दरवाजा खुलने के साथ ही एक लड़की उन लोगों के सामने खड़ी दिखाई देती है। उस लड़की ने एक ब्लैक कलर की ड्रेस पहनी हुई थी। उसके बाल सिल्की लंबे और एकदम सलिके से स्ट्रेट हो रखे थे । ऐसा लग रहा था जैसे कि उसके बाल मैं एक भी कर्ल नहीं है। सारे बाल कमर तक के बिल्कुल स्ट्रेट किए हुए थे। उसकी आंखें हिरनी सी थी और आंखों में उसने काजल लगा रखा था। और होठों पर जो रेड लिपस्टिक थी, उसमें उसके पूरे लुक को और ज्यादा वाइल्ड बना दिया था।
उस लड़की को देखकर वात्सल्य और नैना दोनों हैरान हो जाते हैं। और हैरानी से एक दूसरे को देखने लगते हैं । वह लड़की उन दोनों को देख कर मुस्कुराती है और कहती है, " हेलो आपका नाम वात्सल्य है ना ? मैं आप ही का इंतजार कर रही थी।"
वात्सल्य ने कुछ नहीं कहा और वह बस उस लड़की को ही देख रहा था। नैना ने वात्सल्य के कंधे पर मारा । तब वात्सल्य होश में आता है और जल्दी से सकपकाते हुए कहता है, " जी मेरा ही नाम वात्सल्य है। लेकिन आप कौन है? हम तो यहां पर कनिष्क जी से मिलने आए हैं।"
उस लड़की ने रास्ता छोड़ दिया और वात्सल्य नैना को अंदर आने का इशारा करते हुए कहती है, " जी मालिक भी आप ही लोगों का इंतजार कर रहे हैं । मेरा नाम अनामिका है। मैं मालिक की सेविका हु।*
नैना और वात्सल्य दोनों हैरानी से उस लड़की को देख रहे थे। क्योंकि इतनी खूबसूरत लड़की और वह भी किसी की सेविका है? यह बात दोनों को थोड़ी अजीब लग रही थी । नैना ने थोड़ी ताजुब के साथ पूछा, " सेविका मतलब?"
अनामिका हल्की सी मुस्कान के साथ कहने लगी, " सेविका मतलब पर्सनल असिस्टेंट। मैं उनकी पर्सनल असिस्टेंट हूं । उनकी जरूरत का सारा ख्याल रखती हूं।"
" ओ अच्छा पर्सनल असिस्टेंट ठीक है। मैं समझ गई। तो सेविका जी मेरा मतलब है, कि अनामिका जी आपको कैसे पता था ? कि हम लोग आने वाले हैं।" नैना हैरानी से अनामिका से सवाल करती है। तो अनामिका ने मुस्कुराते हुए नैना को देख कर कह दिया, " आपके आने का अंदाजा तो था, लेकिन उम्मीद नहीं थी।"
नैना और वात्सल्य समझ ही नहीं पाए कि अनामिका क्या कह रही है । उसकी हर एक बात उन दोनों को घुमावदार और हैरान कर देने वाली लग रही थी। अनामिका उन्हें देख कर आगे कहती है, " दरअसल मिस्टर पूनावाला का फोन आया था । उन्होंने बताया था, कि उनके बिजनेस पार्टनर के बेटे यहां आने वाले हैं। इस कोठी की डील करने के लिए। इसलिए मालिक को पता था, कि मिस्टर वातसल्य यहां आ रहे हैं। पर वह अपने साथ किसी खास को ले कर आ रहे हैं । इस बारे में उन्हें नहीं पता था । यह जान कर मालिक को बहुत खुशी होगी।
आईए मैं आपको मालिक से मिलवाती हूं।" अनामिका उन्हें एक दिशा की तरफ इशारा करती है और फिर वहां से आगे चल देती है। वात्सल्य और नैना उसके पीछे-पीछे चल रहे थे, लेकिन धीरे कदमों से। वात्सल्य हैरानी से अनामिका को देख रहा था। जब नैना ने उसे ऐसा करते हुए देखा, तो उसने वात्सल्य के कंधे पर जोर से मारते हुए कहा, " क्या देख रहे हो वात्सल्य? तुमने उस लड़की को देखा है ना ? तुम्हारी नजरे बार-बार उसी के ऊपर जा रही है। मैं बता रही हूं वात्सल्य, मर्डर कर दूंगी तुम्हारा 🤨।"
वात्सल्य हंसते हुए नैना के कानों में झुक कर कहता है, " अरे यार ऐसा कुछ भी नहीं है । दुनिया की सबसे खूबसूरत से खूबसूरत लड़की भी मेरे सामने आ जाए ना, तो तुम्हारे सामने वह मुझे चाय कम पानी ही नजर आएगी। मैं तो यह देख रहा हूं, कि इतनी रात को यह मिस अनामिका इतनी खूबसूरत सी ब्लैक ड्रेस के साथ इतना मेकअप पौथ कर क्या किसी पार्टी में जा रही थी ? या फैशन शो में ? इतनी तैयार तो तुम किसी पार्टी में जाने के लिए नहीं होती, हो जितनी यह मिस अनामिका का घर पर हो कर बैठी है।
अनामिका आगे आगे चल रही थी और वात्सल्य और नैना उसे कुछ ही दूरी पर उसके पीछे धीरे-धीरे कदमों से चल रहे थे । नैना ने पीछे से अनामिका को देखते हुए कहा, " हां मुझे भी यही लगा था । इतनी तैयार हो कर यह घर पर क्यों घूम रही है? वह भी रात के वक्त ? लाइनर, काजल, लिपस्टिक यह सब तो मैं पार्टी में भी बिल्कुल ना के बराबर लगाती हूं और यह इतना पोथ के बैठी हुई है । जैसे कि किसी को इंप्रेस करने की कोशिश कर रही है।
वात्सल्य कहीं यह तुम्हें इंप्रेस करने की कोशिश तो नहीं कर रही है ना ? क्योंकि इसकी नजरे देखी है मैंने तुम्हारे ऊपर थी। ऐसे देख रही थी तुम्हें जैसे, कि तुम्हें अपने वश में करने की कोशिश कर रही है।"
नैना ने घूर कर वात्सल्य को देखते हुए कहा। तो वात्सल्य हंसते हुए धीरे से नैना के कान में कहता है, " मुझ पर जिसका जादू चलना था, वह चल गया है और मुझे जिसके वश में होना था , उसने मुझे वश में भी कर लिया है। तुम्हारे प्यार का जो जादू टोना मेरे आस-पास लिपटा हुआ है ना, किसी ने अगर उसे हाथ लगाने की कोशिश की तो उसे इतना तेज झटका लगेगा कि मुझे वश में करना तो दूर की बात है, खुद के सर से प्यार का भूत उतर जाएगा।"
नैना के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ जाती है और वात्सल्य नैना का हाथ पकड़ लेता है। अनामिका एक बड़े से दरवाजे के पास आ कर रूकती है और पीछे पलट कर उन लोगों को देखती हैं। जो मुस्कुराते हुए एक साथ आ रहे थे। उन्हें मुस्कुराता हुआ देख अनामिका की आंखें तीखी हो जाती है। और वह उन दोनों को देख कर कहती है , " यहां पर इस तरीके से हंसना मना है।"
नैना हैरानी से अनामिका से कहती है, "इस तरीके से मतलब ? हंसने का भी कोई तरीका होता है क्या ? हंसी तो हंसी होती है।" अनामिका के चेहरे पर एक मिस्टीरियस मुस्कान आ जाती है और वह ना में सर हिलाती हैं और कहती है, " नहीं यहां पर हंसने का एक तरीका है । यहां पर अगर किसी को हंसना है, तो वह इस तरीके से हंसेगा की आसपास के 50 गांव को पता चल जाएगा कि कोठी में किसी की हंसी गूंज रही है।"
नैना और वात्सल्य के चेहरे पर अब तक जो हल्की सी मुस्कान थी वह अचानक से गायब हो जाती है। और वह एक दूसरे को तिरछी नजरों से देखने लगते हैं । अनामिका मुस्कुराते हुए आगे कहती है, " चलिए छोड़िए यह सब बातें होती रहेगी । चलिए मैं आपको मालिक से मिलाती हूं। उसके बाद अनामिका ने वह दरवाजा देखा और उस पर अपने दोनों हाथ रख कर एक धक्के के साथ उस दरवाजे को खोल दिया । अनामिका अंदर आती है और उसके पीछे-पीछे वात्सल्य और नैना भी आते हैं।
जैसे ही नैना ने उस दरवाजे के अंदर कदम रखा उसकी धड़कनें एकदम से बढ़ जाती है और वह अपने कदम पीछे ले लेती है ।क्योंकि वात्सल्य ने उसका हाथ पकड़ रखा था इसलिए वह ज्यादा पीछे नहीं जा पाई। पर दहलीज पार कर के उसने अपने कदम पीछे ले लिए। वह डर जाती है। उसके चेहरे पर घबराहट आ जाती है। उसे ऐसा देख कर वातसल्य कहता है , " क्या हुआ नैना? तुम बाहर क्यों चली गई?"
नैना घबराई हुई नजरों से उस जगह को देखती हैं और इस दरवाजे की दहलीज को देख कर कहती है , " पता नहीं । मेरे कदम अपने आप पीछे हो गए। मुझे नहीं पता क्या हुआ है।"
नैना उस दहलीज को देखती हैं । जिस पर छोटे-छोटे चमगादड़ जैसे डिजाइन बने हुए थे। वह एक बार कस के गहरी सांस लेती है और अपनी आंखें बंद कर के वह अपने कदम अंदर की तरफ रखती है। उसके कदम कांप रहे थे और मन घबरा रहा था। लेकिन उसने बहुत हिम्मत के साथ अपने कदम दहलीज के अंदर रखे और उस कमरे में दाखिल हो गई।
जैसे ही नैना उस कमरे के अंदर आती है , अनामिका के चेहरे पर एक हल्की सी और तिरछी मुस्कान आ जाती है। नैना जल्दी से वात्सल्य की बाजू को कस के पकड़ लेती है और घबराते हुए उस कमरे को देखने लगती है। उस खाली कमरे में सिर्फ एक अजीब सी तस्वीर थी और उन्हें कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। बाकी जगह सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा था। सामने की तरफ अगर कुछ है भी तो उन्हें दिखाई नहीं दे रहा होगा। क्योंकि उस कमरे में इतना अंधेरा था । अनामिका उस कमरे की एक तरफ देखती है और कहती है , " मालिक, वह लोग आ गए। जिनका आप इंतजार कर रहे थे।"
नैना के चेहरे पर तो घबराहट थी ही । लेकिन अब वात्सल्य भी घबराते हुए अनामिका को देख रहा था। वह अंधेरे में किस से बात कर रही है? यहां तो कोई भी नजर नहीं आ रहा है । शिवाय अंधेरे के उसे कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा है।
तभी नैना और वात्सल्य के कानों में एक भारी और डरावनी सी आवाज सुनाई देती है, जो किसी आदमी की थी।
" बहुत देर कर दी आने में।" वात्सल्य घबरा जाता है। इस अंधेरे में कोई मौजूद है ? लेकिन वह उसे नजर नहीं आ रहा है। पर वहीं दूसरी तरफ नैना जब इस आवाज को सुनती है, तो उसके हाथ वात्सल्य के बाजू पर कश जाते हैं। और वह घबराते हुए उस जगह को अपनी नजरों से देखने लगती है । उस यह आवाज इतनी तीखी सुनाई दे रही थी, कि उसका दिल जोरो से कांप रहा था।
" अनामिका…" अंधेरे में उस शख्स ने अनामिका का नाम लिया, तो अनामिका हा में सर हिलाते हुए जल्दी से कहती है, " जी मालिक। मैं अभी रोशनी कर देती हूं।"
अनामिका वहां से स्विच बोर्ड के पास जाती है और एक बटन दबा देता है। उसी के साथ उस कमरे में हल्की-हल्की लाल रंग की रोशनीया जलने लगती है। धीरे-धीरे उस पूरे कमरे में लाल रंग की रोशनी जल रही थी। और वह काला कैमरा लाल रंग की रोशनी से भर उठा था उसी के बीच वात्सल्य और नैना हैरानी से देखती हैं। सामने की तरफ एक सिंहासन रखा हुआ था। एक बड़ा सा सिंहासन जिसके ऊपर चमगादड़ का बड़ा सा चेहरा बना हुआ था और उसके ऊपर एक शख्स बैठा था।
जैसे ही उस सिंहासन के ऊपर की लाल रोशनी जलती है, उस शख्स का चेहरा सामने आ जाता है और नैना जब उसको देखती हैं, तो अचानक से डर कर वात्सल्य के सीने में अपना चेहरा छुपा लेती है।
सिंहासन पर बैठे शख्स ने पूरी तरीके से ब्लैक कपड़े पहने हुए थे । उसके बाल पूरी तरह से सेट हो रखे थे और चेहरे पर एक भी दाग नहीं था। बल्कि उसका चेहरा तो किसी रोशनी की तरह सफेद चमक रहा था। पर उसकी आंखें बंद थी।
नैना ने धीरे से अपना चेहरा वात्सल्य के सीने से निकाल कर उस इंसान को देखा। तभी उस ने अपनी आंखें धीरे-धीरे खोली और उसकी आंखों के सामने नैना का वह डरा हुआ चेहरा आ जाता है। नैना उसकी आंखों में देख कर और ज्यादा डर गई थी। क्योंकि उसकी आंखों में उसे कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। अगर कुछ था तो वह नीली गहरी और शांत आंखें।
डर तो वैसे वात्सल्य को भी लग रहा था, उसने नैना का हाथ कस के पकड़ लिया और अनामिका को देखने लगा। अनामिका वात्सल्य नैना के पास आते हुए कहती है, " मिस्टर वात्सल्य, यह हमारे मालिक है। जिसे आप मिलने आए हैं।"
" हेलो मिस्टर कनिष्क, मेरा नाम वात्सल्य दीवान है । मैं मुंबई से आया हूं । इस कोठी की डील करने के लिए।"
कनिष्क अब तक सिंहासन पर बैठा हुआ था। लेकिन उसकी नज़रें अभी भी सिर्फ नैना के ऊपर थी। जब उसने वात्सल्य की आवाज सुनी तो एक नजर उसने वात्सल्य को देखा और फिर नैना को देखने लगा । वह अपनी जगह से खड़ा होता है । तब जाकर उसकी पूरी पर्सनालिटी सामने आती है ।
प्योर ब्लैक कपड़ों में उसने जूते भी ब्लैक पहन रखे थे और उसके गले में एक लाल रंग का सिल्क का मफलर था। उसकी हाइट वात्सल्य से 2 फीट ऊपर की है। और उसका शरीर भी काफी हैवी और भारी भरकम है। वात्सल्य उसके सामने बच्चा नजर आ रहा था।