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अनसुलझी जिंदगी (कहानी एक हताश लडकी की) (भाग - 1)

कहा जाता है कि जो हमारे साथ होता है वो सब हमारे कर्मो का फल है तो क्या सच में ऐसा है? क्या सच में अच्छा करने वालो के साथ हमेशा अच्छा ही होता है? हां मान लिया कुछ चीजे हमारी मेहनत पर भी निर्भर करती है लेकिन क्या सारी चीजे हम मेहनत करके ठीक कर सकते है? उसने कभी किसी के साथ गलत नही किया हमेशा सबके साथ अच्छा ही किया फिर भी उसके साथ ही ऐसा क्यों हुआ? एक लडकी रात के अंधेरे में उदास मन से ये सब सोचती है, आखिर ऐसी बाते उसके मन में आनी भी चाहिए, आज वो सिर्फ बीस साल की है लेकिन उसने जिंदगी में इतनी ज्यादा तकलीफों का सामना किया है कि अब वो अपना हौसला खो बैठी है। फिर एक दिन वो अकेले बैठ कर अपनी जिंदगी में हुए पिछले हादसों को याद करती है कि आखिर उसी के साथ ऐसा क्यो हुआ?

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वो एक मिडिल क्लास फैमिली से संबधित थी। उसके पापा एक डिपार्टमेंट में जॉब करते थे। जब उसने जन्म लिया तो उसके पापा को शराब की बुरी लत लग गई वो हर रोज शराब पीकर आते और उसकी मम्मी को खूब पीटते। उसके नाना जी ने उसकी मां को समझाया कि वो उसके पापा से अलग हो जाए लेकिन आखिर वो एक मां थी अपनी बच्ची को उसके पिता से अलग नहीं करना चाहती थी। समय बीतता गया और उसकी मां ने जैसे समय के साथ समझौता कर लिया था। अब परिवार मे उसके दो भाई बहन भी शामिल हो गए थे । लेकिन हालात तो वही थे । बचपन से ही लड़ाई झगडे में पली बढ़ी वो लडकी और उसका परिवार जैसे तैसे जिंदगी जी रहे थे। कभी लड़ाई होती और कभी फिर से सब ठीक हो जाता। लेकिन शायद किस्मत को सिर्फ इतना मंजूर नही था। एक दिन वो सब बैठ कर खाना खा रहे थे कि अचानक दरवाजे पर कोई आया। जब उसकी मां ने दरवाजा खोला तो वो पुलिस थी , उसकी मां ने पहले कभी ऐसी स्थिति नही देखी थी तो वो पुलिस को देख कर डर गई। फिर पुलिस ने उसके पापा को एक झूठे मर्डर केस में अरेस्ट कर लिया। उसके रिश्तेदारों ने भी उनका कोई साथ ना दिया। उसकी मां पूरे 2 साल तक रोती रही, लोगो के ताने सुनती रही। पर आखिरकार उसके पापा पर लगे इल्जाम झूठे साबित हुए और उसके पापा जेल से छूट गए। लेकिन उनकी ये खुशी भी ज्यादा दिन तक नहीं थी। उसके पापा ने फिर भी शराब नहीं छोड़ी और उसके मम्मी पापा के बीच ऐसे ही लड़ाई झगडे होते रहे। आखिरकार उसकी मां हिम्मत हार गई और उसकी मां ने सुसाइड कर लिया। अब उस लडकी को ऐसा लग रहा था मानो उसकी जिंदगी खत्म हो गई हो, सारे रास्ते बंद हो गए हो। उसके पापा ये सब देख कर सदमे में रात को ही कही चले गए । उस लडकी ने जल्दी से पड़ोस में ही रह रहे अपने चाचा, चाची और दादी को बुलाया। लेकिन बोहोत देर हो चुकी थी अब उसकी मां इस दुनिया में नही रही लेकिन अपनी आखिरी सांसों में उसकी मां ने उस लडकी से एक वादा लिया कि वो अपने भाई बहन का ध्यान रखेगी। लेकिन वो लडकी बेचारी क्या ही करती उसकी उमर उस समय केवल 8 साल थी उसकी बहन 5 साल की और उनका छोटा भाई केवल 4 साल का था। आखिर अब क्या होगा उनकी जिंदगी में ? आखिर क्या करेगी वो लडकी अब? क्या उसे भी मर जाना चाहिए ? क्या उसकी जिंदगी अब सच में खत्म हो चुकी थी ? ऐसा सोचते हुए वो लडकी रात भर अपने बहन भाई को लेकर रोती रहती है, क्योंकि इतनी छोटी उम्र में उसे कुछ समझ ही नही आ रहा था कि आखिर अब आगे क्या होगा? रात का वो सन्नाटा जिंदगी भर उसे ऐसे ही डराता रहेगा। अब आगे उसकी जिंदगी में क्या होगा?

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........To be continued.........