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chapter 3 - 100 साल बाद

महागुरु चन्द्रावती को उठाते हुए बोले. . . उठो पुत्री . . . पहले तुम उठो. . . चन्द्रावती खड़ी हो जाती है. . . . गुरुदेव अनंत को अपनी भीगी आखो से देखने लगती है. . . .  महागुरु चन्द्रावती से केहते हैं. . . हमे पता है की तुम्हारे साथ बहोत आनय्य हुआ है. .  .

 

पर हम इसमे कुछ नहीं कर सकते जो किस्मत मे लिखा होता है. . वो हो कर रहता है. . . चाहे कोई कुछ भि कर ले. . . और ये तो विधि का विधान था. . . अगर शुर्यांश अपनी कुर्बानी नही देते तो. . पुरा जैविक लोक पर खतरा और भी बढ़ सकता था. . . 

 

हमे पता है गुरु देव इसलिए तो हम नही चाहते थे की सुरायांश इस युध मे हिस्सा ले ना वो युद्ध मे आते और ना. . . . . इतना केह कर वो चुप हो जाती है. . .  गुरुदैव अनंत कहते है. . हमे पता है की आपको पक्षी राज से कितनी नफरत है. . . .

 

वो हर जन्म मे आपके पीछे आते है. . . और इस जन्म मे भी यही हुआ हम चाह कर भी कुछ नही कर पाय. . . पर अब भी मौका है पुत्री. . . आप के पास 1 और जन्म बचा है आप चाहे तो दुबारा जन्म ले सकती ह. . . और वो भी. . . चन्द्रावती केहती है हमे पता है इसलिए तो हम आपके पास आये है. . 

 

क्युकी ये हम खुद नही कर सकते इसमे हमे आपकी सहायता  लगेगी. . . किंतु हमे डर इस बात का है पिछले 5 जन्मो के भाती ' पक्षी राज ' हमारे पीछे ना पड़ जाय और अगले जन्म मे हम ये बर्दश नही कर पायेंगे की उन्हे फिर कुछ हो. . . हर बार वो अपना वादा निभाने के हमारे साथ जन्म लेते है. .. और हर बार हमारे वजे से सूर्यांश की जान खतरे मे पड़ जाती है... . और चली भी जाती हैं. . . .  और आपसे तो कुछ छिपा भी तो नही है. . . चन्द्रावती रोते हुए बोलती है. . . ..  . . 

 

इसमे महागुरु अनंत केहते है. . . इसका समाधान हमने ढूंढ लिया है. . . परंतु आपको बहोत तप करना होगा पुत्री और आपका तप ही आप दोनो को सुरक्षित कर सकते है. . . आप हमे बत्य गुरुदेव वो कोन सा तप है हम कुछ भी करने को तयार है चन्द्रावती अपने आसुओ को पोछते हुए बोली. . .

 

महागुरु अनन्त - इंतिज़ार. . . 

 

चन्द्रावती आसमंजश के भाव से बोलती है इंतिज़ार हम कुछ समझे नही गुरुदेव. . . 

 

महागुरु अनन्त -  हाँ पुत्री इंतिज़ार आपको 100 वर्षो का लंबा इंतिज़ार करना होगा और आपको ऐसे लोक मे जन्म लेना होगा जहाँ जादुई शक्तियों का कोई आस्तित्व नही होगा. . .

चन्द्रावती केहती है ठीक है गुरुदेव हम 100 वर्षो की परतीक्षा करने को तयार है किंतु क्या शुर्यांश को भी 100 वर्षो का इंतिज़ार करना होगा. . और हमारी शक्तिया यदि पक्षिराज ने हमे ढुंढ लिया तो हम बिना शक्तियों के सामना कैसे करेगे उनसे. . .

 

इसमे महागुरु अनन्त केहते है. . . आप इसकी चिंता ना करे पुत्री आपकी शक्तिया आपके जन्म लेने के 25 वर्ष होते ही आपको मिल जायेगी. . . और ऐसा ही आपके साथी हमारा मतलब शुर्यांश के साथ भी होगा. . .

 

और 125 वर्षो मे आप दोनो को कोई ढूंढ भी नही पयाएगा क्युकी आपका पता पक्षिराज को आपकी शक्तिया देती है किंतु इस बार 125 वर्षो के बाद ही होगा. . . और हम आपकी इतनी ही सहायता कर सकते है पुत्री. . .

 

किंतु हाँ इस बार आपका सफर आसान नही होगा. . . . जैसा इन 6 जन्मो मै होता आया है. . .  इस बार आप सब कुछ भूल जायेगी. . . और शुर्यांश भी आपको फिर से सब शुरू से शुरू करना होगा. . . . आपको अपना प्यार से किस्मत मिल्वेगी किंतु आप उन्हे पहचान नही पायेगी और नही वो. . .

 

और आप दोनो को अपनी शक्तिया पेहचनिनी होगी. . . जैसे जैसे आप दोनो अपनी शक्तिया पीछेगे वैसे वैसे आपको आपकी शक्तिया मिलिएगी और वो एक जन्म की नही पिछले 6 जन्मो की शक्तिया आप दोनो को मिलेगी. . .

 

इस बार आप दोनो पेहले से भी ज्यादा ताकतवर होंगे. . . आपको समझ मै आ रहा है ये बहोत कठिन है पुत्री. . .   चन्द्रावती तो इतने मे ही खुश थी की कम से कम वो इस बार तो शांति से अपनी जिंदगी जी पएगी. . . अपने प्रेम के साथ. . 

 

चन्द्रावती केहती है ठीक है गुरुदेव हम तयार है. . . आप बस बतय हमे क्या करना है. .  . इसमे महागुरु अनन्त केहते है आपको बस अपने प्राण त्यागने होंगे. . . और आपकी आत्मा आत्मलोक मे चली जायेगी. . . वहाँ आपको 100 वर्ष तक परतिक्षा करनी होगी. . और सुरायांश गुरुदेव चन्द्रावती केहती है. . आप उनकी चिंता ना करे 100 वर्ष बाद वो भी आपके साथ पृतवि लोक पर जन्म लेंगी. . .

 

और इन 100 वर्ष मे आप अपने प्रेम से मिल नही पएगी यही तो है आपकी तपस्या. . .  चन्द्रावती बस हाँ मे सर हिला देती है जैसे इशारा दे रही हो की वो सब कुछ समझ गयी हो. . . महागुरु अनन्त  चन्द्रावती को एक खंजर देते है जिससे वो अपनी जान ले सके. . . . चन्द्रावती के पास जीने की चाह भी नही बची थी इसलिए उसने वो खंजर ले कर अपने दिल मे शुर्यांश को याद कर वो खंजर खुद के सीने मे उतार देती है  . . 

 

कुछ ही देर मे चन्द्रावती के शरीर से प्रान निकल जाते है और चन्द्रावती का शरीर हवा में गायब हो जाते है. . . . 

( वैसे माने आप लोगो को अभी तक बताया नही है ना की ये चन्द्रावती और शुर्यांश कों है. . . वैसे आप लोगो को तो पता चल ही गया होगा की ये दोनो ही हमारी कहानी के मैंन लीड है.. .

फिर भी मे आपको शॉर्ट मे बात दु. . . चन्द्रावती और शुर्यांश एक दूसरे से प्यार करते थे किसी कारण वर्ष उनका प्यार सफल नही हो पता और पक्षिराज उन्हे मार देता है. .  ऐसा ही 6 जन्मो तक उन दोनो के साथ होता आ रहा था. . .

जिससे चन्द्रावती अब थक चुकी थी इसलिए वो महागुरु अनन्त  के पास आती है. . . महागुरु के पास अद्भुत शक्तिया होती है जिसके कारण वो किसी का भी अतीत और भविष्य बाता सकते थे वैसे उनके पास तो और भि शक्तिया है जिसके बारे मै आपको बाद मे पता चलेगा. .) 

 

चन्द्रावती के गुफा के आन्दर गये दो दिन से जादा हो गये थे जिसके करन गुफा के बाहर खड़े रेवती और शुक्ल को  बहोत जादा चिंता सताने लगी थी. . .

 

लेकिन चन्द्रावती के दिये कसम के कारण वो कुछ कर नही पा रहे थे. . . ऐसा लग रहा था की चन्द्रावती को पेहले से पता हो की वो वापस नही लौट कर आने वाली इसलिए उसने पेहले ही तयारी कर के रखी थी. . . . चन्द्रावती के कहे अनुसार रेवती और शुक्ल वापस मेहल चले गये और महाराज को बता दिया की उनकी पुत्री की मृत्यु युद्ध छेत्र मे ही हो गई. . . .

 

उसके बाद दिन युही बिताने लगे. . . . 

दिन हफ़्तो मे. . हफ्ते महीने मे और महीने सालों मे. . . देखते देखते 100 साल भी बीत गए. . .

to be continued. . . .  

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