेज का टॉपर और जीनियस ऋषभ सिंघानिया था दिखता भी अच्छा खासा था पर सब से दूर रहना उसकी आदत थी और इसी वजह से चाहकर भी लड़कियां बस उसे देख कर ही खुस हो लेती थी… ये किआ से बिल्कुल अलग एक शांत और सुलझा हुआ था पर एक दम अलग जैसे उसने दुनिया से अपना रिश्ता ही काट लिया हो ।

ऋषभ के बोलते ही सब लड़कियां चिल्लाने लगी एक बोली।

" अरे ये क्या बात हुई फाइट तुम करो और सजा हम भुगते "

दूसरी लड़की बोली।

" हा ये गलत है सारी गलती तुम लडको की हे "

तीसरी बोली ।

" हा सही हे लड़किया देखी नई की खुद को हीरो समझ के लाइन मार ने का बहाना ढूंढ के आगे आ जाते हो "

" हा सर ये सब इन लडको की गलती है जान बुज के हमारा रास्ता रोक रहे थे….. "

बोलने वाली उस ..... लड़की का नाम रिया था ….

" ओय पापा की परी जब देखना आता नही तो गुम ने क्यों आती हो सब का टाइम वेस्ट कर दिया…. तुम जैसी महेंडक के सकल वाली को लाइन मारके भी क्या फायदा…. वोह कहावत तो तुमने सुनी होगी की महेंडक को उसका कुआ ही उसे पूरी दुनिया लगती है… वैसे ही तुम…. जिसे लगता हे की .. दुनिया में…..सब से खूबसूरत तुम खुद ही हो…."

उस लड़के ने जब ये बोला सब बॉयज ठहाके मार के हँसने लगे वोह दिपांश था ऋषभ का बड़ा भाई …..

लड़के और लड़कियों मे फिर से बहेश चालू हो गई पूरे पुलिस स्टेशन को सब ने मच्छी मार्केट बना दिया था।

ये सब बहस सुन इंस्पेक्टर ने गुस्से से बोला।

" चुप हो जाओ सब " इन्स्पेक्टर को गुस्से से चिल्लाता देख सब शांत हो गए और वहा फिर से सन्नाटा छा गया अब कोई नई बोल रहा था…।

सब लड़के और लड़कियां एक दूसरे को कातिल निगाहों से देख रहे थे ऐसा लग रहा था जेसे मौका मिलते ही एक दूसरे का खून कर देंगे.. पर अफसोस ये पॉसिबल नई था क्यूँ की सब हवालात मे थे।

वहा कुल लड़कियों में सात लोग थे ओर लड़कों में कुल छे लोग थे। रात के ग्यारह बजे थे पर क्या करे सब... अब पछता रहे थे उन्होंने थोड़ा शांति से काम लिया होता तो सब होटल के रूम में होते ना की हवालात में पर अब क्या ही करे जब चिड़िया चूक गई खेत।

थोड़ी देर बाद लड़कों में से एक लड़का आगेे आया और बोला

एक बार में बात करता हु और तुम सब मेरी हां में हां मिलाना में जैसा बोलता हु वैसा करना फिर सब बाहर होंगे नई तो पूरी रात जेल में बितानी पड़ेगी सोच लो सब… ये सुन सब लड़कियों ने सोचा फिर एक दूसरे से बात कर के उस लड़के की बात से अग्री हुई…

उस लड़के का नाम था ऋषभ सिंघानिया और वोह सोलेस के टॉप कहलाते बिग शॉट और बिल्लियनर दिग्विजय सिंघानिया का एक अकेला बेटा था।

दिग्विजय सिंघानिया वोह बिग शॉट था जिसने पूरे राज्य और महानगर सोलेस को अपनी ताकत और पैसे से पिछले बीस साल से हिला के रखा था वही किआ युवराज ध्रुव युवराज की बेटी थी वोह भी आयुष महा नगर और राज्य का लीडर था जिसकी सब इज़्ज़त करते थे और उसकी बात को हर कोई मानता था… पर दिग्विजय सिंघानिया वोह लोन वुल्फ था जो अकेले ही पूरे सोलेस महानगर को कंट्रोल में रखता था उससे टकराने की ताकत वहा किसी में नई थी वही युवराज फेमिली सब साथ में काम करती थी कोई एक नई था पूरी फैमिली साथ में थी जो साथ में मिलके सारे डिसीजन लेते थे पर आखरी फैसला ध्रुव युवराज का होता था क्यों की फैमिली का लीडर वही था….

अगर ओल्ड फेमिली की बात की जाय तो युवराज फेमिली 1000 सालों से चली आराही थी जब की उसके टाइम की बाकी की फैमिली कब की लापता हो गई और कुछ जो बची थी वोह युवराज की तरह पावरफुल और स्ट्रॉन्ग नई थी…

यहां पुलीस स्टेशन में..

किआ बोली ।

" अच्छा आप ये करेंगे केसे ? "

तभी ऋषभ सिंघानिया ने बोला।

" तुम आम खाओ गुटलियां मत गिनो "

ये सुन वोह लड़की चीड़ गई… और मुंह बना के कोने में जाके बैठ गई वोह लड़की कोई और नई किआ युवराज थी।

अब ऋषभ सिंघानिया को बता चल गया था की वोह उन लड़कियों के ग्रुप की लीडर थी क्यों की वही थी जो आगे बढ़ कर सब पूछ रही थी और वही थी जिसने आज समान को लेकर स्टेशन पे लड़ाई की थी ।

" अचानक इस ऋषभ को क्या हुआ हमेशा पीछे रहता है आज आगे बढ़कर क्यों सामने आ रहा है "

दिपांश मन में सब सोच रहा था।

अब जब सब हवालात में बंध थे तब सभी लड़के ऋषभ को उम्मीद से देखने लगे अब बारी ऋषभ की थी उसने अपने एक दोस्त को बुलाया उसका नाम अक्षय था ।

वोह ऋषभ के पास गया और बोला। " क्या हुआ? कोई प्लान हे? "

ऋषभ ने उसे अपना प्लान बताया फिर उसने ऋषभ की बात में हामी भरी और कोने में जाके बैठ गया ।

फिर ऋषभ ने दूसरे दोस्त को इशारा किया ओर अपने पास बुलाया उसका नाम रोहित था रोहित ने जेसे ही ऋषभ का प्लान सुना उसने भी हा बोला और कोने में जाके दूसरी साइड बैठ गया।

" ये सब आखिर हो क्या रहा है " किआ की एक फ्रेंड ने कन्फ्यूज होते हुए पूछा।

" पता नई " किआ ने उसकी फ्रेंड को जवाब दिया और वापिस से ऋषभ को देखने लगी।

तभी इवॉल जो ऋषभ का बचपन का दोस्त था वोह उसके नजदीक आया और ऋषभ को देख के कुछ समझ ने की कोशिश करने लगा फिर उसने दिपांश को देखा और कुछ कहने ही वाला था की अचानक से हवालात में जोर से चिल्लाने की आवाज़ आनी शुरू हो गई।

सब ने देखा रोहित अपना पेट पकड़ के चिल्ला रहा था।

सभी रोहित की इस हरकत से चॉक गए थे।

" आखिर ये सब क्या कर रहा ऋषभ " दिपांश सोच में पड़ गया।

सभी लड़कियां रोहित को देख थोड़ा डर गई पर तभी किआ को याद आया की रोहित ने ऋषभ से बात की थी ये याद करते हुए किआ को सारा ड्रामा समाज में आ गया।

हवालात में सोर इतना बढ़ गया की दो तीन हवालदार अंदर आ गए उन्होंने देखा की एक लड़का ज़मीन पे अपना पेट पकड़ के चिल्ला रहा था ।

उन्हें लगा की मामला थोड़ा सीरियस हे तो एक हवलदार भागता हुआ बाहर गया और इंस्पेक्टर विक्रांत को बुला के ले आया इंस्पेक्टर ने देखा की एक लड़का ज़मीन पे लेट के दर्द से चिल्ला रहा था।

इंस्पेक्टर ने पास जा कर एक लड़के से पूछा ।

" लड़के को क्या हुआ हे? "

एक लड़के ने बताया की रोहित को अचानक पेट दर्द सुरु हो गया है और दर्द कम होने का नाम ही नई ले रहा।

फिर इंस्पेक्टर ने वापिस से उन दो लडको को देखा और उन्हें दर्द वाली बात थोड़ी सही लगी फिर इंस्पैक्टर ने एम्बुलेंस को कॉल लगाया और पुलिस स्टेशन जल्दी से आने केलिए कहा और सभी को हवालात से बाहर जाने का इशारा किया थोड़ी देर में सभी बाहर आ गए मोहित और इवोल ने मिलके रोहित को बाहर लेके साइड वाली बैंच पे ले जाके बिठा दिया।

" ये सब तू क्या कर रहा हे " दिपांश ने ऋषभ से पूछा।

" कुछ नही बस यूं ही मजे ले रहा हु इन्हें कब से बाहर जो आना था "

ऋषभ की बात सुन कर दिपांश और ज्यादा परिशान हो गया।

" ये चल क्या रहा हे ऋषभ कभी ऐसी हरकत नही करता फिर आज क्यों ? "

दिपांश बस सोचे जा रहा था।

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आई होप मेरी दूसरी नॉवेल की तरह ये भी आपको पसंद आए ।

थैंक यू

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