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भगवान वो जो संसार को चलता है , पिता वो जो हमें चलने के काबिल बनाता है।

पिता जी ही तो सारी ताक़त हैं हमारी ,

जो अब तक कमाई वो दौलत है हमारी ।

कड़कती थंड के बीच , नींद और सुकून के बीच कुछ भी ना आने वाली तन्हाई के बीच , व्वाबों में तुम्हारी यादों और जुदाई की तन्हाई के बीच , यूंही पल बेताबी सा काट रही है ये रूह ....

उठ जाएं साहब जी ।।।।

मन नी है अभी पूरे बदन में दर्द है पापा।

अरे यार जब से कॉलेज जा रहा है पूरा बदल गया है तू तो ।।।