राम्या उस राक्षस के हाथ के तेहली पे सोया था अपना सर उप्पर की तरफ करके , तभी उप्पर से एक बीस गिरा जो जल की तरह दिख रहा था, राम्या के मुंह में पड़ते ही राम्या होश में आ गया परंतु उस राक्षस को नही पता चला था की राम्या होश में आ गया था, वो राक्षस लोक जा रहा था, तभी राम्या अपना आंख खोला तो देखा की," मैं तो आसमान में उड़ रहा हूं!."
फिर राम्या उस राक्षस के हाथ पे उठ कर चारो देख कर आकर्षित हो गया था, परंतु फिर राम्या उस राक्षस को देख कहा," राक्षस आप मुझे कहा ले जा रहे हो, मुझे नीचे उतरो मेरी माता मेरी प्रतीक्षा कर रही है!." वो राक्षस राम्या की बात सुन कर कहा," परंतु अब तो तुम मेरे लोक पहुंचने वाले हो, अपनी माता को भूल जाओ, यदि कोई संदेश भेजना चाहते हो, तो वो संदेश जा सकता है!." राम्या उस राक्षस से कहा," परंतु मेरी माता मुझे जब तक न देखेगी तब तो बिस्वास नही करेगी!."
वो राक्षस राम्या से कहा," परंतु ऐसा क्यों!." राम्या उस राक्षस से काफी छोटा था, राम्या उस राक्षस से कहा," ये बात बाद में भी पूछ सकते है आप, कृपया आप मुझे नीचे उतारिए!." वो राक्षस राम्या की बात सुन कर जोर जोर से हसने लगा," हां... हां.... हां..... हां...!." राम्या कुछ सोचा और अपने शक्ति बाण से उस राक्षस के मुंह में एक धनुष छोड़ दिया वो धनुष उस राक्षस के नटी में जाकर लग गया, वो राक्षस जोर से चिला उठा," राम... जय श्री राम... !." वो राक्षस वही पे गिरने लगा था, राम्या भी उस राक्षस के हाथ से नीचे गिरने लगा था, राम्या के पास तो सारे शक्ति थी परंतु ये शक्ति नही थी जिसे राम्या खुद को गिरने से रोक सके, वो राक्षस जाकर एक समुंदर में गिरते हुए जोर से चिला उठा," राम जय श्री राम!." वो राक्षस समुंदर में दफन हो गया, ( इस राक्षस का नाम था जलेदी राक्षस)
नारायण जी श्री राम जी से कहे," प्रभु उस का तो कुछ करिए! नही तो पृथ्वी पर गिर सकता है!." राम जी नारायण जी के बात सुन कर मुस्कुराने लगे, फिर लक्ष्मण कहे," प्रभु आप अपने दृष्टि से तो देखिए!." फिर वो सब लोग पृथ्वी पे देखने लगे।
वो चिड़िया रानी होश में आ गई थी, उस चिड़िया रानी राम्या की आवाज सुन कर राम्या की तरफ उड़ान भरने लगी," बचाओ प्रभु मुझे बचाओ?!." राम्या जैसे आसमान और पृथ्वी के बीच आया तभी वो चिड़िया रानी जाकर राम्या का कपड़ा को अपने ठोड़ में पकड़ लिया, वो चिड़िया रानी राम्या को नीचे लेकर उतरी तो वहा पे बाबा कबीर मौजूद थे, वो चिड़िया राम्या को उस बाबा के पास रख कर वहा से जाकर पेड़ पे बैठ गया, वो बाबा कबीर राम्या को देखते ही दौर के राम्या के पास जाकर पुछे, "बालक तुम कैसे हो, मैंने तुम्हे कितना समझाया परंतु तुम मेरे एक नही सुने!." राम्या बाबा कबीर की बात सुन कर पूछा," परंतु ये बताइए वो चिड़िया रानी है कौन जिसने मेरी प्राण की रक्षा की!." वो बाबा कबीर राम्या की बात सुन कर कहे,"मुझे तो नही पता बालक परंतु जरूर मेरे प्रभु श्री राम यों संकट मोचन होंगे!." राम्या उस बाबा कबीर की बात सुन कर कहे," क्या मेरे प्रभु मेरे प्राण बचाने के लिए चिड़िया बन गय है!." बाबा कबीर राम्या की बात सुन कर कहे," हा पुत्र, अब तुम घर जाओ, तुम्हारे माता प्रतीक्षा कर रही है!." राम्या बाबा कबीर की बात सुन कर कहा," हूं परंतु पिता श्री मेरी माता अभी ठीक तो है न!." बाबा कबीर राम्या से झूठ कहा," हा बालक अब तुम जा सकते हो!." राम्या उसी राह से चल दिया अपने घर जिस राह में अंजन बेहोश पड़ी थी,
नारायण जी राम जी से कहने लगे," प्रभु अब तो कुछ करिए, वो नादान बालक है यदि अपनी माता की ऐसी हालत देखेगा तो उसपे क्या प्रभाव परेगा!." राम जी नारायण जी के बात सुन कर मुस्कुरा दिए, राम जी हनुमान जी कहे," हनुमान जाओ और अपने अंजन को सही करके आओ!." हनुमान जी राम जी की आज्ञा मान कर वहा से पृथ्वी पर चल दिए, हनुमान जी पृथ्वी पे उतर कर अपना एक साधु का भेष बदल लिए और वहा से अंजन के पास पहुंच कर देखे तो अंजन बेहोश पड़ी थी, हनुमान जी अपना हाथ उप्पर कर के आशीर्वाद से अंजन को होस में ला दिए," आयुष्मान भव!." अंजन जब होस मैं आई तो सामने एक साधु को देख कर पूछी," आप कौन है!." बजरंग बल्ली अंजन का बात सुन कर कहे," पुत्री तुम्हारा पुत्र तुम्हे ढूंढ रहा है!." अंजन बजरंग बल्ली की बात सुन कर रोते हुए कही,"परंतु बाबा मेरी पुत्र कैसा है, वो कही दिख नही रहा है!." बजरंग बल्ली अंजन की बात सुन कर इतमीनान से कहे," पुत्री तुम्हारा बालक को कुछ नही होगा जाओ अब वो मिल जायेगा!." अंजन बजरंग बल्ली की बात सुन कर रोते हुए कही," जी बाबा !." अंजन वहा से दौर्ते हुए आगे की तरफ जाने लगी, बजरंग बली वहा से लोक की तरफ चल दिए, और साथ ही साथ अंजन जोर जोर बोली," राम्या राम्या!." राम्या अंजन के बहुत करीब आ गया था, राम्या अपनी माता की आवाज सुन कर वही से दौर पड़ा, अंजन के पैर में कांटा चुभा था इस वजह से कभी कभी अंजन को दर्द भी हो रहा था, अंजन जोर जोर से चिला रही थी," राम्या कहा हो तुम!." तभी राम्या अपनी माता अंजन के सामने आकर खड़ा हो गया, अंजन राम्या को गुस्सा की नजर से देखने लगी, राम्या अपनी माता के आंख में आंसू देख कर दौर कर जाकर अपने माता को पजा में पकड़ लिया, और रोते हुए कहने लगा," माते मुझे छामा कर दो!." अंजन वही पे पैर पे बैठ गई और राम्या को देख कर रोते हुए पूछी," पुत्र कहां गया था तू, कब से ढूंढ रही हूं तुझे!." राम्या की आंख में आंसू आ गया था अपनी माता की आंख की आंसू देख कर, राम्या अपनी माता से कहा," माते आप प्रशान क्यू हो जाति हो, मुझे कुछ नहीं होगा!." अंजन राम्या की बात सुन कर रोते हुए कही," पुत्र यदि तुझे कुछ हो गया तो मैं कैसे जिऊंगी! मेरी जीने की आधार सिर्फ तुम हो और तुंभी मुझे छोड़ कर चले जाते हो!." राम्या अंजन अपने माता के आंख की आंसू पोछते हुए कहा," माते आप क्यू रो रही हो,!." अंजन अपना पुत्र राम्या की बात सुन कर कही," कुछ नही चलो घर !." फिर वहा से अंजन और राम्या दोनो अपने घर चले आए,
राम्या और अंजन दोनो मंदिर में रहते थे, और राम्या शक्तियां सीखने के लिए अपने गुरु हरिदास के पास जाया करते थे, हरिदास एक बहुत ही ज्ञानी गुरु थे जिनके पास हजारों शिष्य शक्तियां यों बाण चलाने के लिए सीखने जाते थे,
जलेदी राक्षस जब समुंदर में गिर रहा था तो एक पेड़ से एक छीपकिली बैठ कर देख रही थी और साथ ही सोच रही थी," ये क्या हुआ, महाराजा को बताना परेगा, परंतु वो तो हमे कबूल नहीं करेंगे, खैर चलता हूं!." वो छिपकिली अपना एक कौवा की भेष बदल कर राक्षस की लोक चल दी अपने महाराजा के पास!
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to be continued....
यहां से अब उस राक्षस की कहानी चालू होगी, फिर उसके बाद राम्या और राम्या की गुरु की कहानी चालू होगी, फिर उसके बाद क्या वो छिपकीली अपना महाराजा को बताएगी तो क्या महाराजा उस छिपकली की बात मानेगा जानने के लिए पढ़े "RAMYA YUDDH"
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