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Aashiqui ke papa ka shekhar se milna 

Chapter 2

Aashiqui ke papa ka shekhar se milna 

अजय जी( आशिकी के पिता): अरे कविता वो जो आशिकी को लिए रिश्ता आया था उन लोगो ने संडे को मिलने बुलाया है 

आशिकी: कौनसा रिश्ता?

कविता( आशिकी की मा):कोइ वकील है शेखर नाम है उसका

अंजना: कोई वकील नहीं  वो शहर का सबसे बड़ा वकील है

कविता: तू जानती है उसे?

अंजना: जानती नहीं हु बस नाम सुना है

आशिकी : और क्या क्या सुना है तूने

अंजना: यही की आज तक उसने कभी किसी गुनहगार को नहीं बचाया और किसी निर्दोष को सजा नहीं होने दी

आशिकी: हम्मम चलो देखते हैँ

 

संडे का दिन

पवनजी ( आशिकी के मामा जी) : चलिए जीजाजी देर हो रही है

अजय जी: हाँ हाँ चलिए 

शेखर का . घर

शेखर: यह इतनी सारी तैयारियां कोई आने वाला है क्या

 दादी :हां वह मैं तुझे बताना ही भूल गई आज तेरे पापा के दोस्त अजय जी और पवन जी आ रहे हैं

 शेखर :पापा के दोस्त पहले कभी इन लोगों का नाम तो नहीं सुना

 वंदना जी : हां वो क्लाइंट है 

शेखर :अच्छा ठीक है 

कियारा: अभी तो झूठ बोल दिया पर अगर भैया को पता लग गया कि वह लोग भैया का रिश्ता करवाने आए हैं तो भैया हम सब की क्लास लगा देंगे

कथा : लेकिन रिस्क तो लेना पड़ेगा वरना भैया शादी के लिए कभी नहीं मानेंगे 

शौर्य: आई डोंट थिंक आप लोग सही कर रहे हो 

अमृता : तू चुप कर हम कुछ गलत नहीं कर रहे

घर की घंटी बजती है

 अमर जी( शेखर के पिता उम्र 58) दरवाजा खोलते हुए: अरे अजय जी आइए आइए आपका स्वागत है

 अजय जी: नमस्ते अमर साहब 

वंदना जी: अरे आप लोग अंदर आइए ना 

(सब लोग हॉल में बैठ जाते हैं अमर जी सबका इंट्रोडक्शन करवाते हैं )

पवन जी :वह सब तो ठीक है मगर शेखर कहीं नजर नहीं आ रहे 

अमित जी( शेखर के चाचा उम्र 55 साल): शेखर बेटा जरा बाहर आना

 शेखर :जी छोटे पापा 

अमर जी: बेटा अजय जी और पवन जी हैं 

(शेखर आता है और उन दोनों की पैर छूता है)

 नमस्ते अंकल

 अजय जी : नमस्ते बेटा

 पवन जी: तो बेटा कुछ बताइए अपने बारे में 

शेखर :अंकल पेशे से में एक लॉयर हूं

 पवन जी :अच्छा बेटा और तुम्हें क्या क्या करना पसंद है

 शेखर :कुछ खास तो नहीं मगर आई लव रीडिंग बुक एंड आई हैव फाउंड ऑफ प्लेइंग गिटार 

अजय जी: अरे वाह यह तो बहुत अच्छी बात है

 पवन जी : हमारी आशिकी... 

 अमर जी( पवन जी की बात पूरी होने से पहले ): शेखर यह लोग पहली बार हमारे घर आए हैं क्यों ना तुम ही नहीं इन्हें पूरा घर दिखाओ

 शेखर (मन में ): घर दिखाओ यह हमारा घर देखकर क्या करेंगे 

अमित जी: क्या हुआ बेटा किस सोच में पड़ गए 

शेखर :नथिंग छोटे पापा अंकल प्लीज कम हैव ए लुक ऐट आर हाउस

 बंदना जी :यह क्या किया आपने शेखर को उन लोगों के साथ भेज दिया अगर बातों बातों में उन्होंने शेखर को बता दिया कि वह यहां अपने बेटी का रिश्ता लेकर आए हैं तो सोचा भी है क्या होगा

अमर जी: वह लोग आशिकी का नाम लेने वाले थे मेरे पास और कोई चारा नहीं था 

दादी मां :अब इससे पहले कुछ हो जाए कुछ सोचो जल्दी

कथा:आए हैव एन आईडिया दादी मां 

 कियारा: अब क्या तेरा आइडिया है तेरा 

कथा :जस्ट वेट एंड वॉच

(शेखर का कमरा)

 शेखर: अंकल दिस एस माय रूम

 पवन: (धीरे से )रूम तो बड़ा है जीजा जी और घर भी आशिकी खुश रहेगी 

अजय जी: बेटा आप ड्रिंक वगैरह करते हैं 

शेखर( मन में )जब से यह लोग आए हैं यह मेरी पर्सनल लाइफ में इतना इंटरेस्ट क्यों ले रहे हैं 

पवन जी: अरे शर्माने वाली कोई बात नहीं है हम भी वोकेशनल ड्रिंक करते हैं

शेखर: नो अंकल आई डोंट ड्रिंक

 अजय जी: ओ बेटा आजकल के जमाने में तो हर कोई ड्रिंक करता है 

शेखर :यस बट इट्स एवरीवन पर्सनल चॉइस आई डोंट ड्रिंक नो एनी वन इन माय फैमिली

अजय जी: अच्छा अच्छा वैसे आप महीने में कितना कमा लेते हो 

शेखर : 10 से 20 लाख डिपेंड ऑन द नंबर ऑफ केसेस  

 पवन जी :और भगवान पर भरोसा है

 शेखर जी: बिल्कुल 

अजय जी :आजकल की जनरेशन भगवान पर इतना विश्वास नहीं रखती

 शेखर :पर मैं भगवान पर पूरा भरोसा रखता हूं मेरा यह मानना है इस दुनिया में अगर कोई निस्वार्थ आप का साथ निभाता है तो वाहेगुरु ही है वह अकाल पुरख है

 पवन जी :हमारी आशिकी 

कथा :अरे आप लोग ने चाय तो ली ही नहीं अंकल लीजिए भैया आपकी ब्लैक कॉफी 

शेखर: थैंक यू, हां अंकल कुछ कह रहे थे आप

 पवन जी: हां वो

 कियारा: अरे सारी बातें यही करनी है क्या चलिए बाहर बैठकर बातें करते हैं 

( हॉल में )अजय जी ठीक है अमर जी हम कुछ दिनों में आपको बताते हैं

 अमित जी :जी शुक्रिया

शेखर: पापा आर यू श्योर यह आपके क्लाइंट थे 

अमर :हां क्यों तुमने ऐसा क्यों पूछा 

शेखर :कुछ नहीं पर डील के बारे में तो कुछ बात की ही नहीं और मेरी पर्सनल लाइफ में कुछ ज्यादा इंटरेस्ट शो कर रहे थे

 अमित जी: अरे नहीं नहीं बेटा ऐसा कुछ नहीं है

(आशिकी का घर )

पवन जी :दीदी मुझे तो लड़का बहुत पसंद आया 

अजय जी: हां लड़का बहुत ही समझदार और सुलझा हुआ लग रहा था 

कविता :तो फिर क्या सोचा है आगे

 नमन :तू बता सिटी आशिकी तुझे क्या लगता है

 आशिकी : मुझे क्या लगना है मैं थोड़ी मिली हूं  उनसे आप लोगों को जैसा ठीक लगे 

पवन जी :एक काम करते हैं पार्क में मीटिंग रख्वाते हैं आशिकी और शेखर एक दूसरे से मिल लेंगे और आशिकी बेटा तुम्हारी मर्जी के बिना कुछ नहीं होगा