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पल पल कहानी

<p>काशी और सखी खाना खा कर अकेले बैठे थे ।काशी ने कहा कि चल तुझे कहीं ले जाना है।सखी ने पूछा कहां,काशी बिना कुछ बोले बस सखी को खींचते हुए अपने साथ ले गई।एक बड़ी सी बिल्डिंग में को दोनो जैसे ही घुसे तो सबने एक एक करके काशी को नमस्ते मैडम कहना शुरु कर दिया।काशी सभी से गुजरते हुए एक बड़े से रूम में पहुंची ।सखी को वहां बैठाया और बताया की ये मेरा ऑफिस है ।ये मेरा केबिन । मैं ज्वेलरी का बिजनेस करती हूं और एंटीक भी रखती हूं।सखी की आंखे खुली की खुली रह गई।मन ही मन को सोचने लगी कैसे किया ये सब।<br/>काशी ने बताया कि मेरी मंगनी हो गई है जल्दी ही शादी भी कर लूंगी।सखी ने पूछा ये सब और शादी भी,कैसे ।मतलब किससे।कौन है वो । काशी ने कहा तू जानती है उसे।सखी ने कहा मैं।।।।। मैं, मैं जानती हूं??????<br/>हां, तू जानती है।काशी ने कहा। कौन,सखी ने तपाक से बोला। कुशल,कुशल से शादी कर रही हूं।सखी ने आश्चर्यजनक होते हुए कहा ही क्या,क्या, कुशल। लेकिन उसने मुझे नही बताया।वो तो जबकि और फिर एक सन्नाटा छा गया।काशी ने कहा हां मैंने ही माना किया था कि तुम्हे सरप्राइज देंगे।सखी ने कहा - अच्छा, चल काफी समय हो गया है, चल फिर बाद में करते हैं, बात । काशी ने कहा - अरे, अभी तो बताया ही है , अभी तो मिलकर जश्न करना है और तुम जाने की बात कह रही हो । सखी ने कहा घनशायम आने वाले होंगे,फिर खाना भी बनाना है, मताजी मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगी।काशी ने कहा कुछ देर रुक जाओ,कुशल भी आता ही होगा,वो छोड़ देगा।सखी ने कहा नहीं नहीं, मैं चली जाऊंगी।चल ध्यान रखना बाद में करते हैं।काशी और सखी दोनों कैब का इंतजार कर हो रहे थे कि वहां कुशल पहुंच गया।<br/>अरे! सखी तुम यहां,कुशल ने हैरान होते हुए पूछा।काशी ने कहा मैं बताती हूं,लेकिन बाद में,पहले इसे घर छोड़ दो। कुशल ने हां में सर हिलाते हुए कार स्टार्ट की।<br/>सखी भी कार में बैठ गई। दोनों के बीच आज सन्नाटा सा था।सखी ने कहा तुमने कभी काशी के बारे में बताया ही नहीं।कुशल ने उसे देखा और कुछ रुक कर बोला।तुमने कुछ कभी पूछा ही नहीं।सखी ने तपाक से बोला इतनी बड़ी बात तुमने बताई ही नहीं न काशी के बारे में,न शादी के बारे में, क्यों।अगर बता देता तो क्या जो हमारे बीच में हुआ और था वो हो पाता।<br/>सखी ने कुछ नहीं बोला।घर भी आ ही गया था।सखी कार से उतरी और सीधा घर के अंदर चली गईं।कुशल कुछ इसे पहले सोच पता की सखी वहां थी ही नहीं।तो कुशल ने गाड़ी स्टार्ट की और चला गया।सखी घर पहुंच कर काम में व्यस्त हो गई और सोच रही थी ये सब कैसे? सखी , कुशल ये सब ।<br/>इतने में घनश्याम भी आ पहुंचा।आज घनश्याम खुश था, सखी के पास किचन में जा कर उसे गले लगाने लगा।उसे गले लगा कर उसको चूमने लगा।लेकिन सखी का कोई रिएक्शंस न पाकर वो रुक गया। कहां खोई हो।आज कल तुम्हारा ध्यान कहां रहता है?<br/>और फिर बेडरूम में चला गया।सखी ने आज उसको पूछने या उसको मानने की कोशिश नहीं की।खाना लगाया और फिर सबने खाना खाया और अपने अपने कमरों में चले गए। घनशायम सखी से बात करना चाहता था।इससे पहले कि वो कुछ पूछता सखी ने कहा लाइट बंद कर दो मुझे नींद आ रही है,कल जल्दी जाना है।</p>