दूसरे दिन राजकुमार तोते का पिंजरा लिए जादूगर के कमरे में आया. जादूगर पिंजरे को देख कर भौंचक्का रह गया. राजकुमार बोला:-
"दुष्ट जादूगर तू राजकुमारियों को अपंग बनाना चाहता था. तू विश्व विजयी नहीं बन सकता."
जादूगर ने काफी जादु राजकुमार पर फेंके. पर राजकुमार ने सब जादु काट दिए. जादूगर अब कुछ नहीं कर सकता था. जादूगर बंधा होने के कारण उससे दो-दो हाथ भी नहीं कर सकता था. राजकुमार बोला:-
"मैं तुझे तड़फा-तड़फा कर मारूँगा."
यह कहकर उसने तोते की एक टांग तोड़ दी. जादूगर की टांग भी टूट गई. राजकुमार ने तोते की दूसरी टांग तोड़ दी. यही हाल जादूगर का था. पर वह विवश था. अंत में राजकुमार ने तोते की गर्दन मरोड़ दी. जादूगर भी मर गया. तभी धमाका हुआ.
जादूगर का महल गायब हो गया. वहां एक जंगल था. सब राजकुमारियां बाहर घूम रही थी. राजकुमार ने पीली मणि घीसी. दुदंभी राक्षस प्रकट हो गया. वह बोला:-
"तुमने मुझे अब पूर्ण रूप से आज़ाद कर दिया है. यह जादूगर मुझे कष्ट पहुंचाता था. अब और कहिये मेरे लिए क्या आज्ञा है?"
राजकुमार बोला:-
"इन राजकुमारियों को इनके पिता के पास सकुशल पहुंचा दो."
दुदंभी राक्षस ने हाथ ऊपर किया एक बड़ा सा उड़न खटोला आ गया. उसमें सब राजकुमारियाँ बैठ गयी. राक्षस ने उड़न खटोले से कहा:-
"इन्हें इनके राज्य उतार कर चले आना."
दुदंभी राक्षस गायब हो गया.
वहां सिर्फ दो जने बचे थे, राजकुमार और स्वर्णा कुमारी. राजकुमार ने लालमणि की सहायता से उड़न खटोला प्रकट किया और उस पर बैठकर अपने राज्य की और चल पड़े.