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ज़िन्दगी

वादे करूं या निभाऊं उन्हें मैं अब ,

बतलाऊं , छुपाऊं या मुस्कुराऊं लिए अनकहा दर्द मैं अब ,

जो था होना वो हो गया ,

सब यही बतलाते हैं मुझे हर पल हर लम्हा कैसे भुलाऊं तुम्हे मैं अब ,

ये सब बतलाऊं भी तो कैसे मैं अब ।

देखो ,

इन बारिश की बूंदों में तुम ही तो हो ,

इन फूलों की खुशबू में तुम ही तो हो ,

इन हवाओं की मस्ती में तुम ही तो हो ,

अब क्या ही कहूं मैं कुछ तुम भी कहो ,

अब क्या ही लिखूं मैं कुछ तुम भी लिखो ,

मेरी महफ़िल की शम्मा तुम ही तो हो ,

मगर

तुम बिन ज़िन्दगी गुनगुनाऊं भी तो कैसे मैं अब ,

तुम बिन हर पल हर लम्हा बिताऊं भी तो कैसे मैं अब ।।