भास्कर ने गहरी सांस लेते हुए लिफ्ट का बटन दबाया और लिफ्ट रोक दी। सौभाग्य से लिफ्ट में कोई नहीं था। वह तेज़ी से लिफ्ट के अंदर चला गया और दरवाज़े के बंद होते ही उसने लेडीज वेटर को घसीटकर अंदर लाया। उसकी आँखों में बेचैनी और डर की छाया थी। उसने बीस नंबर का बटन दबाया और लिफ्ट ऊपरी मंजिल की ओर बढ़ने लगी। अब उसके पास लेडीज वेटर को सब कुछ समझाने का कुछ समय था। उसने अपने हाथ से उसके मुँह को बंद कर दिया ताकि वह चिल्ला न सके। उसकी साँसें तेजी से चल रही थीं, लेकिन धीरे-धीरे उसने अपने हाथ को हटाया और गहरी सांस ली।
"मैडम, अगर आपको पुलिस को बुलाना है, तो आप उन्हें बुला सकती हैं, लेकिन पहले मेरी बात सुनो।" भास्कर की आवाज़ में एक गहरी अपील थी। "मैं हिंदुस्तान यूनिलीवर कंपनी में सीईओ हूं। आप चाहें तो इसे यूट्यूब पर देख सकती हैं या गूगल पर सर्च कर सकती हैं। इसमें आपको मेरी तस्वीरें भी दिखेंगी।"
लेडीज वेटर ने थोड़ी हैरानी से उसकी ओर देखा। भास्कर ने अपनी कहानी जारी रखी, "देखिए मैडम, मैं यहां अपनी पत्नी को सरप्राइज देने आया था। आज हमारी शादी की तीसरी सालगिरह है और यह शहर हमारा जन्मस्थान है। मैं अपनी तीसरी शादी की सालगिरह अपने हाईस्कूल के दोस्त के साथ मनाना चाहता था। लेकिन एक गलती ने मेरी ज़िंदगी बदल दी। और वह गलती मेरी सबसे बड़ी भूल साबित हुई।"
अब लेडीज वेटर की जिज्ञासा बढ़ गई थी। उसने धीरज से पूछा, "कौनसी गलती?"
भास्कर ने गहरी साँस ली और बोला, "मुझे अपनी पत्नी पर शक था। मैंने उसके चरित्र पर उंगली उठाई और उसने आत्महत्या कर ली।"
लेडीज वेटर चौक गई। "क्या? आपने उसे मार डाला?"
"हाँ," भास्कर ने उदासी से कहा। "लेकिन मेरी किस्मत अच्छी थी कि मेरे दोस्त ने एक टाइम मशीन बनाई थी। मैं समय में पीछे चला गया और अपनी गलती को सुधारने की कोशिश करने लगा। लेकिन हर बार मैं कुछ गलत कर रहा था और वह गलती उसे आत्महत्या करने पर मजबूर कर रही थी। मैंने उस गलती को सुधारने के लिए चार बार समय यात्रा की। मैडम, यहाँ मेरे जैसे चार और लोग हैं जो आपने देखे थे। वह भी मैं ही हूँ।"
"क्या?" लेडीज वेटर के चेहरे पर सवाल और आश्चर्य के भाव थे।
"हाँ," भास्कर ने सिर झुकाकर कहा। "यह समय यात्रा का दुष्प्रभाव है। मैंने ये कहानी कई लोगों को बताई, लेकिन किसी ने मुझ पर विश्वास नहीं किया। कुछ लोगोंने मुझे पागल कहा, किसी ने भी मुझ पर भरोसा नहीं किया, इसलिए मैंने इसके बारे में किसी को नहीं बताया।"
वह बेहद परेशान दिख रहा था, उसके चेहरे पर शर्म की लकीरें साफ दिखाई दे रही थीं। लेडीज वेटर ने उसे समझते हुए मुस्कुराकर कहा, "लेकिन मुझे तुम पर विश्वास है।"
भास्कर और लेडीज वेटर 20वीं मंजिल पर पहुंचे। लिफ्ट का दरवाजा खुलते ही, लेडीज वेटर ने बिना समय गवाएं ग्राउंडफ्लोर का बटन दबा दिया। लिफ्ट नीचे की ओर जाने लगी। उसने भास्कर की ओर मुड़कर कहा, "सर, पहले तो मुझे लगा कि आप आतंकवादी हैं और मैं पुलिस को बुलाने ही वाली थी। लेकिन आपने मेरा मुँह दबाकर लिफ्ट में खींच लिया और चुपचाप मुझे टाइम मशीन के बारे में बताया, जिस पर कोई भी यकीन नहीं करेगा। क्या आपने यह नहीं सोचा था कि आपके ऐसा कहने से मेरा सन्देह और बढ़ जाएगा? जब आप बोल रहे थे, तब मैंने आपकी आँखों में आपकी पत्नी के प्रति चिंता देखी। सर, मुझे आप पर भरोसा है। अगर आपकी पत्नी आप पर भरोसा कर सकती है, तो यकीन मानिए वह आपको माफ़ कर देगी।"
भास्कर ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "हाँ, वह भरोसा करेगी। लेकिन जब उसे पता चलेगा कि मैंने उसके चरित्र पर संदेह किया था, तब क्या? क्या हमने यह नहीं सोचा कि जब उसे एहसास होगा कि उसने मेरी गलती के कारण आत्महत्या की है, तो वह क्या महसूस करेगी? मैडम, मैंने आज आपको यह सच्चाई बताई क्योंकि आप मेरे लिए पराई हैं। अगर आप मुझसे नाराज भी हो जाएँगी तो भी मुझे बुरा नहीं लगेगा। लेकिन अगर मेरे दोस्तों या पत्नी को मेरे बारे में सच्चाई पता चलेगी और वे गुस्सा हो जाएंगे, तो मैं बहुत परेशान हो जाऊंगा। शायद जो मुझ पर भरोसा करते हैं, वे मुझे माफ नहीं करेंगे। मुझे इस बात से डर लगता है। इसलिए मैं कभी उन्हें सच्चाई बताने की हिम्मत नहीं करता।"
लेडीज वेटर ने गंभीरता से कहा, "सर, एक पत्नी को इससे फर्क नहीं पड़ता कि उसका पति उससे झगड़ा करता है या उस पर शक करता है। उसके लिए यह महत्वपूर्ण है कि गलती करने के बाद उसे अपनी गलती का एहसास हो और वह माफी मांगे। वह अपनी पत्नी पर भरोसा करता है, उसका ध्यान रखता है, और उसे कभी झूठ नहीं बोलने का वादा करता है। सर, अगर आपने समय यात्रा करने से पहले अपनी पत्नी से शांति से बात कर ली होती, तो वह आपको माफ कर देती। बस आप एक बार उससे बात कर लीजिए।"
भास्कर उसकी बातें ध्यान से सुन रहा था। उसके दिमाग में अचानक एक सही रास्ता दिखाई दिया, जो उसे इस उलझन से बाहर निकाल सकता था। अब उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। "मैडम, आप जो कह रही हैं वह सच है। मैं वादा करता हूं, मैं अपनी पत्नी को सब सच बताऊंगा। मैडम, आपसे बात करके मुझे बहुत अच्छा लगा। थैंक यू।"
लिफ्ट ग्राउंड फ्लोर पर पहुंच कर रुक गई। दोनों खुश थे। भास्कर नए उद्देश्य की भावना के साथ लिफ्ट से बाहर आया। उसने लेडीज वेटर से कहा, "मैडम, मैं इस उलझन से बाहर नहीं निकल पा रहा था। लेकिन आपसे बात करने के बाद मुझे भरोसा नहीं हो रहा कि इससे बाहर निकलना इतना आसान है।"
लेडीज वेटर ने मुस्कुराते हुए कहा, "सर, कभी-कभी सच्चाई का सामना करना ही सबसे बड़ी हिम्मत होती है। आपकी पत्नी भी यही चाहती होगी।"
"सर, हर चीज़ के मूल में एक समाधान होता है। हमें बस इसका पता लगाना है," लेडीज वेटर ने गंभीरता से कहा। वे दोनों चलते हुए बातें कर रहे थे, जब भास्कर अचानक रुक गया। लेडीज वेटर ने चिंतित स्वर में पूछा, "सर, क्या हुआ?"
भास्कर ने उसकी ओर मुड़ते हुए कहा, "आप बिल्कुल सही कह रही हैं। हर चीज़ के मूल में एक समाधान होता है। मुझे सिर्फ उसे खोजना है। दोबारा थैंक यू। आप बहुत इंटेलिजेंट हैं।"
भास्कर को अब रास्ता साफ दिखाई देने लगा था। उसने जल्दी से ट्राइडेंट होटल से बाहर निकलकर स्कूटर लिया और सीधे मुकुल के घर की ओर रवाना हो गया। उसे अब समझ में आ गया था कि उसे सैली को कैसे बचाना है। हमेशा की तरह मुकुल उसे टाइम ट्रेवल करने से रोकने की कोशिश कर रहा था, लेकिन भास्कर ने अपनी पत्नी और उसकी तीनों तस्वीरें दिखाकर मुकुल को भावुक कर दिया और उसे टाइम ट्रेवल के लिए राजी कर लिया।
समय के साथ अतीत की यात्रा शुरू हो गई। अब शाम के 7:40 बज चुके थे। जब भास्कर टाइम मशीन से बाहर आया, उसने मुस्कुराते हुए मुकुल से कहा, "मुझे सब याद है और आपकी मशीन ठीक से काम कर रही है।"
यह सुनते ही मुकुल खुशी से नाचने लगा, लेकिन भास्कर ने उसे रोकते हुए कहा, "मुकुल, मुझे तुम्हारी मदद चाहिए। मैं फिर से टाइम ट्रेवल करना चाहता हूं। और वह भी आज शाम 7:45 बजे।"
मुकुल की नजर दीवार पर टंगी घड़ी पर पड़ी। उसने गुस्से में कहा, "भास्कर, यह टाइम मशीन है, कोई खिलौना नहीं। अगर तुम्हें सिर्फ पांच मिनट आगे बढ़ना है, तो पांच मिनट रुक जाओ। लेकिन मैं तुम्हें पांच मिनट के लिए टाइम ट्रेवल करने नहीं दूँगा।"
"मुकुल, मुझे सच में टाइम ट्रेवल करने की बहुत ज्यादा जरूरत है। तो प्लीज मुझे टाइम ट्रेवल करने दो। टाइम ट्रेवल के बाद मैं आपको सब बताऊंगा कि मैंने ऐसा क्यों किया है।"
मुकुल ने फिर से मना कर दिया, लेकिन भास्कर ने उसे टेबल पर रखी फोटो फिर से दिखाई और मुकुल को भावुक कर दिया। मुकुल ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "ठीक है। लेकिन टाइम ट्रेवल के बाद तुम्हें मुझे सच बताना होगा कि तुमने पांच मिनट के लिए टाइम ट्रेवल क्यों किया था। और अगर मुझे वह सच्चाई सही नहीं लगी, तो मैं तुम्हें कभी भी टाइम ट्रेवल करने नहीं दूँगा।"
भास्कर ने वादा किया, "हाँ, मैं तुम्हें सब कुछ बता दूँगा।" वह टाइम मशीन में बैठ गया और फिर से टाइम ट्रेवल करने के लिए तैयार हो गया। टाइम ट्रेवल की प्रक्रिया पूरी हो गई। अब मुकुल की नजर दीवार पर टंगी घड़ी पर पड़ी। अब शाम के 7:45 बज चुके थे। भास्कर टाइम मशीन से बाहर आ गया। मुकुल ने उसे देखते ही पूछा, "बताओ, तुमने पांच मिनट के लिए टाइम ट्रेवल क्यों किया?"
"मुकुल, तुम पीछे मुड़कर देखो," भास्कर ने मुस्कुराते हुए कहा। मुकुल ने जिज्ञासा से पीछे मुड़कर देखा, और उसकी आँखें आश्चर्य से फैल गईं। उसके पीछे एक और भास्कर खड़ा था। उस कमरे में दो भास्कर थे। उसने दोनों की तरफ अविश्वास से देखा और पूछा, "यह कौन है?"
मुकुल के सामने खड़ा भास्कर समझाते हुए बोला, "हम दोनों भास्कर ही हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि तुम्हारे पीछे खड़ा हुआ भास्कर शाम 7:40 बजे आया है और मैं 7:45 पर आया हूँ।"
मुकुल ने घबराहट और उलझन से पूछा, "ठीक है, लेकिन तुम क्या करना चाहते हो?"
भास्कर ने अपने सामने खड़े दूसरे भास्कर से कहा, "भास्कर, तुझे पता है ना, कि तुझे क्या करना है?"
नए भास्कर ने सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ, मुझे पता है।"
मुकुल का धैर्य जवाब दे रहा था। दोनों भास्कर उसकी बात पर ध्यान नहीं दे रहे थे, जिससे मुकुल नाराज हो गया। उसने ऊंची आवाज में कहा, "कोई मुझसे बात करो। मुझे बताओ यहाँ क्या हो रहा है।"
नए भास्कर ने कहा, "ठीक है, मैं बताता हूँ। मैं भास्कर7 हूँ और यह जो सामने खड़ा है, वह भास्कर6 है। अब से हम एक-दूसरे को नंबरों से बुलाएंगे।"
मुकुल ने हतप्रभ होकर पूछा, "क्यों?"
मुकुल भास्कर7 से बात कर ही रहा था कि अचानक भास्कर6 ने एक स्क्रूड्राइवर उठाया और मुकुल के सिर पर वार कर दिया। मुकुल बेहोश होकर नीचे गिर गया। भास्कर6 ने भास्कर7 की ओर देखा और पूछा, "भास्कर7, ये सिर्फ बेहोश ही हुआ है, ना? या फिर तुमने उसे मार डाला?"
भास्कर7 ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा, "नहीं, भास्कर6, यह सिर्फ बेहोश हुआ है।"
भास्कर7 ने आदेश दिया, "तुम इसे अंदर वाले कमरे में ले जाओ और उसे कुर्सी पर बिठाकर उसके हाथ-पैर बांध दो। अगर नया भास्कर यहां टाइम ट्रेवल करने आए तो उन्हें टाइम ट्रेवल करने से रोको।"
"हाँ," भास्कर6 ने संजीदगी से कहा।
भास्कर6 ने मुकुल को अंदर के कमरे में ले जाकर एक कुर्सी पर बिठाया और उसके हाथ-पैर बांध दिए। उसने उसके मुँह में एक रूमाल भी ठूंस दिया ताकि वह आवाज न कर सके। इस बीच, भास्कर7 ट्राइडेंट होटल की ओर रवाना हो गया।
होटल पहुँचने पर उसने एक लेडीज वेटर को बुलाया, "एक्सक्यूज़ मी, मैडम।"
भास्कर की आवाज सुनकर लेडीज वेटर ने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, सर," और उसके पास आ गई।
यह वही लेडीज वेटर थी जिसने भास्कर को कुछ देर पहले आतंकवादी समझ लिया था और जिसे भास्कर ने अपनी कहानी सुनाई थी। वही लेडीज वेटर जिसने भास्कर को सलाह दी थी कि वह अपनी पत्नी को सच बताएं और उससे माफी मांगे।