विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस अति- विकसित युग में, चाँद पर शहर बनाना आम बात हो चुकी है। हमारे पूर्वज एक बार चाँद पर पहुंचे थे लेकिन सदियों से कोई खास प्रगति नहीं हुई।
रात के आसमान में चमकने वाले शहर में शुरुवात में सिर्फ कुछ ही लोगों को आमंत्रित किया गया। लगातार कोई न कोई चाँद पर बस्ता आ रहा है और आखिरकार मेरी अच्छी दोस्त भी वहा चली गई।
चलिए आपको एक कहानी बताता हुं। वह काफी दयालु हैं। जब हम पहली बार मिले मैने यही सोचा था। मैं एक ट्रांसफर स्टूडेंट था। मुझे इस बात की चिंता थी की नई जगह पर नए दोस्त बना पाऊंगा या नहीं?! और सबसे बड़ी बात मुझे स्वास्थ समस्याएं हैं। मैं बहुत जल्दी बीमार पड़ जाता हुं।
खाने से पहले, खाने के वक्त, खाने के बाद। खैर इन तीन वक्त से मुझे नफ़रत थी। मैं स्कूल नहीं जाना चाहता था और सुबह उठने पर मैं खुदको उदास पाता था।
ऐसे बुरे वक्त पर उसने मेरी ओर मदद का हाथ बढ़ाया। मेरे ट्रांसफर होने के बाद वो इस स्कूल में ट्रांसफर हुई थी। उसके साथ रहकर मैने अपनी परेशानियां दूर की, उसने मुझे नर्क की गहराइयों में जाने से बचाया। उसका यहां ट्रांसफर होना संयोग था या जानबूझकर, मैं नहीं जानता। अब पूछने का कोई फायदा भी नही।
फिलहाल, मैं अपने कमरे की खिड़की पर बैठा चाँद को देख रहा हुं। वो चाँद पर कहाँ हैं?! पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी साल दर साल बढ़ती जा रही है। जाहिर तौर पर कुछ शताब्दियों पहले चंद्रमा हमारे बहुत करीब था। ऐसा लगता है जैसे, हमारे दिलों के बीच दूरी आ गई है।
कल रात मैने एक सपना देखा, अपने मध्य विद्यालय के दिनों के बारे में। मैने अपनी सबसे अच्छी दोस्त के साथ मूवी और रात का खूबसूरत चाँद देखने का सपना देखा।
"किसी दिन एकसाथ पूर्णिमा का चाँद देखना चाहोगी?!" मैने उससे कहा।
मेरी ओर देखे बिना उसने जवाब दिया "हां।"
मुझे इस बात की चिंता थी कि उसका मूड थोड़ा खराब लग रहा था।
पूर्णिमा का वो चाँद हम एकसाथ कभी नहीं देख पाए। फिर भी मैं रोज रात चाँद को देखता रहता हुं। शायद किसी दिन मेरी नज़रे उससे मिल जाए। 🙂
जब भी मैं कोई अच्छी शॉर्ट स्टोरी पढूंगा, तो उसका अनुवाद कर यहां जरुर अपलोड करूंगा।
धन्यवाद पढ़ने के लिए।