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BLACK VALLEY ( काली घाटी )

प्राचीन काल से जूडी हुई अंधश्रद्धा यही आज का हाल अभी भी हे आज भी ऐसे गाव हे जो अंधश्रद्धा के नियम पे चलते हे जो इस कहाणी मे हे वही आपको बताने का उद्देश यह हे की १६६७ मे एक ऐसे गाव की कहाणी जो आज भी उस श्राप मे रेहे रहा हे|

साल १६६७ गाँव - जामगे वाडी, महाराष्ट्र

१५ जुलाई , शुक्रवार बारिश का मोसम

वाडी मे रेहेता गणाजी राव जाधव उसका बेटा सय्याजी जाधव मां शकुंतला बाई जाधव

जाधव घराना का वाडा बोहोत बडा था एक उच्च घराणे के परिवार संपत्ति , खुशी सब कूछ दीन मे हि शकुंतला अब फिरसे मां बनेगी एक लडकी को जन्म देगी उस खुशी मे गुणाजी राव ने अच्छा मेजवान रखा था उसके भाई घर के हर परिवार आए थे|

हर तरफ खुशिया हि खुशिया थी उसी दोहरान सय्याजी जाधव जी भागते बारिश मे शाम के वक्त घर की ओर निकल रहा था घर जाते हुये बाजू मे हि काली घाटी का जंगल लगता हे|

सय्याजी रुक जाता हे | जंगल की तरफ देखता हे | देखता हि रेहेता हे देखता हि रेहेता हे | उसको एक आवाज सूनाई देती हे जैसे की कोई उसको पुकार रहा हो जाणे कोई असे ले जाणे हि आया हो | खुद को नियंत्रण करके सय्याजी जी भागते भागते घर आ गये |घर पर सब परिवार को देखा बाबा ने सय्याजी घर आके पूछा " कहा था इतना वक्त इतनी देर कैसे लगी बारिश का मोसम हे घर मे रहो बहार मत निकलो , समझ आ रहा हे ना ? " सय्याजी हा बोल देता हे सब कुछ अच्छे से होता हे ऊसी रात सब सोये होते हे तो बाबा के पास सय्याजी सोते बाबा को केहेता हे की "बाबा सूनो , बाबा सुनो ना एक बात बतानी थी" गुणाजी राव केहेते हे " हा बोलो " सय्याजी जी केहेते हे " बाबा वो जंगल कुछ तो केह रहा था , पुकार रहा था " गुणाजी राव फटाक से उठ जाते हे

गुणाजी राव केहेते है " ये पागल हे क्या उधर से क्यूँ आया ले लेगा वो घाटी मे खीच लेगा " गुणाजी राव सय्याजी जी को मारते हे |

सय्याजी जी उठ के दुसरी ओर भागते हे | घर वाले उठ जाते हे गुणाजी को पूछते हे गुणाजी सब बता देता हे|शकुंतला बाई जोर से चिल्लाने लागती हे उसके पेट मे दर्द होणे शुरू होणे लगता हे|घर के औरते घर मे हि उसका बच्चा निकालने मै सफल हो जाते हे| कुछ हि हफ्ते बाद उसका नामकरण होता हे छोटी बच्ची नाम- निर्मला बाई सब खुश खुशिया घर मै होता हे|

पर यह खुशी अब आगे जाके रहेगी या नही? क्या पता कब कही क्या हो जाये!

साल १६७० ५ मार्च बुधवार जामगे वाडी के बाहर रकुमा वाडी मे गुणाजी राव , सय्याजी जाधव , शकुंतला बाई जाधव और निर्मला बाई जाधव छोटी बच्ची रिश्ते दार के शादी मे आये होते हे| गुणाजी राव के बडे भाई की बेटी की

संवाद ( बातचीत )

गुणाजी राव - ये दादा कसा आहेस ?

बाल्या ( गुणाजी राव भाई ) - गुणाजी आवो आवो , या वहिनी , सय्याजी काय रे आणि माझी सोनू कशी आहेस.

गुणाजी राव - अरे वाह! मस्त तय्यारी की हे दादा

बाल्या - अब क्या शादी एक बार हो गई तो कोई दुसरा दिमाग पर भार नही

गुणाजी - हा वो तो हे

अच्छे से एकदम दोपेहर मै शादी हो जाती हे| गुणाजी राव , सय्याजी जाधव , शकुंतला बाई जाधव और बेटी उसकी निकलते हे| शाम हो जाती हे , आधे रस्ते मे आते हे बेल गाडी से , रात होणे आयी हे|

गुणाजी राव कहते हे की " सिंधू वाडी के रस्ते से चलो जल्दी पोहोच जायेंगे " बेल गाडी वाला उधर से गाडी ले चलता हे| पुरा अंधेरा हो जाता बत्ती जला लेता हे बेल गाडी वाला रस्ता दिखे इसलिये , सिंधू वाडी रस्ता जो रास्ता जामगे वाडी काली घाटी का जंगल उसके आगे जाके बाजू मे लगती हे|

जाते जाते बेल गाडी वाला गाडी रुकवाता हे|

संवाद ( बतचीत )

गुणाजी राव - चलो रकावाई क्यूँ!

बेल गाडी वाला - साहेब नही जा सकते आगे काली घाटी का जंगल लगता हे|

गुणाजी राव - तो क्या हुवा! नझदिक हि हे| चलो!

बेल गाडी वाला - साहेब हमे माफ करदो

गुणाजी राव - हा हा पैसे लेते हो उतना काम भी करो अपना अधे रस्ते मे छोड रहे हो देखता हु तुझे

शकुंतला बाई - जाणे दो अभी पता हे ना, जाणे दो चल कर जाते हे|

गुणाजी राव - शकुंतला बाई इतना भी सिधा बनो की यह लोग सर पर चढे

"अब चलो उतरो माज आलाय ह्याना" यह बात बेल गाडी वाला को कहते

सब लोग उतर जाते हे चलने लगते हे| उपर चांद के रोशनी की नीचे गिरी रस्ते पे चलते आपने घर तक उस चांद का सहारा लेते चले

चलते चलते काली घाटी जंगल आ जाता हे, गुणाजी राव कहते हे " चलो चलो जल्दी, नही तो हमारा गंध सुंग लेगा " जल्दी जल्दी से चलने लगते हे|

सयाजी को बीच मे हि आवाज आता हे| जंगल फिरसे उसको पुकरता हे , कुछ अवाजे सूनाता हे| सयाजी रुक जाते हे| जंगल की ओर देखते हे| उसे एक कोई तो दिखता हे| जो की जंगल मे से कोई उसे घुर रहा हो पुकार रहा हो , शकुंतला बाई पीछे मुड कर देखती हे, की सयाजी वही रुके हे| शकुंतला बाई गुनाजी को कहती हे, गुणाजी राव पलटे के देखता हे उसे लेने पीछे आ जाता हे सयाजी को , गुणाजी राव भी जंगल तरफ देखते हे| उन्हे भी कोई अजीब सा कोई जंगल मे खडे रहे जैसे की घुर रहा हो , गुणाजी राव डरते हे सयाजी का हात पकडे जल्दी से ऊसको लेके चले जाते हे| घर आ जाता हे | सब लोग डरे एक ऐसा माहोल हो जाता हे|

शकुंतला बाई पूछती हे गुणाजी राव को " अहो! काय झालं क्या हूवा ? क्या देखा ऐसा "

गुणाजी राव एकदम शांत बैठे हूये रहते हे| सयाजी जी गुणाजी राव के नझदिक आते हे| पूछते हे बाबा से आपने " बाबा क्या हे उस जंगल मे ऐसा और काली घाटी क्या हे जो सब गाव वाले डरते हे" गुणाजी राव कूछ नही कहते चूप चाप चले जाते हे अपने कमरे मे सोने | साल भर कुछ ऐसा काली घाटी का नाम नही लेता घर मे जैसा रहता सब पहले जैसे वो रात की यादे भुला कर अच्छे से रहणे लगते हे|

पर सयाजी जी के मन मे अभी भी वो रात का दिमाग मे परेशान कर रही थी जैसे की कोई यह गाव ये लोग काली घाटी का कूछ रहस्य दबा रहे हे|

साल १६८० २० ऑगस्ट रविवार सयाजी जी जाधव बडे हो गये हे| उम्र १८ शादी शुदा बाल विवाहित उनकी पत्नी लिला बाई जाधव उनकी उम्र ८

सयाजी जाधव दोस्तो के साथ बातचीत करते जोरदार बारिश मे बैठे हुए दोस्तो के साथ मकरंद के घर

संवाद

मकरंद (सयाजी के दोस्त) - सून मेरी बात , ऐसा करेगा ना तो मर जयेगा अभि तक उधर कोई नही गया .

सयाजी - जाना तो नही चाहता पर आवाज वो हर रात मुझे सूनाई देती हे| सोने नही देती वो

मारुती सयाजी का ओर एक दोस्त उनके साथ

मारुती - सयाजी सून मे आता हू तेरे साथ , जो कुछ होगा देखा जायेगा

सयाजी - आज शाम ४ बजे आ जाना जंगल से निकलते हि काली घाटी हे उस पार|

शाम ४ बजे जोरदार बारिश जंगल के सामने खडे हूए सयाजी जाधव, मारुती और मकरंद

मकरंद उन दोनो को रोकते " मत जावो बात सूनो मेरी " वो दोनो मकरंद की बात नही सुनते

सयाजी जाधव और मारुती जंगल की ओर निकलते हे| ( घणा घणा जंगल मे दो इंसान, करे शोध काली घाटी की, करे वो अपना हि सुख बरबाद, रहे अब हमेशा दर्द यही, जंगल देगा रास्ता तुझे ! काली घाट जो तुम्हे दिखाये )

०४ बज के २५ मिनिट

जोरदार बारिश मे सयाजी जाधव और मारुती एकसाथ चलते चलते उन मे बातचीत होती

संवाद

मारुती - इस जोरदार बारिश मे , तुम्हे लगता हे? सयाजी की हमे काली घाटी मिलेगी इसके आगे

सयाजी जाधव - कोई नही मार्ग जरा कठीण हे| पर धुंढके निकालेंगे

मारुती - अरे पण सयाजी खूप वेळ झाला

सयाजी जाधव - तुझे जाना हे| तो जा सकता हे|

मारुती - ऐसा नही रे! जाना नही हे पर तू हि देख , रात होणे को आयी अब इतने अंदर आ चुके हे हम|

ऐसे हि चलते चलते बारिश मे अंधेरा हो जाता हे| चांद की गिरी रोशनी का सहारा धुंढ के आगे बढते हे|

सयाजी जी घर उसकी मां चिंता करती अभी तक क्यूँ नहि आया| उधर गूनाजी राव अभी भी उस रात को भुले नही थे|उसको भुलाने के लिये हर रोज शराब की बोतल मे धुंद रेहेते| शकुंतला बाई को सयाजी राव की चिंता होती उसकी बहु लिला बाई को घर संभाळणे को कहती| जोर दार बारिश मे भटके शकुंतला जी सयाजी जाधव को ढुंढती काली घाटी जंगल से आता हुआ मकरंद को देखाती उसको आवाज देती मकरंद उनके पास जाता शकुंतला बाई उससे पूछती सयाजी जाधव किधर हे ? वो घबरा जाता शकुंतला बाई चिल्लाती हे| उसको " अरे बोलना " , मकरंद घबरा कर सारी बाते शकुंतला बाई को बता देता हे|

शकुंतला बाई डर जाती हे|घर जाती और गुनजी राव को सारी बाते केहे देती हे|

गुणाजी राव यह सब सून के उठ जाते हे| जंगल की ओर भागते हे|

सयाजी जाधव और मारुती जंगल मे चलते चलते बोहोत आगे आ जाते हे| सयाजी जाधव के पिठ पिछे चले मारुती उनको कोई मारुती को उनके नाम से पुकारता हे| मारुती जल्दी पीछे मुड कर देखता है| कोई नही होता पर मारुती फिर्से चलने लगते है| उस्को फिरसे कोई आवाज आता हे| जैसे की कोई रो रहा हो , वो पीछे देखते सयाजी को बुला रहा होता है| पर सयाजी गायब हो जाता हे| मारुती बोहोत डर जाता हे| उसको कूछ समझ नही आता अब कया करू पुरा अंदर से डर बैठता हे, पुरी तरह से घाबरा जाता हे|

सयाजी जाधव पिछे मुड कर देखते हे| मारुती नझर नही आता पीछे , ऐसे हि अचानक से जमीन तूट के सयाजी जी जमीन के अंदर जाते हे| अंदर पुरी बडी सी जमीन के निचे गुफा होती हे| सयाजी जी निचे गिरते हि पुरा खाली पाणी पाणी रेहेता हे| पाणी का पुरा गंदा बास पुरी निचे मिट्टी भि होती हे| पुरा अंधेरा , उसि बीच मे सयाजी को एक जुगणू चमकता हुआ दिखता उसके पास आता हे| उसके हात पर भी बैठता हे| सयाजी जाधव सोच मे पढ जाते हे|यह जुगणु ऐसे गुफा मे कैसे ? तब ही अचानक से पुरी गुफा जुगुणू से भर जाती हे| अंधेरा हुआ जो की गुफा पुरी जुगुणू के उजालो से दिखणे लगता हे| सयाजी जाधव गुफा मे आगे की ओर चल लेते हे| जो चलते चलते काली घाटी दिखाई देती हे| ऐसे चलते चलते सयाजी जाधव सोच मे पड जाते हे|" यह कहा आगया मे " गुफा के अंदर से रास्ता दिखाई देता हे, और गुफा से बहार आते हे|

घणा जंगल काली घाटी मे बारिश एकदम से थम जाती हे| बोहोत विशालकाय पेड बडे बडे काली घाटी मे बहती नदी , एकदम से पुरा शांत हो जाता हे| कोई आवाज नही, किसी की भी प्राणी का आहट नही आवाज नही|सयाजी जाधव जी जैसे चलने लगते हे वैसे पीछे से भी कोई झाडी मे छिप कर आ रहा हो| सयाजी एकदम से रुख जाते हे| डरे हुए पीछे मुड कर भी नही देखते, आपने पेर के निचे पडी लकडी उठाकर हात मे लेकर चल पडते हे| फिरसे कोई पीछे से झाडी से आते हुआ , सयाजी भागते हे| वैसे पीछे से भी वो भागते आता हे| अचानक से भागत पीछे से झाडी से भागते भागते सयजी के सामने आ जाता हे| सयाजी जाधव एकदम अचानक से डर जाता हे| भागते सयाजी बिच मे हि रुक के निचे डर के गिर जाता हे| उसके सामने आए भेडिया उसकी लाल आँख खून भरी , नुकीले दांत सयाजी को खूनखार नझरो से देखता हुआ| भेडीया उसके पास चलके आता हे| सयाजी को मारणे के लिये भागते हुए जैसे हि आया वैसे पीछे से गुणाजी राव हात मे एक बडा सा दंडा लिये उसको जोर से भेडिया के मुँह पे मारते हे| भेडिया का जबडा हिल जाता हे , और वो भाग जाता हे| सयाजी जाधव और गुणाजी राव पुरे घाबराये हुवे से , उन मे बातचीत होती हे|

सयाजी जाधव - यह क्या था ( पुरा घाबराया हुआ )

गुणाजी राव चिल्लाते हूए उसको मारते हे|

गुणाजी राव - पागल हे क्या ? दिमाग खराब हे तेरा जो यहा आया !

सयाजी जाधव - बाबा !

गुणाजी राव उसको गुस्से से दंडे से मारते

सयाजी - बाबा ! नही ( रोता हुआ , डरा सा )

गुणाजी राव उसको मारणा बंद कर देते हे |

सयाजी जाधव - अब क्या करे

गुणाजी राव - जैसे आए वैसे हि बहार निकलते हे| पर गुफा से नही अब दुसरा रास्ता , इधर जंगल से देवी दिखेगी रास्ते मे ही हे|

सयाजी - हां ठीक हे|

गुणाजी - चल अब

सयाजी जाधव उठणे जाता हे वैसे हि कली घाटी फिरसे उसको पुकरती हे|

( सया , सया बाला सया , रोने की भि आवाज, चिल्ला रही हो , एकदम एक मौत जैसी सजा )

सयाजी फिर से उस हि आवाज से गुमराह हो जाता हे|

सयाजी जाधव उठ के आपने बाबा से केहेता हे|

सयाजी - बाबा कोई तो पुकार रहा हे| रो रहा हे

गुणाजी राव - ये चल जा मत नदी मे खिच लेगा आवाज मत सून भटका देंगी वो!

सयाजी पुरा आवाज के वश मे कैद हो जाता हे|

सयाजी भागते हुए नदी के पास जाता

गुणाजी राव - ए बाला जा मत , बाला रुक जा

गुणाजी भी उसके पीछे भागते , सयाजी नही किसी की सुनाता नाही वो रुकता भागते ही चला जाता हे|

अचानक से उसका पैर फिसलक नदी मे गिर जाता , निचे डुब जाता हे| सयाजी के आँखो के सामने ऐसा एक अतीत सामने आ जाता हे, कोई किसी गर्भवती औरत का ऐसा निचे उसको सुलाए हुए वो दर्द से तपती उसकी आवाज, रोती हुई , डरी सी एक ऐसा जो पुजा की जा रही उसका बच्चा निकले जा रहा, ( बच्चा हात मे लेकर उसको मारणे की कोशिश की जा रही ) यह सब अतित हुवा उसके सामने नझर आता हे| एकदम से गुणजी राव सयाजी को ऊपर खींच लेता हे| सयाजी घबरा जाता हे पुरी तरह से जो उसने अतीत देखा वो पुरा तरह से घबरा गया , सयाजी को हातो पर खून लगा होता हे| गुणाजी राव उसको फटाक से लेकर जाते हे|

घर आता हे, शकुंतला बाई देखती हे| सयाजी को पुरा घबरा हुवा सा, शांत! शकुंतला बाई उसको अंदर कमरे मे लेटा देती हे | पुरा थंड से कापता हुवा , शकुंतला बाई उसके ऊपर चद्धर डालती

हे|सयाजी जाधव आपने बाबा से केहेता हे की (आपको काली घाटी से बहार आने का रास्ता कैसे मालूम आप क्या छिपा रहे हो बाबा ?)

गुणाजी राव शांत रेहेते हे, कुछ नही केहेते|

सयाजी वही सवाल हार बार पूछता हे , पर गुणाजी कूछ नही केहेता| गुणाजी राव बहार दरवाजे के इधर जाते हे वैसे ही उनके सामने जोरदार बारिश मे आयी मारुती की मां अती हे|

गुणाजी राव - क्या हुवा आप अचानक से इधर

मारुती की मां रो रही होति हे साथ मे उसके मकरंद भी होता हे|

गुणाजी राव मकरंद को पूछता हे|

गुणाजी राव - मकरंद काय झालं रे ? क्या हुआ

मकरंद - काका ते! मारुती घर नही आया अभी तक सयाजी के साथ गया था काली घाटी मे

गुणाजी - क्या !

पीछे से शकुंतला बाई सयाजी जाधव आते हे और उसकी सयाजी की पत्नी

गुणाजी राव सयाजी को पूछते हे|

गुणाजी राव - मारुती कीधर हे ?

सयाजी - मुझे नही पता ! जब मे गढ्ढे मे गिरा तो तब शायद हम बिछड गये

मारुती की मां रोते हुए

मारुती की मां - मेरे मारुती को लेकर आवो

गुणाजी राव मे ढूँढ़ के लाता हू!

जैसे हि मकरंद बहार जाता हे , वैसे हि ऊपर से खून का एक टपका बूँद उसके खंदे पर गिरता , मकरंद यह खून देख के ऊपर देखता हे| वैसे ही ऊपर देखते ही मारुती का कटा हुआ सर जो दोरी से लटकता घर के बालकनी को बंधा हुवा होता हे| यह देखकर मकरंद जोर से चिल्लाता हे| सब लोग बाहर आते हे , ऊपर देखते हे सब लोग डर जाते हे|

मारुती की मां रोने लागती ( मारुत्या मारूत्या ) यह कहकर आवाज देती हे | सयाजी बाबा को देख के पूछता हे की अब तो बता दो ! गुणाजी राव डरे सहमे

जोर दार बारिश सब लोग डरे !.....

गुणाजी राव - वासुबाई शिरोडकर

सयाजी - यह कौन हे ?

( कौन हे वासुबाई शिरोडकर ? क्या हे काली घाटी की सच्चाई ?)

भाग २ जल्द ही आयेगा.

The story of Kali Ghati is in a Hindi language, the characters and things told in this story are completely fictional.

enjoy the story and coming soon vol.2

DJAYBOYcreators' thoughts