दोनों चलते-चलते एक कमरे में आए.
उसमें एक खूबसूरत राजकुमारी थी. जादूगर बोला:-
"कहो क्या हाल है? सारी शेखी निकल गई."
वह चीख उठी.
"नीच! एक दिन ऐसा आएगा जब मैं तेरे मुंह पर थूकूँगी."
वह बेशर्मी से हंसता हुआ, दूसरे कमरे की तरफ चला गया. इस तरह हर कमरे में जाता और मुर्दे को दिखाता.
इस तरह वह एक कमरे में आया. उसमें स्वर्णा कुमारी थी. जादूगर बोला:-
"अगर तुम मुझसे विवाह कर लो तो तुम्हारी आंखें नहीं निकालूंगा."
स्वर्णा कुमारी बोल उठी,
"नीच! राक्षस! तेरे जैसे गधे से शादी करने से मैं मर जाना अच्छा समझती हूँ. फौरन मेरी आंखों से दूर हो जा."
राजकुमार को जादूगर पर बड़ा गुस्सा आया पर वह खून का घूंट पीकर रह गया. जादूगर के चले जाने के बाद वह बोला:- "राजकुमारी घबराने की कोई बात नहीं है. मैं आ गया हूँ. जल्दी ही तुम्हारे दुःख दूर होंगे."
राजकुमारी अचरज़ से बोली:-
"तुम हो कौन?"
राजकुमार अपने असली रूप में आ गया. राजकुमारी बोली:-
"तुम यहां कैसे आए?"
राजकुमार बोला:-
"यह कभी बाद में बताऊंगा. पहले मेरी बात सुनो, मैं तुम्हारे पिता के अधीन एक राज्य का राजकुमार हूँ. तुम एक काम करना. जब जादूगर आये तो उसे थोड़ी देर बातों में लगाए रखना. घबराना मत. मैं यहीं रहूँगा."
यह कहकर राजकुमार गायब होकर वहां एक खूटी पर बैठ गया. उसने लाल मणि की सहायता से भोजन राजकुमारी के सामने प्रकट कर दिया. राजकुमार को भूख नहीं थी. वह अदृश्य रूप में जमीन पर सो गया .