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(BL) एक मुलाकात जरूरी है जीने के लिए( yizhan ff)

[completed]" ना जाने क्यों " इस मौसम को देखकर एक सुकून मिलता है " दिल धड़कता है " साँस चलती है " तेरे आने से आह चलती है । "हर सांस में तेरे नाम की लो जलती है "रास्ते बदलते हैं । "मंजिलें बदलती है । "फिर भी तेरे आने की । "आहटें मिलती है । "मुझे पता है। "वो आहटे तेरी नहीं । " तू मेरा नहीं "मैं तेरी नहीं "जिंदगी फिर भी ऐसे ही चलती है । "तेरे इन्तजार मे मौसम बदलते रहते हैं "वक्त गुजरता रहता है "बस तू ही नहीं आता "वक्त गुजरता रहता है । "एक बार तो आने की कोशिश कर मेरे हमदम "ऐसा ना हो तू ना आए "और हम गुजर जाएं "तेरे इंतजार मे

Renu_Chaurasiya_0803 · คนดัง
เรตติ้งไม่พอ
2 Chs

chapter 2 Zhan pov -------------

1 साल पहले मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ बीजिंग छुट्टियों पर गया था ।

हमारी छुट्टियां 1 सप्ताह तक चलने वाली थी

मेरे एक दोस्त का चचेरा भाई बीजिंग हाई स्कूल में पढ़ रहा था ।

हम लोग उससे मिलने के लिए उसके स्कूल गए

जब हम लोग कैंटीन में बैठकर मस्ती कर रहे थे

तभी एक बच्चा कैंटीन में आया ।उसके आसपास अंगरक्षक की भीड़ थी।

उसको देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कोई मूर्ति आ रही हो अंगरक्षकों के बीच में एक सुर्य के समान चमक रहा था।

उसके चेहरे की चमक देखकर मेरे दिल में हजारों तरह के फूल खिलने लगे ।

उसके आते ही आसपास के बच्चे इधर- उधर होने लगे । बच्चों को देखकर लग रहा था कि उन्होंने कोई भूत देख लिया है।

मुझे समझ नहीं आ रहा था कोई इतनी खूबसूरती को देख कर कैसे उसे दूर जा सकते है?

वह बच्चा हमारे पास कि सीट पर बैठ गया।

बच्चा बहुत ही खूबसूरत था।

उसका कलर दूध के समान श्वेत था ।

उसकी आंखें हिरन के समान ,उसकी नाक नुकीली थी।

उसके होंठ गुलाब की पंखुड़ियों के समान कोमल और रसीले थे।

उसके चेहरे की विशेषताएं कुछ इस प्रकार थी।

जिसकी कल्पना कवी अपनी कविताओं में करता है।

एक गीतकार अपने गीतों में करता है।

एक शायर अपनी शायरी में करता है।

एक लेखक अपने साहित्य में करता है।

और मैं अपने दिल से कर रहा था।

ना चाहते हुए भी बार-बार मेरी नजरें उसी के ऊपर पहुंच जाती हैं।

मैं उसके बारे में सब कुछ जानना चाहता था ।

मैंने अपने भाई के दोस्त से पूछा "क्या यह बच्चा किसी मिनिस्टर का बेटा है?"

" इसके आसपास इतने अंगरक्षक क्यों है ?"

उसने मुझे अजीब सा मुंह बनाकर कहा "यह बहुत ही बड़े बिजनेसमैन का भाई है।"

" इसके आसपास हमेशा अंगरक्षक होते हैं ।"

"यह इतना घमंडी है ,किसी से बात भी नहीं करता।"

" बस स्कूल आएगा और चला जाएगा"

" सभी स्कूल के बच्चे इस के घमंड को देखकर ,इससे दूर ही रहते हैं ।"

"कभी-कभी बच्चे इसको परेशान करते हैं' फिर भी यह हमेशा चुप ही रहता है ।"

मैंने उससे पूछा "क्या तुम्हारे पास उसका का नंबर है?"

उसने मुझे कहा" भाई आप उसके नंबर का क्या करेंगे?

मैंने उससे बोला "मैं मनोविज्ञान पढ़ रहा हूँ। ऐसे लोग जो चुपचाप रहते हैं ,बात नहीं करते ,मैं उनके बारे में खोज करना चाहता हूँ।"

उसने हाँ मे सिर हिलाया और मुझे उसका नंबर दिया।

मैं उस लड़के को देखकर उससे जुड़ रहा था ।

मुझे लग रहा था मुझे उसकी मदद करनी चाहिए।

उससे पहले मुझे उसके बारे में सब कुछ जानना होगा।

अगले कुछ दिनों तक मैंने छुप-छुप कर उसका पीछा किया।

इससे मुझे पता चला कि वह लड़का बहुत ही मासूम और भोला है ।

मुझे यह देख कर बहुत दुख हुआ कि वह खुश नहीं था।

वह हमेशा चुपचाप स्कूल जाता और चुपचाप अपने घर आता।

कभी भी आम बच्चों की तरह हंसता या मुस्कुराता नहीं था।

ना ही वह कभी भी मस्ती करता है।

यह सब जानकर मुझे बहुत दुख हुआ ।

मुझे उसकी मदद करनी थी ,इससे पहले मैने उसके बारे में अपने पिता को सब कुछ बता दिया।

मेरे पिता जाने-माने मनोचिकित्सक है।

इस तरह के केस को सुलझाना उनके लिए छुट्टियों का काम है ।

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1 सप्ताह कब निकल गया पता ही नहीं चला और हम लोग शंघाई लौट आए पर मेरे दिल का एक टुकड़ा बीजिंग में ही रह गया था ।

धीरे- धीरे समय गुजरता रहा और मैं अपने विश्वविद्यालय के कामों में व्यस्त हो गया।

मुझे उससे बात करने का समय ही नहीं मिला पर इसका मतलब यह नहीं है कि मैं उसे भूल गया था ।

हर गुजरते दिन की तरह वह मेरे दिल में और गहराई से समा रहा था ।

जब भी मैं किसी को उसकी उम्र के बच्चो को हंसता या मुस्कुराता देखता था तो मेरे मन मे एक ही सवाल आता कि वह क्यूँ नही हंसता।

यह सोचकर मेरे दिल में एक अलग सा दर्द होता था ।

उसके बारे में सोचना मेरा एक काम बन गया था ।

मैं अक्सर बैठे-बैठे अपने दोस्तों से उसके बारे में बातें करता था।

धीरे-धीरे मेरे दोस्त मुझे उसके नाम से चिढ़ने लगे।

मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था।

मैं उससे बात करना चाहता था ।

उसके बारे में सब कुछ जानना चाहता था ।

मैंने अपने पापा से उसके बारे में बात की।

उन्होंने मुझे बड़े प्यार से समझाया "अगर तुम किसी की मदद करना चाहते हो ,तो पहले उसको जानो, उसका विश्वास हासिल करो।"

" उसे विश्वास दिलाओ कि वह अकेला नहीं है।"

" तुम उसके साथ हो, तुम इस तरह उसकी मदद कर सकते हो।"

"लेकिन उससे पहले तुम्हें उससे बात करनी होगी।"

मेरे पास उसका नंबर पहले से ही था ।

जिसे मैंने अपने दोस्त के भाई से लिया था।

अब मैं यह सोच रहा था कि मैं उससे बात करना किस प्रकार शुरू करू।

जिससे उसे मेरी बाते सुनने पर भरोसा हो ।

मैं यह सोच ही रहा था तभी मेरे फोन पर एक कोल आया।

उधर से आवाज आई "हेलो क्या ये विन का नंबर है ?"

मैंने कहा "नहीं ये नहीं है। "

और उसने कहा " उसने सॉरी कहकर फोन काट दिया।"

तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया "क्यों ना मैं भी रॉन्ग नंबर से शुरुआत करूं।"

मैंने तुरंत अपना फोन निकाला और उसे कॉल किया पर कॉल कनेक्ट नहीं हुआ।

मैंने दूसरी बार कोशिश की दूसरी बार भी कॉल कनेक्ट नहीं हुआ ।

मुझे बहुत तेज से गुस्सा आने लगा और अपने गुस्से को शांत करने के लिए मैंने एक मूवी देखने चला गया ।

मूवी खत्म हुई ।

मैंने एक रेस्टोरेन्ट में भोजन किया ।

उसके बाद अपने घर जाने के लिए बस स्टॉप पर चला गया ।

मै टैक्सी या बस का इंतजार करने लगा ।

बस आने का टाइम 10:00 बजे था।

मैं बस स्टॉप पर खड़ा था। बस के इंतजार में, तभी मैंने एक बार और उसको कॉल करने की सोची।

और अपने मोबाइल को निकाल कर उसका नंबर डायल किया ।

इस बार उससे मेरा फोन इस कनेक्ट हो गया।

और उधर से एक खूबसूरत आवाज ने मुझे पूछा "हेलो आप कौन बोल रहे हैं?"

उसकी आवाज सुनकर मैं बहुत खुश हो गया था।

मैंने तुरंत अपना गला साफ किया और बोला

"हेलो क्या यह विन का नंबर है?"

उसने कहा "नहीं यह नहीं है "

मैंने पूछा "तो तुम कौन हो?"

"इससे आपका कोई लेना-देना नहीं है।"

" कि मैं कौन हूँ ?"

और फोन कट कर दिया।

उसकी बात सुनकर मैं झुझलाहट से भर गया।

सच में यह लड़का घमंडी है।

इन्हीं सब बातों के बीच में मुझे ध्यान ही नहीं रहा बस कब आई और कब चली गई।

मैंने टैक्सी ली और अपने घर आ गया।

घर आकर, फ्रेश होकर , मै अपने रूम में जाकर कुछ देर टीवी देखने का विचार किया।

तभी मैंने न्यूज़ में देखा जिस बास से मैं आने वाला था। वह बस में आग लग गई और उसके सारे पैसेंजर जल गए।

यह सब सुनकर मेरा दिमाग सुन्न हो गया।

और मेरे मुंह से एक ही शब्द निकला "एंजेल"।

" तुमने मेरी जान बचा ली"

"आज से तुम मेरी एंजेल हो"

"मैं हर प्रकार से तुम्हारी रक्षा करूंगा"

उसके बाद मैंने अपना फोन निकाला और उसको मैसेज करने लगा।

कुछ भी मैसेज टाइप करे लगा।

जिससे वह मुझमें रिस्पांस दे ।

पर उसने मेरे एक भी मैसेज को नहीं देखा।

मुझे लगा शायद वह सो गया।

पर मुझे उस दिन नींद नहीं आई ।

मैं पूरी रात उसी के बारे में सोचता रहा।

और उसे मैसेज और कॉल करता रहा।

कब सुबह हुई मुझे पता ही नहीं चला।

मैंने सुबह भी उसको मैसेज किए और कॉल किया।

पर उसने ना ही कोई मैसेज देखें और ना ही मेरा कॉल का आंसर दीया ।

उससे बात करने के लिए मेरा एक 1 मिनट भी एक 1000 साल की तरह गुजर रहा था ।

मुझे अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी।

मेरे दिमाग में तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे ।

सुबह 10:00 बजे के बाद उसने मेरे मैसेज रीड किए और तुरंत मुझे कॉल किया।

" हेलो! क्या तुम मुझे जानते हो ?"

मैंने तुरंत उसको जवाब दिया और हम बातें करने लगे।

वह बहुत गुस्से में लग रहा था ।

यह देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था।

वह बार- बार गुस्से में फोन काट देता था।

और मैं बार-बार उसको कॉल लगाए जा रहा था ।

लास्ट में उसने मैसेज किया "प्लीज मुझे दोबारा फोन मत करना ।"

मैंने कहा " मैं तुम्हें फोन नहीं करूंगा पर मुझे ऐसा क्यों लगता है तुम्हें मेरी जरूरत है।"

" तुम अकेले हो।"

और फोन कट कर दिया।

मुझे विश्वास था वह दूवारा फोन जरूर करेगा ।

मुझसे बात पर पूरा भरोसा था।

आप मुझे बस उसके फोन का इंतजार करना था।

पर मेरा एक एक दिन एक ही साल की तरह बीत रहा था।

मेरा कहीं भी मन नहीं लग रहा था!

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"इस दिल की बीमारी के लिए क्या हाल तुमको बतलाए ,

दर्द है कोई मेरे दिल में जिसे जाकर किसी वेद को दिखाएं।

" समझ सकता नहीं कोई बीमारी ए मेरे हमदम '

तू ही बता किसे जाकर हम हाले दिल को समझाएं ।

" असर करती नहीं दवाई कोई 'ए मियां तेरी।'

बिना दीदार के उसके इस दिल को हम कैसे समझाएं ।

"अपनी पलकें बिछाकर हम तेरा इंतजार करते हैं'

एक बार तो हमसे मिलने आ बस यही फरियाद करते हैं ।---

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मैंने पीछे के दो शब्द इसलिए बोले थे ,क्योंकि यह शब्द उसकी दुखती हुई रख पर पैर रखने के समान थे।

ना चाह कर भी वह" मुझसे जरूर बात करेगा !

मैं "उसके कॉल का इंतजार दिन, रात कर रहा था!

हर गुजरते हुए दिन के साथ मेरी बेचैन बढ़ती जा रही थी।

पूरे 10 दिन बाद उसका कॉल आया, और हम बातें करने लगे ।

देखते ही देखते हमें पता भी नहीं चला कब हमारे दिन छोटे होने लगे और हमारी बातें लंबी होने लगी ।

पहले तो हम दिन में एक दो बार बात करते थे ,पर बाद में हम रात रात भर बातें करने लगे।

ना जाने कब हम कॉल से वीडियो कॉल पर उतर आए थे।

मैं बोलता रहता ,बोलता रहता ,वह मेरी बातें खामोशी से सुनता रहता था।

वह मुस्कुराने लगा था ,वह मेरे साथ बदलने लगा था ,वह अपना दिल खोलने लगा था ,वह हंसता था ,मुस्कुराता था, मुझसे लड़ता झगड़ते था, हम वह कहते और सारे दिन की एक दूसरे की बातें सारे दिन की बातें एक दूसरे को बताते थे।

मेरे मम्मी पापा पहले से ही समझ रहे थे की मेरे दिल में क्या है ।

उन्हें मेरे और उसके बारे में सब कुछ पता था ।

उन्होंने मुझे आगे बढ़ने का हौसला दीया ।

मैं हमारे रिश्ते को एक कदम और आगे ले जाना चाहता था।

मैं उसे मिलना चाहता था ।

उसके साथ रहना चाहता उसे महसूस करना चाहता था।

पर जब भी मैं उससे मिलने के लिए बोलता मैं अक्सर टाल जाता था।

यह जानकर मेरा दिल बहुत दुखता था ।

मैं उसे बार-बार मुझसे मिलने के लिए जोर देता रहा था।

उस पर दबाव बनाने लगा।

मैं बार-बार उसको बोलता, वह बार-बार बहाने बना था।

मैं बार-बार उसको बोलता तुम अपने भाई से बात करो

हमारे बारे में, लेकिन वह हमेशा बात टाल देता। धीरे-धीरे दिन गुजरते रहे ,दिन महीने बन गए और महीने साल बन गए ।

पर मेरी उससे मिलने की तमना पुरी नही हो पाई।

यह सब मैंने अपने पापा को बताया , मेरे " माता-पिता ने एक मीटिंग रखी उसके भाई के साथ

जब पापा ने उन्हें बताया उसके दिमाग के बारे में, उसका भाई बहुत दुखी था।

तब पापा ने उन्हें समझाया।

उसके भाई ने भी कहा कि जब तक उनका भाई नहीं बताएगा तब तक वह ना जाने का नाटक करेगा ।

कुछ दिनों बाद एँजल "ने अपने भाई को सब बता दिया ,जैसे की हम सब ने तय किया था ।

हमारी मगनी 14 फरवरी को तय हो गई ।

अब तो मुझे हमारे मिलने का इंतजार है ।

जब भी मैं हमारे मिलेगा बारे में सोचता हूं ।

तब मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

एँजल "से प्यार करना मेरी जिंदगी की सबसे अच्छी बात है ।

अब तो मुझे कल का इंतजार है!

मैं और एंजेल एक साथ होगा।

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"एक मुलाकात जरूरी है!

तुझसे मिलना जरूरी है!!

" कुछ बीते अधूरी है !

कुछ सपने अधूरे हैं!!

" कुछ रातें अधूरी है!

कुछ प्यास अधूरी है !!

" कुछ आस है!

दिल के बंजर पड़े कुएं में तेरे प्यार की बारिश जरूरी है!!

" धड़कनें रुक ना जाए तेरे इंतजार में ए मेरे सनम क्योंकि एक एक मुलाकात जरूरी है जीने के लिए!!